नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नैनीताल के बलियानाले में हो रहे भूस्खलन पर दायर जनहित याचिका पर आज सुनवाई की. कोर्ट ने मामले को सुनने के बाद राज्य सरकार से पूछा है कि 2018 में हाईकोर्ट के निर्देशों पर बनायी गई हाईपावर कमेटी द्वारा दिए गए सुझावों पर अब तक क्या कार्रवाई की गई है. साथ ही कोर्ट ने मामले में 2 सप्ताह के भीतर इसकी विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 2 हफ्ते बाद होगी. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश आरएस चौहान व न्यायमूर्ति एनएस धनिक की खण्डपीठ में हुई.
आज याचिकाकर्ता ने नैनीताल हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर कहा कि नैनीताल के बलियानाले में बरसात के समय भारी भूस्खलन होता जा रहा है. जिससे उसके आसपास रहने वाले लोग प्रभावित हो रहे हैं. भूस्खलन होने के कारण प्रशासन ने कुछ परिवारों को दूसरी जगह शिफ्ट भी किया है, लेकिन सरकार की लापवाही के चलते आज तक इसका कोई ठोस ट्रीटमेंट नहीं किया गया है. अब तक इस पर करोड़ों रुपये खर्च हो चुके हैं. 2018 में कोर्ट के आदेश पर इसके समाधान के लिए एक हाईपावर कमेटी भी गठित की गई थी, मगर उसके द्वारा दिये गए सुझावों पर आज तक प्रसाशन ने कोई ध्यान नहीं दिया.
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नैनीताल निवासी अधिवक्ता सैयद नदीम मून ने 2018 में उच्च न्यायालय में जनहित दायर कर कहा था कि नैनीताल का आधार कहे जाने वाले बलियानाले में हो रहे भूस्खलन से नैनीताल व इसके आसपास रहे लोगों को बड़ा खतरा हो सकता है. नैनीताल के अस्तित्व और लोगों को बचाने के लिए इसमें हो रहे भूस्खलन को रोकने के लिए कोई ठोस उपाय किया जाए, ताकि क्षेत्र में हो रहे भूस्खलन को रोका जा सके.