ETV Bharat / city

गंगा माता कुष्ठ आश्रम के पक्के भवनों को तोड़ने पर हाईकोर्ट सख्त, प्राधिकरण से एक हफ्ते में मांगा जवाब

author img

By

Published : Aug 2, 2019, 11:33 PM IST

हरिद्वार की एक्ट नाव वेलफेयर सोसायटी ने इस मामले में नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें उन्होंने कहा था कि 17 नवंबर 2017 को राष्ट्रपति के हरिद्वार दौरे पर विकास प्राधिकरण ने गंगा माता कुष्ठ आश्रम में रोगियों के पक्के आवासों को तोड़ दिया था.

पक्के भवनों को तोड़ने पर हाईकोर्ट सख्त.

नैनीताल: धर्मनगरी में 2007 में राष्ट्रपति के हरिद्वार दौरे के दौरान हरिद्वार विकास प्राधिकरण ने गंगा माता कुष्ठ आश्रम के पक्के भवनों को तोड़ा था. इस मामले में हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. हाईकोर्ट ने इस मामले में हरिद्वार विकास प्राधिकरण और राज्य सरकार को जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं. साथ ही कोर्ट ने विकास प्राधिकरण से कुष्ठ रोगियों की जमीन के बारे में भी जवाब मांगा है.

बता दें कि हरिद्वार की एक्ट नाव वेलफेयर सोसायटी ने इस मामले में नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें उन्होंने कहा था कि 17 नवंबर 2017 को राष्ट्रपति के हरिद्वार दौरे पर विकास प्राधिकरण ने गंगा माता कुष्ठ आश्रम में रोगियों के पक्के आवासों को तोड़ दिया था. साथ ही याचिकाकर्ता ने कहा कि कुष्ठ रोगियों के लिए ये पक्के आवास इंग्लैंड की एसएनजे ट्रस्ट द्वारा करीब 20 लाख रुपए खर्च करके बनाए गए थे. जिन्हें प्रशासन ने तोड़ दिया.

पक्के भवनों को तोड़ने पर हाईकोर्ट सख्त.

जिसके कारण कुष्ठ रोगियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. याचिकाकर्चा ने कोर्ट के सामने कहा कि शासन-प्रशासन के कारण कुष्ठ रोगी खुले में रहने को मजबूर हैं.

पढ़ें-राजधानी में डेंगू का बढ़ता जा रहा डंक, अबतक 34 हुए 'शिकार', सावधानी ही दे सकती है 'मात'

मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन ने टिप्पणी करते हुए कहा कि कुष्ठ रोगी समाज के निचले स्तर से ताल्लुक रखते हैं, लिहाजा उनकी इस समस्या को कोर्ट प्राथमिकता से सुनेगी. वहीं आश्रम को तोड़ने के मामले में सख्त रुख अपनाते हुए मुख्य न्यायाधीश ने राज्य सरकार और हरिद्वार विकास प्राधिकरण से एक सप्ताह में जवाब पेश करने के आदेश दिये हैं. बता दें कि इस मामले की अगली सुनवाई अब 13 अगस्त को होगी.

नैनीताल: धर्मनगरी में 2007 में राष्ट्रपति के हरिद्वार दौरे के दौरान हरिद्वार विकास प्राधिकरण ने गंगा माता कुष्ठ आश्रम के पक्के भवनों को तोड़ा था. इस मामले में हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. हाईकोर्ट ने इस मामले में हरिद्वार विकास प्राधिकरण और राज्य सरकार को जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं. साथ ही कोर्ट ने विकास प्राधिकरण से कुष्ठ रोगियों की जमीन के बारे में भी जवाब मांगा है.

बता दें कि हरिद्वार की एक्ट नाव वेलफेयर सोसायटी ने इस मामले में नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें उन्होंने कहा था कि 17 नवंबर 2017 को राष्ट्रपति के हरिद्वार दौरे पर विकास प्राधिकरण ने गंगा माता कुष्ठ आश्रम में रोगियों के पक्के आवासों को तोड़ दिया था. साथ ही याचिकाकर्ता ने कहा कि कुष्ठ रोगियों के लिए ये पक्के आवास इंग्लैंड की एसएनजे ट्रस्ट द्वारा करीब 20 लाख रुपए खर्च करके बनाए गए थे. जिन्हें प्रशासन ने तोड़ दिया.

