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पालिका अध्यक्ष ने किया गढ़वाली फिल्म 'पितृकुड़ा' के गीत का लोकार्पण

मसूरी में नगर पालिका अध्यक्ष ने गढ़वाली फिल्म पितृकुड़ा के गीत का लोकार्पण किया.

Mussoorie News
गढ़वाली फिल्म पितृकुड़ा के गीत का लोकार्पण
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Published : Jul 31, 2021, 9:12 AM IST

Updated : Jul 31, 2021, 9:51 AM IST

मसूरी: लाइब्रेरी स्थित एक होटल के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में पीबी फिल्म के तत्वाधान में गढ़वाली फिल्म पितृकुड़ा संस्कार के शीर्षक गीत का लोकार्पण किया गया. इस मौके पर मुख्य अतिथि मसूरी नगर पालिका अध्यक्ष अनुज गुप्ता, विशिष्ट अतिथि सारेगामा फेम गायिका डॉ. सोनिया आनंद रावत, संगीतकार संजय कुमोला, गायक जितेंद्र पंवार, कमल भडारी, तथा इतिहासकार जयप्रकाश उत्तराखण्डी द्वारा संयुक्त रूप से किया गया.

मसूरी के लाइब्रेरी लाइब्रेरी स्थित एक होटल के सभागार में गढ़वाली फिल्म पितृकुड़ा के टाइटल गीत का लोकार्पण किया गया. इस मौके पर मुख्य अतिथि पालिकाध्यक्ष अनुज गुप्ता ने कहा कि प्रदीप भंडारी द्वारा बनाई जाने वाली फिल्म पितृकुड़ा का गीत बेहद मार्मिक है जो यहां की समृद्ध परंपरा का द्योतक है. उन्होंने कहा कि यह ऐसा विषय है जो हर किसी के मन को छू जाता है. उन्होंने बधाई देते हुए कहा कि यह फिल्म निश्चित ही उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत में आगे बढ़ाने के लिए मील का पत्थर साबित होगा.

पालिका अध्यक्ष ने किया गढ़वाली फिल्म 'पितृकुड़ा' के गीत का लोकार्पण.

पढ़ें-उत्तराखंड पुलिस रैंकर परीक्षा परिणाम अधर में लटका, जानिए क्या है कारण

पहाड़ की परंपराओं से जुड़ी ऐसी फिल्में उत्तराखंड की गौरवशाली संस्कृति को बचाने का काम करती हैं. कार्यक्रम में फिल्म के निर्देशक व लेखक प्रदीप भंडारी ने कहा कि विश्व में यह परंपरा और कहीं नहीं पाई जाती है, जहं लोग अपने दिवंगत परिजनों को मृत्यु पश्चात देवलिंग के रूप में स्थापित कर देते हैं. शीघ्र ही लोगों को इस ऐतिहासिक विषय पर फिल्म देखने को मिलेगी. गायिका व समाज सेवी डॉ. सोनिया आनंद रावत ने कहा कि आज उत्तराखंड की युवा पीढ़ी को अपनी इस अनमोल परंपराओं को जानने की जरूरत है. फिल्म पितृकुड़ा नई पीढ़ी को अपने इतिहास से जोड़ेगी.

पढ़ें-CM पुष्कर सिंह धामी ने कहा- 24 हजार सरकारी पदों पर जल्द शुरू होगी भर्ती प्रक्रिया

इस मौके पर उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार उत्तराखंड की संस्कृति को बढ़ाने की दिशा में काम नहीं कर रही न ही कलाकारों को सम्मान दे रही है. पितृकुड़ा एक ओर जहां हमारे पितरों की याद दिलाता है वहीं पलायन को भी दर्शाता है. चित्रगीत में पितृकुड़ा के महत्व एवं पलायन के कारण पहाड़ के पितृकुड़ों (पितृ आवास) की अनदेखी के कारण पितृकुड़ों की दुदर्शा को दर्शाया गया है. फिल्म के गीत को आवाज गायक जितेन्द्र पंवार और संगीत संजय कुमोला ने दिया है. गीत प्रदीप भंडारी ने लिखा है. वहीं कार्यक्रम का संचालन उत्तराखंड फिल्मों के अभिनेता गंभीर ज्याड़ा ने किया.

