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नैनीताल शत्रु संपत्ति: HC ने निस्तारित की जनहित याचिका, अतिक्रमणकारियों को भेजेंगे नोटिस

नैनीताल हाईकोर्ट में आज शत्रु संपत्ति पर अतिक्रमण के मामले पर सुनवाई हुई. न्यायाधीशों ने जनहित याचिका को अंतिम रूप से निस्तारित करते हुए अतिक्रमणकारियों को नोटिस देने को कहा है.

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नैनीताल शत्रु संपत्ति
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Published : May 25, 2022, 12:40 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नैनीताल के मेट्रोपोल में शत्रु सम्पति पर अतिक्रमण करने के मामले पर सुनवाई की. वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खण्डपीठ ने जनहित याचिका को अंतिम रूप से निस्तारित करते हुए अतिक्रमणकारियों को नोटिस देने को कहा है.

सुनवाई के दौरान मुख्य स्थायी अधिवक्ता चन्द्र शेखर रावत की तरफ से कहा गया कि जिला प्रशासन ने शत्रु सम्पति पर 128 अतिक्रमणकारियों को चिन्हित किया है. इनके पास कोई वैध कागजात नहीं हैं. जिस व्यक्ति ने जनहित याचिका दायर की है वह स्वयं अतिक्रमणकारी है. वह जनहित याचिका दायर नहीं कर सकता है. इसलिए जनहित याचिका को निरस्त किया जाये.
ये भी पढ़ें: नैनीताल: शत्रु संपत्ति भूमि पर रोहिंग्याओं का कब्जा! HC के वकील ने PM मोदी को लिखा पत्र

याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि अगर वे अतिक्रमणकारी पाए जाते हैं तो वे हटने को तैयार हैं. बशर्ते उन्हें नोटिस देकर सुना जाये. कुछ दिन पहले प्रशासन ने बारपत्थर में बिना नोटिस व सूचना के अतिक्रमणकारियों को हटा दिया था. इसलिए उन्हें समय दिया जाये. मामले के अनुसार मेट्रोपोल कम्पाउंड निवासी मोहम्मद फारूक ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि उन्हें प्रसाशन व नगर पालिका बिना नोटिस दिए कभी भी हटा सकती है. जबकि वे यहां कई वर्षों से रह रहे हैं. उनको बिना सुने नहीं हटाया जाए.

23 अप्रैल 2022 को पीएम को लिखा था पत्र: इससे पहले इस मामले में अप्रैल में सरगर्मी दिखाई दी थी. तब नैनीताल में करोड़ों की शत्रु संपत्ति पर रोहिंग्याओं के कब्जे की आशंका को लेकर हाईकोर्ट के वकील नितिन कार्की ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था. उन्होंने शत्रु संपत्ति को कब्जा मुक्त कराने और अतिक्रमणकारियों पर कार्रवाई करने की मांग की थी.

वकील कार्की ने पत्र में क्या लिखा था: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में अधिवक्ता नितिन कार्की ने शत्रु संपत्ति में रोहिंग्या मुसलमानों के छुपे होने का अंदेशा जताया था. नितिन का कहना था कि नैनीताल में विशेष समुदाय के लोग शत्रु संपत्ति की भूमि पर कब्जा कर बड़े- बड़े घर तक बना रहे हैं. पत्र में शत्रु संपत्तियों पर कब्जा करने वालों में उत्तर प्रदेश के सुवार, मुरादाबाद, दडियाल, टांडा के साथ बांग्लादेशी होने की बात कही गई थी. नितिन का कहना था कि इन लोगों के पास दो-दो पहचान पत्र भी हैं, जिनकी जानकारी उन्होंने सरकार को दी है.
ये भी पढ़ें: पौड़ी में गुलदार को जिंदा जलाने का मामला: ग्राम प्रधान समेत 150 के खिलाफ FIR दर्ज

राजा मोहम्मद अमीर अहमद खान की जायजाद है शत्रु संपत्ति: दरअसल नैनीताल शहर के बीच मेट्रोपोल शत्रु संपत्ति है. केंद्र सरकार के अधीन 11 हजार 385 वर्ग मीटर जमीन पर निर्माण है. जबकि 22 हजार 489 वर्ग मीटर जमीन खाली पड़ी थी. करीब 90 करोड़ से ज्यादा की यह संपत्ति राजा मोहम्मद अमीर अहमद खान, निवासी महमूदाबाद, जिला सीतापुर उत्तर प्रदेश की है. यह संपत्ति 1965 में उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से प्रकाशित गजट के आधार पर शत्रु संपत्ति घोषित कर दी गयी है. जिसके बाद से ही ये जमीन सरकार के अधीन है.

क्या होती है शत्रु संपत्ति: दरअसल 1947 में देश के बंटवारे और 1962 में चीन, 1965 और 1971 पाकिस्तान के साथ हुई जंग के दौरान या उसके बाद कई लोग भारत छोड़कर पाकिस्तान या चीन चले गए. इन नागरिकों को भारत सरकार शत्रु मानती है. ऐसी संपत्तियों की देखरेख के लिए सरकार एक कस्टोडियन की नियुक्ति करती है. भारत सरकार ने 1968 में शत्रु संपत्ति अधिनियम लागू किया था. इसके तहत शत्रु संपत्ति को कस्टोडियन में रखने की सुविधा प्रदान की गई. केंद्र सरकार ने इसके लिए कस्टोडियन ऑफ एनिमी प्रॉपर्टी विभाग का गठन किया है. जिसे शत्रु संपत्तियों को अधिग्रहित करने का अधिकार है.

