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कोरोना महामारी के चलते वकीलों की हालत खराब, सरकार से लगाई गुहार - वकीलों की स्थिति दैनीय

लॉकडाउन में वकीलों की वित्तीय स्थिति खराब होने से उन्होंने सरकार से मदद की गुहार लगाई है. वहीं नए अधिवक्ता वकालत का काम छोड़ अन्य काम करने को तैयार हैं.

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कोरोना महामारी के चलते वकीलों की हालत खराब.
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Published : Jul 7, 2020, 10:52 AM IST

हल्द्वानी: लॉकडाउन का असर आम आदमी के साथ साथ न्यायालय से जुड़े अधिवक्ताओं पर भी पड़ा है. न्यायालय में काम कम होने के चलते वकीलों की भी आर्थिक स्थिति पर असर पड़ा है. ऐसे में अधिवक्ताओं ने सरकार से आर्थिक सहायता के लिए गुहार लगाई है. वहीं नए अधिवक्ता वकालत का काम छोड़ अन्य काम करने को तैयार हैं.

हल्द्वानी बार काउंसिल के अध्यक्ष गोविंद सिंह बिष्ट के मुताबिक वर्तमान समय में वकालत के पेशे से जुड़े अधिवक्ताओं की वित्तीय स्थिति अब खराब हो चुकी है. पुराने केसों पर सुनवाई बंद है. न्यायालय में अति आवश्यक मुकदमों के अलावा मोटर वाहन एक्ट के तहत की गई कार्रवाई मामले में ही सुनवाई हो रही है. ऐसे में वकील कोर्ट तो आ रहे हैं, लेकिन उन्हें केस नहीं मिलने के चलते वे मायूस हैं. यही नहीं वकीलों से जुड़े अर्जीनवीस, टाइपिस्ट और वेंडर भी प्रभावित हुए हैं. वकीलों की मानें तो इन दिनों कोर्ट में अति आवश्यक मुकदमों की ही सुनवाई हो रही है. जिसमें दोनों पक्ष तैयार हैं. उनके भी आवेदन ऑनलाइन किए जा रहे हैं.

कोरोना महामारी के चलते वकीलों की हालत खराब.

यह भी पढ़ें: उत्तराखंडः कौशल्या देवी के जोश और जज्बे का कमाल, बंजर खेत उगल रहे 'सोना'

बता दें कि ऑनलाइन आवेदन के बाद कई दिनों तक नंबर आने के बाद केसों की सुनवाई हो रही है. हल्द्वानी बार काउंसलिंग के अध्यक्ष गोविंद बिष्ट ने कहा है कि प्रदेश सरकार वकीलों के लिए कुछ भी नहीं कर रही है. वकीलों की आर्थिक स्थिति खराब है. ऐसे में सरकार को वकीलों को आर्थिक मदद देनी चाहिए. वकील योगेंद्र सिंह चुफाल के मुताबिक वकील अगर बैंकों से लोन लेने जाता है, तो बैंक भी वकीलों को लोन देने से कतराता है. ऐसे में वकीलों की स्थिति इतनी दयनीय हो चुकी है. वहीं कोरोना काल में वकालत के पेशे से जुड़े नए वकील इस काम को छोड़ने को मजबूर हैं.

वकीलों का कहना है कि उत्तराखंड अधिवक्ता कल्याण निधि में करोड़ों रुपए पड़े हैं, लेकिन इस संकट की घड़ी में सरकार वकीलों को कोई आर्थिक सहायता नहीं दे रही है. हाईकोर्ट के निर्देश के बाद अधिवक्ता कल्याण निधि से मात्र 24 लाख रुपए ही जारी किए गए हैं. जिसमें करीब 24 सौ अधिवक्ताओं को सहायता के तौर पर कुछ मदद मिली है. ऐसे में कुछ वकीलों को सहायता तो मिली लेकिन अभी भी ऐसे वकील जो अभी इससे वंचित हैं.

हल्द्वानी: लॉकडाउन का असर आम आदमी के साथ साथ न्यायालय से जुड़े अधिवक्ताओं पर भी पड़ा है. न्यायालय में काम कम होने के चलते वकीलों की भी आर्थिक स्थिति पर असर पड़ा है. ऐसे में अधिवक्ताओं ने सरकार से आर्थिक सहायता के लिए गुहार लगाई है. वहीं नए अधिवक्ता वकालत का काम छोड़ अन्य काम करने को तैयार हैं.

हल्द्वानी बार काउंसिल के अध्यक्ष गोविंद सिंह बिष्ट के मुताबिक वर्तमान समय में वकालत के पेशे से जुड़े अधिवक्ताओं की वित्तीय स्थिति अब खराब हो चुकी है. पुराने केसों पर सुनवाई बंद है. न्यायालय में अति आवश्यक मुकदमों के अलावा मोटर वाहन एक्ट के तहत की गई कार्रवाई मामले में ही सुनवाई हो रही है. ऐसे में वकील कोर्ट तो आ रहे हैं, लेकिन उन्हें केस नहीं मिलने के चलते वे मायूस हैं. यही नहीं वकीलों से जुड़े अर्जीनवीस, टाइपिस्ट और वेंडर भी प्रभावित हुए हैं. वकीलों की मानें तो इन दिनों कोर्ट में अति आवश्यक मुकदमों की ही सुनवाई हो रही है. जिसमें दोनों पक्ष तैयार हैं. उनके भी आवेदन ऑनलाइन किए जा रहे हैं.

कोरोना महामारी के चलते वकीलों की हालत खराब.

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बता दें कि ऑनलाइन आवेदन के बाद कई दिनों तक नंबर आने के बाद केसों की सुनवाई हो रही है. हल्द्वानी बार काउंसलिंग के अध्यक्ष गोविंद बिष्ट ने कहा है कि प्रदेश सरकार वकीलों के लिए कुछ भी नहीं कर रही है. वकीलों की आर्थिक स्थिति खराब है. ऐसे में सरकार को वकीलों को आर्थिक मदद देनी चाहिए. वकील योगेंद्र सिंह चुफाल के मुताबिक वकील अगर बैंकों से लोन लेने जाता है, तो बैंक भी वकीलों को लोन देने से कतराता है. ऐसे में वकीलों की स्थिति इतनी दयनीय हो चुकी है. वहीं कोरोना काल में वकालत के पेशे से जुड़े नए वकील इस काम को छोड़ने को मजबूर हैं.

वकीलों का कहना है कि उत्तराखंड अधिवक्ता कल्याण निधि में करोड़ों रुपए पड़े हैं, लेकिन इस संकट की घड़ी में सरकार वकीलों को कोई आर्थिक सहायता नहीं दे रही है. हाईकोर्ट के निर्देश के बाद अधिवक्ता कल्याण निधि से मात्र 24 लाख रुपए ही जारी किए गए हैं. जिसमें करीब 24 सौ अधिवक्ताओं को सहायता के तौर पर कुछ मदद मिली है. ऐसे में कुछ वकीलों को सहायता तो मिली लेकिन अभी भी ऐसे वकील जो अभी इससे वंचित हैं.

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