हल्द्वानी: भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के मौके पर शिक्षक दिवस मनाया जाता है. शिक्षक को ईश्वर से भी ऊपर स्थान देते हुए कबीरदास जी कह गए-
गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पांय
बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताय.
शिक्षक की इसी महान परंपरा को हल्द्वानी के रिटायर्ड शिक्षक विपिन चंद्र पांडे और प्रोफेसर आरएल रावत आगे बढ़ा रहे हैं. ये दोनों शिक्षक गरीब और असहाय बच्चों की जिंदगी में शिक्षा की रोशनी डाल रहे हैं.
विपिन चंद्र पांडे को मिल चुका है राष्ट्रपति पुरस्कार
रिटायर्ड शिक्षक विपिन चंद्र पांडे हल्द्वानी के एचएन इंटर कॉलेज में हिंदी के लेक्चरर थे. 31 अगस्त 2019 में वो रिटायर हो गए. इसके बावजूद आज भी शिक्षा के क्षेत्र में अलख जगा रहे हैं. शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के चलते शिक्षक दिवस के मौके पर 2016 में विपिन चंद्र पांडे को राष्ट्रपति पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है. अब रिटायर होने के बाद विपिन चंद्र पांडे गरीब छात्रों के लिए अतुलनीय काम कर रहे हैं.
अपने घर में खोल रखा है बुक बैंक
विपिन चंद्र पांडे ने एचएन इंटर कॉलेज और अपने घर में बुक बैंक खोल रखा है. बुक बैंक के माध्यम से जरूरतमंद बच्चों तक किताब पहुंचाने का काम कर रहे हैं. बुक बैंक के माध्यम से सैकड़ों बच्चों तक किताबें पहुंचा चुके हैं. बच्चों के ड्रेस और स्कूल बैग भी उपलब्ध कराते हैं.
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60 बच्चों को शिक्षा के लिए लिया है गोद
अरुणोदय संस्था के माध्यम से विपिन चंद्र पांडे 17 बच्चों को ₹ 500 प्रति महीना स्कॉलरशिप भी उपलब्ध करा रहे हैं. इस शिक्षक ने 60 बच्चों को गोद लेकर उनकी शिक्षा में आने वाले खर्च को वहन किया है.
रिटायरमेंट के बाद भी शिक्षा से जुड़े हैं प्रोफेसर आरएल रावत
हल्द्वानी के एमबी डिग्री कॉलेज के पूर्व प्रोफेसर आरएल रावत भी रिटायर हो चुके हैं. लेकिन आज भी वह शिक्षा के क्षेत्र में अपना योगदान दे रहे हैं. प्रोफेसर रावत एमबी डिग्री कॉलेज से रिटायर होने के बाद भी कई सालों तक एमबी इंटर कॉलेज से जुड़े रहे और वहां के बच्चों को शिक्षा देते रहे. वो आज भी कई सामाजिक संगठनों से जुड़े हुए हैं जो शिक्षा के क्षेत्र में काम करती हैं.
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बच्चों को ड्रेस और स्कूल बैग देते हैं प्रोफेसर रावत
प्रोफेसर रावत पागधारा कार्यक्रम के तहत स्कूली बच्चों को जूते-चप्पल, ड्रेस और स्कूल बैग देने का काम करते हैं. वो वनवासी कल्याण छात्रावास से भी जुड़े हुए हैं जहां असहाय बच्चों को आर्थिक सहायता देकर शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं.
सच्चा शिक्षक कभी रिटायर नहीं होता ये बात विपिन चंद्र पांडे और प्रोफेसर आरएल रावत ने साबित कर दी है. ऐसे शिक्षकों के लिए ही तो कहा गया है-
जहां रहेगा वहीं रोशनी लुटाएगा, किसी चराग का अपना मकां नहीं होता.