देहरादून: तारीख 11 सितंबर 2001, न्यूयॉर्क के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के ट्विन टावर पर हुए हमले को अब 20 साल पूरे हो चुके हैं. हमले में करीब 3000 लोगों ने जान गंवाई थी और हजारों लोग घायल हुए थे. उन हमलों को याद कर केवल अमेरिका नहीं पूरी दुनिया आज भी सिहर उठती है. उन हमलों को आज याद करने की एक वजह है, और वो हैं कमल शर्मा. कमल भारत से वो एकमात्र शख्स हैं जिन्होंने उस भयानक आतंकी हमले को अपनी आंखों से देखा और कैमरे में कैद किया. इस पूरी कहानी को सिलसिलेवार तरीके से समझते हैं.
न्यूयॉर्क शहर के बिली जीन किंग नेशनल टेनिस सेंटर में दो दिन पहले तक अमेरिकन ओपन टेनिस प्रतियोगिता यानी टेनिस की चार सबसे बड़ी प्रतियोगिताओं में से एक खेली गयी थी. यूएस ओपन को लेकर अमेरिका में बहुत उत्साह था. खासकर न्यूयॉर्क शहर टेनिस की मस्ती में डूबा था.
दो दिन पहले खत्म हुआ था यूएस ओपन: लड़कियों के फाइनल में दो अमेरिकी बहनें वीनस विलियम्स और सेरेना एक-दूसरे से जोर-आजमाइश कर रही थीं. वीनस ने सेरेना को हराकर अमेरिका के लिए यूएस ओपन जीत लिया था. हालांकि अमेरिका के पीट सम्प्रास ऑस्ट्रेलिया के लेटन हेविट से हार गए थे. इससे अमेरिकी थोड़ा निराश भी हुए. लेकिन यूएस ओपन खत्म होने के बाद भी प्रतियोगिता का ही जिक्र हो रहा था.
9/11 की वो खूनी सुबह: यूएस ओपन खत्म होने के दो दिन बाद 11 सितंबर 2001 की सुबह लोग अपनी व्यस्त दिनचर्या के लिए घर से निकले थे. घड़ी की सुइयां अपनी टिक-टिक के साथ आगे बढ़ती जा रही थीं. बेफिक्र लोग अपने-अपने काम-धंधे में लगने जा रहे थे. ठीक 8 बजकर 46 मिनट पर उत्तरी टावर पर एक विमान जोरदार आवाज के साथ टकराया. अपनी धुन में लगे लोग कुछ समझ पाते तब तक वहां चीख-पुकार और धुएं का गुबार ही गुबार दिखाई देने लगा.
17 मिनट बाद हो गया दूसरा हमला: अभी लोग पहले हमले से ही संभल नहीं पाए थे कि ठीक 17 मिनट बाद यानी 9 बजकर 3 मिनट पर वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के दक्षिणी टावर पर भी पहले जैसा ही धमाका हुआ. देखते ही देखते अमेरिका सदी की शुरुआत में ही दो सबसे बड़े आतंकी हमलों का शिकार हो चुका था. न्यूयॉर्क की सड़कों पर धुएं के गुबार के साथ बस जान बचाने को भागते लोग और अपनों को खोने वाले रोते-चिल्लाते लोग ही दिखाई दे रहे थे.
न्यूयॉर्क में थे खेल पत्रकार कमल शर्मा: भारत के खेल पत्रकार कमल शर्मा उस समय न्यूयॉर्क में ही थे. कमल यूएस ओपन कवर करने अमेरिका गए थे. कमल यूएस ओपन खत्म होने के बाद वहां की रौनक देखने के लिए वहीं रुक गए थे. कमल ने 11 सितंबर से एक दिन पहले ही न्यूयॉर्क सिटी की खूबसूरत तस्वीरें खींची थीं.
कमल शर्मा न्यूयॉर्क पर हुए हमले के दौरान अपने होटल में थे. जैसे ही हमले का पता चला वो कार लेकर तुरंत घटनास्थल की तरफ चल पड़े. कमल बताते हैं कि जब वो वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के ट्विन टावर पहुंचे तो वहां का मंजर बहुत ही डरावना था. कमल बताते हैं कि ऐसा लग रहा था जैसे प्रलय आ गया हो. कमल ने अपना कैमरा संभाला और उस भयानक मंजर की तस्वीरें निकालनी शुरू कर दीं.
