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हल्द्वानी: दावानल को लेकर वनविभाग ने कसी कमर, 15 फरवरी से शुरू होगा फायर सीजन

15 फरवरी से 15 जून तक चलने वाले फायर सीजन को लेकर वन विभाग क्रू स्टेशन, कंट्रोल रूम, मोबाइल टीमें गठित करने और संसाधनों की व्यवस्था करने में लग गया है.

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उत्तराखंड के जंगलों में वनाग्नि की घटनाएं
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Published : Feb 6, 2020, 12:51 PM IST

हल्द्वानीः ठंड की समाप्ति के बाद सूरज की तपिश के साथ जंगलों में आग लगने की घटनाएं शुरू हो जाती हैं. ऐसे में वन विभाग वनाग्नि सुरक्षा को लेकर 15 फरवरी से होने वाले फायर सीजन की तैयारियों में जुट गया है. वहीं, जंगलों में होने वाले आगजनी को रोकने के लिए वन विभाग क्रू स्टेशन, कंट्रोल रूम, मोबाइल टीमें गठित करने और संसाधनों की व्यवस्था करने में लग गया है, जिससे कि वनों में होने वाले वनाग्नि की घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके.

दावानल से हरसाल लाखों की वनसंपदा को होता है नुकसान.

बता दें कि 15 फरवरी से 15 जून तक चलने वाले फायर सीजन में हर साल दावानल से लाखों की वनसंपदा को नुकसान पहुंचता है. ऐसे में वन विभाग अभी से तैयारियों में जुट गया है. पिछले वर्ष कुमाऊं मंडल में वनाग्नि के चलते करीब 1300 हेक्टेयर वनों को नुकसान पहुंचा था. जिसको देखते हुए वन विभाग और भी मुस्तैदी से वनाग्नि के लिए तैयारियों में जुट गया है.

इसे भी पढ़ेंः निर्भया केस : हाईकोर्ट का अलग-अलग फांसी देने से इनकार, केंद्र ने दी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

वहीं, प्रभागीय वन अधिकारी नीतीश मणि त्रिपाठी ने बताया कि वनाग्नि सुरक्षा को लेकर वन विभाग पूरी तरह से अलर्ट पर है. जिसको लेकर सभी तैयारियां पूरी की जा रही हैं. वहीं, जंगलों में बिछाई गई फायर पाइप लाइनों को ठीक किए जाने का काम भी चल रहा है. इसके अलावा 15 फरवरी से जन जागरुकता कार्यक्रम भी चलाया जाएगा. जिससे कि वन क्षेत्र के आस-पास रहने वाले लोगों को भी वनाग्नि के प्रति जागरूक किया जा सके.

हल्द्वानीः ठंड की समाप्ति के बाद सूरज की तपिश के साथ जंगलों में आग लगने की घटनाएं शुरू हो जाती हैं. ऐसे में वन विभाग वनाग्नि सुरक्षा को लेकर 15 फरवरी से होने वाले फायर सीजन की तैयारियों में जुट गया है. वहीं, जंगलों में होने वाले आगजनी को रोकने के लिए वन विभाग क्रू स्टेशन, कंट्रोल रूम, मोबाइल टीमें गठित करने और संसाधनों की व्यवस्था करने में लग गया है, जिससे कि वनों में होने वाले वनाग्नि की घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके.

दावानल से हरसाल लाखों की वनसंपदा को होता है नुकसान.

बता दें कि 15 फरवरी से 15 जून तक चलने वाले फायर सीजन में हर साल दावानल से लाखों की वनसंपदा को नुकसान पहुंचता है. ऐसे में वन विभाग अभी से तैयारियों में जुट गया है. पिछले वर्ष कुमाऊं मंडल में वनाग्नि के चलते करीब 1300 हेक्टेयर वनों को नुकसान पहुंचा था. जिसको देखते हुए वन विभाग और भी मुस्तैदी से वनाग्नि के लिए तैयारियों में जुट गया है.

इसे भी पढ़ेंः निर्भया केस : हाईकोर्ट का अलग-अलग फांसी देने से इनकार, केंद्र ने दी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

वहीं, प्रभागीय वन अधिकारी नीतीश मणि त्रिपाठी ने बताया कि वनाग्नि सुरक्षा को लेकर वन विभाग पूरी तरह से अलर्ट पर है. जिसको लेकर सभी तैयारियां पूरी की जा रही हैं. वहीं, जंगलों में बिछाई गई फायर पाइप लाइनों को ठीक किए जाने का काम भी चल रहा है. इसके अलावा 15 फरवरी से जन जागरुकता कार्यक्रम भी चलाया जाएगा. जिससे कि वन क्षेत्र के आस-पास रहने वाले लोगों को भी वनाग्नि के प्रति जागरूक किया जा सके.

Intro:sammry-फायर सीजन तैयारी में जुटा वन विभाग एंकर- ठंड की समाप्ति के बाद सूरज की तपिश के बाद अब जंगलों में आग लगने की घटना शुरू हो जाएंगी । ऐसे में वन विभाग वनअग्नि सुरक्षा को लेकर 15 फरवरी से फायर सीजन की तैयारियों में जुट गया है।वन विभाग जंगलों में आग रोकने के लिए क्रू स्टेशन , कंट्रोल रूम ,मोबाइल टीमें गठित करने और संसाधनों की व्यवस्था करने जा रहा है जिससे कि वनों में होने वाली आगजनी की घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके। यही नहीं पिछले वर्ष कुमाऊं मंडल में वना1ग्नि के चलते करीब 1300 हेक्टेयर वनों को नुकसान पहुंचा था।


Body:प्रभागीय वन अधिकारी नीतीश मणि त्रिपाठी का कहना है कि वन अग्नि सुरक्षा को लेकर वन विभाग पूरी तरह से अलर्ट पर है इसको लेकर सभी तैयारियां पूरी की जा रही है जंगलों में बिछाई गई फायर पाइप लाइनों के ठीक किए जाने का काम चल रहा। इसके अलावा 15 फरवरी से जन जागरूकता का कार्यक्रम भी किया जाएगा जिससे कि लोगों को वनाग्नि के प्रति जागरूक किया जाएगा जिससे कि वन क्षेत्र और उसके आसपास आसपास रहने वाले लोग वन अग्नि के प्रति जागरूक हो सके।


Conclusion:15 फरवरी से 15 जून तक चलने वाला फायर सीजन में हर साल लगने वाले आग के चलते वनों को काफी क्षति पहुंचती है ऐसे में वन विभाग अभी से तैयारी में जुट गया है जिससे कि आने वाले समय में वनअग्नि की घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके। बाइट- नीतीश मणि त्रिपाठी प्रभागीय वन अधिकारी तराई केंद्रीय वन प्रभाग
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