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'सरकारी एक्ट' के बीच फंसे मरीज, निजी डॉक्टर और सरकार में ठनी

क्लीनिकल इस्टेबलिशमेंट एक्ट के विरोध में शहर के सभी निजी अस्पताल 15 फरवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. हड़ताल की वजह से शहर के प्राइवेट अस्पतालों ने अपनी ओपीडी बंद कर दी है, जबकि इमरजेंसी में मरीजों को भर्ती करना भी बन्द कर दिया है.

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Published : Feb 19, 2019, 9:29 PM IST

सरकारी अस्पतालों में लगी मरीजों की भीड़.

हल्द्वानी: क्लीनिकल इस्टेबलिशमेंट एक्ट के विरोध में निजी अस्पताल के डॉक्टर आज पांचवें दिन भी हड़ताल पर हैं. डॉक्टरों की हड़ताल के कारण मरीजों की मुसीबत लगातार बढ़ती जा रही है. वहीं सरकारी अस्पताल में भीड़ बढ़ती जा रही है, जिससे मरीजों को सही से इलाज नहीं मिल पा रहा है.

सरकारी अस्पतालों में लगी मरीजों की भीड़.

क्लीनिकल इस्टेबलिशमेंट एक्ट के विरोध में शहर के सभी निजी अस्पताल 15 फरवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. हड़ताल की वजह से शहर के प्राइवेट अस्पतालों ने अपनी ओपीडी बंद कर दी है, जबकि इमरजेंसी में मरीजों को भर्ती करना भी बन्द कर दिया है. हड़ताल के चलते सुशीला तिवारी अस्पताल में मरीजों की भीड़ लग गई है. ऐसे में मरीज और अस्पताल प्रशासन दोनों को मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है.

पढ़ें:पौड़ी के विकास भवन में लगे अग्निशमन यंत्र एक्सपायर, कैसे होगी आग से सुरक्षा?

सुशीला तिवारी अस्पताल के एमएस अरुण जोशी ने बताया कि सामान्य दिनों में जहां अस्पताल की ओपीडी 1600 होती थी, वो बढ़कर लगभग 2100 के करीब हो गई है. साथ ही अस्पतालों में इमरजेंसी वार्ड में भी 30 प्रतिशत मरीजों के आने की वृद्धि हुई है. अस्पताल प्रशासन पूरी तरह से इन मरीजों की देखभाल कर रहा है. जरूरत पड़ने पर डॉक्टरों की संख्या भी बढ़ाई जाएगी.

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हल्द्वानी: क्लीनिकल इस्टेबलिशमेंट एक्ट के विरोध में निजी अस्पताल के डॉक्टर आज पांचवें दिन भी हड़ताल पर हैं. डॉक्टरों की हड़ताल के कारण मरीजों की मुसीबत लगातार बढ़ती जा रही है. वहीं सरकारी अस्पताल में भीड़ बढ़ती जा रही है, जिससे मरीजों को सही से इलाज नहीं मिल पा रहा है.

सरकारी अस्पतालों में लगी मरीजों की भीड़.

क्लीनिकल इस्टेबलिशमेंट एक्ट के विरोध में शहर के सभी निजी अस्पताल 15 फरवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. हड़ताल की वजह से शहर के प्राइवेट अस्पतालों ने अपनी ओपीडी बंद कर दी है, जबकि इमरजेंसी में मरीजों को भर्ती करना भी बन्द कर दिया है. हड़ताल के चलते सुशीला तिवारी अस्पताल में मरीजों की भीड़ लग गई है. ऐसे में मरीज और अस्पताल प्रशासन दोनों को मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है.

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सुशीला तिवारी अस्पताल के एमएस अरुण जोशी ने बताया कि सामान्य दिनों में जहां अस्पताल की ओपीडी 1600 होती थी, वो बढ़कर लगभग 2100 के करीब हो गई है. साथ ही अस्पतालों में इमरजेंसी वार्ड में भी 30 प्रतिशत मरीजों के आने की वृद्धि हुई है. अस्पताल प्रशासन पूरी तरह से इन मरीजों की देखभाल कर रहा है. जरूरत पड़ने पर डॉक्टरों की संख्या भी बढ़ाई जाएगी.

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Intro:स्लग- निजी अस्पतालों का हड़ताल जारी मरीजों को देना पड़ रहा है सरकारी अस्पताल का शहर
रिपोर्टर- भावनाथ पंडित
एंकर हल्द्वानी में निजी अस्पताल आज पांचवे दिन भी हड़ताल पर हैं ऐसे में मरीजों की मुसीबत लगातार बढ़ रही है मजबूरन अब लोगों को इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों का सहारा लेना पड़ रहा है। ऐसे में अब सरकारी अस्पताल मैं मर चुकी लगातार बढ़ बढ़ रही है।


Body:दरअसल क्लिनिकल इस्टेबिलशमेंट एक्ट के विरोध में शहर के सभी निजी अस्पताल 15 फरवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल में है हड़ताल के वजह से शहर के सभी प्राइवेट अस्पतालों ने अपनी ओपीडी बंद कर की है जबकि इमरजेंसी में मरीजों को भी भर्ती भी बन्द कर दिया हैं। ऐसे में गम्भीर बिमारिओं के मरीजों को सबसे ज्यादा परेशानी उठाना पड़ रहा है इलाज के लिए इधर उधर भटक रहे हैं मजबूरन अब मरीजों को सरकारी अस्पतालों का सहारा लेना पड़ रहा है ।हड़ताल की वजह से सुशीला तिवारी अस्पताल मेंमरीजों की भीड़ उमड़ पड़ी है । ऐसे में मरीज और अस्पताल प्रशासन दोनों को मुसीबत का सामना उठाना पड़ रहा है।


Conclusion:सुशीला तिवारी अस्पताल के एमएस अरुण जोशी का कहना है कि सामान्य दिनों में जहां अस्पताल की ओपीडी 1600 सौ होती थी जो बढ़कर करीब 2100 सौ के करीब हो गई है। साथी अस्पतालों में इमरजेंसी में भी 30% मरीजों की आने की वृद्धि हुई है जबकि ऑपरेशन सहित अन्य बीमारियों के भी लोगों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है।एमएस का कहना है कि अस्पताल प्रशासन पूरी तरह से इन मरीजों को देखभाल कर रहा है जरूरत पड़ेने पर डॉक्टरो की संख्या भी बढ़ाई जाएगी। लगातार अस्पतालों में मरीजों की बढ़ोतरी की वजह से अस्पताल प्रशासन के भी पसीने छूट रहे हैं।
सरकार और डॉक्टरों के हड़ताल के जंग के बीच जनता परेशान हो रही है लेकिन भगवान कहे जाने वाले डॉक्टर सरकार के आगे बिल्कुल झुकने को तैयार नहीं है ऐसे में इसका खामियाजा केवल आम जनता को भुगतना पड़ रहा है।
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