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धर्म संसद: भड़काऊ भाषण पर उत्तराखंड और हिमाचल सरकार को SC की फटकार, 9 मई तक मांगा जवाब

उत्तराखंड और हिमाचल में हुई धर्म संसद के दौरान हेट स्पीच पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. आज हुई सुनवाई में सर्वोच्च अदालत ने उत्तराखंड और हिमाचल की सरकारों को फटकार लगाई है. दोनों सरकारों से 9 मई तक जवाब मांगा है.

Supreme Courts decision
धर्म संसद में भड़काऊ भाषण
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Published : Apr 26, 2022, 12:41 PM IST

नई दिल्ली/देहरादून: उत्तराखंड और हिमाचल में आयोजित धर्म संसद के दौरान दिए गए भड़काऊ भाषणों के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने दोनों राज्यों की सरकारों को फटकार लगाई है. साथ ही कोर्ट ने सरकार की तरफ से उठाए गए कदमों की सूची बनाकर हलफनामा दायर करने के लिए कहा है. इस दौरान हिमाचल प्रदेश की ओर से पेश हुए वकील से सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया. अगर उठाया तो उसकी जानकारी दें.

हिमाचल प्रदेश के ऊना में आयोजित धर्म संसद में नफरत भरे भाषण के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई की शुरुआत में ही सुप्रीम कोर्ट में कपिल सिब्बल ने कहा कि ये पूरे देश में चल रहा है. जो बोला गया वह मैं अदालत में सार्वजनिक तौर पर नहीं बोल सकता हूं.

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से कोई कदम नहीं उठाए गए थे क्या. साथ ही कोर्ट ने सवाल किया कि इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक दिशा-निर्देशों का अनुपालन राज्य सरकार ने किया या नहीं, इस पर हलफनामा दाखिल करें. इस मुद्दे पर जवाब देते हुए हिमाचल प्रदेश के वकील ने कहा कि हमारी ओर से नोटिस जारी किया गया था. ऊना में धर्म संसद खत्म हो चुकी है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप हरेक पहलू का उल्लेख करें कि क्या कदम उठाया गया.

उधर उत्तराखंड सरकार के वकील ने कहा कि हमें दो मिनट पक्ष रखने का मौका दिया जाए. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपको आगे की तारीख दी गई है. स्थिति रिपोर्ट पर विचार करेंगे. उत्तराखंड सरकार ने कहा कि हमने एफआईआर दर्ज करने समेत सभी कदम अदालत के फैसले के मुताबिक उठाए.

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार के वकील को फटकार लगाई और कहा कि- इस तरह से आप तर्क नहीं दे सकते हैं. आप संविधान से बंध हुए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल सरकार के गृह सचिव को धर्म संसद के मामले में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया. साथ ही कहा कि 9 मई को होने वाली अगली सुनवाई से पहले राज्य सरकार को धर्म संसद के दौरान हेट स्पीच के मामले पर उठाए गए कदम हलफनामे में अगली सुनवाई से पहले बताने होंगे.

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार ये सुनिश्चित करे कि कोई भड़काऊ भाषण न दिया जाए. अगर ऐसा हुआ तो जिम्मेदार लोगों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए.

ये भी पढ़ें: जलालपुर में 27 अप्रैल को संत करेंगे महापंचायत, हिंसा के आरोपी इमाम की गिरफ्तारी की मांग

बता दें कि उत्तराखंड के रुड़की में कल यानी 27 अप्रैल को महापंचायत का आयोजन होने वाला है. इससे पहले कई राज्यों में धर्म संसद का आयोजन हो चुका है. इन्हीं आयोजनों में से हिमाचल प्रदेश के ऊना, यूपी के हरिद्वार और दिल्ली में हुई धर्म संसद में भड़काऊ भाषण देने का आरोप है.

हरिद्वार में कब हुई थी धर्म संसद: हरिद्वार में 17 से 19 दिसंबर 2021 को धर्म संसद आयोजित हुई थी. इसमें हिंदुत्व को लेकर साधु-संतों के विवादित भाषणों के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे. जिसके बाद इन वायरल वीडियो के आधार पर कई लोगों ने शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी के खिलाफ 23 दिसंबर को हरिद्वार शहर कोतवाली में मामला दर्ज कराया था.

अब तक क्या एक्शन हुआ: पुलिस ने नदीम की शिकायत पर आईपीसी की धारा 153 A, 295 के तहत नरसिंहानंद गिरि, सागर सिंधु महाराज, धर्मदास महाराज, परमानंद महाराज, साध्वी अन्नपूर्णा, स्वामी आनंद स्वरूप, अश्विनी उपाध्याय, सुरेश चव्हाण सहित स्वामी प्रबोधानंद गिरि के खिलाफ धर्म संसद के नाम पर भड़काऊ भाषण देने पर मुकदमा दर्ज कराया. अपनी गिरफ्तारी पर रोक व एफआईआर को निरस्त करने हेतु स्वामी प्रबोधानंद गिरि द्वारा मामले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी.