कमल ने सुनाई न्यूयॉर्क की आंखों देखी: कमल अपनी तस्वीरों के जरिए उस समय के दृश्यों को साक्षात बताते हैं. एक तस्वीर जो कमल ने खींची उसके बारे में वो बताते हैं कि हमले के बाद एक बुजुर्ग अपनी पत्नी का हाथ खींचते हुए उन्हें अपने साथ ले जा रहे हैं. कमल कहते हैं कि जब वहां अपनी जान बचाने की चुनौती थी, ऐसे में वो बुजुर्ग अपनी जीवन संगिनी को भी सकुशल बचा ले जाने की कोशिश कर रहे थे.
एक और तस्वीर के बारे में कमल ने बताया कि वहां फुटपाथ पर एक मुसलमान व्यक्ति दुकान सजाकर सामान बेच रहा था. लेकिन किसी ने भी उस व्यक्ति पर हमला नहीं किया. वहां भगदड़ मची थी. लोग जान बचाने के लिए भाग रहे थे. लेकिन इतनी बड़ी भगदड़ में भी किसी व्यक्ति की दबने-कुचलने से मौत नहीं हुई थी.
कमल ने बताया कि उस भयानक आतंकी हमले के दौरान भी मानवीय दृश्य देखने को मिले थे, जो उन्होंने अपने कैमरे में कैद किए थे. कमल ने बताया कि अनेक लोग अपनी जान की परवाह किए बिना घायलों को मदद करने में लगे थे. ये देखना बहुत सुकून वाला था.
9/11 हमले की फोटो खींचने में खत्म किए 40 रोल: वो जमाना डिजिटल फोटोग्राफी का नहीं था. उन दिनों कैमरे में रोल लगाए जाते थे. कमल के पास करीब 40 रोल थे. उन्होंने सारे रोल उस आतंकी हमले की तस्वीरें खींचने में खर्च कर दिए थे. 9/11 हमले की चुनिंदा 70 तस्वीरों को कमल शर्मा ने देहरादून में आतंकी हमले की स्टोरी के रूप में सजाया है. उनकी खींची गई हर तस्वीर उस भयानक आतंकी हमले की एक-एक कहानी कहती है.
इस भागदौड़ भरी जिंदगी में अगले ही पल क्या हो जाए इस बात का अंदाजा कोई नहीं लगा सकता. यह कहना है देहरादून के स्पोर्ट्स फोटोग्राफर कमल शर्मा का. दरअसल कमल शर्मा भारत के उन चुनिंदा लोगों में से हैं, जिन्होंने 11 सितंबर साल 2001 में अमेरिका में हुए भीषण हवाई आतंकी हमले को खुद अपनी आंखों से देखा था. इसकी तस्वीरें भी एक फोटोग्राफर होने के नाते अपने कैमरे में कैद की थीं.
हालांकि, अमेरिका में साल 2001 में हुए 9/11 आतंकी हमले को 21 साल बीत चुके हैं, लेकिन उस भयानक मंजर की तस्वीरें आज भी स्पोर्ट्स फोटोग्राफर कमल शर्मा के पास सुरक्षित रखी हुई हैं. इन दिनों उन्होंने इन तस्वीरों की एक प्रदर्शनी देहरादून में भी लगाई है.
दरअसल, अमेरिका पर पर्ल हार्बर के बाद 9/11 दूसरा सबसे बड़ा हमला था. आज से 81 साल पहले दूसरे विश्व युद्ध के दौरान साल 1941 में अमरीकी नौसैनिक अड्डे पर्ल हार्बर पर जापान ने हमला किया था. द्वितीय विश्व युद्ध में अमरीकी जमीन पर यह पहला हमला था. जापान के इस हमले में 2400 से ज्यादा अमरीकी जवान मारे गए थे और 19 जहाज जिसमें आठ जंगी जहाज थे, नष्ट हो गए थे. इसके अलावा 328 अमरीकी विमान भी या तो क्षतिग्रस्त हुए थे या फिर पूरी तरह से नष्ट हो गए थे.
