हरिद्वार: किसानों के हित की बात करने वाली सरकार में बाढ़ पीड़ित किसान मुआवजे के लिए अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन कोई उनकी सुनने वाला नहीं है. ऐसे में इन किसानों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.
बता दें कि लक्सर क्षेत्र में मॉनसून सीजन के दौरान गंगा का जलस्तर अचानक बढ़ गया था. इस दौरान 3 गांव में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ था. यहां तीन हजार से अधिक किसानों की करोड़ों रुपए की फसल बर्बाद हो गई थी. इसी के साथ कृषि भूमि बाढ़ से कटाव हो जाने के कारण नदी में समा गई थी. बाढ़ के दौरान गांव में पहुंची शासन की टीम ने किसानों को मुआवजा देने के एलान किया था, लेकिन कई महीने बीत जाने के बाद भी किसानों को मुआवज नहीं मिला. आज भी ग्रामीण मुआवजे के लिए तहसील के चक्कर काट रहे है. ग्रामीणों को कहना है कि वो तहसील स्तर के अधिकारी से लेकर प्रशासन, शासन और सरकार के आगे अपनी मांग रख चुके है. लेकिन सब ने उनकी समस्या को सुनकर अनसुना कर दिया.
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गौरतलब है कि हरिद्वार के लक्सर क्षेत्र में गंगा किनारे बसे गांवों में हर साल बाढ़ में किसानों की लाखों रुपए की फसल बर्बाद हो जाती है. हर बार प्रशासन और सरकार की और से उन्हें मुआवजा देने का एलान किया जाता है, लेकिन कुछ समय अधिकारी भूल जाते है और किसानों को अपनी मांगों के लिए तहसील और जिला प्रशासन के चक्कर काटने पड़ते है.