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शिफन कोर्ट विस्थापन मामले में तेज हुई राजनीति, मनमुटाव का खामियाजा भुगत रहे गरीब

शिफन कोर्ट विस्थापन मामले को लेकर राजनीति तेज हो गई है. आज विस्थापन मामले को लेकर बुलाई गई पालिका परिषद की बैठक में 13 सभासदों में से केवल 3 ही सभासद पहुंचे. जबकि, बैठक से नदारद रहने वाले सभासदों में बीजेपी के ज्यादा लोग शामिल हैं.

Shifan court displacement case
शिफन कोर्ट विस्थापन मामले में तेज हुई राजनीति
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Published : Sep 9, 2020, 6:05 PM IST

Updated : Sep 10, 2020, 1:50 PM IST

मसूरी: बुधवार को मसूरी के शिफन कोर्ट में अवैध रूप से रह रहे लोगों के विस्थापन को लेकर एक आवश्यक बोर्ड बैठक हुई. इस बैठक में पालिका के 13 में से 3 सभासदों ने ही हिस्सा लिया. जिसे देखते हुए पालिका अध्यक्ष अनुज गुप्ता ने बोर्ड बैठक को स्थगित कर दिया. बैठक का मुख्य उद्देश्य शिफन कोर्ट के लोगों के विस्थापन से जुड़ा था.

शिफन कोर्ट विस्थापन मामले में तेज हुई राजनीति

शिफन कोर्ट में पह रहे लोगों के विस्थापन के लिये नगर पालिका परिषद मसूरी की रिक्त भूमि को पालिका अगर चिन्हित कर उपलब्ध कराती है तो शिफन कोर्ट के निवासियों के विस्थापन के लिए प्रस्तावित भूमि पर आवास निर्माण को लेकर शासन से धन आवंटन कराने की कार्रवाई की जाएगी. जिसे लेकर आज मसूरी पालिका परिषद ने बोर्ड बैठक बुलाई थी. मगर इस बैठक में केवल 3 ही सभासद पहुंचे.

पढ़ें- रेजांग ला की ठंडी चोटियों में गोलियों की आवाज से दम तोड़ती सच्चाई

बताया जा रहा है कि कुछ सभासद पालिका अध्यक्ष की कार्यशैली से खुश नहीं हैं. वहीं, गरीब बेघर हुए लोगों के विस्थापन को लेकर सही नीति नहीं है. ऐसे में गरीब लोगों को विस्थापित करने की जगह पूरे मामले में राजनीति की जा रही है. जिस वजह से सभासद बोर्ड बैठक में नहीं आए. सभासदों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट में यहां रह रहे लोगों को अवैध बताया जा रहा है. ऐसे में अवैध लोगों को किस तरीके से विस्थापित किया जाएगा. यह अपने आप में सवाल खड़ा करता है.

पढ़ें-हिमालय दिवस 2020: हिमालय बचेगा तो हम बचेंगे

मामले पर पालिका अध्यक्ष अनुज गुप्ता ने कहा कि मसूरी में कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री का निधन होने के कारण कई सभासद उनके अंतिम यात्रा में शामिल होने गय थे. जिस कारण वे बैठक में शामिल नहीं हो पायेगा. बता दें कि 13 सभासदों में से चार सभासद ही कांग्रेस के हैं.

पढ़ें-श्रीनगर: 19 सितंबर से गढ़वाल विश्वविद्यालय में यूजी और पीजी की परीक्षाएं

वहीं, मामले में भारतीय जनता पार्टी के शहर अध्यक्ष मोहन पेटवाल और महामंत्री कुशाल राणा ने नगर पालिका परिषद की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं. उनका कहना है कि जो गरीबों को विस्थापित करने का प्रस्ताव पूर्व में आ जाना चाहिए था वह अब आ रहा है. पालिका प्रशासन को उनके विस्थापन की याद आई. जबकि, पालिका द्वारा पर्यटन विभाग को शिफन कोर्ट की जमीन हस्तांतरण करते समय शिफन कोर्ट में रह रहे लोगों को विस्थापित करने की शर्तें थीं. ऐसे में पालिका प्रशासन गरीबों का विस्थापित करने पर राजनीति क्यों कर रही है?


