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स्थाई राजधानी की मांग को लेकर कई संगठनों ने किया विधानसभा कूच

शीतकालीन सत्र के चौथे दिन विधानसभा के बाहर स्थाई राजधानी की मांग को लेकर हंगामा देखने को मिला. गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान के मनोज ध्यानी ने कहा कि सरकार पर्वतीय प्रदेश उत्तराखंड की राजधानी पर्वतीय अंचल गैरसैंण में स्थापित करने के लिए कार्य करें. उन्होंने आशा जताते हुए कहा कि  सरकार गैरसैंण को स्थाई और पूर्ण कालीन राजधानी घोषित करेगी.

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विभिन्न संगठनों ने किया विधानसभा कूच
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Published : Dec 9, 2019, 7:16 PM IST

देहरादून: गैरसैंण को स्थाई राजधानी घोषित किये जाने की मांग को लेकर संघर्षरत संगठनों ने आज विधानसभा कूच किया. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने कहा कि गैरसैंण अभियान कर्मी, राज्य निर्माण की शक्तियां और राज्य के लिए सड़कों पर उतरे उत्तराखंड आंदोलनकारी सभी बड़ी बेसब्री से सरकार के निर्णय की ओर टकटकी लगाए बैठें हैं. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि गैरसैंण से लोगों की भावनाएं जुड़ी हैं इसलिए सरकार को जल्द इस पर फैसला लेना चाहिए. प्रदर्शनकारियों ने अपर नगर सचिव मायादत्त जोशी के माध्यम से स्थाई राजधानी की मांग को लेकर विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद्र अग्रवाल को ज्ञापन सौंपा.

शीतकालीन सत्र के चौथे दिन विधानसभा के बाहर स्थाई राजधानी की मांग को लेकर हंगामा देखने को मिला. गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान के मनोज ध्यानी ने कहा कि सरकार पर्वतीय प्रदेश उत्तराखंड की राजधानी पर्वतीय अंचल गैरसैंण में स्थापित करने के लिए कार्य करे. उन्होंने आशा जताते हुए कहा कि सरकार गैरसैंण को स्थाई और पूर्ण कालीन राजधानी घोषित करेगी. उन्होंने कहा कि गैरसैंण राजधानी का निर्माण न होने से पर्वतीय गांव के गांव खाली होते जा रहे हैं.

विभिन्न संगठनों ने किया विधानसभा कूच

पढ़ें-शीतकालीन सत्र: विपक्ष के हंगामे के बीच सदन में पास हुआ अनुपूरक बजट

प्रदर्शनकारियों ने अपर नगर सचिव मायादत्त जोशी के माध्यम से स्थाई राजधानी की मांग को लेकर विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद्र अग्रवाल को ज्ञापन सौंपकर उनका ध्यान खींचने की कोशिश की. इसमें बताया गया कि वर्तमान में जो विधानसभा भवन बना है वो विकास भवन हुआ करता था, जो रिस्पना नदी के तट पर बना हुआ है. यह भवन अतिक्रमण श्रेणी का भवन है. जिसका ध्वस्तीकरण विधि अनुसार लंबित भी है. ज्ञापन में इस बात पर भी जोर दिया गया कि राजधानी का सही आधार प्रदेश का एकमात्र निर्मित विधान मंडल भवन भराड़ीसैंण हैं.

पढ़ें-रुड़की: टीचर ने छात्र से साफ करवाये जूते, भीम आर्मी ने स्कूल में किया हंगामा

प्रदर्शनकारियों ने इस बात पर भी सवाल उठाया है कि आज तक अस्थाई राजधानी देहरादून के लिए शासनादेश निर्गत नहीं हुए हैं. प्रदर्शन करने वाले संगठनों में गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान, उत्तराखंड क्रांति दल, चिन्हित राज्य आंदोलनकारी समिति समेत विभिन्न संगठन शामिल रहे.

देहरादून: गैरसैंण को स्थाई राजधानी घोषित किये जाने की मांग को लेकर संघर्षरत संगठनों ने आज विधानसभा कूच किया. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने कहा कि गैरसैंण अभियान कर्मी, राज्य निर्माण की शक्तियां और राज्य के लिए सड़कों पर उतरे उत्तराखंड आंदोलनकारी सभी बड़ी बेसब्री से सरकार के निर्णय की ओर टकटकी लगाए बैठें हैं. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि गैरसैंण से लोगों की भावनाएं जुड़ी हैं इसलिए सरकार को जल्द इस पर फैसला लेना चाहिए. प्रदर्शनकारियों ने अपर नगर सचिव मायादत्त जोशी के माध्यम से स्थाई राजधानी की मांग को लेकर विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद्र अग्रवाल को ज्ञापन सौंपा.

