ETV Bharat / city

अब उत्तराखंड के सेबों को मिलेगी पहचान, किसान सुधीर चड्डा ने कर दिया ये काम

उत्तराखंड में रहने वाले किसान सुधीर चड्डा सेब की पैदावार को बढ़ाने के लिए आधुनिक तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं. चड्ढा न सिर्फ सेब की खेती को बढ़ावा दे रहे हैं, बल्कि वे 21वीं सदी के आधुनिक तरीकों को अपनाकर 12 प्रकार के सेबों की प्रजाति को बड़े पैमाने पर विकसित कर रहे हैं.

आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल से बढ़ रही सेब की पैदावार
author img

By

Published : Aug 12, 2019, 5:50 PM IST

Updated : Aug 12, 2019, 7:16 PM IST

हल्द्वानी: कश्मीर और हिमाचल के बाद अब उत्तराखंड भी सेब की पैदावार में लगातार बढ़ोतरी कर रहा है. यही कारण है कि अब उत्तराखंड सेब की पैदावार में देश का तीसरा बड़ा राज्य बनने की ओर अग्रसर है. राज्य के अलग-अलग हिस्सों में लगातार सेब की पैदावार को बढ़ाने के लिए काम किया जा रहा है. नैनीताल की फल पट्टी क्षेत्र में भी किसान बड़े पैमाने पर आधुनिक तरीके से सेब के खेती कर रहे हैं. जिससे किसानों की आमदनी तो दोगुनी हो ही रही है साथ ही पहाड़ों से पलायन भी रुक रहा है.

अब उत्तराखंड के सेबों को मिलेगी पहचान.

उत्तराखंड की जमीन पर भी अब हिमाचल और कश्मीर की तरह से सेब पैदा हो रहे हैं. साथ ही इन सेबों को और अधिक विकसित करने की कवायद भी तेज हो गई है. उत्तराखंड में रहने वाले किसान सुधीर चड्डा सेब की पैदावार को बढ़ाने के लिए आधुनिक तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं. चड्ढा न सिर्फ सेब की खेती को उत्तराखंड में बढ़ावा दे रहे हैं, बल्कि वे 21वीं सदी के आधुनिक तरीकों को अपनाकर 12 प्रकार के सेबों की प्रजाति को उत्तराखंड में बड़े पैमाने पर विकसित कर रहे हैं.

पढ़ें-40 लाख की अफीम के साथ नेपाली महिला तस्कर गिरफ्तार, NDPS एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज

सेबों की पैदावार के लिए सुधीर चड्डा ने नैनीताल जिले के चीफ गांव को चुना है. उन्होंने यहां ऑल वेदर की प्रजाति का डेमो भी शुरू कर दिया है. जिसको देखने के लिए वैज्ञानिक यहां आ रहे हैं. यहां पहुंच रहे वैज्ञानिकों का मानना है कि आधुनिक सेब की खेती न सिर्फ किसानों के लिए लाभदायक है, बल्कि उत्तराखंड से पलायन रोकने में भी बड़ी कारगर साबित हो सकती है.

पढ़ें-लक्ष्मण झूला पुल बंद होने से राम झूला पर बढ़ा भार, हर पल मंडरा रहा खतरा

आज भी भारत में विदेशों से 4 लाख टन सेब का आयात हो रहा है, जबकि यहां का क्लाइमेट और एनवायरमेंट सेब की पैदावार के लिए मुफीद बैठता है. बावजूद इसके सेब की खेती को बढ़ावा नहीं दिया जा रहा था. आधुनिक सेब की खेती ने न सिर्फ सुधीर चड्ढा को आत्मनिर्भर बनाया है, बल्कि उनके सेब की पैदावार पूरे उत्तराखंड में फैलाया है. जिसके बाद अब तक 100 से अधिक सेब के बागान अलग-अलग जगहों पर स्थापित किए गए हैं. वर्तमान में उत्तराखंड जिन सेबों की प्रजातियों के लिए बेहतर पाया गया है उनमें रेड डिलीशियस, स्कारलेट स्पर, गाला, आईडी 1, सहित किंग राट्स जैसे प्रमुख हैं. जिनका बाजार भाव ₹200 प्रति किलो है.