मसूरी: लाइब्रेरी स्थित एक होटल के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में पीबी फिल्म के तत्वाधान में गढ़वाली फिल्म पितृकुड़ा संस्कार के शीर्षक गीत का लोकार्पण किया गया. इस मौके पर मुख्य अतिथि मसूरी नगर पालिका अध्यक्ष अनुज गुप्ता, विशिष्ट अतिथि सारेगामा फेम गायिका डॉ. सोनिया आनंद रावत, संगीतकार संजय कुमोला, गायक जितेंद्र पंवार, कमल भडारी, तथा इतिहासकार जयप्रकाश उत्तराखण्डी द्वारा संयुक्त रूप से किया गया.

मसूरी के लाइब्रेरी लाइब्रेरी स्थित एक होटल के सभागार में गढ़वाली फिल्म पितृकुड़ा के टाइटल गीत का लोकार्पण किया गया. इस मौके पर मुख्य अतिथि पालिकाध्यक्ष अनुज गुप्ता ने कहा कि प्रदीप भंडारी द्वारा बनाई जाने वाली फिल्म पितृकुड़ा का गीत बेहद मार्मिक है जो यहां की समृद्ध परंपरा का द्योतक है. उन्होंने कहा कि यह ऐसा विषय है जो हर किसी के मन को छू जाता है. उन्होंने बधाई देते हुए कहा कि यह फिल्म निश्चित ही उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत में आगे बढ़ाने के लिए मील का पत्थर साबित होगा.

पालिका अध्यक्ष ने किया गढ़वाली फिल्म 'पितृकुड़ा' के गीत का लोकार्पण.

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पहाड़ की परंपराओं से जुड़ी ऐसी फिल्में उत्तराखंड की गौरवशाली संस्कृति को बचाने का काम करती हैं. कार्यक्रम में फिल्म के निर्देशक व लेखक प्रदीप भंडारी ने कहा कि विश्व में यह परंपरा और कहीं नहीं पाई जाती है, जहं लोग अपने दिवंगत परिजनों को मृत्यु पश्चात देवलिंग के रूप में स्थापित कर देते हैं. शीघ्र ही लोगों को इस ऐतिहासिक विषय पर फिल्म देखने को मिलेगी. गायिका व समाज सेवी डॉ. सोनिया आनंद रावत ने कहा कि आज उत्तराखंड की युवा पीढ़ी को अपनी इस अनमोल परंपराओं को जानने की जरूरत है. फिल्म पितृकुड़ा नई पीढ़ी को अपने इतिहास से जोड़ेगी.

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इस मौके पर उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार उत्तराखंड की संस्कृति को बढ़ाने की दिशा में काम नहीं कर रही न ही कलाकारों को सम्मान दे रही है. पितृकुड़ा एक ओर जहां हमारे पितरों की याद दिलाता है वहीं पलायन को भी दर्शाता है. चित्रगीत में पितृकुड़ा के महत्व एवं पलायन के कारण पहाड़ के पितृकुड़ों (पितृ आवास) की अनदेखी के कारण पितृकुड़ों की दुदर्शा को दर्शाया गया है. फिल्म के गीत को आवाज गायक जितेन्द्र पंवार और संगीत संजय कुमोला ने दिया है. गीत प्रदीप भंडारी ने लिखा है. वहीं कार्यक्रम का संचालन उत्तराखंड फिल्मों के अभिनेता गंभीर ज्याड़ा ने किया.

Last Updated : Jul 31, 2021, 9:51 AM IST
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