शीतकालीन सत्र के चौथे दिन विधानसभा के बाहर स्थाई राजधानी की मांग को लेकर हंगामा देखने को मिला. गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान के मनोज ध्यानी ने कहा कि सरकार पर्वतीय प्रदेश उत्तराखंड की राजधानी पर्वतीय अंचल गैरसैंण में स्थापित करने के लिए कार्य करे. उन्होंने आशा जताते हुए कहा कि सरकार गैरसैंण को स्थाई और पूर्ण कालीन राजधानी घोषित करेगी. उन्होंने कहा कि गैरसैंण राजधानी का निर्माण न होने से पर्वतीय गांव के गांव खाली होते जा रहे हैं.

विभिन्न संगठनों ने किया विधानसभा कूच

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प्रदर्शनकारियों ने अपर नगर सचिव मायादत्त जोशी के माध्यम से स्थाई राजधानी की मांग को लेकर विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद्र अग्रवाल को ज्ञापन सौंपकर उनका ध्यान खींचने की कोशिश की. इसमें बताया गया कि वर्तमान में जो विधानसभा भवन बना है वो विकास भवन हुआ करता था, जो रिस्पना नदी के तट पर बना हुआ है. यह भवन अतिक्रमण श्रेणी का भवन है. जिसका ध्वस्तीकरण विधि अनुसार लंबित भी है. ज्ञापन में इस बात पर भी जोर दिया गया कि राजधानी का सही आधार प्रदेश का एकमात्र निर्मित विधान मंडल भवन भराड़ीसैंण हैं.

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प्रदर्शनकारियों ने इस बात पर भी सवाल उठाया है कि आज तक अस्थाई राजधानी देहरादून के लिए शासनादेश निर्गत नहीं हुए हैं. प्रदर्शन करने वाले संगठनों में गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान, उत्तराखंड क्रांति दल, चिन्हित राज्य आंदोलनकारी समिति समेत विभिन्न संगठन शामिल रहे.

Intro:राजधानी गैरसैंण को स्थाई और पूर्ण कालीन राजधानी घोषित करने की मांग को लेकर संघर्षरत संगठन गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान , उत्तराखंड क्रांति दल, चिन्हित राज्य आंदोलनकारी समिति समेत विभिन्न संगठनों ने विधानसभा कूच किया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने अपर नगर सचिव मायादत्त जोशी के माध्यम से गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाने की मांग को लेकर विधान मंडल के अध्यक्ष प्रेमचंद्र अग्रवाल को एक ज्ञापन सौपा।


Body: वहीं गैरसैण राजधानी राजधानी निर्माण अभियान के मनोज ध्यानी ने कहा कि सरकार पर्वतीय प्रदेश उत्तराखंड की राजधानी पर्वतीय अंचल गैरसैंण में स्थापित करने के लिए कार्य करे। उन्होंने आशा जताते हुए कहा कि जन राजधानी गैरसैंण को स्थाई और पूर्ण कालीन राजधानी घोषित करवा कर प्रादेशिक इतिहास का स्वर्णिम अध्याय रचने में कामयाब सिद्ध होगा। उन्होंने कहा कि गैरसैंण अभियान कर्मी, राज्य निर्माण की शक्तियां और राज्य के लिए सड़कों पर उतरे उत्तराखंड आंदोलनकारी और सभी जनता बड़ी बेसब्री से सरकार के निर्णय पर टकटकी लगाए बैठी है। उन्होंने कहा कि गैरसैण राजधानी के निर्माण ना होने से पर्वतीय प्रदेश को राजनीतिक शक्तियों का केंद्र नहीं मिल पा रहा है जिस वजह से वहां गांव के गांव खाली होते जा रहे हैं और पर्वतीय इलाकों में विराना पर्सन में लग गया है, ऐसे में यहां की जन भावनाओं को देखते हुए सरकार गैरसैंण को स्थाई राजधानी घोषित करें
बाइट मनोज ध्यानी, प्रदर्शनकारी


Conclusion:दरअसल प्रदर्शनकारियों ने ज्ञापन के माध्यम से विधान मंडल अध्यक्ष का ध्यान इस ओर आकर्षित करने का प्रयास किया है, कि विधानसभा भवन जो कि वर्तमान में संचालित है वह दरअसल विकास भवन हुआ करता था और रिस्पना नदी के तट पर बना हुआ यह भवन अतिक्रमण श्रेणी का भवन है जिसका ध्वस्तीकरण विधि अनुसार लंबित भी है। ज्ञापन में इस बात पर भी बिंदु उठाया गया कि राजधानी का सही आधार है प्रदेश का एकमात्र निर्मित विधान मंडल भवन भराड़ीसैंण है। ज्ञापन में प्रदर्शनकारियों ने इस बात पर भी सवाल उठाया है कि आज तक अस्थाई राजधानी देहरादून तक के लिए शासनादेश निर्गत नहीं होने को भी गंभीर संवैधानिक त्रुटि बताया गया है। जापान में यह सवाल भी उठाया गया है कि झारखंड की राजधानी रांची और छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर बना दी गई थी तो इन दोनों राज्यों के साथ गठित उत्तराखंड जो कि भारत संघ का 27 वां राज्य था उसे अभी तक स्थाई राजधानी से क्यों वंचित रखा गया है
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