ETV Bharat / city

इस शख्स ने घर में बसाई पुरानी टिहरी, विस्थापन के जख्म पर लगाया मरहम

सुबोध ने बड़े ही खूबसूरत तरीके से पुरानी टिहरी की यादों को संजोकर रखा है. अपने बुजुर्गों की प्रेरणा से सुबोध ने अपने घर में पुरानी टिहरी का मॉडल तैयार किया है.

subodh-bahuguna-settle-old-tehri-model-in-his-home
टूटी टाइल्स और कूड़े से बनाई गई पुरानी टिहरी.
author img

By

Published : Dec 28, 2019, 6:34 AM IST

देहरादून: पुरानी टिहरी...एक ऐसा शहर जो अब केवल लोगों की यादों में है. पुरानी टिहरी खुद में सदियों का इतिहास समेटे हुए है. टिहरी झील का निर्माण हुआ तो पुरानी टिहरी इसमें गुम हो गई. विकास की भेंट चढ़े पुरानी टिहरी शहर को हर कोई केवल टिहरी बांध के लिए ही याद करता है. शायद ही किसी को याद होगा कि 28 दिसंबर को पुरानी टिहरी इतिहास के पन्नों में दर्ज हुई थी. इस दिन महाराजा सुदर्शन शाह ने अपनी राजधानी के रूप में पुरानी टिहरी की नींव रखी थी. तब से पुराने और टिहरी को जानने वाले लोग इस दिन को पुरानी टिहरी के जन्मदिन के तौर पर मनाते हैं.

टूटी टाइल्स और कूड़े से बनाई गई पुरानी टिहरी.

ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार 28 दिसंबर 1814 को पुरानी टिहरी की नींव रखी गई थी. टिहरी गढ़वाल के पंवार वंश के प्रथम महाराजा सुदर्शन शाह ने पुरानी टिहरी को अपनी राजधानी बनाया. जानकार लोग बताते हैं कि इस शहर की बाकायदा कुंडली भी हैं. जिसके अनुसार टिहरी का जन्म कुंभ लग्न में हुआ और इसकी राशि सिंह थी. इस शहर की जन्मपत्री के गणना के आधार पर कहा गया था कि यह शहर अल्पायु का है. जो कि सच साबित हुआ. 186 बंसत देखने के बाद ये ऐतिहासिक शहर को जलमग्न हो गया.

पढ़ें-CM त्रिवेंद्र ने किया नेशनल हैंडलूम एक्सपो का उद्घाटन, 12 जनवरी तक चलेगा आयोजन

पुरानी टिहरी से प्यार करने वाले लोगों को जहन में आज भी पुरानी टिहरी यादें ताजा है. जिसका नजारा हमें देहरादून में बल्लूपुर चौक के वनस्थली के रहने वाले सुबोध बहुगुणा के यहां देखने को मिलता है. सुबोध ने बड़े ही खूबसूरत तरीके से पुरानी टिहरी की यादों को संजोकर रखा है. सुबोध बहुगुणा ने अपने बुजुर्गों की प्रेरणा से अपने घर में पुराने टिहरी शहर का मॉडल तैयार किया है. इस मॉडल को देखते ही पुरानी टिहरी की धुंधली पड़ चुकी यादें बरबस ताजा हो जाती है.

पढ़ें-मसूरी विंटर लाइन कार्निवल: कृष्ण रासलीला देख दर्शक कह उठे वाह!

ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए सुबोध बताते हैं कि पुरानी टिहरी के मॉडल को तैयार करने में उन्होंने बेकार सामान जैसे टाइल्स के टुकड़े, ईंट, पुराने गद्दे की रुई और सीमेंट का प्रयोग किया है.

