हल्द्वानी: मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी हल्द्वानी रिंग रोड योजना धीरे-धीरे ठंडे बस्ते में जाती नजर आ रही है. 2 साल पहले मुख्यमंत्री ने इस रिंग रोड की घोषणा थी. हल्द्वानी में बढ़ती ट्रैफिक की समस्या को देखते हुए इसका निर्णय लिया गया था, लेकिन अब सरकार की उदासीनता को देखते हुए साफ तौर पर कहा जा सकता है कि ये परियोजना सिर्फ कागजों तक ही सिमट कर रह गई है.
प्रदेश की सत्ता संभालते ही अप्रैल 2017 में सीएम ने अपने पहले हल्द्वानी दौरे में जनता को रिंग रोड की सौगात दी थी. तब जनता को लगा कि अब जल्द ही यहां की ट्रैफिक समस्या से निजात मिल जाएगी. मगर दो साल बीत जाने के बाद भी जनता इस ओर टकटकी लगाये देख रही है. इन दो सालों में अभी तक रिंग रोड के सर्वे का भी काम नहीं हो पाया है. जिसके कारण अब ये योजना ठंडे बस्ते में जाती दिख रही है.
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रिंग रोड परियोजना के अंतर्गत करीब 51 किलोमीटर लंबी फोर लेन सड़क बननी थी. लेकिन बजट अधिक होने के कारण इसे शासन से टू-लेन की ही स्वीकृति मिली. रिंग रोड काठगोदाम से पनियाली, फतेहपुर, लामाचौड़, मोटाहल्दु के राष्ट्रीय राजमार्ग से मिलती है. 51 किलोमीटर सड़क में करीब 9 किलोमीटर का हिस्सा एनएचआई को बनाना है, जबकि 42 किलोमीटर लोकनिर्माण विभाग को बनानी है. मगर 2 साल बीत जाने के बाद भी रिंग रोड अभी भी फाइलों में ही घूम रही है.
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यही नहीं सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भी 6 माह पहले अपने देहरादून दौरे पर आए हल्द्वानी रिंग रोड को राष्ट्रीय प्रोजेक्ट में शामिल करने की घोषणा कर चुके हैं. बावजूद इसके ये योजना कागजों में एक इंच भी आगे नहीं बढ़ पाई है. 2022 में प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं, तब शायद कहीं इस योजना को विकास की प्रतिमूर्ति बताकर इसका शिलान्यास किया जा सकता है.
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वहीं इस पूरे मामले में कुमाऊं कमिश्नर राजीव रौतेला का कहना है कि रिंग रोड को लेकर सर्वे के लिए काम चल रहा है. सर्वे के बाद रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी. शासन से बजट मिलते ही रिंग रोड का काम शुरू हो जाएगा.