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शांत वादियों के बीच बसा भगवान शिव का अनोखा मंदिर, जहां दान देना है वर्जित

महादेव के महीने के मौके पर ईटीवी भारत आपको मसूरी रोड स्थित प्रकाशेश्वर महादेव मंदिर के दर्शन करवाने जा रहा है. यह मंदिर कोई पौराणिक शिव मंदिर नहीं है. साल 1987 में यहां एक छोटा सा शिव मंदिर बनाया गया था. इस दौरान यहां कुछ साधु-संत शिव की आराधना करते थे.

प्रकाशेश्वर मंदिर.
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Published : Jul 18, 2019, 11:27 PM IST

देहरादून: राजधानी से कुछ ही दूरी पर एक ऐसा शिव मंदिर हैं जहां दान देना मना है. पहाड़ों की रानी मसूरी के रास्ते में पड़ने वाला ये एक ऐसा अनोखा शिव मंदिर है जहां दर्शनों के लिए एक अजीब सी शर्त रखी गई है. यहां श्रद्धालुओं को मंदिर में पैसा चढ़ाने की मनाही है. दान देने के लिए इस भव्य मंदिर में दान पात्र जैसी कोई व्यवस्था नहीं की गई है. पहाड़ों की गोद में बसे इस शिव मंदिर से दून वैली का सुंदर नजारा दिखाई देता है.

प्रकाशेश्वर मंदिर.

सावन के महीने में ईटीवी भारत आपको मसूरी रोड स्थित प्रकाशेश्वर महादेव मंदिर के दर्शन करवाने जा रहा है. यह मंदिर कोई पौराणिक शिव मंदिर नहीं है. साल 1987 में यहां एक छोटा सा शिव मंदिर बनाया गया था. इस दौरान यहां कुछ साधु-संत शिव की आराधना करते थे. जिसके बाद साल 1990 में हरिद्वार के रहने वाले शिवदास मूलचंद खत्री ने इस मंदिर की देखरेख की जिम्मेदारी संभाली. बाद में देखते ही देखते सड़क किनारे इस छोटे से शिव मंदिर को एक भव्य शिव मंदिर का रूप मिलता चला गया.

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बता दें कि मंदिर की देखरेख करने वाले शिवदास मूलचंद खत्री कीमती रत्नों के व्यापारी हैं. जिनका मानना है कि मनुष्य के पास जो कुछ भी है, वह ईश्वर की कृपा से है. ऐसे में जो ईश्वर मनुष्य को जिंदगी में सब कुछ दे रहा है उस ईश्वर को मनुष्य आखिर क्या दान देगा. यही कारण है कि इस मंदिर में दान करने पर पूरी तरह प्रतिबंधित है. इस शिव मंदिर में आपको दीवारों पर 'No Donation' लिखा नजर आ जाएगा.

पढ़ें-युवती ने फंदे से लटकर दी जान, खबर सुनते ही मंगेतर ने भी मौत को लगाया गले

हालांकि, इस खास शिव मंदिर में भक्तों से किसी तरह का कोई दान नहीं लिया जाता. बावजूद इसके इस मंदिर में हर दिन भक्तों के लिए प्रसाद के तौर पर खीर और चाय की व्यवस्था की जाती है. मंदिर के एक सदस्य ने बताया की यहां भक्तों से किसी तरह का दान नहीं लिया जाता लेकिन शिव भक्तों को प्रसाद जरूर दिया जाता है. प्रसाद को तैयार करने में जितना भी खर्च आता है उसकी व्यवस्था स्वयं की जाती है.

पढ़ें-सेना के जवान को अंतिम विदाई देने नहीं पहुंचा कोई भी 'माननीय', परिजनों में आक्रोश

गौरतलब है कि इस मंदिर में आप महादेव के दर्शन करने के साथ ही कई कीमती रत्नों की खरीदारी भी कर सकते हैं. ऐसे में इन रत्नों की खरीददारी से जो भी पैसे जमा होते हैं उनका इस्तेमाल मंदिर के सदस्यों द्वारा मंदिर के सौन्दर्यीकरण और प्रसाद के लिया किया जाता है.

देहरादून: राजधानी से कुछ ही दूरी पर एक ऐसा शिव मंदिर हैं जहां दान देना मना है. पहाड़ों की रानी मसूरी के रास्ते में पड़ने वाला ये एक ऐसा अनोखा शिव मंदिर है जहां दर्शनों के लिए एक अजीब सी शर्त रखी गई है. यहां श्रद्धालुओं को मंदिर में पैसा चढ़ाने की मनाही है. दान देने के लिए इस भव्य मंदिर में दान पात्र जैसी कोई व्यवस्था नहीं की गई है. पहाड़ों की गोद में बसे इस शिव मंदिर से दून वैली का सुंदर नजारा दिखाई देता है.

प्रकाशेश्वर मंदिर.