पक्के भवनों को तोड़ने पर हाईकोर्ट सख्त.

जिसके कारण कुष्ठ रोगियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. याचिकाकर्चा ने कोर्ट के सामने कहा कि शासन-प्रशासन के कारण कुष्ठ रोगी खुले में रहने को मजबूर हैं.

पढ़ें-राजधानी में डेंगू का बढ़ता जा रहा डंक, अबतक 34 हुए 'शिकार', सावधानी ही दे सकती है 'मात'

मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन ने टिप्पणी करते हुए कहा कि कुष्ठ रोगी समाज के निचले स्तर से ताल्लुक रखते हैं, लिहाजा उनकी इस समस्या को कोर्ट प्राथमिकता से सुनेगी. वहीं आश्रम को तोड़ने के मामले में सख्त रुख अपनाते हुए मुख्य न्यायाधीश ने राज्य सरकार और हरिद्वार विकास प्राधिकरण से एक सप्ताह में जवाब पेश करने के आदेश दिये हैं. बता दें कि इस मामले की अगली सुनवाई अब 13 अगस्त को होगी.

Intro:Summry

2007 में हरिद्वार विकास प्राधिकरण द्वारा तोड़े गए कुष्ठ आश्रम के मामले पर हाईकोर्ट सख्त हाईकोर्ट ने हरिद्वार विकास प्राधिकरण को 13 अगस्त तक कोर्ट में जवाब पेश करने के लिए आदेश।

Intro

2007 में राष्ट्रपति हरिद्वार दौरे के दौरान हरिद्वार विकास प्राधिकरण ने गंगा माता कुष्ठ आश्रम के पक्के भावनाओं को तोड़ने के मामले में सख्त रुख अपनाते हुए हरिद्वार विकास प्राधिकरण और राज्य सरकार को जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं साथ ही कोर्ट ने विकास प्राधिकरण से पूछा है कि चंडीगढ़ स्टेट एसएनजी ट्रस्ट की भूमि का क्या हुआ जो कुष्ठ रोगियों के लिए थी,,
साथ ही कोर्ट ने हरिद्वार विकास प्राधिकरण को सख्त आदेश दिए हैं कि वह बरसात से पहले कुष्ठ रोगियों के रहने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करें ताकि कुछ तो रोगियों को किसी प्रकार की दिक्कत है ना हो।


Body:आपको बता दें कि हरिद्वार की एक्ट नाव वेलफेयर सोसायटी ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि 17 नवंबर 2017 को राष्ट्रपति के हरिद्वार दौरे पर विकास प्राधिकरण द्वारा गंगा माता कुष्ठ आश्रम में रोगियों के पक्के आवासों को तोड़ दिया था ताकि राष्ट्रपति को (आश्रम)आवास ना दिख सके,,,
साथ ही याचिकाकर्ता का कहना है कि कुष्ठ रोगियों के लिए पक्के आवास इंग्लैंड की एस एन जे ट्रस्ट द्वारा करीब 20 लाख रुपए खर्च करके बनाए गए थे और प्रशासन के द्वारा इन आश्रमों तोड़ दिया गया है, और इन आश्रम के टूटने से कुष्ठ रोगियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है,,,



Conclusion:वहीं याचिकाकर्ता का कहना है कि जब से हरिद्वार विकास प्राधिकरण के द्वारा आश्रम तोड़े गए हैं तब से कुष्ठ रोगी खुले में रहने को मजबूर हैं,,, और प्रशासन के द्वारा इन कुष्ठ रोगियों के रहने के लिए कोई व्यवस्था भी नहीं करी गयी है।

मामले की सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन ने टिप्पणी करते हुए कहा कि कुष्ठ रोगी समाज के निचले स्तर से ताल्लुक रखते हैं लिहाजा उनकी इस समस्या को कोर्ट प्राथमिकता से सुनेगी वहीं आश्रम को तोड़ने के मामले पर सख्त रुख अपनाते हुए मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने राज्य सरकार और हरिद्वार विकास प्राधिकरण को 1 सप्ताह के भीतर विस्तृत जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं,,, मामले की अगली सुनवाई अब 13 अगस्त को होगी।

बाईट- दुष्यंत में मैनाली, अधिवक्ता याचिकाकर्ता।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.