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चुनाव स्थगित याचिका पर हाईकोर्ट बोला- अधिसूचना के बाद नहीं टाले जा सकते चुनाव - नैनीताल हाईकोर्ट सुनवाई समाचार

नैनीताल हाईकोर्ट में आज विधानसभा चुनाव स्थगित किए जाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई हुई. कोर्ट ने साफ किया कि एक बार चुनावी अधिसूचना जारी होने के बाद किसी भी हालात में चुनाव टाले नहीं जा सकते हैं. हालांकि, अन्य मामलों के लिए कोर्ट ने सुनवाई के लिए 15 फरवरी की तारीख तय की है. उत्तराखंड में 14 फरवरी को मतदान होने हैं.

Hearing in Nainital High Court
नैनीताल हाईकोर्ट समाचार
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Published : Jan 13, 2022, 12:53 PM IST

Updated : Jan 14, 2022, 5:37 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट में राज्य में ओमीक्रोन व कोरोना के मामले बढ़ने से विधानसभा के चुनाव व रैलियों को स्थगित किये जाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. कोर्ट ने मामले को सुनने के बाद कहा है कि, एक बार अधिसूचना जारी होने के बाद किसी भी हालात में चुनाव टाले नहीं जा सकते हैं. इतना जरूर है कि चुनावों को मतदान को करवाने की कुछ अतिरिक्त व्यवस्था की जा सकती है. अगली सुनवाई के लिए 15 फरवरी की तिथि नियत की है. बता दें कि, आज चुनाव आयोग और भारत सरकार ने अपना पक्ष कोर्ट में रखा. दोनों ने कहा कि आयोग ने इस संबंध में 8 जनवरी को एक गाइडलाइन जारी कर दी है.

गाइडलाइन में कहा गया है कि 15 जनवरी तक चुनावी रैलियां बंद रखी जाएंगी. उम्मीदवारों का नामांकन ऑनलाइन होगा, नॉमिनेशन फीस ऑनलाइन जमा होगी. शपथपत्र व अन्य पेपर रिटर्निंग ऑफिसर के समक्ष दायर होंगे. अनावश्यक वाहनों के लिए भी गाइडलाइन जारी की है. 15 जनवरी तक आयोग ने स्टार प्रचारकों पर भी प्रतिबंध लगाए हैं.

इस पर कोर्ट ने आयोग से कहा कि चुनावों को मतदान को करवाने की कुछ अतिरिक्त व्यवस्था की जा सकती है. महामारी को देखते हुए आयोग स्वयं संज्ञान लें. कोरोना के केसों को देखते हुए कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि सीनियर सिटीजन को बूस्टर डोज उनके घरों पर ही लगाई जाएं और जो लोग बूस्टर डोज लगाने के लिए सेंटर जा सकते हैं, उन्हें सेंटर में लगाई जाएं. कोर्ट ने अधिवक्ता से कहा है कि एक बूथ पर 1400 से 1500 मतदाता ही वोट करें ताकि बूथों पर अधिक भीड़ इकट्ठी न हो. जीते हुए प्रत्याशी अपना जश्न शोर-शराबे और जुलूस के साथ नहीं बनाएंगे. इसके साथ ही सीनियर सिटीजन को स्वास्थ्य विभाग घर पर जाकर बूस्टर डोज लगाएगा.

वहीं, जिला निगरानी कमेटियों की रिपोर्ट के बारे में सरकार की तरफ से मुख्य स्थायी अधिवक्ता चंद्रशेखर रावत ने कहा कि उनके पास 13 में से 9 जिला निगरानी कमेटियों की रिपोर्ट आ गयी है. चंद्रशेखर रावत ने कहा कि रिपोर्ट का निरीक्षण करना अभी बाकी है. इस पर कोर्ट ने सरकार से कहा है कि इसका निरीक्षण कर इसकी एक रिपोर्ट तैयार कर कोर्ट में पेश करें. मामले की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार चौहान और न्यायमूर्ति एनएस धनिक की खंडपीठ में हुई.

ये भी पढ़ें- Dharma Sansad Hate Speech: वसीम रिजवी की गिरफ्तारी के खिलाफ भूख हड़ताल पर बैठे संत

क्या है मामला: अधिवक्ता शिव भट्ट ने हाईकोर्ट में पूर्व से विचाराधीन सचिदानंद डबराल व अन्य बनाम यूनियन ऑफ इंडिया संबंधी जनहित याचिका में कोर्ट के आदेशों के विपरीत विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा कोविड नियमों के विपरीत की जा रही रैलियों की तस्वीरें संलग्न कर एक प्रार्थना पत्र पेश किया था, जिसमें उनके द्वारा कहा गया है कि इन रैलियों से कोरोना संक्रमण फैलने की पूरी आशंका है. रैलियों में कोविड के नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है.

अधिवक्ता शिव भट्ट ने अपने प्रार्थना पत्र में कोरोना के नए वेरिएंट का जिक्र करते हुए कहा है कि यह कोविड के किसी भी अन्य संस्करण की तुलना में 300% से अधिक तेजी से फैल रहा है, इसलिए लोगों के जीवन की रक्षा के लिए यह आवश्यक हो गया है कि चुनावी रैलियों जैसी बड़ी सभाओं को स्थगित किया जाए.