ये भी पढ़ें: नेवी अफसर की प्रॉपर्टी कब्जाने वाले दो इनामी आरोपी गिरफ्तार, STF ने नोएडा से दबोचा

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नैनीताल के मेट्रोपोल में शत्रु सम्पति पर अतिक्रमण करने के मामले पर सुनवाई की. वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खण्डपीठ ने जनहित याचिका को अंतिम रूप से निस्तारित करते हुए अतिक्रमणकारियों को नोटिस देने को कहा है.

सुनवाई के दौरान मुख्य स्थायी अधिवक्ता चन्द्र शेखर रावत की तरफ से कहा गया कि जिला प्रशासन ने शत्रु सम्पति पर 128 अतिक्रमणकारियों को चिन्हित किया है. इनके पास कोई वैध कागजात नहीं हैं. जिस व्यक्ति ने जनहित याचिका दायर की है वह स्वयं अतिक्रमणकारी है. वह जनहित याचिका दायर नहीं कर सकता है. इसलिए जनहित याचिका को निरस्त किया जाये.
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याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि अगर वे अतिक्रमणकारी पाए जाते हैं तो वे हटने को तैयार हैं. बशर्ते उन्हें नोटिस देकर सुना जाये. कुछ दिन पहले प्रशासन ने बारपत्थर में बिना नोटिस व सूचना के अतिक्रमणकारियों को हटा दिया था. इसलिए उन्हें समय दिया जाये. मामले के अनुसार मेट्रोपोल कम्पाउंड निवासी मोहम्मद फारूक ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि उन्हें प्रसाशन व नगर पालिका बिना नोटिस दिए कभी भी हटा सकती है. जबकि वे यहां कई वर्षों से रह रहे हैं. उनको बिना सुने नहीं हटाया जाए.

23 अप्रैल 2022 को पीएम को लिखा था पत्र: इससे पहले इस मामले में अप्रैल में सरगर्मी दिखाई दी थी. तब नैनीताल में करोड़ों की शत्रु संपत्ति पर रोहिंग्याओं के कब्जे की आशंका को लेकर हाईकोर्ट के वकील नितिन कार्की ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था. उन्होंने शत्रु संपत्ति को कब्जा मुक्त कराने और अतिक्रमणकारियों पर कार्रवाई करने की मांग की थी.

वकील कार्की ने पत्र में क्या लिखा था: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में अधिवक्ता नितिन कार्की ने शत्रु संपत्ति में रोहिंग्या मुसलमानों के छुपे होने का अंदेशा जताया था. नितिन का कहना था कि नैनीताल में विशेष समुदाय के लोग शत्रु संपत्ति की भूमि पर कब्जा कर बड़े- बड़े घर तक बना रहे हैं. पत्र में शत्रु संपत्तियों पर कब्जा करने वालों में उत्तर प्रदेश के सुवार, मुरादाबाद, दडियाल, टांडा के साथ बांग्लादेशी होने की बात कही गई थी. नितिन का कहना था कि इन लोगों के पास दो-दो पहचान पत्र भी हैं, जिनकी जानकारी उन्होंने सरकार को दी है.
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राजा मोहम्मद अमीर अहमद खान की जायजाद है शत्रु संपत्ति: दरअसल नैनीताल शहर के बीच मेट्रोपोल शत्रु संपत्ति है. केंद्र सरकार के अधीन 11 हजार 385 वर्ग मीटर जमीन पर निर्माण है. जबकि 22 हजार 489 वर्ग मीटर जमीन खाली पड़ी थी. करीब 90 करोड़ से ज्यादा की यह संपत्ति राजा मोहम्मद अमीर अहमद खान, निवासी महमूदाबाद, जिला सीतापुर उत्तर प्रदेश की है. यह संपत्ति 1965 में उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से प्रकाशित गजट के आधार पर शत्रु संपत्ति घोषित कर दी गयी है. जिसके बाद से ही ये जमीन सरकार के अधीन है.

क्या होती है शत्रु संपत्ति: दरअसल 1947 में देश के बंटवारे और 1962 में चीन, 1965 और 1971 पाकिस्तान के साथ हुई जंग के दौरान या उसके बाद कई लोग भारत छोड़कर पाकिस्तान या चीन चले गए. इन नागरिकों को भारत सरकार शत्रु मानती है. ऐसी संपत्तियों की देखरेख के लिए सरकार एक कस्टोडियन की नियुक्ति करती है. भारत सरकार ने 1968 में शत्रु संपत्ति अधिनियम लागू किया था. इसके तहत शत्रु संपत्ति को कस्टोडियन में रखने की सुविधा प्रदान की गई. केंद्र सरकार ने इसके लिए कस्टोडियन ऑफ एनिमी प्रॉपर्टी विभाग का गठन किया है. जिसे शत्रु संपत्तियों को अधिग्रहित करने का अधिकार है.

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