देहरादून: उत्तराखंड में मॉनसून सीजन खत्म होने में कुछ ही दिन बचे हैं, ऐसे में उच्च हिमालयी क्षेत्रों के मौसम में भारी गिरावट शुरू हो गयी है. यही नहीं इन उच्च हिमालयी क्षेत्रों में अभी से बर्फबारी भी शुरू हो गयी है. इस साल जनवरी-फरवरी में करीब 41 फीट बर्फ गिरी थी, जिसने बीते 10-15 सालों के रिकॉर्ड को तोड़ दिया है. जिसके कारण इस बार भी वैज्ञानिकों को अच्छी बर्फबारी की उम्मीद है. वैज्ञानिकों का मानना है कि जिस तरह क्लाइमेट चेंज हो रहा है उस वजह से बारिश और बर्फबारी अधिक हो रही है.
वाडिया के वैज्ञानिक डीपी डोभाल ने बताया कि उच्च हिमालयी क्षेत्रों में इस साल 41 फीट बर्फ गिरी है. यही वजह है कि मई-जून में भी उच्च हिमालयी क्षेत्रों पर भारी बर्फ देखने को मिली थी. हालांकि भारी बर्फबारी की वजह से उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बने ग्लेशियरों की स्तिथि और रिसर्च के लिए बना वाडिया का स्टेशन पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था. यही नहीं वहां लगा 10 मीटर का टॉवर भी गिर गया था. बात अगर पिछले साल की करें तो यहां करीब 15-20 फीट बर्फबारी हुई थी.
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वर्तमान समय में ग्लेशियरों के पिघलने को लेकर वाडिया के वैज्ञानिक चिंतित नजर आ रहे हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के चलते ग्लेशियरों पर फर्क पड़ रहा है. जिससे वे तेजी से पिघल रहे हैं. डीपी डोभाल ने बताया कि जिस तरह इस साल बर्फबारी हुई है, उसी तरह अगर अगले कुछ सालों तक बर्फबारी होती रही तो ये ग्लेशियरों के लिए काफी अच्छा साबित होगा.