पढ़ें-नो टू सिंगल यूज प्लास्टिक : गाना गाकर लोगों को जागरूक कर रहे हैं मंडला के श्याम बैरागी

इस पुरानी टिहरी की मॉडल में पुरानी टिहरी का घंटाघर, राजा का दरबार, प्रताप इंटर कॉलेज, पुरानी टिहरी बस अड्डा, आजाद मैदान और टिहरी बाजार की स्मृतियां साफ तौर पर देखी जा सकती है. पुराने दिनों को नम आंखों से याद करते हुए सुबोध कहते हैं कि उन्हें पुरानी टिहरी के जलमग्न होने का गम है. लेकिन, उन्हें इस बात पर गर्व है कि विकास के लिए उनकी टिहरी ने खुद को न्यौछावर कर दिया.

देहरादून: पुरानी टिहरी...एक ऐसा शहर जो अब केवल लोगों की यादों में है. पुरानी टिहरी खुद में सदियों का इतिहास समेटे हुए है. टिहरी झील का निर्माण हुआ तो पुरानी टिहरी इसमें गुम हो गई. विकास की भेंट चढ़े पुरानी टिहरी शहर को हर कोई केवल टिहरी बांध के लिए ही याद करता है. शायद ही किसी को याद होगा कि 28 दिसंबर को पुरानी टिहरी इतिहास के पन्नों में दर्ज हुई थी. इस दिन महाराजा सुदर्शन शाह ने अपनी राजधानी के रूप में पुरानी टिहरी की नींव रखी थी. तब से पुराने और टिहरी को जानने वाले लोग इस दिन को पुरानी टिहरी के जन्मदिन के तौर पर मनाते हैं.

टूटी टाइल्स और कूड़े से बनाई गई पुरानी टिहरी.

ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार 28 दिसंबर 1814 को पुरानी टिहरी की नींव रखी गई थी. टिहरी गढ़वाल के पंवार वंश के प्रथम महाराजा सुदर्शन शाह ने पुरानी टिहरी को अपनी राजधानी बनाया. जानकार लोग बताते हैं कि इस शहर की बाकायदा कुंडली भी हैं. जिसके अनुसार टिहरी का जन्म कुंभ लग्न में हुआ और इसकी राशि सिंह थी. इस शहर की जन्मपत्री के गणना के आधार पर कहा गया था कि यह शहर अल्पायु का है. जो कि सच साबित हुआ. 186 बंसत देखने के बाद ये ऐतिहासिक शहर को जलमग्न हो गया.

पढ़ें-CM त्रिवेंद्र ने किया नेशनल हैंडलूम एक्सपो का उद्घाटन, 12 जनवरी तक चलेगा आयोजन

पुरानी टिहरी से प्यार करने वाले लोगों को जहन में आज भी पुरानी टिहरी यादें ताजा है. जिसका नजारा हमें देहरादून में बल्लूपुर चौक के वनस्थली के रहने वाले सुबोध बहुगुणा के यहां देखने को मिलता है. सुबोध ने बड़े ही खूबसूरत तरीके से पुरानी टिहरी की यादों को संजोकर रखा है. सुबोध बहुगुणा ने अपने बुजुर्गों की प्रेरणा से अपने घर में पुराने टिहरी शहर का मॉडल तैयार किया है. इस मॉडल को देखते ही पुरानी टिहरी की धुंधली पड़ चुकी यादें बरबस ताजा हो जाती है.

पढ़ें-मसूरी विंटर लाइन कार्निवल: कृष्ण रासलीला देख दर्शक कह उठे वाह!

ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए सुबोध बताते हैं कि पुरानी टिहरी के मॉडल को तैयार करने में उन्होंने बेकार सामान जैसे टाइल्स के टुकड़े, ईंट, पुराने गद्दे की रुई और सीमेंट का प्रयोग किया है.

पढ़ें-नो टू सिंगल यूज प्लास्टिक : गाना गाकर लोगों को जागरूक कर रहे हैं मंडला के श्याम बैरागी

इस पुरानी टिहरी की मॉडल में पुरानी टिहरी का घंटाघर, राजा का दरबार, प्रताप इंटर कॉलेज, पुरानी टिहरी बस अड्डा, आजाद मैदान और टिहरी बाजार की स्मृतियां साफ तौर पर देखी जा सकती है. पुराने दिनों को नम आंखों से याद करते हुए सुबोध कहते हैं कि उन्हें पुरानी टिहरी के जलमग्न होने का गम है. लेकिन, उन्हें इस बात पर गर्व है कि विकास के लिए उनकी टिहरी ने खुद को न्यौछावर कर दिया.

