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ऑपरेशन मुक्ति का सच! न स्कूल, न खेल का मैदान, सड़कों पर भीख मांगता 'बचपन'

उत्तराखंड पुलिस भी इन तमाम बच्चों का बचपन लौटाने के लिये 'ऑपरेशन मुक्ति' चलाया था. जिसके तहत एक मई से 30 जून तक भीख मांगने वाले बच्चों को भिक्षा नहीं शिक्षा को लेकर जागरूकता अभियान चलाया गया.

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Published : Jul 27, 2019, 6:14 PM IST

Updated : Jul 27, 2019, 11:00 PM IST

ऑपरेशन मुक्ति का सच! न स्कूल

काशीपुर: वो नन्हें हाथ जो किताबों के लिए उठने चाहिए थे, जिनके हाथों में पेंसिल, कॉपी, किताब और कंधे पर स्कूल बैग लटकना चाहिए था. वो हाथ आज उम्मीदों का कटोरा लेकर चंद पैसों के लिए भीख मांगने को मजबूर हैं. केंद्र व प्रदेश सरकार के साथ-साथ उत्तराखंड पुलिस भी तमाम छोटे बच्चों को उनका बचपन लौटाने के लिए अनेक मुहिम चला चुकी है. बावजूद आज तक सड़कों पर कई ऐसे बच्चे भीख मांगते दिखाई देते हैं जो कि सरकार और मित्र पुलिस के दावों की पोल खोलते हैं.

ऑपरेशन मुक्ति का सच! न स्कूल
पढ़ने-लिखने की उम्र में चौक-चौराहों पर भीख मांगते बच्चे वाकई में समाज के लिए शर्मनाक हैं. कुछ ऐसा ही मामला काशीपुर में देखने को मिला है. जहां हंसने-खेलने की उम्र में आपको बच्चे सड़कों पर भीख मांगते दिख जाएंगे.

जहां एक ओर केंद्र और प्रदेश सरकार बच्चों को उच्च शिक्षा देने की बात कहती है तो वहीं काशीपुर के विभिन्न चौराहों और सार्वजनिक स्थानों पर आपको ये बचपन भीख मांगता हुआ नजर आएगा. हर रोज ये मासूम सड़कों पर हाथ में कटोरा लिए मदद की आस लगाये दिखाई देते हैं. ये बच्चे कौन हैं और कहां से आते है? इसकी जानकारी किसी को नहीं है. यूं तो भीख मांगना कानूनन अपराध है, लेकिन काशीपुर ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में आपको ये नन्हें मासूम भीख मांगते नजर आ जाएंगे. वहीं अगर इस मामले में बात अधिकारियों की करें तो उन्हें मामले की जानकारी ही नहीं है.

पढ़ें-असम एनआरसी : सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त तक बढ़ाई समय सीमा

उत्तराखंड पुलिस भी इन तमाम बच्चों का बचपन लौटाने के लिये 'ऑपरेशन मुक्ति' चलाया था. जिसके तहत एक मई से 30 जून तक भीख मांगने वाले बच्चों को भिक्षा नहीं शिक्षा को लेकर जागरूकता अभियान चलाया गया. इस अभियान के तहत राजधानी देहरादून में 292 बच्चों का ऑपरेशन मुक्ति के जरिए सत्यापन करवा कर 68 बच्चों का स्कूल में दाखिला कराया गया.

पढ़ें-हिमालयन राज्यों के सम्मेलन की तैयारियां पूरी, नॉर्थईस्ट रीजन के 4 सीएम होंगे शामिल

ऑपरेशन मुक्ति को शुरू करने के दौरान कहा गया था कि पुलिस न केवल ऐसे बच्चों को चिन्हित कर उनका नामांकन स्कूलों में करवाएगी, बल्कि बच्चों से भीख मंगवाने वाले परिजनों के खिलाफ कार्रवाई भी करेगी. लेकिन आज तक काशीपुर पुलिस और प्रशासन ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया. यही कारण है कि काशीपुर की सड़कों पर बच्चे भीख मांगते दिखाई दे रहे हैं.