एसआईटी का हुआ गठन: पूरे मामले की जांच के लिए उत्तराखंड सरकार की तरफ से एक एसआईटी का गठन किया गया था. आरोप था कि इस धर्म संसद में कुछ प्रतिभागियों द्वारा कथित तौर पर अभद्र भाषा का प्रयोग किया गया था. मामले की जांच के लिए पांच सदस्यीय विशेष जांच दल का गठन किया गया है.

नई दिल्ली/देहरादून: उत्तराखंड और हिमाचल में आयोजित धर्म संसद के दौरान दिए गए भड़काऊ भाषणों के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने दोनों राज्यों की सरकारों को फटकार लगाई है. साथ ही कोर्ट ने सरकार की तरफ से उठाए गए कदमों की सूची बनाकर हलफनामा दायर करने के लिए कहा है. इस दौरान हिमाचल प्रदेश की ओर से पेश हुए वकील से सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया. अगर उठाया तो उसकी जानकारी दें.

हिमाचल प्रदेश के ऊना में आयोजित धर्म संसद में नफरत भरे भाषण के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई की शुरुआत में ही सुप्रीम कोर्ट में कपिल सिब्बल ने कहा कि ये पूरे देश में चल रहा है. जो बोला गया वह मैं अदालत में सार्वजनिक तौर पर नहीं बोल सकता हूं.

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से कोई कदम नहीं उठाए गए थे क्या. साथ ही कोर्ट ने सवाल किया कि इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक दिशा-निर्देशों का अनुपालन राज्य सरकार ने किया या नहीं, इस पर हलफनामा दाखिल करें. इस मुद्दे पर जवाब देते हुए हिमाचल प्रदेश के वकील ने कहा कि हमारी ओर से नोटिस जारी किया गया था. ऊना में धर्म संसद खत्म हो चुकी है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप हरेक पहलू का उल्लेख करें कि क्या कदम उठाया गया.

उधर उत्तराखंड सरकार के वकील ने कहा कि हमें दो मिनट पक्ष रखने का मौका दिया जाए. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपको आगे की तारीख दी गई है. स्थिति रिपोर्ट पर विचार करेंगे. उत्तराखंड सरकार ने कहा कि हमने एफआईआर दर्ज करने समेत सभी कदम अदालत के फैसले के मुताबिक उठाए.

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार के वकील को फटकार लगाई और कहा कि- इस तरह से आप तर्क नहीं दे सकते हैं. आप संविधान से बंध हुए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल सरकार के गृह सचिव को धर्म संसद के मामले में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया. साथ ही कहा कि 9 मई को होने वाली अगली सुनवाई से पहले राज्य सरकार को धर्म संसद के दौरान हेट स्पीच के मामले पर उठाए गए कदम हलफनामे में अगली सुनवाई से पहले बताने होंगे.

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार ये सुनिश्चित करे कि कोई भड़काऊ भाषण न दिया जाए. अगर ऐसा हुआ तो जिम्मेदार लोगों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए.

ये भी पढ़ें: जलालपुर में 27 अप्रैल को संत करेंगे महापंचायत, हिंसा के आरोपी इमाम की गिरफ्तारी की मांग

बता दें कि उत्तराखंड के रुड़की में कल यानी 27 अप्रैल को महापंचायत का आयोजन होने वाला है. इससे पहले कई राज्यों में धर्म संसद का आयोजन हो चुका है. इन्हीं आयोजनों में से हिमाचल प्रदेश के ऊना, यूपी के हरिद्वार और दिल्ली में हुई धर्म संसद में भड़काऊ भाषण देने का आरोप है.

हरिद्वार में कब हुई थी धर्म संसद: हरिद्वार में 17 से 19 दिसंबर 2021 को धर्म संसद आयोजित हुई थी. इसमें हिंदुत्व को लेकर साधु-संतों के विवादित भाषणों के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे. जिसके बाद इन वायरल वीडियो के आधार पर कई लोगों ने शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी के खिलाफ 23 दिसंबर को हरिद्वार शहर कोतवाली में मामला दर्ज कराया था.

अब तक क्या एक्शन हुआ: पुलिस ने नदीम की शिकायत पर आईपीसी की धारा 153 A, 295 के तहत नरसिंहानंद गिरि, सागर सिंधु महाराज, धर्मदास महाराज, परमानंद महाराज, साध्वी अन्नपूर्णा, स्वामी आनंद स्वरूप, अश्विनी उपाध्याय, सुरेश चव्हाण सहित स्वामी प्रबोधानंद गिरि के खिलाफ धर्म संसद के नाम पर भड़काऊ भाषण देने पर मुकदमा दर्ज कराया. अपनी गिरफ्तारी पर रोक व एफआईआर को निरस्त करने हेतु स्वामी प्रबोधानंद गिरि द्वारा मामले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी.

एसआईटी का हुआ गठन: पूरे मामले की जांच के लिए उत्तराखंड सरकार की तरफ से एक एसआईटी का गठन किया गया था. आरोप था कि इस धर्म संसद में कुछ प्रतिभागियों द्वारा कथित तौर पर अभद्र भाषा का प्रयोग किया गया था. मामले की जांच के लिए पांच सदस्यीय विशेष जांच दल का गठन किया गया है.

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