ETV Bharat / city

नवरात्रि के मौके पर नैना देवी मंदिर में उमड़ रहा भक्तों का सैलाब, जानिए महिमा

नैना देवी मंदिर में हर दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. मान्यता है कि मंदिर में जो भी मनोकामना मांगी जाती है, वो पूरी होती है. कहा जाता है कि माता सती के दो नयनों में एक नैनीताल और दूसरा नेत्र हिमाचल के बिलासपुर में गिरा था. नवरात्रों में माता के दर्शनों का विशेष महत्व है.

devotees-arriving-in-large-numbers-at-naina-devi-temple-on-the-occasion-of-navratri
नवरात्रि के मौके पर नैना देवी मंदिर में उमड़ रहा भक्तों का सैलाब
author img

By

Published : Oct 8, 2021, 5:04 PM IST

Updated : Oct 8, 2021, 7:57 PM IST

नैनीताल: नवरात्रि के मौके पर विभिन्न मंदिरों में देवी पूजन के लिये बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है. नैनीताल के प्रसिद्ध मां नैना देवी मंदिर में भी भक्तों की भीड़ लगी है. मां नैना देवी के दर्शनों के लिये भक्तों की लम्बी-लम्बी कतारें लग रही हैं. इसमें स्थानीय लोगों के साथ बाहर से आये पर्यटक भी शामिल हैं.

नैनीताल के नैना देवी मंदिर में लोगों की अगाध आस्था है. भक्त नवरात्रि के मौके पर नैनीताल के मां नयना देवी मंदिर में पूजा-अर्चना के लिये पहुंच रहे हैं. मान्यता है कि देवी सती की आंख यहां गिरी थी. इसी के बाद यहां मां नयना देवी की स्थापना हुई. देवी सती का पार्थिव शरीर खंडित होने के बाद उनकी बायीं आंख यहां गिरी थी.

नवरात्रि के मौके पर नैना देवी मंदिर में उमड़ रहा भक्तों का सैलाब

पढ़ें- BJP के हुए निर्दलीय MLA राम सिंह कैड़ा, 100 से ज्यादा समर्थकों संग बलूनी ने दिलाई सदस्यता

पुराणों में लिखा है कि देवी सती के पिता दक्ष-प्रजापति ने जब विशाल यज्ञ में भगवान् शिव को आमंत्रण नहीं दिया तो इस कदम से खिन्न होकर देवी सती यज्ञ के हवन कुंड में कूदकर सती हो गई थीं. इससे दुखी भगवान शिव ने देवी सती का पार्थिव शरीर लेकर ब्रह्माण्ड के चक्कर लगाने शुरू कर दिए. सृष्टि का सन्तुलन बिगड़ने से तीनों लोकों में हाहाकार मच गया. तब सृष्टि के संरक्षक भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से सती के शव के खंड-खंड कर दिऐ. सती की बायीं आंख नैनीताल के इस क्षेत्र में गिरी. इस स्थान पर मंदिर का निर्माण किया गया. जिसका नाम तब नैना देवी रखा गया.

पढ़ें- उत्तराखंड के नए वरिष्ठ न्यायाधीश होंगे संजय कुमार मिश्रा, 11 अक्टूबर होगा शपथ ग्रहण

नैना देवी मंदिर में मां के नयनों की पिंडी रूप में पूजा की जाती है. इस मंदिर से नैनी झील और नैनीताल के प्राकृतिक दृश्यों का आनंद या लुफ्त उठाया जा सकता है. मंदिर के प्रांगण में विभिन्न प्रकार के फूल लगे हैं, जो कि मंदिर की सुन्दरता में चार-चांद लगा देते हैं. मंदिर में नंदाअष्टमी के दिन भव्य मेले का आयोजन होता है. इस मेले में उस दिन नंदा देवी की बहन, नैनी देवी की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है.

पढ़ें- मधुमिता हत्याकांड: HC ने दोषी मधुमणि की याचिका पर सरकार से मांगा जवाब

स्थानीय लोगों के साथ ही सैर सपाटे के लिये नैनीताल पहुंचे पर्यटक भी बड़ी संख्या में मां नैना देवी मंदिर में पूजा अर्चना के लिये पहुंच रहे हैं. मान्यता है कि यहां नयन रूपी मां नयना साक्षात मौजूद हैं. मां अपनी आंखों से लोगों के दुख दर्द दूर करती हैं. शारदीय नवरात्रि में नयना देवी मंदिर का महत्व और भी बढ़ जाता है.

