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रेलवे ने दिया मसूरी बस स्टैंड खाली करने का अल्टीमेटम, सालों से नहीं दिया जमीन का किराया

रेलवे विभाग ने आगामी 31 जुलाई तक बस स्टैंड की जगह खाली करने की चेतावनी दी है. इतना ही नहीं रेलवे ने अगले 12 दिनों के अंदर जगह न खाली होने की दशा में बस स्टैंड की जगह को मजबूरन खाली कराने की बात भी कही है.

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Published : Jul 19, 2019, 11:25 PM IST

Updated : Jul 20, 2019, 2:25 PM IST

रेलवे विभाग ने दिया मसूरी बस स्टैंड को बंद करने का अल्टीमेटम.

देहरादून: रेलवे स्टेशन से सटे मसूरी रोडवेज बस स्टैंड को रेलवे विभाग ने पत्र जारी कर बस स्टैंड की जगह खाली करने का अल्टीमेटम दिया है. साल 1957 के बाद रेलवे की जमीन पर संचालित होने वाले मसूरी बस अड्डे की जमीन का किराया भुगतान न होने के कारण रेलवे विभाग ने ये कदम उठाया है. रेलवे विभाग ने आगामी 31 जुलाई तक बस स्टैंड की जगह खाली करने की चेतावनी दी है. इतना ही नहीं, रेलवे ने अगले 12 दिनों के अंदर जगह न खाली होने की दशा में बस स्टैंड की जगह को मजबूरन खाली कराने की बात भी कही है. वहीं इस मामले पर अब भी परिवहन विभाग आंखें मूंदें बैठा है.

बता दें कि रेलवे स्टेशन से सटे मसूरी बस स्टैंड से हर दिन 95 पर्वतीय क्षेत्रों में बसे संचालित की जाती हैं, जिसमें से 18 बसें मसूरी के लिए संचालित की जाती है. जहां से देश-विदेश से आने वाले पर्यटक मसूरी पहुंचते हैं. इसी बस स्टैंड से राज्य के पर्वतीय मार्गों पर बसों का प्रतिदिन सुबह 4 से 8 बजे तक संचालन किया जाता है. मसूरी बस स्टैंड बंद होने से पहले ही घाटे में चल रहा परिवहन विभाग को एक और बड़ा झटका लग सकता है.

पढ़ें-राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने सदन में उठाया उत्तराखंड में मोबाइल नेटवर्क की खराबी का मुद्दा
वर्ष 1957 से रेलवे की जमीन का नहीं हो सका है भुगतान

उत्तर रेलवे मंडल के सहायक अभियंता द्वारा जारी किए चेतावनी वाले पत्र में साफतौर पर कहा गया है कि परिवहन विभाग मसूरी बस स्टैंड की जमीन का वर्षों से बकाया किराया 53 लाख 36 हजार 668 रुपये का जल्द भुगतान करे. इसके अलावा रेलवे ने अपनी जमीन पर संचालित होने वाले बस स्टैंड से मसूरी सहित राज्य के पर्वतीय मार्गों पर जाने वाली बसों को पार्क न करने की भी चेतावनी दी है. रेलवे का आरोप है कि उनकी जमीन पर संचालित होने वाले बस स्टैंड का किराया दशकों से लंबित पड़ा है. कई बार इस मामले में पत्राचार करने के बावजूद परिवहन विभाग ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया.

पढ़ें-बिना बाईपास बने टोल वसूली कर रहा NHAI, व्यापारियों ने किया विरोध

भुगतान के लिए लापरवाह परिवहन विभाग

जानकारी के मुताबिक, साल 1957 में देहरादून रेलवे स्टेशन की जमीन पर मसूरी बस स्टैंड का संचालन हो रहा है. उस समय परिवहन विभाग ने रेलवे की इस जमीन का 99 वर्ष का लीज एग्रीमेंट बनाया था. जिसमें हर साल ₹465 का किराया तय किया गया था. हालांकि, एग्रीमेंट के अनुसार हर 3 साल में किराया बढ़ोतरी की बात भी तय थी. लेकिन लीज एग्रीमेंट बनने के बाद से न तो किराया दिया गया और न ही एग्रीमेंट को रिन्यू करवाया गया.

