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नरेंद्र गिरी केस: श्रद्धांजलि सभा पर CBI के डर का असर, बड़े साधु-संतों और खास लोगों ने बनाई दूरी

हरिद्वार में आज अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे महंत नरेंद्र गिरि की याद में श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई. बिल्केश्वर मंदिर में निरंजनी अखाड़े से जुड़े संतों ने नरेंद्र गिरि को श्रद्धांजलि दी. हालांकि इस मौके पर बड़े साधु-संत नहीं दिखाई दिए. नरेंद्र गिरि के उत्तराधिकारी माने जा रहे बलबीर गिरि के शिष्य दिगंबर पुरी ने कहा कि दिवंगत महंत की इच्छा का सम्मान होना चाहिए. बलबीर गिरि को ही नरेंद्र गिरि का उत्तराधिकारी बनाया जाना चाहिए.

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हरिद्वार समाचार
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Published : Sep 28, 2021, 1:15 PM IST

Updated : Sep 28, 2021, 1:41 PM IST

हरिद्वार: अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और निरंजनी अखाड़े के श्री महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध हालात में मौत प्रयागराज में हो गई थी. इसके बाद से संत समाज शोक में है. आज अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि के शिष्य बलबीर गिरि के आदेश पर हरिद्वार के बिल्केश्वर मंदिर पर उनके शिष्यों द्वारा श्रद्धांजलि सभा रखी गई. इसमें निरंजनी अखाड़े से जुड़े संतों ने श्री महंत नरेंद्र गिरि को पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी. हालांकि, श्रद्धांजलि सभा में बड़े संत नहीं दिखाई दिए.

इस दौरान बलबीर गुरु के शिष्य दिगंबर पुरी ने कहा कि जिन हालातों में श्रीमहंत नरेंद्र गिरि की मृत्यु हुई है, वह तो सीबीआई जांच का विषय है, लेकिन जिस तरह से श्री महंत नरेंद्र गिरि ने अपने लेटर में लिखा है कि उनके बाद उनका उत्तराधिकारी बलबीर गिरि को बनाया जाए उसका पालन होना चाहिए.

बलबीर गिरि कर सकते हैं बाघम्बरी गद्दी का संचालन: दिगंबर पुरी ने कहा कि महंत नरेंद्र गिरि के बाद बलबीर गिरि ही बाघंबरी गद्दी का संचालन कर सकते हैं. वह उनके परम प्रिय शिष्य थे. उनका यह अधिकार भी है. वहीं उन्होंने बताया कि 5 अक्टूबर को श्री महंत नरेंद्र गिरि की षोडसी है, जिसके बाद उनका उत्तराधिकारी चुना जाएगा. लगभग तय है कि बलबीर गिरि ही उनके उत्तराधिकारी बनेंगे. इसका निर्णय निरंजनी अखाड़े के पंचों द्वारा लिया जाएगा.

हरिद्वार में नरेंद्र गिरि को दी गई श्रद्धांजलि.

कौन हैं बलबीर गिरि: बलबीर गिरि, अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि के वो शिष्य हैं जिसका नाम उन्होंने कथित सुसाइड नोट में उत्तराधिकारी के रूप में लिया गया है. बता दें कि 20 सितंबर को नरेंद्र गिरि की कथित आत्महत्या के बाद उन्हें बुधवार 22 सितंबर को बाघंबरी मठ में भू-समाधि दी गई. इससे जुड़े सभी संस्कार बलबीर गिरि ने ही पूरे किए थे. वो नरेंद्र गिरि के पुराने शिष्य हैं. बलबीर गिरि वर्तमान में निरंजनी अखाड़े के उपमहंत हैं और वो हरिद्वार स्थित बिल्केश्वर महादेव मंदिर की व्यवस्था का संचालन करते हैं.

रिपोर्ट्स के अनुसार, बलबीर साल 1998 में निरंजनी अखाड़े के संपर्क में आए थे. साल 2001 में उनका संपर्क नरेंद्र गिरि से हुआ. उस वक्त नरेंद्र गिरि निरंजनी अखाड़े के कारोबारी महंत थे. उनके दीक्षा ग्रहण कर बलवीर उनके शिष्य हो गए. एक वक्त पर आनंद गिरि महंत नरेंद्र गिरि के सबसे करीबी थे, लेकिन उनके निष्कासन के बाद बलबीर ही मठ का पूरा कामकाज संभाल रहे थे.