पढ़ें- कॉर्बेट में रोटेशन प्रणाली को लेकर दो फाड़, कोई कर रहा विरोध तो कहीं बंटी मिठाई

कैसे पहुंचें नैना देवी मंदिर: नैनीताल बस स्टैंड से इस मंदिर की दूरी सिर्फ 2.5 km है. रिक्शे से मंदिर में सिर्फ 9 मिनट में पहुंचा जा सकता है. इस मंदिर में प्रवेश करने के लिए कोई प्रवेश शुल्क नहीं देना होता है. मंदिर के खुलने का समय सुबह 6:00 बजे से रात 10:00 बजे तक का है.

नैनीताल: नवरात्रि के मौके पर विभिन्न मंदिरों में देवी पूजन के लिये बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है. नैनीताल के प्रसिद्ध मां नैना देवी मंदिर में भी भक्तों की भीड़ लगी है. मां नैना देवी के दर्शनों के लिये भक्तों की लम्बी-लम्बी कतारें लग रही हैं. इसमें स्थानीय लोगों के साथ बाहर से आये पर्यटक भी शामिल हैं.

नैनीताल के नैना देवी मंदिर में लोगों की अगाध आस्था है. भक्त नवरात्रि के मौके पर नैनीताल के मां नयना देवी मंदिर में पूजा-अर्चना के लिये पहुंच रहे हैं. मान्यता है कि देवी सती की आंख यहां गिरी थी. इसी के बाद यहां मां नयना देवी की स्थापना हुई. देवी सती का पार्थिव शरीर खंडित होने के बाद उनकी बायीं आंख यहां गिरी थी.

नवरात्रि के मौके पर नैना देवी मंदिर में उमड़ रहा भक्तों का सैलाब

पढ़ें- BJP के हुए निर्दलीय MLA राम सिंह कैड़ा, 100 से ज्यादा समर्थकों संग बलूनी ने दिलाई सदस्यता

पुराणों में लिखा है कि देवी सती के पिता दक्ष-प्रजापति ने जब विशाल यज्ञ में भगवान् शिव को आमंत्रण नहीं दिया तो इस कदम से खिन्न होकर देवी सती यज्ञ के हवन कुंड में कूदकर सती हो गई थीं. इससे दुखी भगवान शिव ने देवी सती का पार्थिव शरीर लेकर ब्रह्माण्ड के चक्कर लगाने शुरू कर दिए. सृष्टि का सन्तुलन बिगड़ने से तीनों लोकों में हाहाकार मच गया. तब सृष्टि के संरक्षक भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से सती के शव के खंड-खंड कर दिऐ. सती की बायीं आंख नैनीताल के इस क्षेत्र में गिरी. इस स्थान पर मंदिर का निर्माण किया गया. जिसका नाम तब नैना देवी रखा गया.

पढ़ें- उत्तराखंड के नए वरिष्ठ न्यायाधीश होंगे संजय कुमार मिश्रा, 11 अक्टूबर होगा शपथ ग्रहण

नैना देवी मंदिर में मां के नयनों की पिंडी रूप में पूजा की जाती है. इस मंदिर से नैनी झील और नैनीताल के प्राकृतिक दृश्यों का आनंद या लुफ्त उठाया जा सकता है. मंदिर के प्रांगण में विभिन्न प्रकार के फूल लगे हैं, जो कि मंदिर की सुन्दरता में चार-चांद लगा देते हैं. मंदिर में नंदाअष्टमी के दिन भव्य मेले का आयोजन होता है. इस मेले में उस दिन नंदा देवी की बहन, नैनी देवी की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है.

पढ़ें- मधुमिता हत्याकांड: HC ने दोषी मधुमणि की याचिका पर सरकार से मांगा जवाब

स्थानीय लोगों के साथ ही सैर सपाटे के लिये नैनीताल पहुंचे पर्यटक भी बड़ी संख्या में मां नैना देवी मंदिर में पूजा अर्चना के लिये पहुंच रहे हैं. मान्यता है कि यहां नयन रूपी मां नयना साक्षात मौजूद हैं. मां अपनी आंखों से लोगों के दुख दर्द दूर करती हैं. शारदीय नवरात्रि में नयना देवी मंदिर का महत्व और भी बढ़ जाता है.

पढ़ें- कॉर्बेट में रोटेशन प्रणाली को लेकर दो फाड़, कोई कर रहा विरोध तो कहीं बंटी मिठाई

कैसे पहुंचें नैना देवी मंदिर: नैनीताल बस स्टैंड से इस मंदिर की दूरी सिर्फ 2.5 km है. रिक्शे से मंदिर में सिर्फ 9 मिनट में पहुंचा जा सकता है. इस मंदिर में प्रवेश करने के लिए कोई प्रवेश शुल्क नहीं देना होता है. मंदिर के खुलने का समय सुबह 6:00 बजे से रात 10:00 बजे तक का है.

Last Updated : Oct 8, 2021, 7:57 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.