सावन के महीने में ईटीवी भारत आपको मसूरी रोड स्थित प्रकाशेश्वर महादेव मंदिर के दर्शन करवाने जा रहा है. यह मंदिर कोई पौराणिक शिव मंदिर नहीं है. साल 1987 में यहां एक छोटा सा शिव मंदिर बनाया गया था. इस दौरान यहां कुछ साधु-संत शिव की आराधना करते थे. जिसके बाद साल 1990 में हरिद्वार के रहने वाले शिवदास मूलचंद खत्री ने इस मंदिर की देखरेख की जिम्मेदारी संभाली. बाद में देखते ही देखते सड़क किनारे इस छोटे से शिव मंदिर को एक भव्य शिव मंदिर का रूप मिलता चला गया.

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बता दें कि मंदिर की देखरेख करने वाले शिवदास मूलचंद खत्री कीमती रत्नों के व्यापारी हैं. जिनका मानना है कि मनुष्य के पास जो कुछ भी है, वह ईश्वर की कृपा से है. ऐसे में जो ईश्वर मनुष्य को जिंदगी में सब कुछ दे रहा है उस ईश्वर को मनुष्य आखिर क्या दान देगा. यही कारण है कि इस मंदिर में दान करने पर पूरी तरह प्रतिबंधित है. इस शिव मंदिर में आपको दीवारों पर 'No Donation' लिखा नजर आ जाएगा.

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हालांकि, इस खास शिव मंदिर में भक्तों से किसी तरह का कोई दान नहीं लिया जाता. बावजूद इसके इस मंदिर में हर दिन भक्तों के लिए प्रसाद के तौर पर खीर और चाय की व्यवस्था की जाती है. मंदिर के एक सदस्य ने बताया की यहां भक्तों से किसी तरह का दान नहीं लिया जाता लेकिन शिव भक्तों को प्रसाद जरूर दिया जाता है. प्रसाद को तैयार करने में जितना भी खर्च आता है उसकी व्यवस्था स्वयं की जाती है.

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गौरतलब है कि इस मंदिर में आप महादेव के दर्शन करने के साथ ही कई कीमती रत्नों की खरीदारी भी कर सकते हैं. ऐसे में इन रत्नों की खरीददारी से जो भी पैसे जमा होते हैं उनका इस्तेमाल मंदिर के सदस्यों द्वारा मंदिर के सौन्दर्यीकरण और प्रसाद के लिया किया जाता है.

Intro:Saawan Special story

File send from livU (ingest)- Shiv Mandir Dehradun

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देहरादून- जब कभी भी हम किसी मंदिर का रुख करते हैं तो हम अपनी इक्छानुसार ईश्वर के नाम दान पात्र में कुछ दान जरूर करते हैं । लेकिन सुबह की राजधानी देहरादून से चंद किलोमीटर की दूरी पर मसूरी रोड में एक ऐसा शिव मंदिर मौजूद है जहां दान करना सख्त मना है ।

महादेव शिव को प्रिय सावन माह के मौके पर ईटीवी भारत आपको मसूरी रोड़ स्थित प्रकाशेश्वर महादेव मंदिर के दर्शन करा रहा है । यह मंदिर कोई पौराणिक शिव मंदिर नहीं है । साल 1987 में यहां एक छोटासा शिव मंदिर बनाया गया था । इस दौरान यहां कुछ साधु-संत भी शिव की आराधना किया करते थे । लेकिन साल 1990 में हरिद्वार के रहने वाले शिवदास मूलचंद खत्री ने इस मंदिर की देखरेख की जिम्मेदारी संभाल ली । जिसके बाद देखते ही देखते सड़क किनारे खड़े इस छोटे से शिव मंदिर को एक भव्य शिव मंदिर का रूप मिलता चला गया ।






Body:बता दें कि मंदिर की देख रेख करने वाले शिवदास मूलचंद खत्री कीमती रत्नों के व्यापारी हैं । जिनका यह मानना है कि मनुष्य के पास जो कुछ भी है वह ईश्वर की कृपा है । ऐसे में जो ईश्वर मनुष्य को जिंदगी में सब कुछ दे रहा है उस ईश्वर को मनुष्य आखिर क्या दान देगा । यही कारण है कि इस मंदिर में दान करने पर पूरी तरह प्रतिबंध है । मंदिर में आपको कई जगह दीवारों पर 'No Donation ' साफ लिखा नज़र आ जायेगा ।




Conclusion:हालांकि इस खास शिव मंदिर में भक्तों से किसी तरह का कोई दान नहीं लिया जाता । लेकिन इसके बावजूद इस मंदिर में हर दिन भक्तों के लिए प्रसाद के तौर पर खीर और चाय की व्यवस्था रहती है । मंदिर के एक सदस्य से जब हमने इस संबंध में बात की तो उन्होंने बताया की हम भक्तों से किसी तरह का दान तो नहीं देते। लेकिन शिव भक्तों को शिव जी का प्रसाद जरूर दिया जाता है । प्रसाद को तैयार करने में जितना भी खर्च आता है उसकी व्यवस्था स्वयम ही की जाती है ।

गौरतलब है कि इस मंदिर में आखर आप महादेव के दर्शन करने के साथ ही कई कीमती रत्नों की खरीदारी भी कर सकते हैं ऐसे में इन रत्नों की खरीददारी से जो भी पैसे आते हैं उसका इस्तेमाल मंदिर के सदस्यों द्वारा मंदिर के सौन्दर्यकरण और हर दिन भक्तों के लिए प्रसाद बनाने में किया जाता है ।

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