ETV Bharat / city

पानी की तलाश में आबादी की ओर रुख कर रहे वन्यजीव, लोगों के लिए बढ़ा खतरा

author img

By

Published : Apr 24, 2019, 11:21 AM IST

Updated : Apr 24, 2019, 4:17 PM IST

गर्मी का मौसम शुरू होते ही वन्यजीवों के लिए पानी का संकट गहराने लगा है. ऐसे में जंगली जानवरों ने अपनी प्यास बुझाने के लिए आबादी की ओर रुख करना शुरू कर दिया है.

आबादी वाले इलाकों का रुख कर रहे वन्यजीव.

हल्द्वानी: गर्मी का मौसम शुरू होते ही वन्यजीवों के लिए पानी का संकट गहराने लगा है. ऐसे में जंगली जानवरों ने अपनी प्यास बुझाने के लिए आबादी की ओर रुख करना शुरू कर दिया है. जिसके चलते मानव और वन्य जीव के बीच आपसी संघर्ष का खतरा बढ़ गया. वहीं, वन विभाग ने जंगली जानवरों की प्यास बुझाने के लिए जंगल में वाटर होल्स तैयार करने की कवायद में जुटा है.

आबादी वाले इलाकों का रुख कर रहे वन्यजीव.

सूरज की बढ़ती तपिश के चलते जंगलों में बने प्राकृतिक जलस्रोत और तालाब सूखने के कगार पर हैं. ऐसे में वन्यजीव अब अपनी प्यास बुझाने के लिए आबादी की ओर रुख कर रहे हैं. जिसके चलते मानव और वन्यजीवों के बीच संघर्ष होने की संभावनाएं भी प्रबल होती जा रही है.

दरअसल, कुमाऊं मंडल के तराई पूर्वी और पश्चिमी वन प्रभाग के जंगलों में भारी संख्या में हाथी, बाघ, गुलदार सहित अन्य वन्यजीव विचरण करते हैं. इन जानवरों की प्यास बुझाने का मात्रक साधन जंगल में प्राकृतिक स्रोत और तलाब हैं. जो बरसातों में पानी से भर जाता है, लेकिन गर्मी शुरू होते ही ये जलस्रोत और तालाब सूखने लगते है. ऐसे में जंगली जानवर अपनी प्यास को बुझाने के लिए जंगल से सटे आबादी वाले इलाकों में पहुंच रहे है. ऐसे में अब वन विभाग को पूरी तरह से अलर्ट रहने की जरूरत है.

वहीं, इस मामले में प्रमुख वन संरक्षक जयराज का कहना है कि वन विभाग प्राकृतिक जल स्रोतों को फिर से रिचार्ज करने कोशिश कर रहा है. जंगलों में कितने जलस्रोत और तालाब हैं. इसका डाटा भी इकट्ठा किया जा रहा है. वन महकमे द्वारा इसके लिए बजट भी आवंटन किया जा रहा है. जिसके बाद जंगल में प्राकृतिक तालाब और जल स्रोत के रिचार्ज होने पर उनका रखरखाव किया जाएगा. ताकि, वन्यजीव पानी की तलाश में आबादी का रुख ना करें और जंगल में ही अपनी प्यास बुझा सकें.

हल्द्वानी: गर्मी का मौसम शुरू होते ही वन्यजीवों के लिए पानी का संकट गहराने लगा है. ऐसे में जंगली जानवरों ने अपनी प्यास बुझाने के लिए आबादी की ओर रुख करना शुरू कर दिया है. जिसके चलते मानव और वन्य जीव के बीच आपसी संघर्ष का खतरा बढ़ गया. वहीं, वन विभाग ने जंगली जानवरों की प्यास बुझाने के लिए जंगल में वाटर होल्स तैयार करने की कवायद में जुटा है.

आबादी वाले इलाकों का रुख कर रहे वन्यजीव.

सूरज की बढ़ती तपिश के चलते जंगलों में बने प्राकृतिक जलस्रोत और तालाब सूखने के कगार पर हैं. ऐसे में वन्यजीव अब अपनी प्यास बुझाने के लिए आबादी की ओर रुख कर रहे हैं. जिसके चलते मानव और वन्यजीवों के बीच संघर्ष होने की संभावनाएं भी प्रबल होती जा रही है.