हरिद्वार कुंभ में भी संभाला पूरा काम: नरेंद्र गिरि उन पर कितना भरोसा करते थे ये इस बात से सिद्ध होता है कि कुंभ और ऐसे ही बड़े पर्वों के दौरान अखाड़े और मठ का सारा पैसा बलबीर के पास ही रहता था. हरिद्वार महाकुंभ के दौरान भी उन्होंने इस भूमिका को निभाया था.

वसीहत में भी लिखा है बलबीर का नाम: महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध मौत के बाद से लगातार यह सवाल उठ रहा है कि बाघंबरी मठ की गद्दी का अगला उत्तराधिकारी कौन होगा? इसी बीच महंत नरेंद्र गिरि की वसीयत भी सामने आई, जिसमें बलबीर गिरि को बाघंबरी मठ का उत्तराधिकारी बनाने की बात कही गई है.

गौर हो कि महंत नरेंद्र गिरि ने साल 2010 से 2020 के बीच में 3 वसीयतें बनवाई थीं. आखिरी वसीयत में उन्होंने बलबीर गिरि को उत्तराधिकारी बनाया है. नरेंद्र गिरी ने 7 जनवरी 2010 को पहली वसीयत करवाई थी, इसमें उन्होंने बलबीर गिरि को उत्तराधिकारी बनाया था. 29 अगस्त 2011 को दूसरी वसीयत में बलबीर की जगह आनंद गिरि को उत्तराधिकारी बनवाया था. 4 जून 2020 को तीसरी और आखिरी वसीयत में उन्होंने फिर बलबीर गिरि को उत्तराधिकारी बनाया था. बलवीर को बाघम्बरी की संपत्ति का अकेला उत्तराधिकारी बनाया गया था. इसके बाद उन्होंने दोनों वसीयत रद्द करवा दी थीं.

संदिग्ध परिस्थितियों में मृत मिले थे नरेंद्र गिरि: गौरतलब है कि 20 सितंबर को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि प्रयागराज के आश्रम में संदिग्ध परिस्थितियों में मृत पाए गए थे. कहा गया कि उन्होंने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. इस मामले में एडीजी प्रशांत कुमार ने बयान जारी किया था. एडीजी प्रशांत कुमार के मुताबिक महंत नरेंद्र गिरि का शव बाघम्बरी मठ आश्रम के कमरे में फंदे से लटका हुआ मिला था. शिष्यों ने दरवाजा तोड़कर शव को नीचे उतारा था.

ये भी पढ़ें:- नरेंद्र गिरि की रहस्यमय मौत पर बोले रामदेव- जनता के बीच आना चाहिए राज, निष्पक्ष जांच की मांग

कमरे से मिला था सुसाइड नोट: नरेंद्र गिरि के कमरे से पुलिस को सुसाइड नोट भी बरामद हुआ था. सुसाइड नोट में मानसिक रूप से परेशानी का जिक्र था. सुसाइड नोट में महंत नरेंद्र गिरि के शिष्य आनंद गिरि पर उन्हें परेशान करने का आरोप था. फॉरेंसिक टीम ने घटना स्थल की जांच की थी. इस मामले में हरिद्वार पुलिस ने एक्शन लेते हुए आनंद गिरि को उनके गाजी वाली में स्थित आश्रम में बंद कर दिया था. थाना श्यामपुर पुलिस द्वारा उनके आश्रम में पूछताछ की गई थी. इसके बाद प्रयागराज पुलिस ने आनंद गिरि को हिरासत में लिया था.

लेटे हुए हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी आद्या तिवारी और उनके बेटे को भी हिरासत में लिया गया था. नरेंद्र गिरि के कथित सुसाइड नोट में इन दोनों का भी नाम परेशान करने वालों के रूप में लिखा गया था.