पढ़ें-टिहरी हादसा: परिजनों के विरोध के बाद ऋषिकेश एम्स पहुंचे सीएम त्रिवेंद्र, घायल बच्चों की ली सुध

वैज्ञानिकों का भी मानना है कि अगर छोटे-छोटे कास्तकारों को भी सरकार सब्सिडी दे और आधुनिक सेब के पौधे उपलब्ध करा सके तो ये किसानों के लिए बहुत ही फायदेमंद साबित हो सकता है. उन्होंने कहा कि इससे न सिर्फ उत्तराखंड में सेब की पैदावार बढ़ेगी बल्कि इससे लोगों को रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे.

हल्द्वानी: कश्मीर और हिमाचल के बाद अब उत्तराखंड भी सेब की पैदावार में लगातार बढ़ोतरी कर रहा है. यही कारण है कि अब उत्तराखंड सेब की पैदावार में देश का तीसरा बड़ा राज्य बनने की ओर अग्रसर है. राज्य के अलग-अलग हिस्सों में लगातार सेब की पैदावार को बढ़ाने के लिए काम किया जा रहा है. नैनीताल की फल पट्टी क्षेत्र में भी किसान बड़े पैमाने पर आधुनिक तरीके से सेब के खेती कर रहे हैं. जिससे किसानों की आमदनी तो दोगुनी हो ही रही है साथ ही पहाड़ों से पलायन भी रुक रहा है.

अब उत्तराखंड के सेबों को मिलेगी पहचान.

उत्तराखंड की जमीन पर भी अब हिमाचल और कश्मीर की तरह से सेब पैदा हो रहे हैं. साथ ही इन सेबों को और अधिक विकसित करने की कवायद भी तेज हो गई है. उत्तराखंड में रहने वाले किसान सुधीर चड्डा सेब की पैदावार को बढ़ाने के लिए आधुनिक तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं. चड्ढा न सिर्फ सेब की खेती को उत्तराखंड में बढ़ावा दे रहे हैं, बल्कि वे 21वीं सदी के आधुनिक तरीकों को अपनाकर 12 प्रकार के सेबों की प्रजाति को उत्तराखंड में बड़े पैमाने पर विकसित कर रहे हैं.

पढ़ें-40 लाख की अफीम के साथ नेपाली महिला तस्कर गिरफ्तार, NDPS एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज

सेबों की पैदावार के लिए सुधीर चड्डा ने नैनीताल जिले के चीफ गांव को चुना है. उन्होंने यहां ऑल वेदर की प्रजाति का डेमो भी शुरू कर दिया है. जिसको देखने के लिए वैज्ञानिक यहां आ रहे हैं. यहां पहुंच रहे वैज्ञानिकों का मानना है कि आधुनिक सेब की खेती न सिर्फ किसानों के लिए लाभदायक है, बल्कि उत्तराखंड से पलायन रोकने में भी बड़ी कारगर साबित हो सकती है.

पढ़ें-लक्ष्मण झूला पुल बंद होने से राम झूला पर बढ़ा भार, हर पल मंडरा रहा खतरा

आज भी भारत में विदेशों से 4 लाख टन सेब का आयात हो रहा है, जबकि यहां का क्लाइमेट और एनवायरमेंट सेब की पैदावार के लिए मुफीद बैठता है. बावजूद इसके सेब की खेती को बढ़ावा नहीं दिया जा रहा था. आधुनिक सेब की खेती ने न सिर्फ सुधीर चड्ढा को आत्मनिर्भर बनाया है, बल्कि उनके सेब की पैदावार पूरे उत्तराखंड में फैलाया है. जिसके बाद अब तक 100 से अधिक सेब के बागान अलग-अलग जगहों पर स्थापित किए गए हैं. वर्तमान में उत्तराखंड जिन सेबों की प्रजातियों के लिए बेहतर पाया गया है उनमें रेड डिलीशियस, स्कारलेट स्पर, गाला, आईडी 1, सहित किंग राट्स जैसे प्रमुख हैं. जिनका बाजार भाव ₹200 प्रति किलो है.

पढ़ें-टिहरी हादसा: परिजनों के विरोध के बाद ऋषिकेश एम्स पहुंचे सीएम त्रिवेंद्र, घायल बच्चों की ली सुध

वैज्ञानिकों का भी मानना है कि अगर छोटे-छोटे कास्तकारों को भी सरकार सब्सिडी दे और आधुनिक सेब के पौधे उपलब्ध करा सके तो ये किसानों के लिए बहुत ही फायदेमंद साबित हो सकता है. उन्होंने कहा कि इससे न सिर्फ उत्तराखंड में सेब की पैदावार बढ़ेगी बल्कि इससे लोगों को रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे.