दरअसल, कुमाऊं मंडल के तराई पूर्वी और पश्चिमी वन प्रभाग के जंगलों में भारी संख्या में हाथी, बाघ, गुलदार सहित अन्य वन्यजीव विचरण करते हैं. इन जानवरों की प्यास बुझाने का मात्रक साधन जंगल में प्राकृतिक स्रोत और तलाब हैं. जो बरसातों में पानी से भर जाता है, लेकिन गर्मी शुरू होते ही ये जलस्रोत और तालाब सूखने लगते है. ऐसे में जंगली जानवर अपनी प्यास को बुझाने के लिए जंगल से सटे आबादी वाले इलाकों में पहुंच रहे है. ऐसे में अब वन विभाग को पूरी तरह से अलर्ट रहने की जरूरत है.

वहीं, इस मामले में प्रमुख वन संरक्षक जयराज का कहना है कि वन विभाग प्राकृतिक जल स्रोतों को फिर से रिचार्ज करने कोशिश कर रहा है. जंगलों में कितने जलस्रोत और तालाब हैं. इसका डाटा भी इकट्ठा किया जा रहा है. वन महकमे द्वारा इसके लिए बजट भी आवंटन किया जा रहा है. जिसके बाद जंगल में प्राकृतिक तालाब और जल स्रोत के रिचार्ज होने पर उनका रखरखाव किया जाएगा. ताकि, वन्यजीव पानी की तलाश में आबादी का रुख ना करें और जंगल में ही अपनी प्यास बुझा सकें.

Intro:स्लग- वन्य जीव पानी की तलाश में जंगलों से निकल आबादी वाले इलाके में पहुंचने को मजबूर। रिपोर्टर -भावनाथ पंडित एंकर - गर्मी शुरू होते ही जंगलों में वन्यजीवों के लिए पानी का संकट गहराने लगा है। ऐसे में जंगली जानवर अपनी प्यास बुझाने के लिए जंगलों से निकल आबादी की ओर रुख करना शुरू कर दिया है । ऐसे में अब मानव और वन्य जीव के बीच आपसी संघर्ष का खतरा बढ़ गया। ऐसे में अब वन विभाग जंगली जानवरों की प्यास बुझाने के लिए वाटर होल्स तैयार करने जा रहा है।


Body:अप्रैल के महीने में ही जमकर गर्मी पड़ रहे हैं ।गर्मी के चलते जंगलों में बने प्राकृतिक जल स्रोत और तालाब सूखने के कगार पर हैं। ऐसे में वन्यजीव अब अपनी प्यास बुझाने के लिए आबादी की ओर रुख कर रहे हैं जिसके चलते मानव और वन्यजीवों के बीच संघर्ष होने की संभावना जताई जा रही है। दरअसल कुमाऊँ मंडल के तराई पूर्वी और तराई पश्चिमी वन प्रभाग के जंगलों में भारी संख्या में हाथी ,बाघ, गुलदार सहित अन्य वन्य जीव भारी संख्या में विचरण करते हैं । इन जानवरों को प्यास बुझाने का मात्रक साधन जंगल में प्राकृतिक स्रोत और तलाब है जो बरसातों में पानी से भर जाता है लेकिन गर्मी शुरू होते हैं जल स्रोत और तालाब सूख जाते हैं। ऐसे में जंगली जानवर अपनी प्यास को बुझाने के लिए जंगल से सटे आबादी वाले इलाकों में पहुंच रहे हैं। ऐसे में पानी की तलाश में भटक रहे वन्यजीवों और मनुष्य के बीच कई बार आप से संघर्ष के मामले भी देखे जाते हैं ऐसे में अब वन प्रशासन को पूरी तरह से अलर्ट रहने की जरूरत है और वनो में बने तालाबों को रिचार्ज करने की जरूरत है।


Conclusion:वहीं प्रमुख वन संरक्षक जराज का कहना है कि वन विभाग प्राकृतिक जल स्रोतों को फिर से रिचार्ज करने का कवायद करने जा रहा है। जंगलों में कितने जल स्रोत और तालाब है इसका डाटा भी कटा किया जा रहा है। इसके लिए भारी भरकम बजट भी आवंटन किया जा रहा है और जंगल में प्राकृतिक तालाब और जल स्रोत को दोबारा से रिचार्ज कर उसका रखरखाव किया जाएगा। जिससे कि वन्यजीव पानी की तलाश में जंगल से बाहर न जा सके और जंगल के अंदर ही अपनी प्यास बुझा सके । बाइट- जयराज प्रमुख वन संरक्षक
Last Updated : Apr 24, 2019, 4:17 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.