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मातृसदन ने श्री श्री रविशंकर के नाम लिखा खुला खत, आत्मबोधानंद बोले- आए थे सरकार के मैसेंजर बनकर

मातृ सदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद ने भी श्री श्री रविशंकर पर गंभीर आरोप लगाये हैं. उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति खुद को संत कहता है उसका व्यवहार इस कदर नीचे गिर जाए ये वाकई में आश्चर्य की बात है. शिवानंद ने कहा कि जिस देश में आशा संतों से निकलती है उसकी दुर्दशा क्यों हो रही है

मातृसदन ने श्री श्री रविशंकर के नाम लिखा खुला खत
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Published : Apr 15, 2019, 6:13 PM IST

हरिद्वार: बीते कुछ दिनों पहले श्री श्री रविशंकर आत्मबोधानंद का अनशन सपाप्त करवाने के लिए मातृ सदन पहुंचे थे. आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर के आग्रह के बाद भी आत्मबोधानंद ने अनशन समाप्त करने से साफ मना कर दिया था. जिसके बाद अब मातृ सदन ने रविशंकर के लिए एक खुला पत्र जारी किया है. जिसमें मातृ सदन ने रविशंकर की मंशा पर सवाल खड़े करते हुए उन पर कई तरह के आरोप लगाए हैं.

मातृसदन ने श्री श्री रविशंकर के नाम लिखा खुला खत


मातृ सदन के द्वारा श्री श्री रविशंकर को जारी किए गए पत्र में सदन ने 15 बिंदुओं पर अपनी बात कही है. जिसमें श्री श्री रविशंकर के मातृ सदन पहुंचने से लेकर उनकी बातों और आचरण को लेकर कई तरह के सवाल खड़े किए गए हैं. पिछले 174 दिनों से अनशन पर बैठे मातृ सदन के ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद का कहना है कि जब रविशंकर उनसे मिलने आये तो उन्हें अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया गया. जिसके कारण वे उनके नाम खुला पत्र लिख रहे हैं.


उन्होंने कहा कि श्री श्री रविशंकर बार-बार उनसे अनशन खत्म करने की बात कह रहे थे. साथ ही रविशंकर कह रहे थे कि सरकार लगातार गंगा के लिए काम कर रही है. आत्मबोधानंद ने कहा कि रविशंकर उनसे मिलकर केवल सरकार का झूठा महिमामंडन कर रहे थे. उन्होंने बताया कि रविशंकर सरकार के मैसेंजर बनकर उनसे मिलने आये थे. आत्माबोधानंद ने कहा कि अगर सरकार वाकई में गंगा की स्वच्छता की दिशा में काम कर रही होती तो उन्हें अनशन पर नहीं बैठना पड़ता.


वहीं मातृ सदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद ने भी श्री श्री रविशंकर पर गंभीर आरोप लगाये हैं. उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति खुद को संत कहता है उसका व्यवहार इस कदर नीचे गिर जाए ये वाकई में आश्चर्य की बात है. शिवानंद ने कहा कि जिस देश में आशा संतों से निकलती है उसकी दुर्दशा क्यों हो रही है. उन्होंने कहा कि किसी संत की तपस्या को तोड़ने का अधिकार किसी को नहीं है.

हरिद्वार: बीते कुछ दिनों पहले श्री श्री रविशंकर आत्मबोधानंद का अनशन सपाप्त करवाने के लिए मातृ सदन पहुंचे थे. आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर के आग्रह के बाद भी आत्मबोधानंद ने अनशन समाप्त करने से साफ मना कर दिया था. जिसके बाद अब मातृ सदन ने रविशंकर के लिए एक खुला पत्र जारी किया है. जिसमें मातृ सदन ने रविशंकर की मंशा पर सवाल खड़े करते हुए उन पर कई तरह के आरोप लगाए हैं.

मातृसदन ने श्री श्री रविशंकर के नाम लिखा खुला खत


मातृ सदन के द्वारा श्री श्री रविशंकर को जारी किए गए पत्र में सदन ने 15 बिंदुओं पर अपनी बात कही है. जिसमें श्री श्री रविशंकर के मातृ सदन पहुंचने से लेकर उनकी बातों और आचरण को लेकर कई तरह के सवाल खड़े किए गए हैं. पिछले 174 दिनों से अनशन पर बैठे मातृ सदन के ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद का कहना है कि जब रविशंकर उनसे मिलने आये तो उन्हें अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया गया. जिसके कारण वे उनके नाम खुला पत्र लिख रहे हैं.


