नैनीताल: धर्मनगरी में 2007 में राष्ट्रपति के हरिद्वार दौरे के दौरान हरिद्वार विकास प्राधिकरण ने गंगा माता कुष्ठ आश्रम के पक्के भवनों को तोड़ा था. इस मामले में हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. हाईकोर्ट ने इस मामले में हरिद्वार विकास प्राधिकरण और राज्य सरकार को जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं. साथ ही कोर्ट ने विकास प्राधिकरण से कुष्ठ रोगियों की जमीन के बारे में भी जवाब मांगा है.
बता दें कि हरिद्वार की एक्ट नाव वेलफेयर सोसायटी ने इस मामले में नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें उन्होंने कहा था कि 17 नवंबर 2017 को राष्ट्रपति के हरिद्वार दौरे पर विकास प्राधिकरण ने गंगा माता कुष्ठ आश्रम में रोगियों के पक्के आवासों को तोड़ दिया था. साथ ही याचिकाकर्ता ने कहा कि कुष्ठ रोगियों के लिए ये पक्के आवास इंग्लैंड की एसएनजे ट्रस्ट द्वारा करीब 20 लाख रुपए खर्च करके बनाए गए थे. जिन्हें प्रशासन ने तोड़ दिया.
जिसके कारण कुष्ठ रोगियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. याचिकाकर्चा ने कोर्ट के सामने कहा कि शासन-प्रशासन के कारण कुष्ठ रोगी खुले में रहने को मजबूर हैं.
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मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन ने टिप्पणी करते हुए कहा कि कुष्ठ रोगी समाज के निचले स्तर से ताल्लुक रखते हैं, लिहाजा उनकी इस समस्या को कोर्ट प्राथमिकता से सुनेगी. वहीं आश्रम को तोड़ने के मामले में सख्त रुख अपनाते हुए मुख्य न्यायाधीश ने राज्य सरकार और हरिद्वार विकास प्राधिकरण से एक सप्ताह में जवाब पेश करने के आदेश दिये हैं. बता दें कि इस मामले की अगली सुनवाई अब 13 अगस्त को होगी.