पढ़ें-तिरंगा लहराकर संजय गुरुंग ने दी थी शहादत, पहाड़ों पर आज भी गूंजते हैं वीरता के किस्से

वहीं इस मामले में उधमसिंह नगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बरिंदरजीत सिंह से पूछा गया तो उन्होंने तुरंत ही अपर पुलिस अधीक्षक काशीपुर को इन बच्चों की काउंसिलिंग कराये जाने की बात कही. साथ ही उन्होंने कहा कि अगर भीख मांग रहे बच्चों के पीछे किसी गिरोह का हाथ है तो जल्द ही पुलिस कार्रवाई करेगी.

काशीपुर: वो नन्हें हाथ जो किताबों के लिए उठने चाहिए थे, जिनके हाथों में पेंसिल, कॉपी, किताब और कंधे पर स्कूल बैग लटकना चाहिए था. वो हाथ आज उम्मीदों का कटोरा लेकर चंद पैसों के लिए भीख मांगने को मजबूर हैं. केंद्र व प्रदेश सरकार के साथ-साथ उत्तराखंड पुलिस भी तमाम छोटे बच्चों को उनका बचपन लौटाने के लिए अनेक मुहिम चला चुकी है. बावजूद आज तक सड़कों पर कई ऐसे बच्चे भीख मांगते दिखाई देते हैं जो कि सरकार और मित्र पुलिस के दावों की पोल खोलते हैं.

ऑपरेशन मुक्ति का सच! न स्कूल
पढ़ने-लिखने की उम्र में चौक-चौराहों पर भीख मांगते बच्चे वाकई में समाज के लिए शर्मनाक हैं. कुछ ऐसा ही मामला काशीपुर में देखने को मिला है. जहां हंसने-खेलने की उम्र में आपको बच्चे सड़कों पर भीख मांगते दिख जाएंगे.

जहां एक ओर केंद्र और प्रदेश सरकार बच्चों को उच्च शिक्षा देने की बात कहती है तो वहीं काशीपुर के विभिन्न चौराहों और सार्वजनिक स्थानों पर आपको ये बचपन भीख मांगता हुआ नजर आएगा. हर रोज ये मासूम सड़कों पर हाथ में कटोरा लिए मदद की आस लगाये दिखाई देते हैं. ये बच्चे कौन हैं और कहां से आते है? इसकी जानकारी किसी को नहीं है. यूं तो भीख मांगना कानूनन अपराध है, लेकिन काशीपुर ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में आपको ये नन्हें मासूम भीख मांगते नजर आ जाएंगे. वहीं अगर इस मामले में बात अधिकारियों की करें तो उन्हें मामले की जानकारी ही नहीं है.

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उत्तराखंड पुलिस भी इन तमाम बच्चों का बचपन लौटाने के लिये 'ऑपरेशन मुक्ति' चलाया था. जिसके तहत एक मई से 30 जून तक भीख मांगने वाले बच्चों को भिक्षा नहीं शिक्षा को लेकर जागरूकता अभियान चलाया गया. इस अभियान के तहत राजधानी देहरादून में 292 बच्चों का ऑपरेशन मुक्ति के जरिए सत्यापन करवा कर 68 बच्चों का स्कूल में दाखिला कराया गया.

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ऑपरेशन मुक्ति को शुरू करने के दौरान कहा गया था कि पुलिस न केवल ऐसे बच्चों को चिन्हित कर उनका नामांकन स्कूलों में करवाएगी, बल्कि बच्चों से भीख मंगवाने वाले परिजनों के खिलाफ कार्रवाई भी करेगी. लेकिन आज तक काशीपुर पुलिस और प्रशासन ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया. यही कारण है कि काशीपुर की सड़कों पर बच्चे भीख मांगते दिखाई दे रहे हैं.

पढ़ें-तिरंगा लहराकर संजय गुरुंग ने दी थी शहादत, पहाड़ों पर आज भी गूंजते हैं वीरता के किस्से

वहीं इस मामले में उधमसिंह नगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बरिंदरजीत सिंह से पूछा गया तो उन्होंने तुरंत ही अपर पुलिस अधीक्षक काशीपुर को इन बच्चों की काउंसिलिंग कराये जाने की बात कही. साथ ही उन्होंने कहा कि अगर भीख मांग रहे बच्चों के पीछे किसी गिरोह का हाथ है तो जल्द ही पुलिस कार्रवाई करेगी.