उन्होंने कहा कि श्री श्री रविशंकर बार-बार उनसे अनशन खत्म करने की बात कह रहे थे. साथ ही रविशंकर कह रहे थे कि सरकार लगातार गंगा के लिए काम कर रही है. आत्मबोधानंद ने कहा कि रविशंकर उनसे मिलकर केवल सरकार का झूठा महिमामंडन कर रहे थे. उन्होंने बताया कि रविशंकर सरकार के मैसेंजर बनकर उनसे मिलने आये थे. आत्माबोधानंद ने कहा कि अगर सरकार वाकई में गंगा की स्वच्छता की दिशा में काम कर रही होती तो उन्हें अनशन पर नहीं बैठना पड़ता.


वहीं मातृ सदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद ने भी श्री श्री रविशंकर पर गंभीर आरोप लगाये हैं. उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति खुद को संत कहता है उसका व्यवहार इस कदर नीचे गिर जाए ये वाकई में आश्चर्य की बात है. शिवानंद ने कहा कि जिस देश में आशा संतों से निकलती है उसकी दुर्दशा क्यों हो रही है. उन्होंने कहा कि किसी संत की तपस्या को तोड़ने का अधिकार किसी को नहीं है.

Intro:एंकर- कुछ दिनों पूर्व गंगा की अविरलता और निर्मलता के लिए पिछले 174 दिनों से अनशन पर बैठे मातृ सदन के ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद का अनशन समाप्त करवाने आर्ट ऑफ लिविंग के फाउंडर आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर हरिद्वार के मातृ सदन पहुंचे थे, लेकिन श्री श्री के आग्रह के बाद भी ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद ने अपना अनशन समाप्त करने के लिए मना कर दिया था। अब मातृ सदन द्वारा श्रीश्री रविशंकर को एक खुला पत्र जारी किया गया है जिसमें उनपर कई सवाल खड़े किए गए हैं साथ ही मातृ सदन ने श्रीश्री रविशंकर पर कई आरोप लगाए है।


Body:VO 1- श्री श्री रविशंकर को जारी किए गए खुले पत्र में मातृ सदन द्वारा 15 बिंदुओं पर अपनी बात कही गई है जिसके माध्यम से श्रीश्री के मातृ सदन पहुंचने के बाद उनकी बातों और आचरण को लेकर कई सवाल खड़े किए गए हैं, पिछले 174 दिनों से अनशन पर बैठे मातृ सदन के ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद का कहना है कि उन्होंने श्रीश्री रविशंकर के नाम खुला पत्र इसलिए लिखा है क्योंकि जब उनसे मिलने आए थे तो उन्होंने केवल अपनी बात रखी और उनको अपनी बात कहने का मौका नहीं दिया जिसके लिए अब वह पत्र लिख रहे हैं। उन्होंने कहा कि श्रीश्री रविशंकर का बार-बार कहना था कि वह अनशन तोड़ दें और सरकार गंगा के लिए बहुत काम कर रही है लेकिन अगर सच में सरकार गंगा के लिए काम कर रही होती तो उनको अनशन करने की क्या आवश्यकता है, श्री श्री केवल सरकार का झूठा महिमामंडन कर रहे हैं, ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद ने कहा कि जिस तरीके से स्वीटी बात कर रहे थे वह किसी संत का तरीका नहीं है, ऐसा लग रहा था कि वह सरकार या फिर किसी व्यक्ति का मैसेंजर बनकर मातृ सदन पहुंचे हैं। वहीं मातृ सदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद ने श्री श्री रविशंकर पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि जो व्यक्ति अपने आप को संत कहता है उसका व्यवहार इतने नीचे स्तर तक गिर जाएगा या अपने आप में आश्चर्य की बात है, श्री श्री रविशंकर का कहना था कि बहुत दिन अनशन को हो गए हैं अब आपको अनशन खत्म कर देना चाहिए इस पर स्वामी शिवानंद ने कहा कि अब आशा जिस देश के संतों से निकलती है उस देश की दुर्दशा क्यों नहीं होगी, उन्होंने कहा कि इस का अधिकार किसी को नहीं है कि एक संत तपस्या कर रहा है तो उसकी तपस्या तोड़ दी जाए, उन्होंने आदिकाल का उदाहरण देते हुए कहा कि पहले भी जब कोई संत तब करता था तो भगवान ब्रह्मा प्रकट होकर उसे फल मांगने के लिए कहते थे ना की तपस्या समाप्त करने के लिए। स्वामी शिवानंद ने श्री श्री पर निशाना साधते हुए कहा कि वह उनके इस कदम की भर्त्सना करते हैं।


Conclusion:बाइट- स्वामी शिवानंद, परमाध्यक्ष, मातृ सदन

बाइट- ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद, अनशनरत संत, मातृ सदन
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