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कर्णप्रयाग सीट से कांग्रेस प्रत्याशी हो सकते हैं सुरेश कुमार बिष्ट, 35 साल से हैं पार्टी के सिपाही

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 की तैयारियों जोरों पर हैं. कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी की दिल्ली में बैठक है. इस बैठक में उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों के नामों की घोषणा की जा सकती है. कांग्रेस सूत्रों से ऐसी खबर आ रही है कि वरिष्ठ कांग्रेस नेता सुरेश कुमार बिष्ट को पार्टी कर्णप्रयाग विधानसभा सीट से अपना उम्मीदवार बना सकती है. सुरेश कुमार बिष्ट अपने छात्र जीवन से कांग्रेस से जुड़े हैं. उनका परिवार तीन पीढ़ियों से कांग्रेस पार्टी में रहा है.

Congress candidate from Karnprayag
सुरेश कुमार बिष्ट
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Published : Jan 13, 2022, 9:51 AM IST

Updated : Jan 13, 2022, 11:28 AM IST

गैरसैंण: पिछले 35 साल से कांग्रेस के कार्यकर्ता, नेता सुरेश कुमार बिष्ट पार्टी के कर्णप्रयाग विधानसभा सीट से उम्मीदवार हो सकते हैं. आज कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी की दिल्ली में बैठक है. उम्मीद है कि इस बैठक में कांग्रेस उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 के लिए प्रत्याशियों की लिस्ट फाइनल कर सकती है. लिस्ट फाइनल होने के बाद कांग्रेस मकर संक्रांति यानी 14 जनवरी को सूची जारी कर सकती है.

कांग्रेस के उच्च सूत्रों से पता चला है कि पार्टी कर्णप्रयाग विधानसभा सीट से मेहलचौरी निवासी अपने वरिष्ठ नेता सुरेश कुमार बिष्ट को प्रत्याशी बना सकती है. सुरेश कुमार बिष्ट पिछले 35 साल से कांग्रेस पार्टी से जुड़े हैं. सुरेश कुमार कर्णप्रयाग विधानसभा सीट पर काफी समय से सक्रिय भी हैं. स्थानीय लोगों में सुरेश कुमार बिष्ट की पहचान एक जुझारू नेता की है जो हर मुश्किल समय में काम आता है.

कर्णप्रयाग से सुरेश कुमार बिष्ट की दावेदारी

केदारनाथ आपदा में किया था राहत का कार्य: 2013 में जब केदारनाथ आपदा आई थी तो उस समय गढ़वाल मंडल का जन जीवन अस्त व्यस्त था. जगह-जगह फंसे तीर्थयात्री और स्थानीय लोग भूखे प्यासे थे. ऐसे समय में सोशल मीडिया पर सुरेश कुमार बिष्ट की अनेक तस्वीरें और वीडियो आए थे जहां वो भूखे प्यासे लोगों को भोजन कराते और पानी पिलाते दिखाई दिए थे. तब पार्टी के वरिष्ठ नेता और बाद में मुख्यमंत्री बने हरीश रावत ने भी उनकी काफी सराहना की थी.

ये भी पढ़ें: उत्तराखंड में अंदरूनी कलह से बचने के लिए कांग्रेस नए फॉर्मूले पर कर रही विचार

कोरोना काल में भी गांव-गांव मदद पहुंचाई: कोरोना काल में जब ज्यादातर नेता अपने घरों में बैठकर खुद को सुरक्षित रखे हुए थे, तब सुरेश कुमार गांव-गांव पहुंचकर लोगों को सैनिटाइजर, मास्क और जरूरी सामान बांटते हुए दिखाई दिए थे. इलाके के लोगों ने भी उनके इस निस्वार्थ कार्य की सराहना की थी. दरअसल सुरेश कुमार बिष्ट जिस इलाके से हैं वो दुर्गम इलाका है. मेहलचौरी के आसपास के गांवों तक जाने के लिए काफी पैदल चलना पड़ता है.

