देहरादून: कांग्रेस महासचिव हरीश रावत और बीजेपी के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी के बीच पिछले दिनों सोशल मीडिया पर तकरार हुई थी. बलूनी ने हरीश रावत को 'हरिद्वारी लाल' कहा था. इसके बाद हरीश रावत ने अनिल बलूनी को 'इतवारी लाल' कह दिया था. ये लड़ाई अब उत्तराखंड के नेताओं को दल-बदल कराने तक पहुंच गई है. आइए पहले आपको वो घटनाक्रम बताते हैं जिसके बाद दोनों नेताओं में तनातनी है.
बलूनी ने कहा था हरिद्वारी लाल: दरअसल हरीश रावत जब मुख्यमंत्री थे तो वो अक्सर ही हरिद्वार जाते थे. सन् 2016 के अगस्त से दिसंबर महीने तक हरीश रावत ने हरिद्वार के कुल 43 दौरे किए थे. इनमें से 39 बार वो हेलीकॉप्टर से हरिद्वार गए थे. सिर्फ 4 बार ही कार से उन्होंने हरिद्वार का दौरा किया था. यानी सिर्फ पांच महीने में ही हरिद्वार के 43 दौरे. इसी को लेकर अनिल बलूनी ने हरीश रावत को 'हरिद्वारी लाल' कह दिया था.
हरीश रावत ने कहा था इतवारीलाल: हाजिर जवाब हरीश रावत कहां चुप रहने वाले थे. हरदा ने अनिल बलूनी को 'इतवारीलाल' कह दिया था. हरीश रावत का यह तंज अनिल बलूनी के राजनीति करने के तौर-तरीके पर था. हरीश रावत का कहना है कि वह ग्राउंड पर उतरकर लोगों के बीच जाते हैं न कि अनिल बलूनी की तरह साप्ताहिक रूप से राजनीति दिल्ली में बैठकर करते हैं. हरीश रावत ने कहा कि वह अनिल बलूनी की तरह इतवार को राजनीति नहीं करते हैं और अनिल बलूनी इतवारीलाल हैं.
ये भी पढ़ें: उत्तराखंड BJP को झटका, कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य ने बेटे संग 'घर वापसी' की
सोशल मीडिया पर हुई थी बलूनी और हरीश रावत की भिड़ंत: सोशल मीडिया पर थोड़ी-बहुत और नोकझोंक के बाद ये एपिसोड बंद हो गया मान लिया गया. लेकिन इसका असली ट्रेलर अब अनिल बलूनी की ओर से देखने को मिल रहा है. अनिल बलूनी हरीश रावत और उत्तराखंड कांग्रेस को एक के बाद एक झटके दे रहे थे. हफ्ते भर में ही बलूनी उत्तराखंड कांग्रेस को दो बड़े झटके दे चुके थे. पिछले शनिवार को भी बलूनी ने भीमताल के निर्दलीय विधायक राम सिंह कैड़ा को बीजेपी में शामिल कराकर मुकाबलो को 3-0 कर दिया था.
अनिल बलूनी ने ऐसे मारा पहला पंच: सबसे पहले अनिल बलूनी ने टिहरी जिले के निर्दलीय विधायक प्रीतम सिंह पंवार को बीजेपी में शामिल करवाया था. देखने में लोगों को ये भले ही हलका मामला लगे, लेकिन इतना हलका था नहीं. दरअसल प्रीतम सिंह पंवार पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में निर्दलीय विधायकों के गठबंधन पीडीएफ की अहम कड़ी थे. इसी गठबंधन का हिस्सा रहे प्रीतम सिंह पंवार को तत्कालीन हरीश रावत सरकार ने पीडीएफ कोटे से मंत्री पद दिया था.
जब 2017 के विधानसभा चुनाव हुए तो कांग्रेस ने निर्दलीयों के खिलाफ भी उम्मीदवार उतारे थे. तब उत्तराखंड में पीएम मोदी की वजह से प्रचंड बीजेपी लहर थी. बीजेपी ने कांग्रेस को सत्ता से उखाड़ फेंकते हुए 70 में से 57 सीटें जीत ली थीं. ऐसी भीषण लहर जिसमें खुद तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत दोनों सीटों से चुनाव हार गए थे, प्रीतम सिंह पंवार धनौल्टी सीट से निर्दलीय जीत गए. इन्हीं प्रीतम सिंह पंवार ने विधानसभा चुनाव 2022 के ठीक पहले कांग्रेस को ठेंगा दिखाकर बीजेपी ज्वाइन कर ली. दिल्ली में अनिल बलूनी ने उन्हें बीजेपी में शामिल कर हरीश रावत को पहली जोरदार पटखनी दी थी.
