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केदारनाथ त्रासदी के 6 साल: अपनों को खोने का दर्द क्या होता है, देवेंद्र से जानिए

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Published : Jun 14, 2019, 11:43 AM IST

Updated : Jun 14, 2019, 2:30 PM IST

केदारनाथ त्रासदी को 6 साल गुजर चुके हैं लेकिन पीड़ित लोगों की आंखों में 6 साल गुजर जाने के बाद भी अपनों को खोने का दर्द साफ झलकता है. ऐसे ही एक शख्स हैं देवेंद्र सिंह बिष्ट. बिष्ट अपने छोटे भाई, पत्नी, 2 बच्चे, सास और साला-साली को उस खौफनाक रात को खो चुके हैं. उन्हें आज भी किसी चमत्कार का इंतजार है.

केदारनाथ त्रासदी में अपनों को खोने वाले देवेंद्र.

देहरादून: 16 जून साल 2013 को केदारघाटी में आई भयानक त्रासदी को भला कोई कैसे भूल सकता है. ये वो त्रासदी थी, जिसे हिमालय के इतिहास की सबसे भयानक त्रासदी माना जाता है. इस त्रासदी को 6 साल का समय बीत चुका है. लेकिन जिन लोगों ने इस भयानक त्रासदी का मंजर देखा, जिन लोगों ने अपने प्रियजनों को खोया है, उन लोगों की आंखों में 6 साल गुजर जाने के बाद भी अपनों को खोने का दर्द साफ झलकता है. इस भयानक मंजर को अपने सामने देखने वाले हजारों लोगों में देहरादून के देवेंद्र भी हैं, जिन्होंने अपने परिवार के 7 लोगों को हमेशा के लिए खो दिया.

केदारनाथ त्रासदी में अपनों को खो चुके हैं देवेंद्र सिंह बिष्ट.

देहरादून के रहने वाले देवेंद्र सिंह बिष्ट ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. इस दौरान कैमरे के सामने उनकी आंखें भी नम हो गईं. देवेंद्र सिंह ने बताया कि 12 जून 2013 को उनके छोटे भाई, अपनी पत्नी, 2 बच्चे, सास और साला-साली के साथ अचानक ही बाबा केदार के दर्शनों के लिए निकल गए. इस दौरान हालांकि बारिश का दौर शुरू हो चुका था, लेकिन किसी को इस बात का अहसास नहीं था कि बारिश जल प्रलय का रूप ले लेगी.

पढ़ें- केदारनाथ आपदा: 16 जून 2013 की खौफनाक रात की याद से सिहर उठती है आत्मा, आज भी हरे हैं जख्म

देवेंद्र आगे बताते हैं कि उनकी छोटे भाई से 15 जून 2013 को टेलीफोन पर आखिरी बार बात हुई थी. इस दौरान उनका छोटा भाई अपने साथ गए सभी लोगों के साथ बाबा केदार के दर्शन करके पैदल लौट रहे थे. लेकिन तेज बारिश के चलते वे सभी एक स्थान पर रुककर बारिश के थमने का इंतजार कर रहे थे. उसके बाद न उनसे बात हुई और न ही उनकी कोई खबर पता लगी.

देवेंद्र कहते हैं कि उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों को ढूंढने की बहुत कोशिश की. कई सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाए लेकिन दुर्भाग्यवश उन्हें अपने प्रियजनों के शवों को देख पाना तक नसीब नहीं हुआ. यही कारण है कि उस भयानक त्रासदी को आज 6 साल का समय बीत चुका है. लेकिन अब भी उन्हें यह महसूस होता है कि शायद ऊपरवाले के किसी चमत्कार से उनके सभी प्रियजन घर वापस लौट आएं.

देहरादून: 16 जून साल 2013 को केदारघाटी में आई भयानक त्रासदी को भला कोई कैसे भूल सकता है. ये वो त्रासदी थी, जिसे हिमालय के इतिहास की सबसे भयानक त्रासदी माना जाता है. इस त्रासदी को 6 साल का समय बीत चुका है. लेकिन जिन लोगों ने इस भयानक त्रासदी का मंजर देखा, जिन लोगों ने अपने प्रियजनों को खोया है, उन लोगों की आंखों में 6 साल गुजर जाने के बाद भी अपनों को खोने का दर्द साफ झलकता है. इस भयानक मंजर को अपने सामने देखने वाले हजारों लोगों में देहरादून के देवेंद्र भी हैं, जिन्होंने अपने परिवार के 7 लोगों को हमेशा के लिए खो दिया.

केदारनाथ त्रासदी में अपनों को खो चुके हैं देवेंद्र सिंह बिष्ट.

देहरादून के रहने वाले देवेंद्र सिंह बिष्ट ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. इस दौरान कैमरे के सामने उनकी आंखें भी नम हो गईं. देवेंद्र सिंह ने बताया कि 12 जून 2013 को उनके छोटे भाई, अपनी पत्नी, 2 बच्चे, सास और साला-साली के साथ अचानक ही बाबा केदार के दर्शनों के लिए निकल गए. इस दौरान हालांकि बारिश का दौर शुरू हो चुका था, लेकिन किसी को इस बात का अहसास नहीं था कि बारिश जल प्रलय का रूप ले लेगी.

