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विदेश में लाखों की नौकरी छोड़कर बंजर भूमि में 'सोना' उगा रहे ललित, लोगों के लिए बन रहे नजीर

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Published : Dec 20, 2019, 9:09 PM IST

Updated : Dec 21, 2019, 11:59 PM IST

ललित अपने गांव में खाली पड़ी 30 नाली बंजर भूमि पर खेती कर सरकार को आइना दिखाने का काम कर रहे हैं. ललित  खाली पड़ी भूमि पर पिछले 6 महीने से मशरूम और फूलों की खेती के साथ दुग्ध उत्पादन से कर हर महीने 50 हजार रुपए से भी अधिक कमा रहे हैं.

Lalit Upreti
बंजर भूमि में 'सोना' उगा रहे ललित

बेरीनाग: राज्य गठन के कई सालों बाद भी प्रदेश में रोजगार, पलायन की समस्या लगातार बढ़ रही है. जिसके कारण पहाड़ के पहाड़ खाली होते जा रहे हैं. वहीं कई ऐसे लोग भी हैं जो रिवर्स माइग्रेसन कर खाली होते पहाड़ों को फिर से आबाद करने के साथ ही यहां रोजगार के नये आयामों को स्थापित कर रहे हैं. गंगोलीहाट के कुंजनपुर गांव के रहने वाले ललित उप्रेती इन्हीं में से एक हैं. ललित अमेरिका से लाखों की नौकरी छोड़कर अपने गांवों के बंजर खेतों को आबाद करने में लगे हैं.

नौकरी छोड़कर बंजर भूमि में 'सोना' उगा रहे ललित

ललित अपने गांव में खाली पड़ी 30 नाली बंजर भूमि पर खेती कर सरकार को आइना दिखाने का काम कर रहे हैं. ललित खाली पड़ी भूमि पर पिछले 6 महीने से मशरूम और फूलों की खेती के साथ दुग्ध उत्पादन से कर हर महीने 50 हजार रुपए से भी अधिक कमा रहे हैं. इतना ही नहीं बल्कि वे इससे गांव के अन्य लोगों को भी रोजगार दे रहे हैं. इन दिनों यहां के स्थानीय बाजार में उनके द्वारा उगाये गये फूलों की काफी मांग है. ललित के खेतों में ऊगाये गये फूलों की मांग पिथौरागढ़ और हल्द्वानी में भी बढ़ती जा रही है.

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ललित उप्रेती.

पढ़ें-पीठासीन अधिकारियों की सुरक्षा में लगे पुलिसकर्मी भर रहे थे खर्राटे, चेकिंग करने पहुंच गए SSP

ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए ललिल ने बताया कि एक साल पहले उनकी मुलाकात मशरूम गर्ल दिव्या रावत से हुई थी. उनके द्वारा किये गये कामों से वे बहुत प्रभावित हुए जिसके बाद वे विदेश में अपनी नौकरी छोड़कर गांव वापस लौट आये. विदेश से वापस आने के बाद उन्होंने अपने खाली पड़े बंजर खेतों को ही अपनी कमाई का जरिया बनाया. ललित बताते हैं कि गांव में बजर पड़े घरों में वे मशरूम का उत्पादन भी करते हैं. जिससे उन्हें खासा मुनाफा हो रहा है. इसके अलावा हाल ही में उन्होंने डेयरी का काम भी शुरू किया है. अभी उनके पास चार गायें हैं. भविष्य में वे इसे बढ़ाने के लिए लगातार काम कर रहे हैं. इसके अलावा के खेतों में सब्जियां, फल भी उगाते हैं.

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मशरूम के बारे में जानकारी देते ललित.

पढ़ें-ऑलवेदर रोड कंपनी के खिलाफ श्रमिकों ने खोला मोर्चा, प्रबन्धन पर लगाया शोषण का आरोप

ऐसा नहीं है कि ललित को बंजर खेतों में यूं ही सफलता मिल गई. अपने काम में आने वाली परेशानियों की जिक्र करते हुए ललित बताते हैं कि उनका घर नगर पंचायत क्षेत्र में नहीं आता है जिसके कारण उन्हें सरकारी सुविधाओं से वंचित होना पड़ता है. इसके अलावा तमाम विभागों से मिलने वाली सुविधा और योजनाओं से भी वे महरूम हैं. उन्होंने कहा एक ओर तो सरकार पलायन को रोकने के दावे करती है उसके उलट सरकार गांव में संसाधन जुटाने की दिशा में कई भी काम नहीं करती है. जिसका खामियाजा हम जैसे लोगों को उठाना पड़ता है.

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ललित के खेत में सब्जियां.

पढ़ें- क्रिसमस और थर्टी फर्स्ट सेलिब्रेशन को लेकर पुलिस ने कसी कमर, हुड़दंगियों की खैर नहीं

हालांकि इस बारे में जब गंगोलीहाट के नगर पंचायत अध्यक्ष जय श्रीपाठक से बात की गई तो उन्होंने ललित के काम को खूब सराहा. उन्होंने कहा कि नगर पंचायत की ओर से जो सुविधायें दी जा सकती है वे सभी ललित को दी जाएंगी.

