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lockdown से उद्योगों पर संकट, नहीं मिल रहे मजदूर - Industrialists are under debt

कोरोना वायरस के चलते जारी किए गए लॉकडाउन की वजह से तमाम उद्योग बंद पड़े हैं. उद्योगपति कर्ज तले दबे जा रहे हैं. मजदूरों की कमी के चलते उद्योग नहीं चल पा रहे हैं. इस कारण कई उद्योग बंदी की कगार पर पहुंच गए हैं.

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लॉकडाउन के दौरान उद्योगों पर दोहरी मार.
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Published : Jun 11, 2020, 6:20 PM IST

काशीपुर: कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन की वजह से कई व्यवसाय अस्त-व्यस्त हो गए हैं. लॉकडाउन की मार तमाम उद्योगों पर भी दिखाई दे रही है. जहां एक तरफ प्रबंधन को उद्योग चलाने के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं, तो वहीं बैंकों की किस्त जमा ना कर पाने से उद्योगपति कर्ज तले दबे जा रहे हैं. यही कारण है कि वर्तमान समय में मजदूरों की कमी के चलते उद्योग नहीं चल पा रहे हैं. इससे कई उद्योग बंदी की कगार पर पहुंच गए हैं.

लॉकडाउन के दौरान उद्योगों पर दोहरी मार.

काशीपुर को उद्योगों की नगरी में गिना जाता है. कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन में उद्योग नगरी पूरी तरह चौपट होती दिखाई दे रही है. बता दें कि लॉकडाउन के दौरान प्रदेश सरकार ने कई उद्योगों को बंद कर दिया था. मकसद था कि कोरोना वायरस पर रोक लगाई जा सके. इसके कुछ समय बाद सरकार ने उद्योगों को कुछ नियमों के आधार पर खोलने की अनुमति दे दी थी, लेकिन इससे पूर्व कुछ प्रवासी मजदूर पैदल अपने घरों के लिए रवाना हो गए थे और कुछ प्रवासी मजदूरों की मांग पर सरकार ने उन्हें उनके राज्य में भेज दिया था.

यह भी पढ़ें: प्रवासियों की दूर होगी परेशानी, रोजगार देने के लिए सरकार ने उठाए ये कदम

यही कारण है कि उद्योगपतियों को आज उद्योगों को चलाने के लिए मजदूर ढूंढने से भी नहीं मिल रहे हैं. उद्योग को चलाने की मंजूरी मिलने के बाद भी उद्योग बंद पड़े हैं. वहीं उद्योगपतियों पर बैंक से लिए गए कर्ज के ब्याज की दोहरी मार पड़ती जा रही है. उद्योग ना चल पाने के कारण उद्योगपति बैंकों से लिए गए कर्ज का ब्याज जमा नहीं कर पा रहे हैं. इससे उद्योगपतियों के सामने दोहरा संकट खड़ा हो गया है. यही कारण है कि उद्योगपति प्रदेश सरकार की तरफ उम्मीद भरी निगाहों से टकटकी लगाए बैठे हैं.

काशीपुर: कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन की वजह से कई व्यवसाय अस्त-व्यस्त हो गए हैं. लॉकडाउन की मार तमाम उद्योगों पर भी दिखाई दे रही है. जहां एक तरफ प्रबंधन को उद्योग चलाने के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं, तो वहीं बैंकों की किस्त जमा ना कर पाने से उद्योगपति कर्ज तले दबे जा रहे हैं. यही कारण है कि वर्तमान समय में मजदूरों की कमी के चलते उद्योग नहीं चल पा रहे हैं. इससे कई उद्योग बंदी की कगार पर पहुंच गए हैं.

लॉकडाउन के दौरान उद्योगों पर दोहरी मार.

काशीपुर को उद्योगों की नगरी में गिना जाता है. कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन में उद्योग नगरी पूरी तरह चौपट होती दिखाई दे रही है. बता दें कि लॉकडाउन के दौरान प्रदेश सरकार ने कई उद्योगों को बंद कर दिया था. मकसद था कि कोरोना वायरस पर रोक लगाई जा सके. इसके कुछ समय बाद सरकार ने उद्योगों को कुछ नियमों के आधार पर खोलने की अनुमति दे दी थी, लेकिन इससे पूर्व कुछ प्रवासी मजदूर पैदल अपने घरों के लिए रवाना हो गए थे और कुछ प्रवासी मजदूरों की मांग पर सरकार ने उन्हें उनके राज्य में भेज दिया था.

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यही कारण है कि उद्योगपतियों को आज उद्योगों को चलाने के लिए मजदूर ढूंढने से भी नहीं मिल रहे हैं. उद्योग को चलाने की मंजूरी मिलने के बाद भी उद्योग बंद पड़े हैं. वहीं उद्योगपतियों पर बैंक से लिए गए कर्ज के ब्याज की दोहरी मार पड़ती जा रही है. उद्योग ना चल पाने के कारण उद्योगपति बैंकों से लिए गए कर्ज का ब्याज जमा नहीं कर पा रहे हैं. इससे उद्योगपतियों के सामने दोहरा संकट खड़ा हो गया है. यही कारण है कि उद्योगपति प्रदेश सरकार की तरफ उम्मीद भरी निगाहों से टकटकी लगाए बैठे हैं.

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