रामनगर: आज वट सावित्री पूजन का दिन है. आज के दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखकर वट वृक्ष की परिक्रमा कर पूजन करती हैं. इस त्यौहार को लेकर नैनीताल जिले के रामनगर में रामा मंदिर और कई मंदिरों में सुबह से ही सुहागिनों की भीड़ दिख रही है. आज का दिन सुहागिनों के लिये विशेष है.
इन दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घ आयु के लिये निर्जला व्रत रखकर सावित्री, सत्यवान और यमराज की कथा कहती हैं. जैसा कि इस व्रत के नाम और कथा से ही पता चलता है कि यह पर्व हर परिस्थिति में अपने जीवन साथी का साथ देने का संदेश देता है. मान्यता है कि वट वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देव वास करते हैं. आज रामनगर के रामा मंदिर में महिलाओं ने सुबह से ही वट वृक्ष के सामने बैठकर पूजा अर्चना की. पूजा करती महिलाओं का यह कहना है कि ये व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
वट सावित्री व्रत के दिन व्रत कर रही सुहागिनों सुबह ही उठकर स्नान करके रेत से भरी एक बांस की टोकरी लेकर उसमें ब्रह्मदेव की मूर्ति के साथ सावित्री की मूर्ति स्थापित करती दिखाई दीं. इसी प्रकार दूसरी टोकरी में सत्यवान और सावित्री की मूर्तियां स्थापित कीं. दोनों टोकरियों को वट वृक्ष के नीचे रखकर ब्रह्मदेव और सावित्री की मूर्तियों की पूजा की. इसके बाद महिलाओं ने सत्यवान और सावित्री की मूर्तियों की पूजा की. साथ ही वट वृक्ष को जल चढ़ाकर फूल, रोली-मौली, कच्चा सूत, भीगा चना, गुड़ इत्यादि चढ़ाए. सुहागिन महिलाओं का कहना है कि यह व्रत पति की लंबी आयु के लिए किया जाता है. इसके साथ ही आज के दिन न्याय के देवता शनि की जयंती होने पर शनि देव को भी जल चढ़ाकर पूजा की गई.
हल्द्वानी: आज वट सावित्री का व्रत और पूजा-पाठ धूमधाम से मनाया जा रहा है. हल्द्वानी जिले में भी सुहागिन महिलाएं सुबह से पारंपरिक वेशभूषा में मंदिरों और वट के पेड़ के नीचे पहुंच कर पूजा-पाठ कर अपने सुहाग की लंबी उम्र की कामना करती नजर आईं. कोरोना संक्रमण के चलते महिलाएं सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी करती दिखाई दे रही हैं. अपने सुहाग की कुशलता और दीर्घायु की कामना के साथ-साथ सुहागिन महिलाएं पारंपरिक तरीके से वट वृक्ष की पूजा कर व्रत करती दिखाई दीं.
क्या है वट सावित्रि व्रत का महत्व...
वट सावित्रि का व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और परिवार की सुख शांति के लिए करती हैं. पुराणों के अनुसार वटवृक्ष में भगवान ब्रह्मा, विष्णु और लक्ष्मी का वास होता है. महिलाएं इस दिन सुबह से सज धज कर पारंपरिक वेशभूषा में मंदिरों के वट पेड़ के नीचे पूजा अर्चना करती हैं. मान्यता के अनुसार व्रत के दौरान महिलाएं बरगद के पेड़ के चारों ओर रक्षा सूत्र बांध कर परिवार की कुशलता की कामना करती हैं. इसके बाद महिलाएं वट वृक्ष के नीचे बैठकर तप कर अपनी मनोकामना की पूर्ति की कामना करती हैं. सुहागिनें पेड़ के नीचे सत्यवान की कथा का भी श्रवण करती हैं.
इस अवसर पर महिलाओं का कहना है कि इस त्यौहार का उनको काफी समय से इंतजार रहता है. वट वृक्ष की पूजा का नव विवाहिताओं में खासा उत्साह देखा जाता है. गौरतलब है कि लॉकडाउन के चलते मंदिरों में अधिक भीड़ नहीं देखने को मिल रही है, लेकिन कुछ महिलाएं सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर इस पूजा को संपन्न कर रही हैं. वहीं कुछ महिलाएं मास्क लगाकर भी पूजा करती दिखाई दीं. इसके साथ ही आज के दिन शनि जयंती भी मनाई जाती है.