नैनीताल: प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव पर एक बार फिर संकट के बादल छा सकते हैं. राज्य सरकार द्वारा पंचायती राज एक्ट में किए गए संशोधन का मामला नैनीताल हाई कोर्ट की शरण में पहुंच गया है. कालाढूंगी के प्रधान मनोहर लाल ने नैनीताल हाई कोर्ट में याचिका दायर कर एक्ट में किए गए संशोधन को चुनौती दी है. वहीं, पंचायती राज एक्ट में संशोधन के मामले की सुनवाई अब नैनीताल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में होगी.
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बता दें कि नैनीताल निवासी प्रधान हिमांशु पांडेय और कालाढूंगी के प्रधान मनोहरलाल समेत प्रधान संगठन ने नैनीताल हाई कोर्ट में याचिका दायर कर पंचायती राज एक्ट में हुए संशोधन को हाई कोर्ट में चुनौती दी है. जिसमें कहा गया है कि राज्य सरकार द्वारा दो बच्चों से अधिक वाले उम्मीदवार को चुनाव लड़ने से रोका जा रहा है जो गलत है. साथ ही सरकार द्वारा एक्ट में किए गए बदलाव को बैक डेट से लागू किया जा रहा है, जोकि नियमों के खिलाफ है.
याचिका में कहा गया है कि उत्तराखंड पहाड़ी राज्य है. यहां ग्राम प्रधान के लिए हाई स्कूल पास उम्मीदवार मिलना मुश्किल है. जिसके चलते हाई स्कूल पास की बाध्यता को खत्म किया जाना चाहिए. साथ ही याचिका में कहा गया कि अगर किसी उम्मीद्वार की दो लड़कियां व एक लड़का है और लड़की की शादी हो गई है, तो सरकार उसको किस परिवार का हिस्सा मानेगी. लिहाजा यह संशोधन अपने आप में पूर्ण नहीं है, इसलिए पंचायती चुनाव को पुराने नियमों के तहत कराया जाना चाहिए.
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वहीं, याचिकाकर्ताओं का कहना है कि अगर किसी भी एक्ट में बदलाव किया जाता है तो उसको 300 दिन के बाद लागू किया जाता है, लेकिन राज्य सरकार द्वारा इस एक्ट को नियमों के खिलाफ लागू किया जा रहा है. जिससे प्रदेश भर के गांवों में कई प्रधान चुनाव लड़ने से वंचित हो रहे हैं.