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तब अमेरिका ने जापान से इस हमले का खूंखार बदला लिया था. बदला भी ऐसा कि दूसरे विश्व युद्ध में जापान ने घुटने ही टेक दिए. अमेरिका ने जापान के दो सबसे बड़े और समृद्ध शहरों हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिरा दिए थे. दोनों हमलों में अमेरिका ने जापान के सवा लाख से ज्यादा नागरिकों को मार डाला था.
पर्ल हार्बर के बाद 9/11 अमेरिका पर दूसरा सबसे बड़ा हमला था. ये एक आतंकी हमला था. अलकायदा नाम के खूनी ग्रुप ने इस हमले को ओसामा बिन लादेन की योजना के तहत अंजाम दिया था. इसके बाद ही अमेरिका ने ओसामा के खात्मे के लिए अफगानिस्तान में मोर्चा खोल दिया था.
ईटीवी भारत से बात करते हुए फोटोग्राफर कमल शर्मा ने बताया कि इस प्रदर्शनी को लगाने का उनका मुख्य उद्देश्य यह है कि जो बच्चे उस दौरान जन्मे भी नहीं थे या फिर जिन्हें इस भीषण आतंकी हमले के बारे में ज्ञान नहीं है, उन्हें भी इन तस्वीरों के माध्यम से अमेरिका में हुए उस भीषण आतंकी हमले की जानकारी मिल सके.
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कमल शर्मा बताते हैं कि... सितंबर 2001 में वह यूएस ओपन टेनिस टूर्नामेंट की फोटोग्राफी के लिए न्यूयॉर्क में ही थे. ऐसे में एक फोटोग्राफर होने के नाते वह अपने खाली समय में हमेशा ही न्यूयॉर्क शहर की खूबसूरत तस्वीरें लिया करते थे. बात 10 सितंबर 2001 की करें तो 10 सितंबर को भी उन्होंने सामान्य दिन की तरह ही शहर की अलग-अलग लोकेशंस की फोटोग्राफी की. इसमें वह ट्विन टावर (WTC) भी था जो अगले ही दिन हवाई आतंकी हमले में पूरी तरह से धराशायी हो गया. यह एक ऐसा भयानक मंजर था जिसकी कल्पना किसी ने भी नहीं की थी.
कमल बताते हैं कि यह एक बेहद ही दर्दनाक मंजर था, जिसमें 3000 से ज्यादा लोग मारे गए थे. एक फोटोग्राफर होने के नाते यह उनकी जिम्मेदारी भी थी कि वह तस्वीरों के माध्यम से उस भयानक मंजर की पीड़ा लोगों तक पहुंचाएं. हालांकि अमेरिका में हुए इस आतंकी हमले को अब 21 साल हो चुके हैं. इस भयानक आतंकी हमले की तस्वीरों की प्रदर्शनी लगाकर वह युवाओं को यह संदेश देना चाहते हैं कि आतंक से सिर्फ अशांति ही फैल सकती है, जबकि प्रेम भाव एकजुटता का प्रतीक है.
पर्ल बंदरगाह या पर्ल हार्बर (Pearl harbour) हवाई द्वीप में हॉनलूलू से दस किमी उत्तर-पश्चिम, संयुक्त राज्य अमरीका का प्रसिद्ध बंदरगाह एवं गहरे जल का नौसैनिक अड्डा है. यह अमेरिकी प्रशांत बेड़े का मुख्यालय भी है. इस बंदरगाह के 20 वर्ग किलोमीटर में सैकड़ों जहाजों के रुकने का स्थान है.
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81 साल पहले दूसरे विश्व युद्ध के दौरान साल 1941 में अमरीकी नौसैनिक अड्डे पर्ल हार्बर पर जापान ने हमला किया था. द्वितीय विश्व युद्ध में अमरीकी जमीन पर यह पहला हमला था. जापान के इस हमले में 2400 से ज्यादा अमरीकी जवान मारे गए थे और 19 जहाज जिसमें आठ जंगी जहाज थे, नष्ट हो गए थे. इसके अलावा 328 अमरीकी विमान भी या तो क्षतिग्रस्त हुए थे या फिर पूरी तरह से नष्ट हो गए थे.