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दून विश्वविद्यालय में गलत तरीके से नियुक्ति के मामले में हाईकोर्ट सख्त, इनको जवाब पेश करने के आदेश

नैनीताल हाईकोर्ट ने प्रदेश के प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा और निदेशक उच्च शिक्षा समेत अन्य को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का आदेश दिया है.

अधिवक्ता एमसी पंत.
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Published : Oct 15, 2019, 2:56 AM IST

Updated : Oct 15, 2019, 5:10 AM IST

नैनीताल: दून विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर नियम विरुद्ध तरीके से नियुक्त करने के मामले में हाईकोर्ट ने यूजीसी, दून यूनिवर्सिटी, राजेश कुमार, दूरदर्शन रांची, बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय बिहार, दून विश्वविद्यालय के कुलपति डीके नौटियाल, कुलसचिव समेत प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा और निदेशक उच्च शिक्षा को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

बता दें कि देहरादून निवासी शांति प्रसाद भट्ट ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर दून विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर नियुक्त राजेश कुमार की नियुक्ति को चुनौती दी. याचिका में कहा गया कि एसोसिएट प्रोफेसर की पद की नियुक्ति के लिए जारी की गई विज्ञप्ति के अनुसार मास कम्युनिकेशन में पीएचडी होना जरूरी है. लेकिन राजेश कुमार को मास कम्युनिकेशन की पीएचडी के बिना ही एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर नियुक्त कर दिया.

पढ़ें: भारतीय मूल के अभिजीत बनर्जी को सपत्नीक 2019 का अर्थशास्त्र का नोबेल

वहीं, याचिका में यह भी कहा गया कि एसोसिएट प्रोफेसर होने के लिए असिस्टेंट प्रोफेसर होना आवश्यक होता है. लेकिन राजेश कुमार ने कभी एसोसिएट प्रोफेसर में कार्य नहीं किया और राजेश कुमार दूरदर्शन रांची में ट्रांसमिशन एक्सक्यूटिव के पद पर थे. उनके पास यूजीसी के मानक के अनुसार एसोसिएट प्रोफेसर के पद के लिए नेट और स्लेट की योग्यता भी नहीं है. साथ ही याचिकाकर्ता ने राजेश कुमार की अर्थशास्त्र की पीएचडी जो भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय बिहार से की गई है उसकी भी जांच करवाने की मांग की है.

उधर, दून विश्वविद्यालय की प्रथम स्क्रीनिंग कमेटी ने राजेश कुमार को एसोसिएट प्रोफेसर के पद के लिए अयोग्य घोषित किया था. लेकिन तत्कालीन चयन कमेटी व अन्य व्यक्तियों ने उन्हें नियुक्ति दे दी. इन लोगों को भी याचिकाकर्ता ने मामले में पक्षकार बनाया है.

नैनीताल: दून विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर नियम विरुद्ध तरीके से नियुक्त करने के मामले में हाईकोर्ट ने यूजीसी, दून यूनिवर्सिटी, राजेश कुमार, दूरदर्शन रांची, बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय बिहार, दून विश्वविद्यालय के कुलपति डीके नौटियाल, कुलसचिव समेत प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा और निदेशक उच्च शिक्षा को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

बता दें कि देहरादून निवासी शांति प्रसाद भट्ट ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर दून विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर नियुक्त राजेश कुमार की नियुक्ति को चुनौती दी. याचिका में कहा गया कि एसोसिएट प्रोफेसर की पद की नियुक्ति के लिए जारी की गई विज्ञप्ति के अनुसार मास कम्युनिकेशन में पीएचडी होना जरूरी है. लेकिन राजेश कुमार को मास कम्युनिकेशन की पीएचडी के बिना ही एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर नियुक्त कर दिया.