आनंद गिरि ने लगाए थे सनसनीखेज आरोप: कुछ दिन पहले ही महंत नरेंद्र गिरि के शिष्य महंत आनंद गिरि ने उनके ऊपर अखाड़ा और मठ की जमीन को बेचने का सनसनीखेज आरोप लगाया था. आनंद गिरि को महंत नरेंद्र गिरि का सबसे प्रिय शिष्य माना कहा जाता था. महंत आनंद गिरि ने महंत नरेंद्र गिरि पर ये आरोप अखाड़ा और बाघम्बरी मठ से निकाले जाने के बाद लगाए थे. आनंद गिरि ने इस मामले में अपनी जान का खतरा बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह के साथ ही यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर जांच की मांग की थी.

इसके साथ ही उन्होंने अपनी सुरक्षा की गुहार भी लगाई थी. इसके बाद महंत नरेंद्र गिरि ने आनंद गिरि के आरोपों को बेबुनियाद बताया था. महंत नरेंद्र गिरि का कहना था कि आनंद गिरि यह सब सुरक्षा पाने के लिए कर रहा है.

पत्र के जरिये महंत नरेंद्र गिरि पर साल 2005 में सबसे पहले जमीन बेचने का आरोप लगाया और उसके बाद 2012 में मठ की जमीन को 40 करोड़ रुपये में बेचने का आरोप लगाया था. साथ ही यह भी बताया कि साल 2018 में महंत नरेद्र गिरि ने मठ की 80-120 वर्ग गज जमीन उसके नाम लीज पर कर दी और उस पर पेट्रोल पंप खुलवाने की बात कही थी, लेकिन, 2020 में महंत नरेंद्र गिरि ने लीज कैंसिल कर जमीन वापस देने की बात कही, जिसका उन्होंने विरोध किया. नरेंद्र गिरि ने कहा था कि वो शौक पूरा करने के लिये अपने करीबियों पर पैसे लुटाते थे.

इसी वजह से आश्रम के कुछ खास शिष्यों और अपने गनर के नाम पर करोड़ों की संपत्ति जमा कराई थी. हालांकि इस मामले में बाद में आनंद गिरि ने बाद में अपने गुरु महंत नरेंद्र गिरि से माफी मांग ली थी, जिसके बाद ये विवाद खत्म हो गया मान लिया गया था.

सीबीआई कर रही है जांच: बीती 25 सितंबर को सीबीआई की टीम महंत नरेंद्र गिरी की मौत की गुत्थी सुलझाने के लिए प्रयागराज के बाघम्बरी मठ पहुंची थी. सीबीआई ने इस मामले की जांच के लिए छह सदस्यों की जांच टीम गठित की थी. यहां सीबीआई की टीम अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी की मौत के मामले में हत्या या आत्महत्या के बीच उलझी गुत्थी सुलझाने की कोशिश कर रही है.

हरिद्वार: अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और निरंजनी अखाड़े के श्री महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध हालात में मौत प्रयागराज में हो गई थी. इसके बाद से संत समाज शोक में है. आज अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि के शिष्य बलबीर गिरि के आदेश पर हरिद्वार के बिल्केश्वर मंदिर पर उनके शिष्यों द्वारा श्रद्धांजलि सभा रखी गई. इसमें निरंजनी अखाड़े से जुड़े संतों ने श्री महंत नरेंद्र गिरि को पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी. हालांकि, श्रद्धांजलि सभा में बड़े संत नहीं दिखाई दिए.

इस दौरान बलबीर गुरु के शिष्य दिगंबर पुरी ने कहा कि जिन हालातों में श्रीमहंत नरेंद्र गिरि की मृत्यु हुई है, वह तो सीबीआई जांच का विषय है, लेकिन जिस तरह से श्री महंत नरेंद्र गिरि ने अपने लेटर में लिखा है कि उनके बाद उनका उत्तराधिकारी बलबीर गिरि को बनाया जाए उसका पालन होना चाहिए.

बलबीर गिरि कर सकते हैं बाघम्बरी गद्दी का संचालन: दिगंबर पुरी ने कहा कि महंत नरेंद्र गिरि के बाद बलबीर गिरि ही बाघंबरी गद्दी का संचालन कर सकते हैं. वह उनके परम प्रिय शिष्य थे. उनका यह अधिकार भी है. वहीं उन्होंने बताया कि 5 अक्टूबर को श्री महंत नरेंद्र गिरि की षोडसी है, जिसके बाद उनका उत्तराधिकारी चुना जाएगा. लगभग तय है कि बलबीर गिरि ही उनके उत्तराधिकारी बनेंगे. इसका निर्णय निरंजनी अखाड़े के पंचों द्वारा लिया जाएगा.

