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मकर संक्रांति पर हरिद्वार के इन घाटों पर लगाए डुबकी, मिलता है हजार गुना फल

मकर संक्रांति के मौके पर श्रद्धालु धर्मनगरी हरिद्वार में आस्था की डुबकी लगाने पहुंच रहे हैं. हरिद्वार ब्रह्म कुंड के अलाया चार घाट और हैं, जहां पर आस्था की डुबकी लगाने से पुण्य मिलता है. आइये इन घाटों के बारे में विस्तार से जानते हैं.

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हरिद्वार गंगा घाट
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Published : Jan 1, 2021, 4:33 PM IST

Updated : Jan 13, 2021, 9:43 PM IST

हरिद्वार: मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को मनाया जा रहा है. पंचांग के अनुसार इस दिन पौष मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि है. इस दिन सूर्य का राशि परिवर्तन होगा और धनु राशि से सूर्य निकल कर मकर राशि में आ जाएंगे. इस दिन विशेष योग भी बन रहा है. इसलिए इस वर्ष की मकर संक्रांति कई मायनों में विशेष और शुभ है. मकर राशि में सूर्य, शनि, गुरु, बुध और चंद्रमा के साथ विराजमान रहेंगे.

अगर आप हरिद्वार में आस्था की डुबकी लगाने आ रहे हैं, तो ईटीवी भारत आपको बता रहा है कि हरिद्वार के ऐसे वह प्रमुख कौन से घाट हैं ? जहां पर आप डुबकी लगाकर पापों से मुक्ति पा सकते हैं. वैसे तो हरिद्वार के कण-कण में भगवान और हर घाट घाट से बहने वाली गंगा मोक्षदायिनी है, लेकिन 5 घाटों का हरिद्वार में विशेष महत्व बताया गया है. हम आपको उन 5 घाटों के बारे में विस्तार से बताते हैं. मकर संक्रांति और हरिद्वार महाकुंभ के अवसर पर लाखों करोड़ों श्रद्धालु स्वर्ग के द्वार यानी हरिद्वार में आस्था की डुबकी लगाने पहुंचेंगे. हरिद्वार में जगह-जगह श्रद्धालुओं को गंगा स्नान के लिए व्यवस्था करवाई जा रही है. हरिद्वार में सभी घाटों का अपना अलग महत्व है, जिनमें से 5 घाट जो प्रमुख हैं. वह हैं ब्रह्मकुंड, नारायणी स्रोत, विष्णु घाट शिला, कुशावर्त घाट और रामघाट.

पढ़ें- 2020 में 80 फीसदी गिरी हरिद्वार आने वाले यात्रियों की संख्या, 2021 से है उम्मीद

ब्रह्मकुंड

ब्रह्मकुंड को हर की पौड़ी भी कहा जाता है. कहा जाता है कि यहां पर डुबकी लगाने से करोड़ों जन्मों का पुण्य प्राप्त होता है और मोक्ष की प्राप्ति भी होती है. मान्यता है कि यहीं पर समुंद्र मंथन के दौरान अमृत की बूंदें कलश से छलक कर गिरीं थीं. यहां स्नान करने से अर्थ काम मोक्ष और धर्म चारों की प्राप्ति हो जाती है. शास्त्रों में कहा गया है कि इस स्थान पर स्नान करने से कभी भी मनुष्य की अकाल मृत्यु नहीं होती. उसके परिवार में कोई भी महिला विधवा नहीं होती.

Haridwar Ganga Ghat
ब्रह्मकुंड (हरकी पैड़ी)

नारायणी स्रोत

हरिद्वार में दूसरा प्रमुख घाट नारायणी स्रोत. वैसे तो हरिद्वार के पत्थर-पत्थर की अलग मान्यता और पुराणों में उसका जिक्र है, लेकिन इस घाट के बारे में कहा जाता है कि जब भगवान कृष्ण के ऊपर सर्प दोष लगा था. तब उनकी कुंडली में भी इसका असर देखा गया था. भगवान कृष्ण को इस दोष से मुक्ति दिलाने के लिए यहीं के गंगाजल से भगवान कृष्ण का स्नान करवाया गया था. कहते हैं कि यहां स्नान करने से सर्प दोष से मुक्ति मिलती है.

विष्णु घाट

तीसरा प्रमुख घाट है विष्णु घाट. कहा जाता है कि यहां पर डुबकी लगाने से मनुष्य को धन की प्राप्ति होती है, उसकी जेब कभी भी खाली नहीं रहती. लिहाजा, यहां आने वाले श्रद्धालु इस घाट पर भी एक बार स्नान जरूर करते हैं.

Haridwar Ganga Ghat
विष्णु घाट.

कुशावर्त घाट

कुशावर्त घाट के बारे में भी ग्रंथों में कई बातें लिखीं गईं हैं. इस घाट को भगवान दत्तात्रेय की समाधि स्थली कहा जाता है. कहा जाता है कि इसी घाट पर पांडवों और श्रीराम ने अपने पितरों का पिंडदान किया था. लिहाजा, यहां पर स्नान करने से पितरों को शांति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति भी होती है.

Haridwar Ganga Ghat
कुशावर्त घाट.