सुरेश कुमार बिष्ट को भी है टिकट की उम्मीद: सुरेश कुमार बिष्ट को भी इस बार अपनी पार्टी कांग्रेस से कर्णप्रयाग विधानसभा सीट से टिकट मिलने की उम्मीद है. ईटीवी भारत से बात करते हुए सुरेश कुमार बिष्ट ने कहा कि उनके दादा के समय से उनका परिवार कांग्रेस की सेवा कर रहा है. उनको उम्मीद है कि पार्टी इस बार उन्हें कर्णप्रयाग विधानसभा सीट से उम्मीदवार के रूप में उतारेगी.

2007, 2012 और 2017 में भी थे दावेदार: सुरेश कुमार बिष्ट पिछले तीन विधानसभा चुनावों में भी कर्णप्रयाग विधानसभा सीट से टिकट के दावेदार थे. हालांकि उन्हें तब तीनों बार टिकट नहीं मिला था. ऐसे में सुरेश कुमार ने कोई नाराजगी जाहिर नहीं की थी बल्कि कांग्रेस के एक अनुशासित कार्यकर्ता की तरह काम करते रहे थे. जबकि 2016 में पूरे उत्तराखंड ने देखा था कि जिन लोगों को पार्टी ने टिकट दिया और वो विधानसभा पहुंच कर मंत्री भी बने वो पार्टी को दगा देकर बीजेपी में शामिल हो गए थे.

ये भी पढ़ें: किशोर उपाध्याय को कांग्रेस ने सभी पदों से हटाया, बीजेपी में शामिल होने की थी चर्चा!

पारिवारिक पृष्ठ भूमि: कांग्रेस से वरिष्ठ नेता सुरेश कुमार बिष्ट के दादा स्वर्गीय सूबेदार जय सिंह बिष्ट स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे. वो आजाद हिंद फौज में नेता जी सुभाष चंद्र बोस के सहयोगी भी रहे. पेशावर कांड के महानायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के कंपनी कमांडर भी थे. पेशावर कांड में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ विद्रोह में उनकी भी महत्वपूर्ण भूमिका रही थी. सुरेश कुमार बिष्ट के पिता सूबेदार स्वर्गीय अवतार सिंह बिष्ट आजन्म कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता रहते हुए कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे.

सैन्य अफसरों वाला है परिवार: सुरेश कुमार बिष्ट के ताऊ कर्नल थे. अब स्वर्गीय हो चुके राजेन्द्र सिंह बिष्ट भी अपने समय में कांग्रेस से जुड़े थे. उन्हें कांग्रेस का जुझारू नेता माना जाता था. चाचा स्वर्गीय आनंद सिंह बिष्ट 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध में शहीद हुए थे. भाई जसवंत सिंह बिष्ट कर्नल पद पर भारतीय सेना में सेवारत हैं. एक और भाई दिनेश सिंह बिष्ट मेजर जनरल पद पर भारतीय सेना में सेवाएं दे रहे हैं.

कांग्रेस में सुरेश कुमार बिष्ट का सफर: ब्लॉक अध्यक्ष युवा कांग्रेस 1987 से 1993 तक रहे. ब्लॉक अध्यक्ष सेवा दल 1993 से 1999 तक रहे. प्रदेश सचिव युवा कांग्रेस भी रहे. युवा कांग्रेस के प्रदेश महासचिव की जिम्मेदारी भी संभाली. कांग्रेस अनुशासन समिति उत्तराखंड के अध्यक्ष भी रहे. उत्तराखंड कांग्रेस के संगठन सचिव भी रहे. विभिन्न निकायों में चुनाव प्रभारी की जिम्मेदारी संभाली. विभिन्न जिलों में सदस्यता प्रभारी का पद भी संभाला. गढ़वाल मंडल विकास निगम के निदेशक भी रहे. प्रदेश प्रवक्ता कांग्रेस कमेटी उत्तराखंड की जिम्मेदारी भी संभाली. उपाध्यक्ष गढ़वाल मंडल विकास निगम उत्तराखंड भी रहे. ये प्रभारी राज्यमंत्री पद था. सल्ट उप चुनाव में विधानसभा सीट के प्रभारी रहे. कांग्रेस कमेटी का सदस्य होने के साथ ही राज्य आंदोलनकारी भी रहे हैं.

