काशीपुर/कालाढूंगी/खटीमाः देशभर में भाई-बहन के प्यार का प्रतीक भैयादूज का पर्व धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. इसी कड़ी में उत्तराखंड में भी भैयादूज पर्व की धूम रही. इस दौरान बहनों ने शुभ मुहूर्त पर भाइयों का तिलक कर उनकी लंबी उम्र की कामना की. वहीं, भाइयों ने बहनों को रक्षा के वचन के साथ गिफ्ट भी दिए. उधर, कुमाऊं में बहनों ने च्यूडे़ और दूब से भाइयों की पूजा की.
काशीपुर
काशीपुर में धूमधाम से भैयादूज का पर्व मनाया गया. इस दौरान दूरदराज से भाई अपने बहन के घर पहुंचे तो बहनें भी भाई के घर पहुंची. जहां पर बहनों ने नारियल देकर भाइयों को टीका लगाया. टीके के बाद बहनों ने भाइयों की आरती की. वहीं, भाइयों ने अपने बहन को गिफ्ट दिए.
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कालाढूंगी
कुमाऊं में भैयादूज को द्वितीया के नाम से जाना जाता है. इसके लिए खास तरह की तैयारियां की जाती है. पहले से ही विशेष तरह के धान को भिगो दिया जाता है और भिगोए हुए धान को भूनकर ओखली में कूटा जाता है. कूटने के बाद चावल (च्यूड़ा) तैयार होता है. बहनें इस च्यूडे़ को दूब और तेल के साथ मिलाकर भाइयों के सिर की पूजा करती हैं. साथ ही उनकी सुख समृद्धि की कामना करती है. किसान अपने नए धान की फसल को तीन दिन पहले भिगोकर रखते हैं. जिसके बाद इसका च्यूड़ा बनाया जाता है.
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च्यूडे़ के त्योहार को कुमाऊं की संस्कृति के साथ जोड़कर देखा जाता है. भाई-बहन के प्रेम के प्रतीक इस त्योहार में च्यूड़े से सिर पूजने की परंपरा सदियों पुरानी है. आज भी इस परंपरा को मनाने के लिए बहनें ससुराल से भाई को च्यूडे़ से पूजने के लिए मायके आती हैं.
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खटीमा
खटीमा समेत कई जगहों पर भैयादूज का पर्व धूमधाम से मनाया गया. जहां पर बहनों ने भाइयों को तिलक लगाकर घास (दूब) से पूजा की. जिसके बाद पहाड़ी बोली में आशीर्वाद गीत गाकर बहनों ने अपने भाइयों की रक्षा की कामना की.