पढ़ें-पुलिस ने की छापेमारी, 18 लीटर अवैध शराब के साथ धरा गया आरोपी

ललित की मेहनत और उनके जज्बे से आज उनके इलाके के कई लोग इस दिशा में काम करने की ओर आगे बढ़ रहे हैं. वहीं बात अगर ललित की करें तो वे दोगुने जोश के साथ अपने काम को आगे बढ़ाते हुए दिन रात मेहनत कर रहे हैं. उनकी मेहनत का ही परिणाम है कि आज उनके बंजर पड़े खेत एक बार फिर से हरे-भरे हो गये हैं. ललित की ये मेहनत और जज्बा पूरे इलाके के लोगों के लिए एक नजीर बन रहा है कि कैसे कम संसाधनों और बिना सरकारी मदद के कामयाबी को हासिल किया जा सकता है.

बेरीनाग: राज्य गठन के कई सालों बाद भी प्रदेश में रोजगार, पलायन की समस्या लगातार बढ़ रही है. जिसके कारण पहाड़ के पहाड़ खाली होते जा रहे हैं. वहीं कई ऐसे लोग भी हैं जो रिवर्स माइग्रेसन कर खाली होते पहाड़ों को फिर से आबाद करने के साथ ही यहां रोजगार के नये आयामों को स्थापित कर रहे हैं. गंगोलीहाट के कुंजनपुर गांव के रहने वाले ललित उप्रेती इन्हीं में से एक हैं. ललित अमेरिका से लाखों की नौकरी छोड़कर अपने गांवों के बंजर खेतों को आबाद करने में लगे हैं.

नौकरी छोड़कर बंजर भूमि में 'सोना' उगा रहे ललित

ललित अपने गांव में खाली पड़ी 30 नाली बंजर भूमि पर खेती कर सरकार को आइना दिखाने का काम कर रहे हैं. ललित खाली पड़ी भूमि पर पिछले 6 महीने से मशरूम और फूलों की खेती के साथ दुग्ध उत्पादन से कर हर महीने 50 हजार रुपए से भी अधिक कमा रहे हैं. इतना ही नहीं बल्कि वे इससे गांव के अन्य लोगों को भी रोजगार दे रहे हैं. इन दिनों यहां के स्थानीय बाजार में उनके द्वारा उगाये गये फूलों की काफी मांग है. ललित के खेतों में ऊगाये गये फूलों की मांग पिथौरागढ़ और हल्द्वानी में भी बढ़ती जा रही है.

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ललित उप्रेती.

पढ़ें-पीठासीन अधिकारियों की सुरक्षा में लगे पुलिसकर्मी भर रहे थे खर्राटे, चेकिंग करने पहुंच गए SSP

ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए ललिल ने बताया कि एक साल पहले उनकी मुलाकात मशरूम गर्ल दिव्या रावत से हुई थी. उनके द्वारा किये गये कामों से वे बहुत प्रभावित हुए जिसके बाद वे विदेश में अपनी नौकरी छोड़कर गांव वापस लौट आये. विदेश से वापस आने के बाद उन्होंने अपने खाली पड़े बंजर खेतों को ही अपनी कमाई का जरिया बनाया. ललित बताते हैं कि गांव में बजर पड़े घरों में वे मशरूम का उत्पादन भी करते हैं. जिससे उन्हें खासा मुनाफा हो रहा है. इसके अलावा हाल ही में उन्होंने डेयरी का काम भी शुरू किया है. अभी उनके पास चार गायें हैं. भविष्य में वे इसे बढ़ाने के लिए लगातार काम कर रहे हैं. इसके अलावा के खेतों में सब्जियां, फल भी उगाते हैं.

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मशरूम के बारे में जानकारी देते ललित.

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ऐसा नहीं है कि ललित को बंजर खेतों में यूं ही सफलता मिल गई. अपने काम में आने वाली परेशानियों की जिक्र करते हुए ललित बताते हैं कि उनका घर नगर पंचायत क्षेत्र में नहीं आता है जिसके कारण उन्हें सरकारी सुविधाओं से वंचित होना पड़ता है. इसके अलावा तमाम विभागों से मिलने वाली सुविधा और योजनाओं से भी वे महरूम हैं. उन्होंने कहा एक ओर तो सरकार पलायन को रोकने के दावे करती है उसके उलट सरकार गांव में संसाधन जुटाने की दिशा में कई भी काम नहीं करती है. जिसका खामियाजा हम जैसे लोगों को उठाना पड़ता है.

lalit-upreti-
ललित के खेत में सब्जियां.

पढ़ें- क्रिसमस और थर्टी फर्स्ट सेलिब्रेशन को लेकर पुलिस ने कसी कमर, हुड़दंगियों की खैर नहीं

हालांकि इस बारे में जब गंगोलीहाट के नगर पंचायत अध्यक्ष जय श्रीपाठक से बात की गई तो उन्होंने ललित के काम को खूब सराहा. उन्होंने कहा कि नगर पंचायत की ओर से जो सुविधायें दी जा सकती है वे सभी ललित को दी जाएंगी.