ये भी पढ़ें: राहुल गांधी के जिताऊ और टिकाऊ उम्मीदवारों के हो रहे इंटरव्यू, अविनाश पांडे परख रहे दम

स्थानीय स्तर पर भी सुरेश कुमार बिष्ट काफी सक्रिय रहे हैं. वो प्रभारी प्रांतीय उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल उत्तराखंड रहे हैं. इसके साथ ही क्षेत्र पंचायत सदस्य विकास खंड गैरसैंण के रूप में निर्विरोध निर्वाचित हुए थे. अध्यक्ष क्षेत्र पंचायत प्रतिनिधि संगठन भी रहे. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुरेश कुमार बिष्ट ने गैरसैंण में मैराथन रेस भी कराई थी. इसके अलावा वो समय-समय पर खेलकूद प्रतियोगिताएं भी कराते रहते हैं.

गैरसैंण: पिछले 35 साल से कांग्रेस के कार्यकर्ता, नेता सुरेश कुमार बिष्ट पार्टी के कर्णप्रयाग विधानसभा सीट से उम्मीदवार हो सकते हैं. आज कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी की दिल्ली में बैठक है. उम्मीद है कि इस बैठक में कांग्रेस उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 के लिए प्रत्याशियों की लिस्ट फाइनल कर सकती है. लिस्ट फाइनल होने के बाद कांग्रेस मकर संक्रांति यानी 14 जनवरी को सूची जारी कर सकती है.

कांग्रेस के उच्च सूत्रों से पता चला है कि पार्टी कर्णप्रयाग विधानसभा सीट से मेहलचौरी निवासी अपने वरिष्ठ नेता सुरेश कुमार बिष्ट को प्रत्याशी बना सकती है. सुरेश कुमार बिष्ट पिछले 35 साल से कांग्रेस पार्टी से जुड़े हैं. सुरेश कुमार कर्णप्रयाग विधानसभा सीट पर काफी समय से सक्रिय भी हैं. स्थानीय लोगों में सुरेश कुमार बिष्ट की पहचान एक जुझारू नेता की है जो हर मुश्किल समय में काम आता है.

कर्णप्रयाग से सुरेश कुमार बिष्ट की दावेदारी

केदारनाथ आपदा में किया था राहत का कार्य: 2013 में जब केदारनाथ आपदा आई थी तो उस समय गढ़वाल मंडल का जन जीवन अस्त व्यस्त था. जगह-जगह फंसे तीर्थयात्री और स्थानीय लोग भूखे प्यासे थे. ऐसे समय में सोशल मीडिया पर सुरेश कुमार बिष्ट की अनेक तस्वीरें और वीडियो आए थे जहां वो भूखे प्यासे लोगों को भोजन कराते और पानी पिलाते दिखाई दिए थे. तब पार्टी के वरिष्ठ नेता और बाद में मुख्यमंत्री बने हरीश रावत ने भी उनकी काफी सराहना की थी.

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कोरोना काल में भी गांव-गांव मदद पहुंचाई: कोरोना काल में जब ज्यादातर नेता अपने घरों में बैठकर खुद को सुरक्षित रखे हुए थे, तब सुरेश कुमार गांव-गांव पहुंचकर लोगों को सैनिटाइजर, मास्क और जरूरी सामान बांटते हुए दिखाई दिए थे. इलाके के लोगों ने भी उनके इस निस्वार्थ कार्य की सराहना की थी. दरअसल सुरेश कुमार बिष्ट जिस इलाके से हैं वो दुर्गम इलाका है. मेहलचौरी के आसपास के गांवों तक जाने के लिए काफी पैदल चलना पड़ता है.

सुरेश कुमार बिष्ट को भी है टिकट की उम्मीद: सुरेश कुमार बिष्ट को भी इस बार अपनी पार्टी कांग्रेस से कर्णप्रयाग विधानसभा सीट से टिकट मिलने की उम्मीद है. ईटीवी भारत से बात करते हुए सुरेश कुमार बिष्ट ने कहा कि उनके दादा के समय से उनका परिवार कांग्रेस की सेवा कर रहा है. उनको उम्मीद है कि पार्टी इस बार उन्हें कर्णप्रयाग विधानसभा सीट से उम्मीदवार के रूप में उतारेगी.