हरिद्वार में नरेंद्र गिरि को दी गई श्रद्धांजलि.

कौन हैं बलबीर गिरि: बलबीर गिरि, अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि के वो शिष्य हैं जिसका नाम उन्होंने कथित सुसाइड नोट में उत्तराधिकारी के रूप में लिया गया है. बता दें कि 20 सितंबर को नरेंद्र गिरि की कथित आत्महत्या के बाद उन्हें बुधवार 22 सितंबर को बाघंबरी मठ में भू-समाधि दी गई. इससे जुड़े सभी संस्कार बलबीर गिरि ने ही पूरे किए थे. वो नरेंद्र गिरि के पुराने शिष्य हैं. बलबीर गिरि वर्तमान में निरंजनी अखाड़े के उपमहंत हैं और वो हरिद्वार स्थित बिल्केश्वर महादेव मंदिर की व्यवस्था का संचालन करते हैं.

रिपोर्ट्स के अनुसार, बलबीर साल 1998 में निरंजनी अखाड़े के संपर्क में आए थे. साल 2001 में उनका संपर्क नरेंद्र गिरि से हुआ. उस वक्त नरेंद्र गिरि निरंजनी अखाड़े के कारोबारी महंत थे. उनके दीक्षा ग्रहण कर बलवीर उनके शिष्य हो गए. एक वक्त पर आनंद गिरि महंत नरेंद्र गिरि के सबसे करीबी थे, लेकिन उनके निष्कासन के बाद बलबीर ही मठ का पूरा कामकाज संभाल रहे थे.

हरिद्वार कुंभ में भी संभाला पूरा काम: नरेंद्र गिरि उन पर कितना भरोसा करते थे ये इस बात से सिद्ध होता है कि कुंभ और ऐसे ही बड़े पर्वों के दौरान अखाड़े और मठ का सारा पैसा बलबीर के पास ही रहता था. हरिद्वार महाकुंभ के दौरान भी उन्होंने इस भूमिका को निभाया था.

वसीहत में भी लिखा है बलबीर का नाम: महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध मौत के बाद से लगातार यह सवाल उठ रहा है कि बाघंबरी मठ की गद्दी का अगला उत्तराधिकारी कौन होगा? इसी बीच महंत नरेंद्र गिरि की वसीयत भी सामने आई, जिसमें बलबीर गिरि को बाघंबरी मठ का उत्तराधिकारी बनाने की बात कही गई है.

गौर हो कि महंत नरेंद्र गिरि ने साल 2010 से 2020 के बीच में 3 वसीयतें बनवाई थीं. आखिरी वसीयत में उन्होंने बलबीर गिरि को उत्तराधिकारी बनाया है. नरेंद्र गिरी ने 7 जनवरी 2010 को पहली वसीयत करवाई थी, इसमें उन्होंने बलबीर गिरि को उत्तराधिकारी बनाया था. 29 अगस्त 2011 को दूसरी वसीयत में बलबीर की जगह आनंद गिरि को उत्तराधिकारी बनवाया था. 4 जून 2020 को तीसरी और आखिरी वसीयत में उन्होंने फिर बलबीर गिरि को उत्तराधिकारी बनाया था. बलवीर को बाघम्बरी की संपत्ति का अकेला उत्तराधिकारी बनाया गया था. इसके बाद उन्होंने दोनों वसीयत रद्द करवा दी थीं.

संदिग्ध परिस्थितियों में मृत मिले थे नरेंद्र गिरि: गौरतलब है कि 20 सितंबर को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि प्रयागराज के आश्रम में संदिग्ध परिस्थितियों में मृत पाए गए थे. कहा गया कि उन्होंने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. इस मामले में एडीजी प्रशांत कुमार ने बयान जारी किया था. एडीजी प्रशांत कुमार के मुताबिक महंत नरेंद्र गिरि का शव बाघम्बरी मठ आश्रम के कमरे में फंदे से लटका हुआ मिला था. शिष्यों ने दरवाजा तोड़कर शव को नीचे उतारा था.

