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HNB विश्वविद्यालय में पीएचडी का मामला पहुंचा हाई कोर्ट, राज्य सरकार से मांगा जवाब

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Published : Jun 24, 2019, 11:32 PM IST

हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय में पीएचडी की परीक्षा नहीं होने का मामला नैनीताल हाई कोर्ट पहुंच गया है. मामले पर गंभीरता दिखाते हुए हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार, राज्य सरकार और विश्वविद्यालय को 4 सप्ताह में जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

HNB विश्वविद्यालय में पीएचडी का मामला पहुंचा हाई कोर्ट, खंड पीठ ने 4 सप्ताह में जवाब पेश करने का दिया आदेश.

नैनीताल: श्रीनगर के हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय में पीएचडी की परीक्षा नहीं होने का मामला नैनीताल हाई कोर्ट पहुंच गया है. परीक्षा ना होने के मामले पर गंभीरता दिखाते हुए सोमवार को हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार शर्मा की खंड पीठ ने केंद्र सरकार, राज्य सरकार और विश्वविद्यालय को 4 सप्ताह में जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

आपको बता दें कि देहरादून निवासी अरुण कुमार शर्मा ने नैनीताल हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कि है. जिसमें उन्होंने एच एन बी गढ़वाल विश्वविद्यालय छात्रों को पी एच डी नहीं करवा रही है. जिसके चलते विश्वविद्यालय में पी एच डी ना करने से छात्र अस्सिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर आवेदन करने से वंचित रह जा रहे हैं और विश्वविद्यालय द्वारा केवल विश्वविद्यालय कैम्पस के छात्रों को ही पी एच डी करने का अवसर दिया जा रहा है, जो केंद्रीय विश्वविद्यालय के नियमों के विपरीत है.

वहीं याचिकाकर्ता ने श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय की वैधानिकता को भी चुनौती दी है. जिसमें विश्वविद्यालय के प्रावधानों को संसदीय नियमावली के विपरीत घोषित करार दिया है. याचिकाकर्ता का कहना है कि राज्य सरकार प्रदेश में मशरूम की खेती की तरह विश्वविद्यालय खोल रही है. लेकिन कोई भी विश्वविद्यालय संवैधानिक व्यवस्था के अनुरूप नहीं चलाया जा रहा है और ना ही यह मानकों पर खरे उतर रहे हैं. लिहाज इनकी व्यवस्थाओं का परीक्षण किया जाए.

ये भी पढ़े: 'पहलवान' की अनोखी शिवभक्ति, हरिद्वार से बागपत तक कर रहे दंडवत यात्रा

वहीं मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने केंद्र सरकार राज्य सरकार और एचएनबी केंद्रीय विश्वविद्यालय को 4 सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

नैनीताल: श्रीनगर के हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय में पीएचडी की परीक्षा नहीं होने का मामला नैनीताल हाई कोर्ट पहुंच गया है. परीक्षा ना होने के मामले पर गंभीरता दिखाते हुए सोमवार को हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार शर्मा की खंड पीठ ने केंद्र सरकार, राज्य सरकार और विश्वविद्यालय को 4 सप्ताह में जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

आपको बता दें कि देहरादून निवासी अरुण कुमार शर्मा ने नैनीताल हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कि है. जिसमें उन्होंने एच एन बी गढ़वाल विश्वविद्यालय छात्रों को पी एच डी नहीं करवा रही है. जिसके चलते विश्वविद्यालय में पी एच डी ना करने से छात्र अस्सिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर आवेदन करने से वंचित रह जा रहे हैं और विश्वविद्यालय द्वारा केवल विश्वविद्यालय कैम्पस के छात्रों को ही पी एच डी करने का अवसर दिया जा रहा है, जो केंद्रीय विश्वविद्यालय के नियमों के विपरीत है.

वहीं याचिकाकर्ता ने श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय की वैधानिकता को भी चुनौती दी है. जिसमें विश्वविद्यालय के प्रावधानों को संसदीय नियमावली के विपरीत घोषित करार दिया है. याचिकाकर्ता का कहना है कि राज्य सरकार प्रदेश में मशरूम की खेती की तरह विश्वविद्यालय खोल रही है. लेकिन कोई भी विश्वविद्यालय संवैधानिक व्यवस्था के अनुरूप नहीं चलाया जा रहा है और ना ही यह मानकों पर खरे उतर रहे हैं. लिहाज इनकी व्यवस्थाओं का परीक्षण किया जाए.

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वहीं मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने केंद्र सरकार राज्य सरकार और एचएनबी केंद्रीय विश्वविद्यालय को 4 सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

Intro:Summry- एच एन बी केंद्रीय विश्वविद्यालय में पीएचडी की परीक्षा में शामिल ना कराने के मामले में नैनीताल हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए केंद्र सरकार, राज्य सरकार समेत एचएनबी विश्वविद्यालय से 4 सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं,,

Intro- श्रीनगर केंद्रीय विश्वविद्यालय हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय में पीएचडी की परीक्षा ना कराने का मामला नैनीताल हाई कोर्ट की सरण में पहुच गया है, परीक्षा ना कराने में मामले को गंभीरता से लेते हुए हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंग नाथन, और न्यायाधीश आलोक कुमार शर्मा की खंड पीठ ने केंद्र सरकार, राज्य सरकार और विश्वविद्यालय को 4 सप्ताह में जवाब पेश करने के आदेश दिए है।


Body:आपको बता दे कि देहरादून निवाशी अरुण कुमार शर्मा ने नैनीताल हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि एच एन बी गड़वाल विश्वविद्यालय सम्बद्ध कालेजो में छात्रों को पी एच डी नही करवा रही है, जो केंद्रीय विश्वविद्यालय के नियमो के विपरीत है,,
वही विश्वविद्यालय में पी एच डी ना करने से छात्र अस्सिस्टेंट प्रोफेसर के पदों में आवेदन करने से वंचित रह जा रहे है,,,विश्वविद्यालय द्वारा केवल विश्वविद्यालय के कैम्पस के छात्रों को पी एच डी करने का अवसर दे रही है, जो केंद्रीय विश्वविद्यालय के नियमो के विपरीत है,



Conclusion:और विश्वविद्यालय के फैसले से शिक्षा की गुणवत्ता पर भी प्रभाव पड़ रहा है,,
वहीं याचिकाकर्ता ने श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय की वैधानिकता को भी चुनौती दी है जिसमें विश्वविद्यालय के प्रावधानों को संसदीय नियमावली के विपरीत घोषित किया गया है,,, याचिकाकर्ता का कहना है कि राज्य सरकार प्रदेश में मशरूम की खेती की तरह विश्वविद्यालय खोल रही है,, परंतु कोई भी विष्वविद्यालय संवैधानिक व्यवस्था के अनुरूप नहीं चलाया जा रहा है ना ही यह मानकों पर खरे उतर रहे हैं लिहाज इनकी व्यवस्थाओं का परीक्षण किया जाए,,
मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने केंद्र सरकार राज्य सरकार और एचएनबी केंद्रीय विश्वविद्यालय को 4 सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं।
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