पढ़ें: भारतीय मूल के अभिजीत बनर्जी को सपत्नीक 2019 का अर्थशास्त्र का नोबेल

वहीं, याचिका में यह भी कहा गया कि एसोसिएट प्रोफेसर होने के लिए असिस्टेंट प्रोफेसर होना आवश्यक होता है. लेकिन राजेश कुमार ने कभी एसोसिएट प्रोफेसर में कार्य नहीं किया और राजेश कुमार दूरदर्शन रांची में ट्रांसमिशन एक्सक्यूटिव के पद पर थे. उनके पास यूजीसी के मानक के अनुसार एसोसिएट प्रोफेसर के पद के लिए नेट और स्लेट की योग्यता भी नहीं है. साथ ही याचिकाकर्ता ने राजेश कुमार की अर्थशास्त्र की पीएचडी जो भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय बिहार से की गई है उसकी भी जांच करवाने की मांग की है.

उधर, दून विश्वविद्यालय की प्रथम स्क्रीनिंग कमेटी ने राजेश कुमार को एसोसिएट प्रोफेसर के पद के लिए अयोग्य घोषित किया था. लेकिन तत्कालीन चयन कमेटी व अन्य व्यक्तियों ने उन्हें नियुक्ति दे दी. इन लोगों को भी याचिकाकर्ता ने मामले में पक्षकार बनाया है.

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नैनीताल हाईकोर्ट ने प्रदेश के प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा और निर्देशक उच्च शिक्षा समेत अन्य को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के लिए आदेश।।

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दून विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर नियम विरुद्ध तरह से नियुक्त करने के मामले पर हाईकोर्ट ने यूजीसी, दून यूनिवर्सिटी, राजेश कुमार, दूरदर्शन रांची, बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय बिहार, दून विश्वविद्यालय के कुलपति डीके नौटियाल, कुलसचिव समेत प्रमुख शिक्षा उच्च सचिव व निर्देशक उच्च सचिव को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं।


Body:आपको बता दें कि देहरादून निवासी शांति प्रसाद भट्ट ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर दून विश्वविद्यालय मैं एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर नियुक्त राजेश कुमार की नियुक्ति को चुनौती दी जिसमें कहा गया है कि राजेश कुमार को नियम विरुद्ध तरीके से एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति दी गई है,,
याचिका में कहा गया है कि एसोसिएट प्रोफेसर की पद की नियुक्ति के लिए जारी की गई विज्ञप्ति के अनुसार मास कम्युनिकेशन में पीएचडी होना जरूरी है लेकिन राजेश कुमार को बगैर मास कम्युनिकेशन कि पीएचडी के ही एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर नियुक्त कर दिया।


Conclusion:वही याचिका में कहा गया है कि एसोसिएट प्रोफेसर होने के लिए असिस्टेंट प्रोफेसर होना आवश्यक होता है लेकिन राजेश कुमार ने कभी एसोसिएट प्रोफेसर में कार्य नहीं किया, और राजेश कुमार दूरदर्शन रांची में ट्रांसमिशन एक्सक्यूटिव के पद पर थे और उनके पास यूजीसी के मानक के अनुसार एसोसिएट प्रोफेसर के पद के लिए नेट और स्लेट की योग्यता भी नही है,,
वहीं याचिकाकर्ता ने राजेश कुमार की अर्थशास्त्र की पीएचडी जो भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय बिहार से की गई है उसकी भी जांच करवाने की मांग की गई है,,,
याचिका में कहा गया है कि दून विश्वविद्यालय की प्रथम स्क्रीनिंग कमेटी के द्वारा राजेश कुमार को एसोसिएट प्रोफेसर के पद के लिए अयोग्य घोषित किया था किंतु तत्कालीन चयन कमेटी व अन्य व्यक्तियों ने उन्हें नियुक्ति दे दी जिन्हें भी याचिकाकर्ता ने मामले में पक्षकार बनाया है,,
मामले में सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट की एकल पीठ ने प्रदेश के प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा, निर्देशक उच्च शिक्षा, दून विश्वविद्यालय विद्यालय के कुलपति डीके नौटियाल, कुलसचिव और यूजीसी, दूरदर्शन रांची समेत अन्य को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं।

बाईट- एम सी पंत,अधिवक्ता याचिकाकर्ता।
Last Updated : Oct 15, 2019, 5:10 AM IST
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