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पंचेश्वर बांध के लिए यूपी सिंचाई विभाग से ली जाएगी जमीन- सतपाल महाराज

पंचेश्वर बांध परियोजना के लिए उत्तराखंड सरकार उत्तरप्रदेश के सिंचाई विभाग से भूमि लेने की बात कह रही है. सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि उत्तराखंड सिंचाई की ज्यादातर भूमि उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के पास है.

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Published : Jul 21, 2019, 12:06 AM IST

कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज.

देहरादून: पंचेश्वर बांध परियोजना के लिए राज्य सरकार उत्तरप्रदेश के सिंचाई विभाग से भूमि लेने की बात कह रही है. जिससे की उत्तराखंड राज्य का लैंड बैंक बढ़ सके और आने वाले समय में लोगों को किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े. वहीं, सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि उत्तराखंड सिंचाई की ज्यादातर भूमि उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के पास है. जिसके चलते उत्तर प्रदेश के सिंचाई विभाग से जमीन ली जाएगी.

कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज.

बता दें कि उत्तराखंड राज्य का 70 फीसदी हिस्सा वन क्षेत्र है. ऐसे में राज्य के पास भूमि की हमेशा से ही कमी देखी गई है. साथ ही प्रदेश के लगभग 395 गांव का विस्थापन अटका हुआ है. ऐसे में जब पंचेश्वर बांध बनाया जाएगा तो उस दौरान भी तमाम गांव वासियों का विस्थापन करना होगा. जिसके लिए राज्य सरकार उत्तरप्रदेश के सिंचाई विभाग से भूमि लेने की बात कह रही है.

पढ़ें: पूर्व CM शीला दीक्षित के निधन पर उत्तराखंड कांग्रेस में शोक की लहर

वहीं, सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि उत्तराखंड सिंचाई की ज्यादा भूमि उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के पास है. इसलिए जब पंचेश्वर बांध बनना शुरू होगा तो उसके पहले फेज में उत्तर प्रदेश के सिंचाई विभाग से जमीन को लिया जाएगा. ताकि उत्तराखंड के पास लैंड बैंक बना रहे.

देहरादून: पंचेश्वर बांध परियोजना के लिए राज्य सरकार उत्तरप्रदेश के सिंचाई विभाग से भूमि लेने की बात कह रही है. जिससे की उत्तराखंड राज्य का लैंड बैंक बढ़ सके और आने वाले समय में लोगों को किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े. वहीं, सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि उत्तराखंड सिंचाई की ज्यादातर भूमि उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के पास है. जिसके चलते उत्तर प्रदेश के सिंचाई विभाग से जमीन ली जाएगी.

कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज.

बता दें कि उत्तराखंड राज्य का 70 फीसदी हिस्सा वन क्षेत्र है. ऐसे में राज्य के पास भूमि की हमेशा से ही कमी देखी गई है. साथ ही प्रदेश के लगभग 395 गांव का विस्थापन अटका हुआ है. ऐसे में जब पंचेश्वर बांध बनाया जाएगा तो उस दौरान भी तमाम गांव वासियों का विस्थापन करना होगा. जिसके लिए राज्य सरकार उत्तरप्रदेश के सिंचाई विभाग से भूमि लेने की बात कह रही है.

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वहीं, सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि उत्तराखंड सिंचाई की ज्यादा भूमि उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के पास है. इसलिए जब पंचेश्वर बांध बनना शुरू होगा तो उसके पहले फेज में उत्तर प्रदेश के सिंचाई विभाग से जमीन को लिया जाएगा. ताकि उत्तराखंड के पास लैंड बैंक बना रहे.

Intro:
उत्तराखंड राज्य की भौगोलिक परिस्थितियां अन्य राज्यों सितम है इसके साथ ही उत्तराखंड राज्य में 70 फ़ीसदी वन क्षेत्र है ऐसे में राज्य के पास भूमि की हमेशा से ही कमी देखी गई है। लिहाजा केंद्र सरकार की योजना के तहत प्रदेश में पंचेश्वर बांध बनाये जाने है। ऐसे में राज्य सरकार को पंचेश्वर बांध बनाने के दौरान पिथौरागढ़ के काली नदी के समीप रहने वाले स्थानीय निवासियों का विस्थापन भी कराये जाने है। ऐसे में भारी संख्या में गांव को विस्थापन करने के लिए राज्य सरकार, उत्तरप्रदेश के सिंचाई विभाग से भूमि लेने की बात कह रही है ताकि उत्तराखंड राज्य का लैंड बैंक बढ़ सके, जिससे आने वाले भविष्य में किसी भी प्रकार की दिक्कतों का सामना ना करना पड़े।


Body:
आपको बता दे कि प्रदेश के करीब 395 गांव को यूं तो पहले ही विस्थापन करना है ऐसे में जब पंचेश्वर धाम बनाया जाएगा तो उस दौरान भी तमाम गांव वासियों का विस्थापन कराया जाएगा, लिहाजा सरकार के पास एक विकट संकट लैंड बैंक है। अब ऐसे में रजत सरकार को अन्य राज्य की तरफ देखने को मजबूर होना पड़ रहा है। ताकि प्रदेश के लैंड बैंक को बढ़ाया जा सके।


ज्यादा जानकारी देते हुए सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि उत्तराखंड सिंचाई की सबसे ज्यादा भूमि उत्तर प्रदेश सिचाई विभाग के पास है। इसलिए जब पंचेश्वर बांध बनना शुरू होगा तो उसके पहले फेज में उत्तर प्रदेश के सिचाई विभाग के जमीन को लिया जाएगा। ताकि उत्तराखंड के पास लैंड बैंक भी हो क्योंकि लैंड बैंक के बाद ही कोई भी विकास का काम कर सकते हैं क्योंकि तमाम लोग पंचेश्वर बांध योजना से विस्थापित किए जाएंगे। ऐसे में लैंड बैंक बेहद जरूरी है लिहाजा उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग से चाहेंगे कि जिस भूमि को उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग नहीं दे पा रहा है उसे हमें दे दे, जिससे हम अपने प्रदेश का लैंड बैंक बढ़ा सकें। जिससे लैंड बैंक होने से विकास के कार्यो हो सकेंगे।





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