2007, 2012 और 2017 में भी थे दावेदार: सुरेश कुमार बिष्ट पिछले तीन विधानसभा चुनावों में भी कर्णप्रयाग विधानसभा सीट से टिकट के दावेदार थे. हालांकि उन्हें तब तीनों बार टिकट नहीं मिला था. ऐसे में सुरेश कुमार ने कोई नाराजगी जाहिर नहीं की थी बल्कि कांग्रेस के एक अनुशासित कार्यकर्ता की तरह काम करते रहे थे. जबकि 2016 में पूरे उत्तराखंड ने देखा था कि जिन लोगों को पार्टी ने टिकट दिया और वो विधानसभा पहुंच कर मंत्री भी बने वो पार्टी को दगा देकर बीजेपी में शामिल हो गए थे.

ये भी पढ़ें: किशोर उपाध्याय को कांग्रेस ने सभी पदों से हटाया, बीजेपी में शामिल होने की थी चर्चा!

पारिवारिक पृष्ठ भूमि: कांग्रेस से वरिष्ठ नेता सुरेश कुमार बिष्ट के दादा स्वर्गीय सूबेदार जय सिंह बिष्ट स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे. वो आजाद हिंद फौज में नेता जी सुभाष चंद्र बोस के सहयोगी भी रहे. पेशावर कांड के महानायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के कंपनी कमांडर भी थे. पेशावर कांड में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ विद्रोह में उनकी भी महत्वपूर्ण भूमिका रही थी. सुरेश कुमार बिष्ट के पिता सूबेदार स्वर्गीय अवतार सिंह बिष्ट आजन्म कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता रहते हुए कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे.

सैन्य अफसरों वाला है परिवार: सुरेश कुमार बिष्ट के ताऊ कर्नल थे. अब स्वर्गीय हो चुके राजेन्द्र सिंह बिष्ट भी अपने समय में कांग्रेस से जुड़े थे. उन्हें कांग्रेस का जुझारू नेता माना जाता था. चाचा स्वर्गीय आनंद सिंह बिष्ट 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध में शहीद हुए थे. भाई जसवंत सिंह बिष्ट कर्नल पद पर भारतीय सेना में सेवारत हैं. एक और भाई दिनेश सिंह बिष्ट मेजर जनरल पद पर भारतीय सेना में सेवाएं दे रहे हैं.

कांग्रेस में सुरेश कुमार बिष्ट का सफर: ब्लॉक अध्यक्ष युवा कांग्रेस 1987 से 1993 तक रहे. ब्लॉक अध्यक्ष सेवा दल 1993 से 1999 तक रहे. प्रदेश सचिव युवा कांग्रेस भी रहे. युवा कांग्रेस के प्रदेश महासचिव की जिम्मेदारी भी संभाली. कांग्रेस अनुशासन समिति उत्तराखंड के अध्यक्ष भी रहे. उत्तराखंड कांग्रेस के संगठन सचिव भी रहे. विभिन्न निकायों में चुनाव प्रभारी की जिम्मेदारी संभाली. विभिन्न जिलों में सदस्यता प्रभारी का पद भी संभाला. गढ़वाल मंडल विकास निगम के निदेशक भी रहे. प्रदेश प्रवक्ता कांग्रेस कमेटी उत्तराखंड की जिम्मेदारी भी संभाली. उपाध्यक्ष गढ़वाल मंडल विकास निगम उत्तराखंड भी रहे. ये प्रभारी राज्यमंत्री पद था. सल्ट उप चुनाव में विधानसभा सीट के प्रभारी रहे. कांग्रेस कमेटी का सदस्य होने के साथ ही राज्य आंदोलनकारी भी रहे हैं.

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स्थानीय स्तर पर भी सुरेश कुमार बिष्ट काफी सक्रिय रहे हैं. वो प्रभारी प्रांतीय उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल उत्तराखंड रहे हैं. इसके साथ ही क्षेत्र पंचायत सदस्य विकास खंड गैरसैंण के रूप में निर्विरोध निर्वाचित हुए थे. अध्यक्ष क्षेत्र पंचायत प्रतिनिधि संगठन भी रहे. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुरेश कुमार बिष्ट ने गैरसैंण में मैराथन रेस भी कराई थी. इसके अलावा वो समय-समय पर खेलकूद प्रतियोगिताएं भी कराते रहते हैं.

Last Updated : Jan 13, 2022, 11:28 AM IST
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