ये भी पढ़ें: ओमीक्रोन के बीच चुनाव स्थगित करने की याचिका पर सुनवाई, हाईकोर्ट ने EC से मांगा जवाब

याचिका में सभी राजनीतिक दलों को यह निर्देश देने की भी मांग की गई है कि वो अपनी रैलियां वर्चुअल रूप से ही करें. उन्होंने यह भी कहा है कि विधानसभा के चुनाव स्थगित किए जाएं. इस संबंध में चुनाव आयोग और भारत सरकार को निर्देश दिए जाएं.

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट में राज्य में ओमीक्रोन व कोरोना के मामले बढ़ने से विधानसभा के चुनाव व रैलियों को स्थगित किये जाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. कोर्ट ने मामले को सुनने के बाद कहा है कि, एक बार अधिसूचना जारी होने के बाद किसी भी हालात में चुनाव टाले नहीं जा सकते हैं. इतना जरूर है कि चुनावों को मतदान को करवाने की कुछ अतिरिक्त व्यवस्था की जा सकती है. अगली सुनवाई के लिए 15 फरवरी की तिथि नियत की है. बता दें कि, आज चुनाव आयोग और भारत सरकार ने अपना पक्ष कोर्ट में रखा. दोनों ने कहा कि आयोग ने इस संबंध में 8 जनवरी को एक गाइडलाइन जारी कर दी है.

गाइडलाइन में कहा गया है कि 15 जनवरी तक चुनावी रैलियां बंद रखी जाएंगी. उम्मीदवारों का नामांकन ऑनलाइन होगा, नॉमिनेशन फीस ऑनलाइन जमा होगी. शपथपत्र व अन्य पेपर रिटर्निंग ऑफिसर के समक्ष दायर होंगे. अनावश्यक वाहनों के लिए भी गाइडलाइन जारी की है. 15 जनवरी तक आयोग ने स्टार प्रचारकों पर भी प्रतिबंध लगाए हैं.

इस पर कोर्ट ने आयोग से कहा कि चुनावों को मतदान को करवाने की कुछ अतिरिक्त व्यवस्था की जा सकती है. महामारी को देखते हुए आयोग स्वयं संज्ञान लें. कोरोना के केसों को देखते हुए कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि सीनियर सिटीजन को बूस्टर डोज उनके घरों पर ही लगाई जाएं और जो लोग बूस्टर डोज लगाने के लिए सेंटर जा सकते हैं, उन्हें सेंटर में लगाई जाएं. कोर्ट ने अधिवक्ता से कहा है कि एक बूथ पर 1400 से 1500 मतदाता ही वोट करें ताकि बूथों पर अधिक भीड़ इकट्ठी न हो. जीते हुए प्रत्याशी अपना जश्न शोर-शराबे और जुलूस के साथ नहीं बनाएंगे. इसके साथ ही सीनियर सिटीजन को स्वास्थ्य विभाग घर पर जाकर बूस्टर डोज लगाएगा.

वहीं, जिला निगरानी कमेटियों की रिपोर्ट के बारे में सरकार की तरफ से मुख्य स्थायी अधिवक्ता चंद्रशेखर रावत ने कहा कि उनके पास 13 में से 9 जिला निगरानी कमेटियों की रिपोर्ट आ गयी है. चंद्रशेखर रावत ने कहा कि रिपोर्ट का निरीक्षण करना अभी बाकी है. इस पर कोर्ट ने सरकार से कहा है कि इसका निरीक्षण कर इसकी एक रिपोर्ट तैयार कर कोर्ट में पेश करें. मामले की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार चौहान और न्यायमूर्ति एनएस धनिक की खंडपीठ में हुई.

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क्या है मामला: अधिवक्ता शिव भट्ट ने हाईकोर्ट में पूर्व से विचाराधीन सचिदानंद डबराल व अन्य बनाम यूनियन ऑफ इंडिया संबंधी जनहित याचिका में कोर्ट के आदेशों के विपरीत विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा कोविड नियमों के विपरीत की जा रही रैलियों की तस्वीरें संलग्न कर एक प्रार्थना पत्र पेश किया था, जिसमें उनके द्वारा कहा गया है कि इन रैलियों से कोरोना संक्रमण फैलने की पूरी आशंका है. रैलियों में कोविड के नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है.

अधिवक्ता शिव भट्ट ने अपने प्रार्थना पत्र में कोरोना के नए वेरिएंट का जिक्र करते हुए कहा है कि यह कोविड के किसी भी अन्य संस्करण की तुलना में 300% से अधिक तेजी से फैल रहा है, इसलिए लोगों के जीवन की रक्षा के लिए यह आवश्यक हो गया है कि चुनावी रैलियों जैसी बड़ी सभाओं को स्थगित किया जाए.

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याचिका में सभी राजनीतिक दलों को यह निर्देश देने की भी मांग की गई है कि वो अपनी रैलियां वर्चुअल रूप से ही करें. उन्होंने यह भी कहा है कि विधानसभा के चुनाव स्थगित किए जाएं. इस संबंध में चुनाव आयोग और भारत सरकार को निर्देश दिए जाएं.

Last Updated : Jan 14, 2022, 5:37 PM IST
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