देहरादून: पिछले लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल यानी क्रूड ऑयल की कीमत काफी घट चुकी है, लेकिन इसके बावजूद भारत में अब भी पेट्रोल और डीजल के दामों में कुछ ज्यादा गिरावट देखने को नहीं मिल रही है. ऐसे में यह सवाल उठा रहा है कि आखिर भारत में पेट्रोल और डीजल के दाम क्यों नहीं घट रहे हैं.
गौरतलब है कि वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 16 साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है. जानकारों के मुताबिक इस समय कच्चे तेल की कीमत 30 रुपए प्रति बैरल चल रही है. बता दें कि 1 बैरल में 159 लीटर कच्चा तेल होता है. इस तरह वर्तमान में भारत में 1 लीटर कच्चे तेल की कीमत 10-15 रुपए प्रति लीटर है, लेकिन आम जनता को अभी भी पेट्रोल पंप पर पेट्रोल 72.35 रुपए प्रति लीटर और डीजल 62.98 रुपए प्रति लीटर मिल रहा है.
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राजधानी देहरादून के पेट्रोल पंप संचालक बलवीर सिंह पवार का कहना है कि वह खुद इस उम्मीद में थे कि भारत में शायद जल्द ही अब पेट्रोल के दाम घटकर 60 रुपए प्रति लीटर तक पहुंच जाए. जिससे आम जनता के साथ ही सभी पेट्रोल पंप स्वामियों को भी राहत होगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
वहीं देहरादून स्थित भारतीय पेट्रोलियम संस्थान के सीनियर प्रोफेसर हिरणमोय रॉय ने बताया कि भले ही अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत काफी घट गई हो, लेकिन इसका ज्यादा लाभ देश की आम जनता को इसलिए नहीं मिल पाएगा क्योंकि भारत में आज भी कच्चे तेल के लिए काफी ज्यादा एक्साइज ड्यूटी और रोड सेस चुकाना पड़ता है.
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दूसरी ओर वरिष्ठ स्तंभकार और अर्थशास्त्री सुशील कुमार सिंह का मानना है कि जिस तरह अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत घटी है, उसका एक बहुत बड़ा कारण कोरोना वायरस का प्रकोप भी सकता है. जिस तरह विश्व भर के कई देशों में बड़े उद्योगों पर अगले कुछ दिनों के लिए ताले जड़ दिए गए हैं. उसकी वजह से विश्व स्तर पर पेट्रोल और डीजल की खपत काफी कम हो चुकी है, लेकिन कोरोना वायरस की वजह से जिस तरह भारत को भारी आर्थिक नुकसान से गुजरना पड़ा है. इस बात का ख्याल रखते हुए केंद्र सरकार पैट्रोलियम प्रोडक्ट्स की कीमतों में ज्यादा गिरावट नहीं लाएगी, क्योंकि यही एक माध्यम है जिससे आने वाले टैक्स से देश की डगमगाए हुई आर्थिकी को पटरी पर लाया जा सकता है.