पढ़ें-अतिक्रमण पर चला प्रशासन का 'पीला पंजा', टीम को लोगों के विरोध का करना पड़ा सामना

ऐसे में मार्च 2016 को रेलवे ने अपने हिसाब-किताब के मुताबिक परिवहन विभाग को मसूरी बस स्टैंड की जमीन का 36 लाख किराया भुगतान का बिल थमा कर जमीन खाली करने का नोटिस जारी किया. हालांकि, रेलवे के इस कार्रवाई के बाद परिवहन विभाग कर्मचारी यूनियन के आग्रह पर तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भारत सरकार के रेलवे मिनिस्टर से वार्ता कर बस स्टैंड के मामले में कुछ और समय की मोहलत मांगी थी.

पढ़ें-जनश्री बीमा योजना घोटाला: 11 साल बाद पूरी हुई जांच, कई अधिकारी व कर्मचारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज

जिसके बाद एक बार फिर से रेलवे विभाग ने 22 जुलाई 2018 को पत्र जारी करते हुए मसूरी बस स्टैंड के दशकों से लंबित पड़े बकाया भुगतान को 30 सितंबर 2018 तक चुकाने का समय दिया. वहीं, परिवहन विभाग ने इस मामले में लगातार लापरवाही बरतते हुए किसी तरह की कोई जवाबी कार्रवाई नहीं की.

पढ़ें-सीसीटीवी कैमरे में कैद हुआ फर्जी फूड इंस्पेक्टर, मामले में जुटी पुलिस
इस मामले में पर्वतीय डिपो मसूरी बस स्टैंड में कार्यरत कर्मचारियों का कहना है कि रेलवे द्वारा बस स्टैंड को बंद कराने की सूरत में मसूरी सहित अन्य पर्वतीय मार्गों पर संचालित की जाने वाली रोडवेज बसों का संचालन पूरी तरह से प्रभावित हो जाएगा. रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद के प्रदेश महामंत्री दिनेश चंद्र का साफ तौर पर कहना है कि इस मामले में वर्षों से परिवहन विभाग के आला अधिकारी लगातार लापरवाह बने हुए हैं.

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पर्यटकों की बढ़ सकती हैं मुश्किलें
परिवहन निगम कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश गुसाईं का कहना है कि इस बार मामला बेहद गंभीर है. उन्होंने बताया कि रेलवे का चेतावनी भरा पत्र आला अधिकारियों सहित शासन तक पहुंचा दिया गया है. उन्होंने कहा कि निगम कर्मचारी इस मामले में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाकात कर मसूरी बस स्टैंड को बचाने की अपील करेंगे. दिनेश गुसांई के मुताबिक, मसूरी जैसे महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल जाने के लिए ये बस स्टैंड बहुत ही महत्वपूर्ण है. जिसके चलते देश विदेश से आने वाले यात्री और पहाड़ी क्षेत्र में पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं मसूरी और पर्वतीय क्षेत्रों तक पहुंचते हैं. ऐसे में अगर मसूरी बस स्टैंड बंद होता है तो पर्यटकों की मुश्किलें बढ़ना लाजमी हैं.

देहरादून: रेलवे स्टेशन से सटे मसूरी रोडवेज बस स्टैंड को रेलवे विभाग ने पत्र जारी कर बस स्टैंड की जगह खाली करने का अल्टीमेटम दिया है. साल 1957 के बाद रेलवे की जमीन पर संचालित होने वाले मसूरी बस अड्डे की जमीन का किराया भुगतान न होने के कारण रेलवे विभाग ने ये कदम उठाया है. रेलवे विभाग ने आगामी 31 जुलाई तक बस स्टैंड की जगह खाली करने की चेतावनी दी है. इतना ही नहीं, रेलवे ने अगले 12 दिनों के अंदर जगह न खाली होने की दशा में बस स्टैंड की जगह को मजबूरन खाली कराने की बात भी कही है. वहीं इस मामले पर अब भी परिवहन विभाग आंखें मूंदें बैठा है.

बता दें कि रेलवे स्टेशन से सटे मसूरी बस स्टैंड से हर दिन 95 पर्वतीय क्षेत्रों में बसे संचालित की जाती हैं, जिसमें से 18 बसें मसूरी के लिए संचालित की जाती है. जहां से देश-विदेश से आने वाले पर्यटक मसूरी पहुंचते हैं. इसी बस स्टैंड से राज्य के पर्वतीय मार्गों पर बसों का प्रतिदिन सुबह 4 से 8 बजे तक संचालन किया जाता है. मसूरी बस स्टैंड बंद होने से पहले ही घाटे में चल रहा परिवहन विभाग को एक और बड़ा झटका लग सकता है.

