देहरादून: पुरानी टिहरी...एक ऐसा शहर जो अब केवल लोगों की यादों में है. पुरानी टिहरी खुद में सदियों का इतिहास समेटे हुए है. टिहरी झील का निर्माण हुआ तो पुरानी टिहरी इसमें गुम हो गई. विकास की भेंट चढ़े पुरानी टिहरी शहर को हर कोई केवल टिहरी बांध के लिए ही याद करता है. शायद ही किसी को याद होगा कि 28 दिसंबर को पुरानी टिहरी इतिहास के पन्नों में दर्ज हुई थी. इस दिन महाराजा सुदर्शन शाह ने अपनी राजधानी के रूप में पुरानी टिहरी की नींव रखी थी. तब से पुराने और टिहरी को जानने वाले लोग इस दिन को पुरानी टिहरी के जन्मदिन के तौर पर मनाते हैं.
ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार 28 दिसंबर 1814 को पुरानी टिहरी की नींव रखी गई थी. टिहरी गढ़वाल के पंवार वंश के प्रथम महाराजा सुदर्शन शाह ने पुरानी टिहरी को अपनी राजधानी बनाया. जानकार लोग बताते हैं कि इस शहर की बाकायदा कुंडली भी हैं. जिसके अनुसार टिहरी का जन्म कुंभ लग्न में हुआ और इसकी राशि सिंह थी. इस शहर की जन्मपत्री के गणना के आधार पर कहा गया था कि यह शहर अल्पायु का है. जो कि सच साबित हुआ. 186 बंसत देखने के बाद ये ऐतिहासिक शहर को जलमग्न हो गया.
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पुरानी टिहरी से प्यार करने वाले लोगों को जहन में आज भी पुरानी टिहरी यादें ताजा है. जिसका नजारा हमें देहरादून में बल्लूपुर चौक के वनस्थली के रहने वाले सुबोध बहुगुणा के यहां देखने को मिलता है. सुबोध ने बड़े ही खूबसूरत तरीके से पुरानी टिहरी की यादों को संजोकर रखा है. सुबोध बहुगुणा ने अपने बुजुर्गों की प्रेरणा से अपने घर में पुराने टिहरी शहर का मॉडल तैयार किया है. इस मॉडल को देखते ही पुरानी टिहरी की धुंधली पड़ चुकी यादें बरबस ताजा हो जाती है.
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ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए सुबोध बताते हैं कि पुरानी टिहरी के मॉडल को तैयार करने में उन्होंने बेकार सामान जैसे टाइल्स के टुकड़े, ईंट, पुराने गद्दे की रुई और सीमेंट का प्रयोग किया है.
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इस पुरानी टिहरी की मॉडल में पुरानी टिहरी का घंटाघर, राजा का दरबार, प्रताप इंटर कॉलेज, पुरानी टिहरी बस अड्डा, आजाद मैदान और टिहरी बाजार की स्मृतियां साफ तौर पर देखी जा सकती है. पुराने दिनों को नम आंखों से याद करते हुए सुबोध कहते हैं कि उन्हें पुरानी टिहरी के जलमग्न होने का गम है. लेकिन, उन्हें इस बात पर गर्व है कि विकास के लिए उनकी टिहरी ने खुद को न्यौछावर कर दिया.