काशीपुर: वो नन्हें हाथ जो किताबों के लिए उठने चाहिए थे, जिनके हाथों में पेंसिल, कॉपी, किताब और कंधे पर स्कूल बैग लटकना चाहिए था. वो हाथ आज उम्मीदों का कटोरा लेकर चंद पैसों के लिए भीख मांगने को मजबूर हैं. केंद्र व प्रदेश सरकार के साथ-साथ उत्तराखंड पुलिस भी तमाम छोटे बच्चों को उनका बचपन लौटाने के लिए अनेक मुहिम चला चुकी है. बावजूद आज तक सड़कों पर कई ऐसे बच्चे भीख मांगते दिखाई देते हैं जो कि सरकार और मित्र पुलिस के दावों की पोल खोलते हैं.
जहां एक ओर केंद्र और प्रदेश सरकार बच्चों को उच्च शिक्षा देने की बात कहती है तो वहीं काशीपुर के विभिन्न चौराहों और सार्वजनिक स्थानों पर आपको ये बचपन भीख मांगता हुआ नजर आएगा. हर रोज ये मासूम सड़कों पर हाथ में कटोरा लिए मदद की आस लगाये दिखाई देते हैं. ये बच्चे कौन हैं और कहां से आते है? इसकी जानकारी किसी को नहीं है. यूं तो भीख मांगना कानूनन अपराध है, लेकिन काशीपुर ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में आपको ये नन्हें मासूम भीख मांगते नजर आ जाएंगे. वहीं अगर इस मामले में बात अधिकारियों की करें तो उन्हें मामले की जानकारी ही नहीं है.
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उत्तराखंड पुलिस भी इन तमाम बच्चों का बचपन लौटाने के लिये 'ऑपरेशन मुक्ति' चलाया था. जिसके तहत एक मई से 30 जून तक भीख मांगने वाले बच्चों को भिक्षा नहीं शिक्षा को लेकर जागरूकता अभियान चलाया गया. इस अभियान के तहत राजधानी देहरादून में 292 बच्चों का ऑपरेशन मुक्ति के जरिए सत्यापन करवा कर 68 बच्चों का स्कूल में दाखिला कराया गया.
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ऑपरेशन मुक्ति को शुरू करने के दौरान कहा गया था कि पुलिस न केवल ऐसे बच्चों को चिन्हित कर उनका नामांकन स्कूलों में करवाएगी, बल्कि बच्चों से भीख मंगवाने वाले परिजनों के खिलाफ कार्रवाई भी करेगी. लेकिन आज तक काशीपुर पुलिस और प्रशासन ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया. यही कारण है कि काशीपुर की सड़कों पर बच्चे भीख मांगते दिखाई दे रहे हैं.
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वहीं इस मामले में उधमसिंह नगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बरिंदरजीत सिंह से पूछा गया तो उन्होंने तुरंत ही अपर पुलिस अधीक्षक काशीपुर को इन बच्चों की काउंसिलिंग कराये जाने की बात कही. साथ ही उन्होंने कहा कि अगर भीख मांग रहे बच्चों के पीछे किसी गिरोह का हाथ है तो जल्द ही पुलिस कार्रवाई करेगी.