Intro:Summary- केंद्र व प्रदेश सरकार के साथ साथ उत्तराखंड पुलिस द्वारा तमाम छोटे बच्चों को उनका बचपन लौट आने के लिए अनेक मुहिम का ऑपरेशन किए गए लेकिन इसके बावजूद भी सारे दावे उस वक्त फेल हो जाते हैं जब सड़कों पर छोटे बच्चे भीख मांगते हुए दिखाई देते हैं जिन हाथों में किताबें और खिलौने होने चाहिए उस उम्र में उनके हाथों में भीख का कटोरा तो सब देखते हैं लेकिन इनकी तरफ ना तो अधिकारियों का ध्यान जाता है और ना ही पुलिस का।
एंकर - जहां एक ओर केंद्र सरकार व प्रदेश सरकार बच्चों को उच्च शिक्षा देने की बात कहती है तो वहीं काशीपुर के विभिन्न चोराहों व सार्वजनिक स्थानों पर आपको ये बचपन भीख मांगता हुआ नजर आएगा । रोजाना सुबह होते ही एक नौकरी पेशा की तरह निकल पड़ते ये मासूम पूरे दिन नगर की सड़कों पर हाथ फैलाते नजर आते है। ये बच्चे कौन है और कहां से आते है इसकी जानकारी किसी को नही है। यू तो भीख मांगना कानूनन अपराध है लेकिन काशीपुर नगर ही नही अपितु पूरे प्रदेश में आपको ये नन्हे मासूम भीख मांगते नजर आते दिख जाएंगे । जिन उम्र में हाथों में खिलोने और किताब होनी चाहिये । उस उम्र में बच्चों के हाथों में भीख का कटोरा है। लेकिन इस तरफ न तो अधिकारियों का ही ध्यान जाता है और न ही पुलिस का।
Body:वीओ- उत्तराखण्ड पुलिस द्वारा इन तमाम बच्चों को उनका बचपन लौटाने के लिये एक मुहिम शुरू कर ऑपरेशन मुक्ति चलाया जा रहा है। इस अभियान में बीती एक मई से 30 जून तक भिखारी बच्चों को लेकर भिक्षा नहीं शिक्षा दो एक जागरूक अभियान चलाया गया। इस अभियान के तहत राजधानी देहरादून में 292 बच्चों का ऑपरेशन मुक्ति में सत्यापन कर 68 बच्चों को स्कूल में दाखिला भी कराया गया। परन्तु यह अभियान केवल राजधानी तक ही सीमित रह गया। इस ऑपरेशन मुक्ति को शुरू करने के दौरान कहा गया था कि पुलिस न केवल ऐसे बच्चों को चिन्हित कर उनका नामांकन स्कूलों में करवाएगी बल्कि बच्चों से भीख मंगवाने वाले परिजनों के खिलाफ कार्यवाही भी करेगी। लेकिन इन सबके बाबजूद आज तक काशीपुर पुलिस का व प्रशासन का ध्यान न तो इस ओर गया है और न ही अब तक कोई कार्यवाही ही की गई है।
बीओ - इस बाबत वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ऊधमसिंह नगर बरिंदरजीत सिंह का ध्यान इस ओर आकर्षित किया गया तो उन्होंने तुरंत ही अपर पुलिस अधीक्षक काशीपुर को इन बच्चों की काउंसलिंग कराये जाने की बात कही है साथ ही उन्होंने कहा कि अगर भीख मांग रहे बच्चो के पीछे किसी गेंग का हाथ है तो उस गेंग को भी पुलिस द्वारा पकड़ा जाएगा। अब देखना यह होगा कि पुलिस इस बाबत कब तक कार्यवाही करती है।

बाईट - बरिंदरजीत सिंह ( वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, ऊधमसिंह नगर )Conclusion:
Last Updated : Jul 27, 2019, 11:00 PM IST
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