Intro:sammry- उत्तराखंड बनने जा रहा है सेव उत्पादन का तीसरा बड़ा राज्य।( खबर मेल से उठाएं)

एंकर-कश्मीर और हिमाचल के बाद अब उत्तराखंड भी सेब की पैदावार में देश का तीसरा बड़ा राज्य बनने की कवायद कर रहा है। जिसकी नैनीताल जिले के फल पट्टी क्षेत्र से शुरुआत हो गई है अगर किसानों ने बड़े पैमाने पर सेब के आधुनिक खेती अपनाएं तो पहाड़ों में किसानों को निश्चित दुगनी आमदनी मिलेगी बल्कि पलायन रुक कर रिवर्स पलायन भी शुरू हो जाएगा ।






Body:पेड़ों के गुच्छे की तरह लटके यह चमकीले लाल रसीले सेव हिमांचल या कश्मीर की धरती में नहीं बल्कि अब उत्तराखंड की सरजमी पर भी उग रहे हैं और इन सेबों के बाग को विकसित करने की कवायद शुरू की है उत्तराखंड में रहने वाले किसान सुधीर चड्डा ने ।सुधीर चड्ढा ने न सिर्फ सेब की खेती को उत्तराखंड में बढ़ावा दिया है बल्कि 21वीं सदी के आधुनिक खेती अपनाकर 12 प्रकार के सेब की प्रजाति को उत्तराखंड में बड़े पैमाने पर विकसित भी किया है । नैनीताल जिले के चीफ गांव में सुनिश्चित करते हुए ऑल वेदर की प्रजाति का डेमो भी शुरू कर दिया है। जिसको देखने के लिए विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक यहां आ रहे हैं और खुद वैज्ञानिकों का मानना है कि आधुनिक सेब की खेती न सिर्फ किसानों के लिए लाभदायक है बल्कि उत्तराखंड से पलायन रोकने में भी बड़ी कारगर साबित हो सकती है ।

बाइट -सुधरी चड्ढा सेव उत्पादक किसान ।
बाइट- तेजपाल सिंह वीसी पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय

आज भी भारत में विदेशों से 4 लाख टन सेब का आयात हो रहा है जबकि यहां की धरती का क्लाइमेट और एनवायरमेंट की पैदावार के लिए मुफीद बैठता है बावजूद इसके सेब की खेती को बढ़ावा नहीं दिया जा रहा था ।लेकिन आधुनिक सेब की खेती ने न सिर्फ किसान सुधीर चड्ढा को आत्मनिर्भर बनाया है बल्कि उनकी फसल की पैदावार पूरे उत्तराखंड में अब तक 100 से अधिक शिव के बागान अलग-अलग जगहों पर स्थापित किए गए हैं। वर्तमान में उत्तराखंड जिन सेब की प्रजातियों के लिए बेहतर पाया गया है उनमें रेट डिलीशियस ,स्कारलेट स्पर, गाला, आईडी 1, सहित किंग राट्स जैसे प्रमुख है जिनका बाजार भाव ₹200 प्रति किलो मिल रहा है ।वैज्ञानिकों का भी मानना है कि अगर छोटे-छोटे कास्तकार को भी सरकार सब्सिडी दे और आधुनिक सेब के पौधे उपलब्ध करा सके तो न सिर्फ उत्तराखंड सेब की पैदावार में देश के तीसरे स्थान प्रदान कर सकता है। बल्कि यहां के किसानों को पलायन को रोक कर आत्मनिर्भर भी बना सकता है ।

बाइट सुधीर चड्ढा सेव उत्पादक




Conclusion:समुद्र तल से 12 मीटर की ऊंचाई से सेब की पैदावार शुरू करने की आधुनिक खेती को सरकार और वैज्ञानिकों के सहयोग से उत्तराखंड के किसानों को प्रोत्साहित किया गया तो आने वाले समय में दुनिया में कश्मीरी और हिमाचली के बाद उत्तराखंड का स्वाद भी लोगों की जुबान पर होगा।।
Last Updated : Aug 12, 2019, 7:16 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.