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REPORT: देश की सुरक्षा के लिहाज से उत्तराखंड के 200 से अधिक गांव खतरनाक

राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की पहल पर उत्तराखंड में पलायन आयोग और राज्य सरकार को एक विशेष रोड मैप तैयार करने के लिए कहा गया है. इस रोडमैप में कहा गया है कि उत्तराखंड के ऊंचे इलाकों में जो गांव खाली हुए हैं उन्हें फिर से गुलजार करना बेहद जरूरी है.

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Published : Oct 15, 2019, 4:37 PM IST

Updated : Oct 15, 2019, 5:08 PM IST

खतरनाक हुए उत्तराखंड के 200 से अधिक गांव.

देहरादून: उत्तराखंड में पलायन बाद लगातार खाली हो रहे गांव अब सरकारों के माथे पर बल डालने लगे हैं. गृह मंत्रालय ने उत्तराखंड में खाली हो रहे गांव को लेकर बड़ी चिंता जाहिर की है. गृह मंत्रालय ने देश की सुरक्षा के लिहाज से प्रदेश के खाली हो चुके 200 से अधिक गांवों को खतरनाक बताया है. जिनमें चीन सीमा से सटे चमोली, पिथौरागढ़ और उत्तरकाशी जैसे जिलों के गांव शामिल हैं.

केंद्र ने राज्य सरकार को इन खाली हो चुके गांवों के लिए कुछ ऐसा प्लान बनाने को कहा है जिससे एक बार फिर से बसावट लायी जा सके. इसके अलावा केंद्र ने खाली हो चुके गांवों में रोजगार के साधन उपलब्ध कराने के लिए भी प्लान बनाने पर जोर दिया है.

पढ़ें-पंचायत चुनाव 2019: दूसरा चरण के लिए 31 विकासखंडों में मतदान शुरू

राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की पहल पर उत्तराखंड में पलायन आयोग और राज्य सरकार को एक विशेष रोड मैप तैयार करने के लिए कहा गया है. इस रोडमैप में कहा गया है कि उत्तराखंड के ऊंचे इलाकों में जो गांव खाली हुए हैं उन्हें फिर से गुलजार करना बेहद जरूरी है. इन गांव में से पलायन कर गए लोग न केवल सेना के लिए एक सूचना तंत्र का काम करते हैं बल्कि सीमावर्ती गांवों में बसावट एक चौकीदार के रूप में भी काम करती है. जिस जिहाज से इन गावों की महत्ता बढ़ जाती है.

पढ़ें-सुपरस्टार रजनीकांत आध्यात्मिक यात्रा पर पहुंचे उत्तराखंड, देवभूमि से है गहरा लगाव

केंद्र ने राज्य सरकार को खाली हो चुके गांवों को गुलजार करने के लिए रोड मैप तैयार करने को कहा है. इसके साथ ही इन गावों में रोजगार मुहैया कराने को लेकर भी कहा गया है. राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने भी इस मामले पर बेहद गंभीर तरीके से ध्यान दिया है. राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने पलायन आयोग से कहा है कि ऐसे तमाम गांव की पहचान की जाए जो राष्ट्रीय सीमा से लगते हुए हैं.

पढ़ें-92 करोड़ की लागत से 500 सरकारी स्कूल होंगे हाईटेक, बनाए जाएंगे स्मार्ट क्लासेस

बता दें कि उत्तरकाशी, चमोली और पिथौरागढ़ शामिल सीमावर्ती जिले हैं. लिहाजा इन गांवों में जाकर यह जानने की कोशिश की जाएगी कि कैसे खाली होते गांव के लोगों को वहीं पर रोजगार दिया जाए. इन गांवों की अच्छी बात यह रही है कि यहां से पलायन करने वाले लोग शहरों की तरफ नहीं बल्कि जिलों के मुख्यालयों के आस-पास ही आकर बस गए हैं. लिहाजा ऐसे में सरकार और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद को उम्मीद है कि अगर इन्हें गांव में ही रोजगार दिया जाए तो ये लोग वापस सीमावर्ती गांव में जाकर रह सकते हैं.

देहरादून: उत्तराखंड में पलायन बाद लगातार खाली हो रहे गांव अब सरकारों के माथे पर बल डालने लगे हैं. गृह मंत्रालय ने उत्तराखंड में खाली हो रहे गांव को लेकर बड़ी चिंता जाहिर की है. गृह मंत्रालय ने देश की सुरक्षा के लिहाज से प्रदेश के खाली हो चुके 200 से अधिक गांवों को खतरनाक बताया है. जिनमें चीन सीमा से सटे चमोली, पिथौरागढ़ और उत्तरकाशी जैसे जिलों के गांव शामिल हैं.

केंद्र ने राज्य सरकार को इन खाली हो चुके गांवों के लिए कुछ ऐसा प्लान बनाने को कहा है जिससे एक बार फिर से बसावट लायी जा सके. इसके अलावा केंद्र ने खाली हो चुके गांवों में रोजगार के साधन उपलब्ध कराने के लिए भी प्लान बनाने पर जोर दिया है.