ये भी पढ़ें: 'जाने वाले को कहां रोक सका है कोई'... यशपाल आर्य के जाने पर बोले धामी
बलूनी ने फिर मारा था दूसरा पंच: हरीश रावत अभी ठीक से खड़े भी नहीं हो पाए थे कि अनिल बलूनी ने उन्हें फिर से एक जोरदार पंच मारा था. इस बार उन्होंने कांग्रेस के विधायक को ही बीजेपी में शामिल करा दिया था. पुरोला विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक राजकुमार बीजेपी में शामिल हो गए थे. इन्हें भी अनिल बलूनी ने दिल्ली में बीजेपी की सदस्यता ग्रहण करवाई थी. इस तरह पहले राउंड में अनिल बलूनी ने हरीश रावत से 2-0 से लीड बना ली है.
फिर बलूनी ने मारा था तीसरा पंच: पिछले शनिवार को अनिल बलूनी ने हरीश रावत और कांग्रेस को तीसरा पंच मारा था. 2017 में प्रचंड मोदी लहर के बावजूद राम सिंह कैड़ा नैनीताल जिले की भीमताल सीट से चुनाव जीत गए थे. कैड़ा ने बीजेपी ज्वाइन कर ली. इसे भी बलूनी का मास्टर स्ट्रोक माना गया.
बलूनी के पंचों से कांग्रेस हाईकमान भी हिला था: धनौल्टी से निर्दलीय विधायक प्रीतम पंवार के बीजेपी में शामिल होने से कांग्रेस हाईकमान सकते में आया था. कांग्रेस विधायक राजकुमार के बीजेपी ज्वाइन करने से कांग्रेस में खलबली ही मच गई थी. कांग्रेस हाईकमान अपने विधायक के बीजेपी में जाने को पचा ही नहीं पा रहा था. पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आनन-फानन में उत्तराखंड कांग्रेस की टॉप लीडरशिप को दिल्ली तलब कर दिया था. तब कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत, उत्तराखंड कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल और नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह दिल्ली में सोनिया गांधी से मुलाकात करके लौटे थे. कांग्रेस हाईकमान का साफ निर्देश था कि पार्टी को भी उत्तराखंड में ऐसा कुछ करना होगा जो चुनाव से पहले बीजेपी के लिए बड़ा झटका हो. यानी हाईकमान ने बीजेपी सरकार में असंतुष्ट बागियों के कांग्रेस में वापसी के लिए अभियान चलाने को हरी झंडी दे दी थी.
वेट एंड वॉच के बाद हरीश रावत का दोहरा पंच: हरीश रावत उन नेताओं में से नहीं हैं जो अपमान का घूंट यूं ही पी जाएं. बस सही वक्त और सही पंच का इंतजार करते हैं. एक के बाद एक तीन झटकों से तिलमिलाए हरीश रावत ने आज एक साथ बीजेपी को दो झटके दे डाले. यशपाल आर्य के साथ उनके बेटे संजीव आर्य ने भी बीजेपी को बाय-बाय कह दिया. दोनों ने हरीश रावत की मौजूदगी में कांग्रेस ज्वाइन की.
ये भी पढ़ें: यशपाल आर्य ने 6 विभागों की भी नहीं की परवाह, ऐसी रही है राजनीतिक यात्रा
दरअसल कांग्रेस अनिल बलूनी पर अक्सर आरोप लगाती रहती है कि वो दिल्ली के एसी रूम से उत्तराखंड की राजनीतिक करते हैं. हाल ही में कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने अनिल बलूनी पर ऐसा ही आरोप लगाया था. हरीश रावत तो आए दिन बलूनी को लेकर कुछ न कुछ कहते रहते हैं. आज दिल्ली में खुद यशपाल आर्य और उनके बेटे की कांग्रेस में ज्वाइनिंग कराकर हरीश रावत ने अनिल बलूनी को साफ संदेश दे दिया है कि वो उनसे दो-दो हाथ करने में पीछे नहीं रहेंगे.