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कमरे से मिला था सुसाइड नोट: नरेंद्र गिरि के कमरे से पुलिस को सुसाइड नोट भी बरामद हुआ था. सुसाइड नोट में मानसिक रूप से परेशानी का जिक्र था. सुसाइड नोट में महंत नरेंद्र गिरि के शिष्य आनंद गिरि पर उन्हें परेशान करने का आरोप था. फॉरेंसिक टीम ने घटना स्थल की जांच की थी. इस मामले में हरिद्वार पुलिस ने एक्शन लेते हुए आनंद गिरि को उनके गाजी वाली में स्थित आश्रम में बंद कर दिया था. थाना श्यामपुर पुलिस द्वारा उनके आश्रम में पूछताछ की गई थी. इसके बाद प्रयागराज पुलिस ने आनंद गिरि को हिरासत में लिया था.

लेटे हुए हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी आद्या तिवारी और उनके बेटे को भी हिरासत में लिया गया था. नरेंद्र गिरि के कथित सुसाइड नोट में इन दोनों का भी नाम परेशान करने वालों के रूप में लिखा गया था.

आनंद गिरि ने लगाए थे सनसनीखेज आरोप: कुछ दिन पहले ही महंत नरेंद्र गिरि के शिष्य महंत आनंद गिरि ने उनके ऊपर अखाड़ा और मठ की जमीन को बेचने का सनसनीखेज आरोप लगाया था. आनंद गिरि को महंत नरेंद्र गिरि का सबसे प्रिय शिष्य माना कहा जाता था. महंत आनंद गिरि ने महंत नरेंद्र गिरि पर ये आरोप अखाड़ा और बाघम्बरी मठ से निकाले जाने के बाद लगाए थे. आनंद गिरि ने इस मामले में अपनी जान का खतरा बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह के साथ ही यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर जांच की मांग की थी.

इसके साथ ही उन्होंने अपनी सुरक्षा की गुहार भी लगाई थी. इसके बाद महंत नरेंद्र गिरि ने आनंद गिरि के आरोपों को बेबुनियाद बताया था. महंत नरेंद्र गिरि का कहना था कि आनंद गिरि यह सब सुरक्षा पाने के लिए कर रहा है.

पत्र के जरिये महंत नरेंद्र गिरि पर साल 2005 में सबसे पहले जमीन बेचने का आरोप लगाया और उसके बाद 2012 में मठ की जमीन को 40 करोड़ रुपये में बेचने का आरोप लगाया था. साथ ही यह भी बताया कि साल 2018 में महंत नरेद्र गिरि ने मठ की 80-120 वर्ग गज जमीन उसके नाम लीज पर कर दी और उस पर पेट्रोल पंप खुलवाने की बात कही थी, लेकिन, 2020 में महंत नरेंद्र गिरि ने लीज कैंसिल कर जमीन वापस देने की बात कही, जिसका उन्होंने विरोध किया. नरेंद्र गिरि ने कहा था कि वो शौक पूरा करने के लिये अपने करीबियों पर पैसे लुटाते थे.

इसी वजह से आश्रम के कुछ खास शिष्यों और अपने गनर के नाम पर करोड़ों की संपत्ति जमा कराई थी. हालांकि इस मामले में बाद में आनंद गिरि ने बाद में अपने गुरु महंत नरेंद्र गिरि से माफी मांग ली थी, जिसके बाद ये विवाद खत्म हो गया मान लिया गया था.

सीबीआई कर रही है जांच: बीती 25 सितंबर को सीबीआई की टीम महंत नरेंद्र गिरी की मौत की गुत्थी सुलझाने के लिए प्रयागराज के बाघम्बरी मठ पहुंची थी. सीबीआई ने इस मामले की जांच के लिए छह सदस्यों की जांच टीम गठित की थी. यहां सीबीआई की टीम अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी की मौत के मामले में हत्या या आत्महत्या के बीच उलझी गुत्थी सुलझाने की कोशिश कर रही है.

Last Updated : Sep 28, 2021, 1:41 PM IST
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