देहरादून: पहले ही करोड़ों के आर्थिक नुकसान के दौर से गुजर रहे उत्तराखंड परिवहन निगम को आर्थिक तंगी से उबारने के लिए अब उत्तराखंड परिवहन आयुक्त कार्यालय अन्य राज्यों के परिवहन निगमों से मिलने वाले टैक्स की जांच में जुट चुका है.
दरअसल उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड का रुख करने वाली उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की बसों के संचालन को लेकर बीते दिनों यह बात सामने आई थी कि उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की दो हजार से ज्यादा बसें प्रति माह उत्तराखंड का रुख कर रही हैं. जबकि उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश परिवहन के बीच हुए अनुबंध के तहत उत्तर प्रदेश परिवहन की 1500 बसें ही उत्तराखंड में प्रवेश कर सकती हैं. इससे सीधे तौर पर उत्तराखंड परिवहन निगम को टैक्स का भारी नुकसान हो रहा है.
ईटीवी भारत से बात करते हुए परिवहन उपायुक्त सनत कुमार सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश परिवहन निगम के अलावा उत्तराखंड में प्रवेश करने वाली अन्य राज्यों के निगमों की बसों की वास्तविक संख्या का पता लगाया जा रहा है. यदि किसी राज्य के निगम की बसें अनुबंध से अधिक संख्या में उत्तराखंड में प्रवेश करती हुई पाई जाती हैं तो संबंधित राज्य से बसों की संख्या के आधार पर अधिक टैक्स वसूला जाएगा. इसका आकलन फिलहाल किया जा रहा है.
यूपी से बहुत कम टैक्स लेता है उत्तराखंड: गौरतलब है कि उत्तराखंड की ओर से उत्तर प्रदेश परिवहन निगम समेत अन्य निगमों को सालाना दिए जाने वाले टैक्स की बात करें तो यह टेक्स 30 से 35 करोड़ के आसपास है. जबकि उत्तराखंड राज्य को उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों के परिवहन निगमों से सालाना महज 7 करोड़ तक का टैक्स ही मिल पाता है. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि उत्तराखंड परिवहन निगम आज भी अन्य राज्यों के निगमों से 1500 किलोमीटर तक 90 रुपए प्रति सीट प्रति वाहन के हिसाब से ही टैक्स वसूलता है. वहीं इससे अधिक दूरी होने पर प्रति किलोमीटर अतिरिक्त 60 रुपए टैक्स वसूला जाता है.
टैक्स में है जमीन-आसमान का अंतर: अगर बात उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की करें तो उत्तर प्रदेश परिवहन निगम उत्तराखंड परिवहन निगम की उत्तर प्रदेश में प्रवेश करने वाली बसों से 400 रुपए प्रति सीट, प्रतिमाह के हिसाब से टैक्स वसूलता है. वहीं इसमें AC बसों का टैक्स प्रति सीट के हिसाब से डेढ़ गुना और अधिक बढ़ जाता है.
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बहरहाल कुल मिलाकर देखें तो अन्य राज्यों की तुलना में उत्तराखंड परिवहन निगम की ओर से अन्य राज्यों के निगमों से वसूले जाने वाले टैक्स में जमीन-आसमान का फर्क है. ऐसे में यदि उत्तराखंड परिवहन निगम को आर्थिक तंगी के दौर से उबारना है तो सरकार को अन्य राज्यों के निगमों से वसूले जाने वाले टैक्स में बढ़ोत्तरी करनी होगी, अन्यथा उत्तराखंड परिवहन निगम के लिए करोड़ों के आर्थिक नुकसान को कम कर पाना मुश्किल होगा.