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ललित की मेहनत और उनके जज्बे से आज उनके इलाके के कई लोग इस दिशा में काम करने की ओर आगे बढ़ रहे हैं. वहीं बात अगर ललित की करें तो वे दोगुने जोश के साथ अपने काम को आगे बढ़ाते हुए दिन रात मेहनत कर रहे हैं. उनकी मेहनत का ही परिणाम है कि आज उनके बंजर पड़े खेत एक बार फिर से हरे-भरे हो गये हैं. ललित की ये मेहनत और जज्बा पूरे इलाके के लोगों के लिए एक नजीर बन रहा है कि कैसे कम संसाधनों और बिना सरकारी मदद के कामयाबी को हासिल किया जा सकता है.

Intro:अमेरिका की नौकरी छोड गांव में युवा Body:बेरीनाग
बेरीनाग से खास रिपोर्ट
टांप-बेरीनाग।
ललित ने विदेशों में नौकरी छोड़ गांव में किया रोजगार
बेरीनाग । प्रदेश गठन के बाद प्रदेश में बनी सरकारों ने रोजगार लगातार हो रहे पलायन को रोकने की बात करती हो लेकिन धरातल पर सरकार के दावे फेल हो रहे है।जहां रोजगार के लिए पहाडो से मैदानी क्षेत्रों में युवा रोजगार के लिए जा रहे है गांव में सुविधा नही होने पर गांव गांव खाली हो रहे है वही गंगोलीहाट नगर पंचायत के कुंजनपुर निवासी 38 वर्षीय युवा ललित उप्रेती ने सरकार को आइना दिखाने का काम किया है।ललित ने अमेरिका की कंपनी जिसमें प्रतिमाह 80 हजार की वेतन मिलता है एक दर्जन देशों में जाकर काम भी किया लेकिन अब उसे छोड़कर गांव रूख किया है। जहां पर अपनी लगभग लम्बे समय से बंजर पड़ी 30 नाली भूमि को आबाद कर रहा है।

वीओ 01-ललित ने बताया कि एक वर्ष पहले पौडी गढवाल की मशरूम गर्ल दिव्या रावत से मुलाकात हुई और उनके द्वारा किये जा रहे कार्य से वह प्रभावित होकर नौकरी छोड़कर गांव लौट आया। पिछले 6 माह से मशरूम और फूलों की खेती के साथ दुग्ध उत्पादन से लगभग प्रतिमाह 50 हजार की आमदनी भी हो रही है।गांव के कुछ युवाओं को रोजगार पर भी रखा हुआ है। वर्तमान में उनके द्वारा उगाये गये फूलों की मांग बाजार में बहुत अधिक है।इन फूलों को बेचने के लिए पिथौरागढ़ और हल्द्वानी जा रहे है। गांव में बजर पड़े घरों में मशरूम का उत्पादन भी कर रहे है। जिससे अच्छी आमदनी हो रही है।ललित ने वर्तमान में डेयरी व्यवासय भी शुरू किया गया है अभी चार गाये है भविष्य में 50 गायों के साथ डेयरी के व्यवसाय को बढ़ाने के लिए कार्य चल रहा है।साग सब्जी का उत्पादन भी अच्छा करता है जिससे आमदनी अच्छी होती है। यहां पर होने वाले साग सब्जी के उत्पादन में जैविक खाद्य का प्रयोग होता है किसी भी प्रकार का रसायन खाद्य और दवा का प्रयोग नही होता है।
बाइट 1- ललित उप्रेती

वीओ 02-ललित का घर नगर पंचायत क्षेत्र में होने के कारण सरकार से मिलने वाली विभिन्न सुविधाओं से वंचित होना पड़ रहा है। विभागों से मिलने वाली सुविधा और योजनाओं का लाभ नही मिल पा रहा है। सरकार की किसी योजना का लाभ नही मिला है यदि सरकार के द्वारा योजनाओं और सुविधा का लाभ मिले तो भविष्य में इस कार्य को आगे बढ़ाया जा सकता है। यदि सरकार से गांवों से हो रहे पलायन को रोकने के लिए और गांव में ही रोजगार के संनसाधान जुटाने के लिए आगे आते तो अवश्य पहाडो से हो रहे लगातार पलायन को रोका जा सकता है। नगर पंचायत अध्यक्ष गंगोलीहाट जयश्रीपाठक कहना है कि ललित उप्रेती के द्वारा बहुत अच्छा कार्य किया जा रहा है नगर पंचायत से सुविधायें दिलाने की कोशिश की जायेगी।
बाइट 2- ललित उप्रेती

फाइन वीओ- यदि सरकार ललित की तरह गांवों में आकर मेहनत करने वालो को प्रोत्साहन देती है और सुविधाये और संनसाधन उपल्बध करवाती है तो अवश्य पहाडों से हो रहे पलायन को कम करने के साथ गांव में रोजगार के साधन उपलब्ध हो सकते है। अब देखना होगा कि सरकार ललित कार्यो से कितना प्रभावित होती है।

बेरीनाग से प्रदीप महरा की खास रिपोर्टConclusion:प्रेरणादायक
Last Updated : Dec 21, 2019, 11:59 PM IST
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