देहरादून: प्रदेश में लगातार स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल होती जा रही हैं. ऐसा तब हो रहा है जब स्वास्थ्य विभाग खुद सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के पास है. हालात ये हैं कि सीएम और स्वास्थ्य विभाग में तैनात किये गये तीन आईएएस अफसरों के होने के बाद भी राजधानी में हालात जस के तस हैं. दून अस्पताल में सिटी स्कैन मशीन आठ महीनों से खराब पड़ी है. जो कि इन अधिकारियों की प्राथमिकता को दिखाता है. वहीं अब खबर है कि शासन के ये अधिकारी निजी कंपनी से गठजोड़ कर पीपीपी मोड पर दून में सिटी स्कैन को संचालित करवाना चाहते हैं. क्या है पूरा मामला आइये आपको बताते हैं...
उत्तराखंड में स्वास्थ्य महकमा आईएएस नितेश झा, पंकज कुमार पांडेय और युगल किशोर पंत के हाथों में है. ये तीनों आईएएस अधिकारी मिलकर भी इस महकमे की मामूली समस्याओं को दूर नहीं कर पा रहे हैं. इसका ताजा उदाहरण दून मेडिकल कॉलेज में देखने को मिला है. यहां पिछले 8 महीनों से सिटी स्कैन मशीन खराब पड़ी है. पर अभी तक इस मामले में कुछ नहीं हो पाया है.
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हालांकि 5 से 6 करोड़ की लागत वाली इस मशीन का प्रस्ताव शासन को भेजा जा चुका है, लेकिन आईएएस अधिकारी न जाने क्यों इसकी फाइल दबाए बैठे हैं. हैरानी की बात ये है कि इस महकमे की कमान खुद मुख्यमंत्री के हाथों में है. तब भी स्वास्थ्य महकमा मरीजों की मुश्किलों के लिहाज से जरा भी संवेदनशील नहीं है.
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दून मेडिकल कॉलेज में हर रोज करीब 30 से 40 मरीज सिटी स्कैन करवाने आते हैं. मशीन खराब होने से डॉक्टर्स बाहर के अस्पतालों या निजी लैबों में मरीजों को सीटी स्कैन के लिए भेज रहे हैं. जिसका खामियाजा भोली भाली जनता को भुगतना पड़ रहा है. वहीं सूत्रों की मानें तो अस्पताल में सिटी स्कैन मशीन लगने में होने वाली देरी के बारे में भी तरह-तरह की बातें सामने आ रही हैं.
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सूत्रों का कहना है कि शासन में आईएएस अधिकारी सिटी स्कैन को पीपीपी मोड पर देना चाहते हैं. कोई कहता है कि इस महंगी मशीन के नाम पर जमकर कमीशन खोरी हो रही है. वहीं कुछ लोगों का तो यहां तक कहना है कि इस के लिए निजी कंपनी से साठगांठ की कोशिशें की जा रही हैं इसलिए नई मशीन की खरीद को लेकर कोई विचार नहीं किया जा रहा है.