देहरादून: उत्तराखंड में पलायन बाद लगातार खाली हो रहे गांव अब सरकारों के माथे पर बल डालने लगे हैं. गृह मंत्रालय ने उत्तराखंड में खाली हो रहे गांव को लेकर बड़ी चिंता जाहिर की है. गृह मंत्रालय ने देश की सुरक्षा के लिहाज से प्रदेश के खाली हो चुके 200 से अधिक गांवों को खतरनाक बताया है. जिनमें चीन सीमा से सटे चमोली, पिथौरागढ़ और उत्तरकाशी जैसे जिलों के गांव शामिल हैं.
केंद्र ने राज्य सरकार को इन खाली हो चुके गांवों के लिए कुछ ऐसा प्लान बनाने को कहा है जिससे एक बार फिर से बसावट लायी जा सके. इसके अलावा केंद्र ने खाली हो चुके गांवों में रोजगार के साधन उपलब्ध कराने के लिए भी प्लान बनाने पर जोर दिया है.
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राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की पहल पर उत्तराखंड में पलायन आयोग और राज्य सरकार को एक विशेष रोड मैप तैयार करने के लिए कहा गया है. इस रोडमैप में कहा गया है कि उत्तराखंड के ऊंचे इलाकों में जो गांव खाली हुए हैं उन्हें फिर से गुलजार करना बेहद जरूरी है. इन गांव में से पलायन कर गए लोग न केवल सेना के लिए एक सूचना तंत्र का काम करते हैं बल्कि सीमावर्ती गांवों में बसावट एक चौकीदार के रूप में भी काम करती है. जिस जिहाज से इन गावों की महत्ता बढ़ जाती है.
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केंद्र ने राज्य सरकार को खाली हो चुके गांवों को गुलजार करने के लिए रोड मैप तैयार करने को कहा है. इसके साथ ही इन गावों में रोजगार मुहैया कराने को लेकर भी कहा गया है. राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने भी इस मामले पर बेहद गंभीर तरीके से ध्यान दिया है. राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने पलायन आयोग से कहा है कि ऐसे तमाम गांव की पहचान की जाए जो राष्ट्रीय सीमा से लगते हुए हैं.
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बता दें कि उत्तरकाशी, चमोली और पिथौरागढ़ शामिल सीमावर्ती जिले हैं. लिहाजा इन गांवों में जाकर यह जानने की कोशिश की जाएगी कि कैसे खाली होते गांव के लोगों को वहीं पर रोजगार दिया जाए. इन गांवों की अच्छी बात यह रही है कि यहां से पलायन करने वाले लोग शहरों की तरफ नहीं बल्कि जिलों के मुख्यालयों के आस-पास ही आकर बस गए हैं. लिहाजा ऐसे में सरकार और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद को उम्मीद है कि अगर इन्हें गांव में ही रोजगार दिया जाए तो ये लोग वापस सीमावर्ती गांव में जाकर रह सकते हैं.