पढ़ें- केदारनाथ आपदा: 16 जून 2013 की खौफनाक रात की याद से सिहर उठती है आत्मा, आज भी हरे हैं जख्म

देवेंद्र आगे बताते हैं कि उनकी छोटे भाई से 15 जून 2013 को टेलीफोन पर आखिरी बार बात हुई थी. इस दौरान उनका छोटा भाई अपने साथ गए सभी लोगों के साथ बाबा केदार के दर्शन करके पैदल लौट रहे थे. लेकिन तेज बारिश के चलते वे सभी एक स्थान पर रुककर बारिश के थमने का इंतजार कर रहे थे. उसके बाद न उनसे बात हुई और न ही उनकी कोई खबर पता लगी.

देवेंद्र कहते हैं कि उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों को ढूंढने की बहुत कोशिश की. कई सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाए लेकिन दुर्भाग्यवश उन्हें अपने प्रियजनों के शवों को देख पाना तक नसीब नहीं हुआ. यही कारण है कि उस भयानक त्रासदी को आज 6 साल का समय बीत चुका है. लेकिन अब भी उन्हें यह महसूस होता है कि शायद ऊपरवाले के किसी चमत्कार से उनके सभी प्रियजन घर वापस लौट आएं.

Intro:Desk this is a 'Special story'
on Kedarnath Aapda 2013 .

Sending the interview from FTP .

देहरादून- 16 जून साल 2013 को केदारघाटी में आई भयानक त्रासदी को भला कोई कैसे भूल सकता है । यह वह त्रासदी थी जिसे पूरे हिमालय के इतिहास की सबसे भयानक त्रासदी बताया जाता था। हालांकि इस त्रासदी को हुए पूरे 6 साल का समय अब बीत चुका हैं । लेकिन इसके बावजूद जिन लोगों ने इस भयानक त्रासदी को देखा है या जिन लोगो ने इस त्रासदी में अपने प्रियजनों को खोया है उन लोगों की आंखों में 6 साल गुजर जाने के बावजूद भी अपनो को खोने का दर्द साफ झलकता है ।

सूबे की राजधानी देहरादून के रहने वाले देवेंद्र सिंह बिष्ट उन लोगों में से हैं जिन्होंने इस भयानक त्रासदी में अपने छोटे भाई समेत परिवार के कुल 6 सदस्यों को हमेशा- हमेशा के लिए खो दिया। लेकिन देवेंद्र सिंह बिष्ट जी की दुख भरी दास्तान सिर्फ यहीं खत्म नहीं होती। ईटीवी भारत से खास बातचीत में देवेंद्र बिष्ट जी ने खुलकर अपने दिल का दर्द हमारे कैमरे का सामने बयां किया जिसे सुन कर आपकी भी आंखे जरूर नम हो जाएगी।


Body:ईटीवी भारत से खास बातचीत में देवेंद्र सिंह बिष्ट ने बताया की 12 जून 2013 को उनके छोटे भाई, अपनी पत्नी, 2 बच्चों , सास और साला- साली के साथ अचानक ही बाबा केदार के दर्शनों के लिए निकल गए । इस दौरान हालांकि बारिश का दौर शुरू हो चुका था लेकिन किसी को इस बात का अहसास नहीं था कि वर्षा देखते ही देखते एक जल प्रलय में बदल जाएगी।

देवेंद्र बताते हैं कि टेलीफोन पर उनकी आखिरी बार अपने छोटे भाई से 15 जून 2013 को बात हुई थी । इस दौरान उनका छोटा भाई अपने साथ गए सभी लोगों के साथ बाबा केदार के दर्शन कर पैदल लौट रहे थे । लेकिन तेज बारिश के चलते वह सभी एक स्थान पर रुक कर बारिश के थमने का इंतजार करने लगे। लेकिन इसी दौरान अचानक ही जल सैलाब आ गया । जो सभी को अपने साथ बहा ले गया ।

गौरतलब है कि अपनों को खोने के दुख से बड़ा दुख कोई नहीं है लेकिन उस दुख को आप क्या कहेंगे जब एक शख्स को अपने मृत परिवार जनों के शव को देखने का आखिरी अवसर भी नसीब न हो पाए । कुछ ऐसा ही हुआ है देवेंद्र सिंह बिष्ट जी के साथ ।




Conclusion:देवेंद्र बताते हैं कि उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों को ढूंढने की बहुत कोशिश की । कई सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाए। लेकिन दुर्भाग्यवश उन्हें अपने प्रियजनों के शवों को देख पाना तक नसीब नही हुआ । यही कारण है कि उस भयानक त्रासदी को आज 6 साल का समय बीत चुका है। लेकिन अब भी उन्हें यह महसूस होता है कि शायद ऊपरवाले के किसी चमत्कार से उनके सभी प्रियजन घर वापस लौट आएं ।

one to one Devendra Singh Bisht
Last Updated : Jun 14, 2019, 2:30 PM IST
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