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वर्ष 1957 से रेलवे की जमीन का नहीं हो सका है भुगतान

उत्तर रेलवे मंडल के सहायक अभियंता द्वारा जारी किए चेतावनी वाले पत्र में साफतौर पर कहा गया है कि परिवहन विभाग मसूरी बस स्टैंड की जमीन का वर्षों से बकाया किराया 53 लाख 36 हजार 668 रुपये का जल्द भुगतान करे. इसके अलावा रेलवे ने अपनी जमीन पर संचालित होने वाले बस स्टैंड से मसूरी सहित राज्य के पर्वतीय मार्गों पर जाने वाली बसों को पार्क न करने की भी चेतावनी दी है. रेलवे का आरोप है कि उनकी जमीन पर संचालित होने वाले बस स्टैंड का किराया दशकों से लंबित पड़ा है. कई बार इस मामले में पत्राचार करने के बावजूद परिवहन विभाग ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया.

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भुगतान के लिए लापरवाह परिवहन विभाग

जानकारी के मुताबिक, साल 1957 में देहरादून रेलवे स्टेशन की जमीन पर मसूरी बस स्टैंड का संचालन हो रहा है. उस समय परिवहन विभाग ने रेलवे की इस जमीन का 99 वर्ष का लीज एग्रीमेंट बनाया था. जिसमें हर साल ₹465 का किराया तय किया गया था. हालांकि, एग्रीमेंट के अनुसार हर 3 साल में किराया बढ़ोतरी की बात भी तय थी. लेकिन लीज एग्रीमेंट बनने के बाद से न तो किराया दिया गया और न ही एग्रीमेंट को रिन्यू करवाया गया.

पढ़ें-अतिक्रमण पर चला प्रशासन का 'पीला पंजा', टीम को लोगों के विरोध का करना पड़ा सामना

ऐसे में मार्च 2016 को रेलवे ने अपने हिसाब-किताब के मुताबिक परिवहन विभाग को मसूरी बस स्टैंड की जमीन का 36 लाख किराया भुगतान का बिल थमा कर जमीन खाली करने का नोटिस जारी किया. हालांकि, रेलवे के इस कार्रवाई के बाद परिवहन विभाग कर्मचारी यूनियन के आग्रह पर तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भारत सरकार के रेलवे मिनिस्टर से वार्ता कर बस स्टैंड के मामले में कुछ और समय की मोहलत मांगी थी.

पढ़ें-जनश्री बीमा योजना घोटाला: 11 साल बाद पूरी हुई जांच, कई अधिकारी व कर्मचारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज

जिसके बाद एक बार फिर से रेलवे विभाग ने 22 जुलाई 2018 को पत्र जारी करते हुए मसूरी बस स्टैंड के दशकों से लंबित पड़े बकाया भुगतान को 30 सितंबर 2018 तक चुकाने का समय दिया. वहीं, परिवहन विभाग ने इस मामले में लगातार लापरवाही बरतते हुए किसी तरह की कोई जवाबी कार्रवाई नहीं की.

पढ़ें-सीसीटीवी कैमरे में कैद हुआ फर्जी फूड इंस्पेक्टर, मामले में जुटी पुलिस
इस मामले में पर्वतीय डिपो मसूरी बस स्टैंड में कार्यरत कर्मचारियों का कहना है कि रेलवे द्वारा बस स्टैंड को बंद कराने की सूरत में मसूरी सहित अन्य पर्वतीय मार्गों पर संचालित की जाने वाली रोडवेज बसों का संचालन पूरी तरह से प्रभावित हो जाएगा. रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद के प्रदेश महामंत्री दिनेश चंद्र का साफ तौर पर कहना है कि इस मामले में वर्षों से परिवहन विभाग के आला अधिकारी लगातार लापरवाह बने हुए हैं.

पढ़ें-सीसीटीवी कैमरे में कैद हुआ फर्जी फूड इंस्पेक्टर, मामले में जुटी पुलिस

पर्यटकों की बढ़ सकती हैं मुश्किलें
परिवहन निगम कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश गुसाईं का कहना है कि इस बार मामला बेहद गंभीर है. उन्होंने बताया कि रेलवे का चेतावनी भरा पत्र आला अधिकारियों सहित शासन तक पहुंचा दिया गया है. उन्होंने कहा कि निगम कर्मचारी इस मामले में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाकात कर मसूरी बस स्टैंड को बचाने की अपील करेंगे. दिनेश गुसांई के मुताबिक, मसूरी जैसे महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल जाने के लिए ये बस स्टैंड बहुत ही महत्वपूर्ण है. जिसके चलते देश विदेश से आने वाले यात्री और पहाड़ी क्षेत्र में पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं मसूरी और पर्वतीय क्षेत्रों तक पहुंचते हैं. ऐसे में अगर मसूरी बस स्टैंड बंद होता है तो पर्यटकों की मुश्किलें बढ़ना लाजमी हैं.

