देहरादूनः उत्तराखंड में मुख्य सचिव एसएस संधू ने चार्ज ने चार्ज लेने के बाद ऐसे अधिकारियों के लिए सख्त आदेश जारी किए जो तबादले के बाद राजनीतिक आकाओं का फायदा लेकर तबादले को रुकवाने या मनपसंद चार्ज लेने की कोशिश करते थे. इस आदेश के बाद अधिकारियों में राजनीतिक पैरवी करवाने का डर भी दिखाई दिया. लेकिन अब एक पीसीएस अधिकारी की नियुक्ति को लेकर शासन के अलग-अलग आदेश मुख्य सचिव एसएस संधू के प्रयासों पर कुछ सवाल जरूर खड़े करते हैं.
उत्तराखंड में पिछले दिनों मुख्य सचिव ने एक ऐसा आदेश जारी किया, जिसके बाद जाहिर तौर पर अधिकारियों में शासन के आदेशों की नाफरमानी करने का डर दिखाई दिया. लेकिन इस बार एक सीनियर पीसीएस अधिकारी को लेकर शासन जिस तरह अलग-अलग नियुक्ति के आदेश दे रहा है, उसने मुख्य सचिव के इस प्रयास को कुछ कमजोर किया है. दरअसल पीसीएस अधिकारी अभिषेक त्रिपाठी की नियुक्ति पर शासन स्तर से अलग-अलग आदेश हुए हैं.
खास बात यह है कि पूर्व में नेशनल हेल्थ मिशन देख रहे अभिषेक त्रिपाठी का तबादला होने के बाद दो हफ्तों के भीतर उन्हें वापस एनएचएम में एएमडी की जिम्मेदारी दे दी गई. बता दें कि अभिषेक त्रिपाठी इससे पहले भी उसी पद पर रह चुके हैं. इसके अलावा उन्हें कर्मकार कल्याण बोर्ड के सचिव की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई है.
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पीसीएस अधिकारी अभिषेक त्रिपाठी की नई नियुक्ति को लेकर बड़े सवाल इसलिए भी खड़े हो रहे हैं. क्योंकि पूर्व में करीब 84 अधिकारियों के तबादले के दौरान 4 अधिकारियों द्वारा तबादले के बाद भी ज्वॉइन नहीं किया था. उन सभी 4 डिप्टी कलेक्टरों को लेकर मुख्य सचिव एसएस संधू ने गहरी नाराजगी जाहिर करते हुए इन सभी अधिकारियों से जवाब तलब किया गया था.
ऐसे में सवाल खड़े हो रहे हैं कि एक तरफ कुछ अधिकारियों द्वारा पोस्टिंग नहीं लेने पर उनसे जवाब लिया जा रहा है तो दूसरी तरफ एक अधिकारी को कुछ ही दिनों में वापस उसके पुरानी पोस्टिंग पर ही भेज दिया जाता है. इससे साफ जाहिर है कि मुख्य सचिव एसएस संधू ने जो संदेश अधिकारियों को दिया. वह इस मामले में कहीं कमजोर रह गया है. शायद तभी इस पीसीएस अधिकारी को तीसरी बार वही जिम्मेदारी मिल गई जिससे इस पीसीएस अधिकारी को हटाया गया था.