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जयंती विशेष: याद आता है मंगलेश डबराल का 'प्यार एक लाल रूमाल'

आज जाने-माने कवि, साहित्यकार और पत्रकार मंगलेश डबराल की जयंती है. डबराल आज ही के दिन टिहरी गढ़वाल के काफलपानी गांव में जन्मे थे. गरीबी के कारण पलायन करके मैदान की ओर गए. शुरुआती संघर्ष के बाद अपनी रचनाओं से चर्चित हो गए.

Mangalesh Dabral birth anniversary
मंगलेश डबराल की जयंती
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Published : May 16, 2022, 11:40 AM IST

देहरादून: मंगलेश डबराल का जन्म 16 मार्च 1948 को टिहरी गढ़वाल के काफलपानी के पहाड़ी गांव में हुआ. पिता की बीमारी के कारण उन्होंने बीए में पढ़ाई छोड़ दी थी. आजीविका की तलाश में दिल्ली चले गए. दिल्ली, भोपाल, इलाहाबाद में पत्रकारिता और संपादन सहयोग के साथ उनका लेखन जारी रहा. 9 दिसंबर 2020 को मंगलेश डबराल इस दुनिया को अलविदा कह गए.

मंगलेश डबराल की प्रमुख रचनाएं: मंगलेश डबराल के कविता संग्रह कमाल के हैं. ‘पहाड़ पर लालटेन’ (1981), ‘घर का रास्ता’ (1988), ‘हम जो देखते हैं’ (1995), ‘आवाज़ भी एक जगह है’ (2000), ‘नए युग में शत्रु’ (2013), ‘घर का रास्ता’ (2017), ‘स्मृति एक दूसरा समय है’ (2020) उनके कविता-संग्रह हैं. इसके अतिरिक्त, ‘लेखक की रोटी’ और ‘कवि का अकेलापन’ शीर्षक गद्य-संग्रह भी प्रकाशित हुए हैं. उनका एक यात्रा-वृतांत ‘एक बार आयोवा’ भी प्रकाशित है.
ये भी पढ़ें:

अनुवाद में भी नाम कमाया: सभी भारतीय भाषाओं के अलावा अंग्रेज़ी, जर्मन, डच, फ़्रांसीसी, इतालवी, पुर्तगाली, बल्गारी, पोल्स्की आदि विदेशी भाषाओं के कई संकलनों और पत्र-पत्रिकाओं में उनकी कविताओं के अनुवाद प्रकाशित हुए हैं. मरिओला द्वारा उनके कविता-संग्रह ‘आवाज़ भी एक जगह है’ का इतालवी अनुवाद ‘अंके ला वोचे ऐ उन लुओगो’ नाम से प्रकाशित हुआ है. अंग्रेज़ी अनुवादों का एक चयन ‘दिस नंबर दज़ नॉट एग्ज़िस्ट’ प्रकाशित है.

उन्होंने बेर्टोल्ट ब्रेश्ट, हांस माग्नुस ऐंत्सेंसबर्गर, यानिस रित्सोस, ज़िबग्नीयेव हेर्बेत, तादेऊश रूज़ेविच, पाब्लो नेरूदा, एर्नेस्तो कार्देनाल, डोरा गाबे आदि विदेशी कवियों की कविताओं का अंग्रेज़ी से हिंदी में अनुवाद किया था. उन्हें कविता-संग्रह ‘हम जो देखते हैं’ के लिए वर्ष 2000 के साहित्य अकादमी से पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

मंगलेश डबराल की कविताओं में मर्म था. उनकी एक कविता की लाइनें पढ़िए-
तुम्हारा प्यार लड्डुओं का थाल है
जिसे मैं खा जाना चाहता हूँ
तुम्हारा प्यार एक लाल रूमाल है
जिसे मैं झंडे-सा फहराना चाहता हूँ
तुम्हारा प्यार एक पेड़ है
जिसकी हरी ओट से मैं तारों को देखता हूँ
तुम्हारा प्यार एक झील है
जहाँ मैं तैरता हूँ और डूबा रहता हूँ
तुम्हारा प्यार पूरा गाँव है
जहाँ मैं होता हूँ।

देहरादून: मंगलेश डबराल का जन्म 16 मार्च 1948 को टिहरी गढ़वाल के काफलपानी के पहाड़ी गांव में हुआ. पिता की बीमारी के कारण उन्होंने बीए में पढ़ाई छोड़ दी थी. आजीविका की तलाश में दिल्ली चले गए. दिल्ली, भोपाल, इलाहाबाद में पत्रकारिता और संपादन सहयोग के साथ उनका लेखन जारी रहा. 9 दिसंबर 2020 को मंगलेश डबराल इस दुनिया को अलविदा कह गए.

मंगलेश डबराल की प्रमुख रचनाएं: मंगलेश डबराल के कविता संग्रह कमाल के हैं. ‘पहाड़ पर लालटेन’ (1981), ‘घर का रास्ता’ (1988), ‘हम जो देखते हैं’ (1995), ‘आवाज़ भी एक जगह है’ (2000), ‘नए युग में शत्रु’ (2013), ‘घर का रास्ता’ (2017), ‘स्मृति एक दूसरा समय है’ (2020) उनके कविता-संग्रह हैं. इसके अतिरिक्त, ‘लेखक की रोटी’ और ‘कवि का अकेलापन’ शीर्षक गद्य-संग्रह भी प्रकाशित हुए हैं. उनका एक यात्रा-वृतांत ‘एक बार आयोवा’ भी प्रकाशित है.
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अनुवाद में भी नाम कमाया: सभी भारतीय भाषाओं के अलावा अंग्रेज़ी, जर्मन, डच, फ़्रांसीसी, इतालवी, पुर्तगाली, बल्गारी, पोल्स्की आदि विदेशी भाषाओं के कई संकलनों और पत्र-पत्रिकाओं में उनकी कविताओं के अनुवाद प्रकाशित हुए हैं. मरिओला द्वारा उनके कविता-संग्रह ‘आवाज़ भी एक जगह है’ का इतालवी अनुवाद ‘अंके ला वोचे ऐ उन लुओगो’ नाम से प्रकाशित हुआ है. अंग्रेज़ी अनुवादों का एक चयन ‘दिस नंबर दज़ नॉट एग्ज़िस्ट’ प्रकाशित है.

उन्होंने बेर्टोल्ट ब्रेश्ट, हांस माग्नुस ऐंत्सेंसबर्गर, यानिस रित्सोस, ज़िबग्नीयेव हेर्बेत, तादेऊश रूज़ेविच, पाब्लो नेरूदा, एर्नेस्तो कार्देनाल, डोरा गाबे आदि विदेशी कवियों की कविताओं का अंग्रेज़ी से हिंदी में अनुवाद किया था. उन्हें कविता-संग्रह ‘हम जो देखते हैं’ के लिए वर्ष 2000 के साहित्य अकादमी से पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

मंगलेश डबराल की कविताओं में मर्म था. उनकी एक कविता की लाइनें पढ़िए-
तुम्हारा प्यार लड्डुओं का थाल है
जिसे मैं खा जाना चाहता हूँ
तुम्हारा प्यार एक लाल रूमाल है
जिसे मैं झंडे-सा फहराना चाहता हूँ
तुम्हारा प्यार एक पेड़ है
जिसकी हरी ओट से मैं तारों को देखता हूँ
तुम्हारा प्यार एक झील है
जहाँ मैं तैरता हूँ और डूबा रहता हूँ
तुम्हारा प्यार पूरा गाँव है
जहाँ मैं होता हूँ।

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