Intro:pls note- इस खबर से संबंधित रेलवे के द्वारा जारी पत्र को ई-मेल द्वारा भेजा गया है.

summary-रेलवे का कर्जदार है मसूरी रोडवेज, भुगतान नहीं हुआ तो पर्यटक कैसे जाएंगे मसूरी, रेलवे ने पत्र जारी कर दिया अल्टीमेटम,
31 जुलाई तक मसूरी बस स्टैंड खाली करने की चेतावनी,
रेलवे की जमीन पर संचालित हो रहा है अर्से से मसूरी बस स्टैंड,
वर्ष 1957 के बाद से नहीं हुआ जमीन किराया भुगतान,
53 लाख 36 हजार 668 रुपए का भुगतान बकाया। परिवहन विभाग मामले को लेकर वर्षों से लापरवाह।



देहरादून रेलवे स्टेशन से सटे मसूरी रोडवेज बस स्टैंड को रेलवे विभाग ने पत्र जारी कर बस स्टैंड की जगह खाली करने का सख़्त अल्टीमेटम दिया है,वर्ष 1957 के बाद रेलवे की जमीन पर संचालित होने वाले मसूरी बस अड्डे की जमीन का भारी भरकम किराया भुगतान ना होने के चलते रेलवे द्वारा यह पत्र जारी कर आगामी 31 जुलाई तक बस स्टैंड की जगह खाली करने के चेतावनी दी है। इतना ही नहीं रेलवे ने अगले 12 दिनों के अंदर जगह ना खाली होने की दशा में बस स्टैंड की जगह को मजबूरन सख्ती से खाली कराने की चेतावनी भी दी है. उधर इस मामले में परिवहन विभाग वर्षों से आंखें मूंदे लापरवाह बना हुआ है।

आपको बता दें कि रेलवे स्टेशन से सटे मसूरी बस स्टैंड से प्रतिदिन 95 पर्वतीय क्षेत्रों में बसे संचालित की जाती है,जिसमें से 18 बसें मसूरी के लिए संचालित की जाती है जिसमें देश-विदेश से आने वाले पर्यटक मसूरी पहुंचते हैं। इसी बस स्टैंड से राज्य के पर्वतीय मार्गों पर बसों का प्रतिदिन सुबह 4:00 से 8:00 बजे तक संचालन किया जाता है ऐसे में मसूरी बस स्टैंड के बंद हो जाने से पहले से घाटे में चल रहे परिवहन विभाग को एक और बड़ा झटका लग सकता है।


Body:वर्ष 1957 से रेलवे की जमीन का नहीं हो सका हैं लाखों का भुगतान

उत्तर रेलवे मंडल के सहायक अभियंता द्वारा जारी किए चेतावनी वाले पत्र में साफ़तौर पर कहा गया हैं परिवहन विभाग मसूरी बस स्टैंड की जमीन का वर्षो से बकाया किराया 53 लाख 36 हजार 668 रुपये भी तत्काल जमा कराए अन्यथा रेलवे विभाग सख्त कार्रवाई करने को बाध्य होगा. रेलवे ने अपनी जमीन पर संचालित होने वाले बस स्टेंड से मसूरी सहित राज्य के पर्वतीय मार्गो पर जाने वाली बसों को पार्किंग ना करने की चेतावनी दी हैं। रेलवे का आरोप है कि उनकी जमीन पर संचालित होने वाले बस स्टैंड का किराया दशकों से लंबित पड़ा है साथ ही कई बार इस मामले में पत्राचार करने के बावजूद परिवहन विभाग द्वारा किसी प्रकार का जवाब नहीं दिया गया है।

99 साल की लीज एग्रीमेंट के बावजूद किराया भुगतान के लिए परिवहन विभाग लापरवाह बना रहा