पढ़ें-देहरादून नेशनल हाईवे पर बाइक में आग लगने से मची अफरा-तफरी

मसूरी विधायक गणेश जोशी बेघर हुए लोगों के लिए चिंतित हैं. परंतु पालिका प्रशासन के द्वारा शासन को किसी प्रकार की कोई जमीन उपलब्ध न कराए जाने के कारण किसी प्रकार की आवासीय योजना नहीं आ पा रही है. नगर पालिका प्रशासन शासन को अगर कोई जमीन उपलब्ध करती है तो वहां पर आवासीय कॉलोनी का निर्माण करवाया जाएगा. फौरी तौर पर मसूरी विधायक अपने स्तर से जमीन पर टीन शेड बनाने का काम करेंगे. उन्होंने पालिका अध्यक्ष और सभासद के बीच में चल रहे मनमुटाव का खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है. जनप्रतिनिधि जनता के हित को दरकिनार करते हुए अपना स्वार्थ के लिए काम कर रहे हैं जो कि निंदनीय है.

मसूरी: बुधवार को मसूरी के शिफन कोर्ट में अवैध रूप से रह रहे लोगों के विस्थापन को लेकर एक आवश्यक बोर्ड बैठक हुई. इस बैठक में पालिका के 13 में से 3 सभासदों ने ही हिस्सा लिया. जिसे देखते हुए पालिका अध्यक्ष अनुज गुप्ता ने बोर्ड बैठक को स्थगित कर दिया. बैठक का मुख्य उद्देश्य शिफन कोर्ट के लोगों के विस्थापन से जुड़ा था.

शिफन कोर्ट विस्थापन मामले में तेज हुई राजनीति

शिफन कोर्ट में पह रहे लोगों के विस्थापन के लिये नगर पालिका परिषद मसूरी की रिक्त भूमि को पालिका अगर चिन्हित कर उपलब्ध कराती है तो शिफन कोर्ट के निवासियों के विस्थापन के लिए प्रस्तावित भूमि पर आवास निर्माण को लेकर शासन से धन आवंटन कराने की कार्रवाई की जाएगी. जिसे लेकर आज मसूरी पालिका परिषद ने बोर्ड बैठक बुलाई थी. मगर इस बैठक में केवल 3 ही सभासद पहुंचे.

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बताया जा रहा है कि कुछ सभासद पालिका अध्यक्ष की कार्यशैली से खुश नहीं हैं. वहीं, गरीब बेघर हुए लोगों के विस्थापन को लेकर सही नीति नहीं है. ऐसे में गरीब लोगों को विस्थापित करने की जगह पूरे मामले में राजनीति की जा रही है. जिस वजह से सभासद बोर्ड बैठक में नहीं आए. सभासदों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट में यहां रह रहे लोगों को अवैध बताया जा रहा है. ऐसे में अवैध लोगों को किस तरीके से विस्थापित किया जाएगा. यह अपने आप में सवाल खड़ा करता है.

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मामले पर पालिका अध्यक्ष अनुज गुप्ता ने कहा कि मसूरी में कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री का निधन होने के कारण कई सभासद उनके अंतिम यात्रा में शामिल होने गय थे. जिस कारण वे बैठक में शामिल नहीं हो पायेगा. बता दें कि 13 सभासदों में से चार सभासद ही कांग्रेस के हैं.

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वहीं, मामले में भारतीय जनता पार्टी के शहर अध्यक्ष मोहन पेटवाल और महामंत्री कुशाल राणा ने नगर पालिका परिषद की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं. उनका कहना है कि जो गरीबों को विस्थापित करने का प्रस्ताव पूर्व में आ जाना चाहिए था वह अब आ रहा है. पालिका प्रशासन को उनके विस्थापन की याद आई. जबकि, पालिका द्वारा पर्यटन विभाग को शिफन कोर्ट की जमीन हस्तांतरण करते समय शिफन कोर्ट में रह रहे लोगों को विस्थापित करने की शर्तें थीं. ऐसे में पालिका प्रशासन गरीबों का विस्थापित करने पर राजनीति क्यों कर रही है?


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मसूरी विधायक गणेश जोशी बेघर हुए लोगों के लिए चिंतित हैं. परंतु पालिका प्रशासन के द्वारा शासन को किसी प्रकार की कोई जमीन उपलब्ध न कराए जाने के कारण किसी प्रकार की आवासीय योजना नहीं आ पा रही है. नगर पालिका प्रशासन शासन को अगर कोई जमीन उपलब्ध करती है तो वहां पर आवासीय कॉलोनी का निर्माण करवाया जाएगा. फौरी तौर पर मसूरी विधायक अपने स्तर से जमीन पर टीन शेड बनाने का काम करेंगे. उन्होंने पालिका अध्यक्ष और सभासद के बीच में चल रहे मनमुटाव का खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है. जनप्रतिनिधि जनता के हित को दरकिनार करते हुए अपना स्वार्थ के लिए काम कर रहे हैं जो कि निंदनीय है.

Last Updated : Sep 10, 2020, 1:50 PM IST
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