Intro:File send from FTP

FtP- Folder - uk_deh_05_tehri_janamdin_pkg_7201636

देहरादून- इस साल पुराने टिहरी को बांध के जलाशय में जलमग्न हुए 31 जुलाई को 15 साल पूरे हो चुके हैं । जानकारी के लिए बता दें कि 31 जुलाई 2004 यह वह दिन था जब पूरा टिहरी शहर बांध के जलाशय में जलमग्न हो गया था । लेकिन आज भी टिहरी के लोग हर साल 28 दिसंबर को अपनी पुरानी टिहरी को याद कर टिहरी का जन्मदिन मनाते है।

बता दें कि ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार 28 दिसंबर 1814 कोर्ट टिहरी की नींव रखी गई थी टिहरी गढ़वाल के पवार वर्षीय प्रथम महाराजा सुदर्शन शाह ने टिहरी को अपनी राजधानी बनाया था। पंडितों व ज्योतिष के अनुसार टीवी का जन्म कुंभ लग्न में हुआ और इसकी सिंह राशि थी इस शहर की जन्मपत्री के गणना के आधार पर कहा गया कि यह शहर की उम्र अल्पायु है और यह शहर 186 साल की उम्र जिएगा शायद इसीलिए टिहरी शहर को राष्ट्रहित के लिए जल समाधि लेनी पड़ी।

गौरतलब है कि सूबे की राजधानी देहरादून के बल्लूपुर चौक स्थित वनस्थली के रहने वाले सुबोध बहुगुणा ने बीते कई सालों से पुरानी टिहरी की यादों को कुछ अलग अंदाज में संजोय रखा । दरअसल सुबोध बहुगुणा ने अपने बुजुर्गों और पिता स्वर्गीय गोपाल राम बहुगुणा की प्रेरणा पर अपने घर में ही पुराने टिहरी शहर की प्रतिकृति तैयार की हुई है । जिसे देखकर आज भी टिहरी डूब क्षेत्र के विस्थापित लोगो की पुरानी टिहरी से जुड़ी कई यादें ताज़ा हो जाती हैं ।

ईटीवी भारत से खास बातचीत में पुरानी टिहरी की प्रतिकृति तैयार करने वाले सुबोध बहुगुणा ने बताया कि पुरानी टिहरी कि इस प्रतिकृति को उन्होंने अपने पिता स्वर्गीय गोपालराम बहुगुणा के मार्ग दर्शन में तैयार किया है ।

पुरानी टिहरी की इस प्रतिकृति को तैयार करने में उन्होंने कूड़े- कर्कट जैसे घरों में इस्तेमाल होने वाली टाइल्स के टुकड़े, ईंट के टुकड़े , पुराने गद्दे की रुई, और सीमेंट इत्यादि का प्रयोग किया है।




Body:बता दें कि इस पुरानी टिहरी की प्रतिकृति में आप पुरानी टिहरी के घंटाघर , राजा का दरबार, प्रताप इंटर कॉलेज, बस अड्डा , आजाद मैदान , टिहरी बाजार की स्मृतियां देख सकते हैं ।

ईटीवी भारत से खास बातचीत में पुरानी टिहरी को याद करते हुए सुबोध बहुगुणा का कहना था की उन्हें अपनी पुरानी टिहरी के जलमग्न होने का गम तो जरूर है । लेकिन उन्हें इस बात पर गर्व भी महसूस होता है कि उनके टिहरी शहर ने बांध के पानी में समाकर खुद को विकास के लिए समर्पित किया है ।

पुरानी टिहरी को याद करते हुए उनका कहना था कि उनकी पुरानी टिहरी एक खूबसूरत शहर होने के साथ ही अनेकता में एकता का प्रतीक भी थी । जिस एकता के साथ पुरानी टिहरी में लोग रहा करते थे । वह एकता और भाईचारा आज कहीं देखने को नही मिलता ।












Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.