जानकारी के मुताबिक वर्ष 1957 में देहरादून रेलवे स्टेशन की जमीन पर मसूरी बस स्टैंड का संचालन हो रहा है उस समय परिवहन विभाग द्वारा रेलवे की इस जमीन का 99 वर्ष का लीज एग्रीमेंट बना प्रतिवर्ष ₹465 किराया तय किया गया था हालांकि एग्रीमेंट के अनुसार हर 3 साल में किराया बढ़ोतरी की बात भी तय थी। लेकिन लीज एग्रीमेंट के बाद ना तो किराया दिया गया और ना ही विभाग द्वारा एग्रीमेंट को समय-समय पर नियम के तहत रिन्यू करवाया गया। ऐसे में वर्ष 2016 मार्च को रेलवे ने अपने हिसाब किताब के मुताबिक परिवहन विभाग को मसूरी बस स्टैंड के जमीन का 36 लाख किराया भुगतान का बिल थमा कर जमीन को खाली करने का नोटिस जारी किया। हालांकि रेलवे के इस कार्रवाई के बाद परिवहन विभाग कर्मचारी यूनियन के आग्रह पर तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा भारत सरकार के रेलवे मिनिस्टर से वार्ता कर बस स्टैंड के मामलें कुछ और समय की मोहलत दी गई।
तय समय गुजर जाने के उपरांत एक बार रेलवे विभाग ने 22 जुलाई 2018 को पत्र जारी करते हुए मसूरी बस स्टैंड के दशकों से लंबित पड़े बकाया किराया भुगतान को 30 सितंबर 2018 तक परिवहन विभाग चुकाने का समय दिया, लेकिन परिवहन विभाग द्वारा इस मामले पर लगातार लापरवाही बरतते हुए किसी तरह की कोई जवाबी कार्रवाई नहीं की गई।


Conclusion:परिवहन विभाग वर्षों से बना हुआ है मसूरी बस स्टैंड के मामले में लापरवाह: रोडवेज कर्मचारी नेता

उधर इस मामले में पर्वतीय डिपो मसूरी बस स्टैंड में कार्यरत कर्मचारियों का कहना है कि रेलवे विभाग द्वारा वर्तमान में जारी किए गए पत्र में साफ तौर पर चेतावनी दी गई है कि 31 जुलाई तक बकाया भुगतान व बस स्टैंड की जगह को खाली करने का सत अल्टीमेटम दिया गया है। ऐसे में रेलवे द्वारा बस स्टैंड को बंद कराने की सूरत में मसूरी सहित अन्य पर्वतीय मार्गो पर जाने वाले रोडवेज बसों का संचालन पूरी तरह से प्रभावित हो जाएगा। रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद के प्रदेश महामंत्री दिनेश चंद्र का साफ तौर पर कहना है कि इस मामले में वर्षों से परिवहन विभाग के आला अधिकारी लगातार लापरवाह बनकर तमाशबीन बने हुए हैं जबकि रेलवे द्वारा तय किए गए लीज एग्रीमेंट के अनुसार उनका भुगतान वाज़िब बनता हैं।

बाईट-2-दिनेश चंद्र पंत, प्रदेश महामंत्री, रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद

मसूरी बस स्टैंड बंद होने से पर्वतीय क्षेत्र में जाने वाले पर्यटकों की बढ़ सकती मुश्किलें

वही परिवहन निगम कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश गुसाईं के अनुसार इस बार मामला बेहद गंभीर है रेलवे चेतावनी भरा पत्र विभागीय आला अधिकारियों सहित शासन तक पहुंचा दिया गया है साथी इस मामले में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाकात कर निगम कर्मचारी मसूरी बस स्टैंड को बचाने की अपील करेंगे। दिनेश गुसाई के मुताबिक मसूरी जैसे महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल में जाने के लिए रेलवे स्टेशन से सटा या बस स्टैंड अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण है जिसके चलते देश विदेश से आने वाले यात्री और पहाड़ी क्षेत्र में पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं मसूरी और पर्वतीय मार्गों में चलने वाली बसों की सुविधा लेते हैं ऐसे में अगर मसूरी बस स्टैंड रेलवे द्वारा बंद कर दिया गया तो आईएसबीटी से मसूरी जाने का सफर सवा घंटे के बजाय 3 घंटे का हो सकता है साथ ही मसूरी बस स्टैंड के बंद होने से परिवहन विभाग को बहुत बड़ा नुकसान भी उठाना पड़ सकता है।

बाइट- दिनेश गुसाईं, प्रदेश अध्यक्ष, निगम कर्मचारी अधिकारी महासंघ उत्तराखंड



pls note_input_महोदय, यह किरण कांत शर्मा का मोजो मोबाइल हैं,जिसे मैं (परमजीत सिंह )इसे इस्तेमाल कर रहा हूं। मेरा मोजो मोबाइल खराब हो गया हैं, ऐसे मेरी स्टोरी इस मोजो से भेजी जा रही हैं.. ID 7200628













Last Updated : Jul 20, 2019, 2:25 PM IST
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