देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कहां से उपचुनाव लड़ेंगे इस पर से सस्पेंस खत्म हो गया है. पहले सीएम किस सीट से उपचुनाव लड़ेंगे इसको लेकर कई किंतु-परंतु चल रहे थे. मगर चंपावत के बीजेपी विधायक कैलाश चंद्र गहतोड़ी के अपनी सीट से इस्तीफा देने के बाद साफ हो गया कि सीएम धामी चंपावत से ही चुनाव लड़ेंगे. सीएम ने भी आज गहतोड़ी के इस्तीफे के बाद बता दिया कि वो चंपावत से चुनाव लड़ेंगे.
कौन हैं कैलाश गहतोड़ी: कैलाश गहतोड़ी का जन्म 15 अगस्त 1968 को हुआ. गहतोड़ी भारतीय जनता पार्टी के एक समर्पित कार्यकर्ता नेता हैं. 53 साल के गहतोड़ी उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में बीजेपी के टिकट पर चंपावत सीट से जीते थे. कैलाश गहतोड़ी ने उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2017 में भी जीत हासिल की थी. वो अपनी स्पष्टवादिता के लिए जाने जाते हैं.
धामी के हारते ही सीट ऑफर की थी: कैलाश गहतोड़ी बीजेपी के पहले विधायक थे जिन्होंने सबसे पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए अपनी सीट ऑफर की थी. उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 के परिणाम 10 मार्च को जब घोषित हुए तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अप्रत्याशित रूप से अपनी परंपरागत सीट खटीमा से चुनाव हार गए थे. बीजेपी को जब पूर्ण बहुमत मिल गया तो उसी दिन कैलाश गहतोड़ी ने घोषणा कर दी कि वो धामी के लिए अपनी सीट से इस्तीफा देने को तैयार हैं. ये तब हुआ था जब बीजेपी ने धामी को दूसरी बार मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा नहीं की थी. हालांकि इसके बाद कई दूसरे विधायकों ने धामी के लिए अपनी सीट खाली करने की पेशकश की थी.
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चंपावत से ही क्यों लड़ेंगे सीएम धामी: चंपावत सीट को जातिगत समीकरणों के आधार पर धामी के लिए आसान माना जा रहा है. पहाड़ी जिले की इस सीट पर करीब 54 फीसदी ठाकुर मतदाता हैं. सीएम धामी भी ठाकुर हैं. इस सीट पर 24 फीसदी ब्राह्मण हैं. ब्राह्मणों को परंपरागत रूप से बीजेपी का वोटर माना जाता है. चंपावत सीट पर 18 फीसदी दलित और चार फीसदी मुस्लिम वोटर भी हैं. इस तरह वोटों के गुणा-गणित को देखते हुए बीजेपी ने सीएम धामी को चंपावत से उपचुनाव लड़ाना मुफीद समझा.
ये भी है कारण: सीएम धामी खटीमा सीट से चुनाव लड़ते रहे हैं. उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में धामी को अपनी परंपरागत सीट खटीमा में हार का सामना करना पड़ा. चंपावत सीट सीएम धामी की परंपरागत खटीमा सीट से सटी हुई है. इसलिए वह यहां के राजनीतिक, जातिगत और क्षेत्रीय समीकरणों से भी परिचित हैं. इस कारण सीएम पुष्कर सिंह धामी ने चंपावत सीट को चुना होगा.
चंपावत से सीएम धामी का रिश्ता: चंपावत जिला पहले पिथौरागढ़ जिले का हिस्सा था. सीएम धामी का जन्म पिथौरागढ़ में ही हुआ था. इस तरह पिथौरागढ़ सीएम धामी का पैतृक जिला हुआ. चंपावत 15 सितंबर 1997 में पिथौरागढ़ से अलग करके स्वतंत्र जिला बनाया गया था. इस कारण चंपावत के लोगों में सीएम धामी को लेकर अपने जिले का वासी होने की फीलिंग भी होगी. बीजेपी इस फीलिंग को वोटों में तब्दील करना चाहेगी.
सीएम धामी ने क्या कहा: गहतोड़ी के इस्तीफा देने के बाद सीएम धामी ने कहा कि मां पूर्णागिरि और मां शारदा ने मुझे बुलाया है. सीएम ने ये भी कहा कि चंपावत मां बाराही देवी का धाम है. गोल्ज्यू का धाम है. मैं शारदा किनारे ही पैदा हुआ, इसलिए यहां से लगाव है. कैलाश गहतोड़ी के चंपावत विधानसभा सीट से इस्तीफा देने के बाद सीएम धामी ने यहां से चुनाव लड़ने के अनेक कारण बताए.
जून तक हो सकते हैं उपचुनाव: कैलाश गहतोड़ी ने जिस तरह आज इस्तीफा दिया, उससे ऐसा लग रहा है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जल्द से जल्द उपचुनाव जीतना चाहते हैं. चुनाव जीतने के बाद विधानसभा का सदस्य बन धामी मुख्यमंत्री पद को लेकर निश्चिंत हो जाएंगे. बीजेपी की पिछली सरकार में तीरथ सिंह रावत मुख्यमंत्री बनने के बाद 6 महीने के अंदर चुनाव नहीं हो पाने की परिस्थिति में मुख्यमंत्री पद से हटे थे.
उपचुनाव की क्या होगी प्रक्रिया: विधानसभा अध्यक्ष को गहतोड़ी का इस्तीफा मिलने के बाद विधानसभा सचिवालय चुनाव आयोग को एक सीट खाली होने की सूचना देगा. इसके बाद आयोग उपचुनाव की तैयारी करेगा. माना जा रहा है कि जून तक उपचुनाव हो सकता है. गौरतलब है कि धामी अपनी विधानसभा खटीमा से चुनाव हारने के बाद भी मुख्यमंत्री बने हैं. इसलिए उन्हें उपचुनाव जीतकर विधानसभा सदस्यता सुनिश्चित करनी है.
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क्या होता है उपचुनाव: उपचुनाव मुख्य चुनाव के बाद होने वाला चुनाव है जो मुख्य चुनाव न हो पाने की स्थिति में करवाया जाता है. ज्यादातर मामलों में ये चुनाव किसी चुने गए प्रतिनिधि के निधन, किसी के इस्तीफा देने या किसी के अपात्र घोषित होने के कारण होता है. चंपावत सीट से बीजेपी के विधायक कैलाश चंद्र गहतोड़ी ने इस्तीफा दिया है, इसलिए यहां उपचुनाव होगा.