रामघाट

हरिद्वार का अंतिम घाट है रामघाट. कहा जाता है कि भगवान राम ने रावण का वध करने के बाद इसी घाट पर ब्रह्म हत्या से दोष से मुक्ति पाने के लिए तपस्या की थी. इसीलिए इस घाट का नाम रामघाट पड़ा. मान्यता यह है कि इस घाट पर स्नान करने से बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद तो मिलता ही है. साथ ही साथ व्यक्ति को सम्मान की प्राप्ति भी होती है.

Haridwar Ganga Ghat
रामघाट.

हरिद्वार: मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को मनाया जा रहा है. पंचांग के अनुसार इस दिन पौष मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि है. इस दिन सूर्य का राशि परिवर्तन होगा और धनु राशि से सूर्य निकल कर मकर राशि में आ जाएंगे. इस दिन विशेष योग भी बन रहा है. इसलिए इस वर्ष की मकर संक्रांति कई मायनों में विशेष और शुभ है. मकर राशि में सूर्य, शनि, गुरु, बुध और चंद्रमा के साथ विराजमान रहेंगे.

अगर आप हरिद्वार में आस्था की डुबकी लगाने आ रहे हैं, तो ईटीवी भारत आपको बता रहा है कि हरिद्वार के ऐसे वह प्रमुख कौन से घाट हैं ? जहां पर आप डुबकी लगाकर पापों से मुक्ति पा सकते हैं. वैसे तो हरिद्वार के कण-कण में भगवान और हर घाट घाट से बहने वाली गंगा मोक्षदायिनी है, लेकिन 5 घाटों का हरिद्वार में विशेष महत्व बताया गया है. हम आपको उन 5 घाटों के बारे में विस्तार से बताते हैं. मकर संक्रांति और हरिद्वार महाकुंभ के अवसर पर लाखों करोड़ों श्रद्धालु स्वर्ग के द्वार यानी हरिद्वार में आस्था की डुबकी लगाने पहुंचेंगे. हरिद्वार में जगह-जगह श्रद्धालुओं को गंगा स्नान के लिए व्यवस्था करवाई जा रही है. हरिद्वार में सभी घाटों का अपना अलग महत्व है, जिनमें से 5 घाट जो प्रमुख हैं. वह हैं ब्रह्मकुंड, नारायणी स्रोत, विष्णु घाट शिला, कुशावर्त घाट और रामघाट.

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ब्रह्मकुंड

ब्रह्मकुंड को हर की पौड़ी भी कहा जाता है. कहा जाता है कि यहां पर डुबकी लगाने से करोड़ों जन्मों का पुण्य प्राप्त होता है और मोक्ष की प्राप्ति भी होती है. मान्यता है कि यहीं पर समुंद्र मंथन के दौरान अमृत की बूंदें कलश से छलक कर गिरीं थीं. यहां स्नान करने से अर्थ काम मोक्ष और धर्म चारों की प्राप्ति हो जाती है. शास्त्रों में कहा गया है कि इस स्थान पर स्नान करने से कभी भी मनुष्य की अकाल मृत्यु नहीं होती. उसके परिवार में कोई भी महिला विधवा नहीं होती.

Haridwar Ganga Ghat
ब्रह्मकुंड (हरकी पैड़ी)

नारायणी स्रोत

हरिद्वार में दूसरा प्रमुख घाट नारायणी स्रोत. वैसे तो हरिद्वार के पत्थर-पत्थर की अलग मान्यता और पुराणों में उसका जिक्र है, लेकिन इस घाट के बारे में कहा जाता है कि जब भगवान कृष्ण के ऊपर सर्प दोष लगा था. तब उनकी कुंडली में भी इसका असर देखा गया था. भगवान कृष्ण को इस दोष से मुक्ति दिलाने के लिए यहीं के गंगाजल से भगवान कृष्ण का स्नान करवाया गया था. कहते हैं कि यहां स्नान करने से सर्प दोष से मुक्ति मिलती है.

विष्णु घाट

तीसरा प्रमुख घाट है विष्णु घाट. कहा जाता है कि यहां पर डुबकी लगाने से मनुष्य को धन की प्राप्ति होती है, उसकी जेब कभी भी खाली नहीं रहती. लिहाजा, यहां आने वाले श्रद्धालु इस घाट पर भी एक बार स्नान जरूर करते हैं.

Haridwar Ganga Ghat
विष्णु घाट.

कुशावर्त घाट

कुशावर्त घाट के बारे में भी ग्रंथों में कई बातें लिखीं गईं हैं. इस घाट को भगवान दत्तात्रेय की समाधि स्थली कहा जाता है. कहा जाता है कि इसी घाट पर पांडवों और श्रीराम ने अपने पितरों का पिंडदान किया था. लिहाजा, यहां पर स्नान करने से पितरों को शांति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति भी होती है.

Haridwar Ganga Ghat
कुशावर्त घाट.

रामघाट

हरिद्वार का अंतिम घाट है रामघाट. कहा जाता है कि भगवान राम ने रावण का वध करने के बाद इसी घाट पर ब्रह्म हत्या से दोष से मुक्ति पाने के लिए तपस्या की थी. इसीलिए इस घाट का नाम रामघाट पड़ा. मान्यता यह है कि इस घाट पर स्नान करने से बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद तो मिलता ही है. साथ ही साथ व्यक्ति को सम्मान की प्राप्ति भी होती है.

Haridwar Ganga Ghat
रामघाट.
Last Updated : Jan 13, 2021, 9:43 PM IST
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