नैनीताल: उत्तराखंड हाई कोर्ट (Uttarakhand High court) ने राजाजी नेशनल पार्क के इको सेंसेटिव जोन (Rajaji national park eco sensitive zone)के सौंग नदी में सरकार द्वारा रेल विकास निगम के अनुबंधित ठेकेदार को परियोजना निर्माण कार्य के लिए रिवर ड्रेजिंग की अनुमति दिए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. इस मामले को सुनने के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने सरकार से अपने स्थिति स्पष्ट करने कहा. जिस पर सरकार ने कहा कि एक टीम मौका मुआयना के लिए गई थी. जिसके बाद फॉरेस्ट विभाग की अनुमति नहीं होने के कारण राज्य सरकार ने रिवर ड्रेजिंग की अनुमति वापस ले ली है.
बता दें कि इस मामले में ऋषिकेश निवासी उत्तम सिंह ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि राज्य सरकार ने रिवर ड्रेजिंग के लिए जिस स्थान का चयन किया है. वह स्थान राजाजी टाइगर रिजर्व के इको सेंसिटिव जोन में सौंग नदी के अंतर्गत आता है. जबकि, पार्क प्रशासन की ओर से इसकी लिखित आपत्ति जिला प्रशासन को दी गई है. बावजूद इसके सरकार ने सौंग नदी को रिवर ड्रेजिंग के लिए चुना.
वहीं, नियमानुसार राजाजी पार्क से सटे 500 मीटर के दायरे में किसी भी हालात में रिवर ड्रेजिंग या खनन कार्य नहीं हो सकता है. जो क्षेत्र चिह्नित किया जा रहा है वह महज 200 से 300 मीटर की दूरी पर है. इसलिए इस पर रोक लगाई जाए. बुधवार को उत्तराखंड हाईकोर्ट में इस मामले में सरकार ने अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि फॉरेस्ट विभाग की अनुमति नहीं होने के कारण राज्य सरकार ने रेल विकास निगम के अनुबंधित ठेकेदार को परियोजना निर्माण कार्य के लिए रिवर ड्रेजिंग की अनुमति वापस ले ली है.
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रिवर ड्रेजिंग पॉलिसी 2021 पर चार सप्ताह में मांगा जवाब: वहीं, उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की रिवर ड्रेजिंग पॉलिसी 2021 को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर भी सुनवाई की. इस मामले को सुनने के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने राज्य सरकार, केंद्र सरकार, स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, केंद्र पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब पेस करने को कहा है.
इस मामले के अनुसार मातृसदन हरिद्वार ने जनहित याचिका दायर कर राज्य सरकार की रिवर ड्रेजिंग पॉलिसी 2021 को चुनौती दी है. जनहित याचिका में कहा गया है कि रिवर ड्रेजिंग पॉलिसी की आड़ में राज्य सरकार नदियों से माइनिंग कर रही है. जिसकी वजह से नदियों में अवैध खनन को बढ़ावा मिल रहा है. रिवर ड्रेजिंग पॉलिसी में यह व्यवस्था की गई है कि जिस नदी का ड्रेजिंग किया जाना है, उसका पहले सर्वे किया जाएगा. कितना खनन किया जाएगा, जिससे की नदी का बहाव दुरस्त हो सके.
साथ ही खनन में जितना माल निकलेगा उसे नदी के किनारों में इकट्ठा किया जाएगा. इस माल का परिवहन नहीं किया जाएगा. अगर सरकार इसका व्यवसायिक रूप से उपयोग करती है तो उसे पहले केंद्र सरकार की अनुमति ली जानी आवश्यक है लेकिन सरकार रिवर ड्रेजिंग की आड़ में इसका व्यवसायिक उपयोग कर रही है. इसलिए इस पॉलिसी पर रोक लगाई जाए. यह माननीय उच्च न्यायलय के पूर्व में दिए गए आदेश के विरुद्ध भी है. ऐसे में कोर्ट की खंडपीठ ने इस मामले को सुनने के बाद केंद्र और राज्य सरकार समेत स्टेट और सेंट्रल पॉल्यूशन बोर्ड को चार सप्ताह में जवाब पेश करने का आदेश दिया है.