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राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की पहल पर उत्तराखंड में पलायन आयोग और राज्य सरकार को एक विशेष रोड मैप तैयार करने के लिए कहा गया है. इस रोडमैप में कहा गया है कि उत्तराखंड के ऊंचे इलाकों में जो गांव खाली हुए हैं उन्हें फिर से गुलजार करना बेहद जरूरी है. इन गांव में से पलायन कर गए लोग न केवल सेना के लिए एक सूचना तंत्र का काम करते हैं बल्कि सीमावर्ती गांवों में बसावट एक चौकीदार के रूप में भी काम करती है. जिस जिहाज से इन गावों की महत्ता बढ़ जाती है.

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केंद्र ने राज्य सरकार को खाली हो चुके गांवों को गुलजार करने के लिए रोड मैप तैयार करने को कहा है. इसके साथ ही इन गावों में रोजगार मुहैया कराने को लेकर भी कहा गया है. राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने भी इस मामले पर बेहद गंभीर तरीके से ध्यान दिया है. राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने पलायन आयोग से कहा है कि ऐसे तमाम गांव की पहचान की जाए जो राष्ट्रीय सीमा से लगते हुए हैं.

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बता दें कि उत्तरकाशी, चमोली और पिथौरागढ़ शामिल सीमावर्ती जिले हैं. लिहाजा इन गांवों में जाकर यह जानने की कोशिश की जाएगी कि कैसे खाली होते गांव के लोगों को वहीं पर रोजगार दिया जाए. इन गांवों की अच्छी बात यह रही है कि यहां से पलायन करने वाले लोग शहरों की तरफ नहीं बल्कि जिलों के मुख्यालयों के आस-पास ही आकर बस गए हैं. लिहाजा ऐसे में सरकार और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद को उम्मीद है कि अगर इन्हें गांव में ही रोजगार दिया जाए तो ये लोग वापस सीमावर्ती गांव में जाकर रह सकते हैं.

Intro:देश की सुरक्षा के खिलाज से खतरनाक हो गए उत्तराखंड के ये 200 से अधिक गाँव


note--- हमने पहले कई बार गाँव के शॉट्स भेजे है लिहाजा खबर में गाँव के शॉट्स लगा दें


उत्तराखंड में पलायन को लेकर अब तक इसी बात को लेकर गंभीरता दिखाई जा रही थी कि लोग पहाड़ों से उतर कर मैदान में आ रहे हैं लेकिन अब गृह मंत्रालय ने उत्तराखंड में खाली हो रहे गांव को लेकर बड़ी चिंता जाहिर की है यह चिंता इसलिए भी है क्योंकि उत्तराखंड और चीन सीमा से सटे चमोली पिथौरागढ़ उत्तरकाशी जैसे गांव में से लगभग 200 से अधिक गांव खाली हो गए हैं और इनका सीधा असर राष्ट्रीय सुरक्षा पर पड़ रहा है लिहाजा अब केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को यह कहा है कि कुछ ऐसा प्लान बनाएं ताकि सीमा से खाली हो रहे गांव के लोग वापस सीमा के गांव में पहुंचे और उन्हें वही रोजगार मिल सके
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राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की पहल पर उत्तराखंड में पलायन आयोग और राज्य सरकार को एक विशेष रोड मैप तैयार करने के लिए कहा गया है इस रोडमैप में कहा गया है कि उत्तराखंड के ऊंचे इलाकों में जो गांव खाली हुए हैं उन्हें वापस गुलजार करना बेहद जरूरी है इन गांव में से पलायन कर गए लोग ना केवल सेना के लिए एक सूचना तंत्र का काम करते हैं बल्कि उत्तराखंड में सीमावर्ती गांव का गुलजार होना बेहद जरूरी है लिहाजा ऐसे में उत्तराखंड में पाए जाने वाली महत्वपूर्ण जड़ी बूटियों और ऐसे पदार्थों से इन खाली हुए गांव को रोजगार दिया जाए ताकि इन लोगों को नीचे ना उतरना पड़े राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने भी इस मामले पर बेहद गंभीर तरीके से ध्यान दिया है और पलायन आयोग से यह कहा है कि ऐसे तमाम गांव की पहचान करें जो हमारी राष्ट्रीय सीमा से लगते हुए हैंConclusion:जिन सीमा से लोगों ने यह सबसे ज्यादा पलायन किया है उसमें उत्तरकाशी चमोली और पिथौरागढ़ शामिल है लिहाजा इन गांव के तमाम लोगों पर जाकर यह जानने की कोशिश की जाएगी कि कैसे खाली होते गांव के लोगों को वहीं पर रोजगार दिया जाए इन गांव की अच्छी बात यह रही कि यहां से पलायन करने वाले लोग शहरों की तरफ नहीं बल्कि जिलों के मुख्यालयों के आस-पास ही आकर बस गए हैं लिहाजा ऐसे में सरकार और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद कोई उम्मीद है कि अगर इन्हें गांव में ही रोजगार मिलता है तो यह लोग वापस सीमावर्ती गांव में जाकर रह सकते हैं
Last Updated : Oct 15, 2019, 5:08 PM IST
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