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दून अस्पताल: आठ महीने से खराब सिटी स्कैन मशीन, आखिर क्या खेल खेल रहे ये तीन IAS? - City Scan Machine Contract in Private Hands

उत्तराखंड में स्वास्थ्य महकमा आईएएस नितेश झा, पंकज कुमार पांडेय और युगल किशोर पंत के हाथों में है. ये तीनों आईएएस अधिकारी मिलकर भी इस महकमे की मामूली समस्याओं को दूर नहीं कर पा रहे हैं. इसका ताजा उदाहरण दून मेडिकल कॉलेज में देखने को मिला है.

सिटी स्कैन मशीन को PPP मोड में देने पर विचार कर रहे अधिकारी.
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Published : Oct 19, 2019, 8:04 PM IST

देहरादून: प्रदेश में लगातार स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल होती जा रही हैं. ऐसा तब हो रहा है जब स्वास्थ्य विभाग खुद सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के पास है. हालात ये हैं कि सीएम और स्वास्थ्य विभाग में तैनात किये गये तीन आईएएस अफसरों के होने के बाद भी राजधानी में हालात जस के तस हैं. दून अस्पताल में सिटी स्कैन मशीन आठ महीनों से खराब पड़ी है. जो कि इन अधिकारियों की प्राथमिकता को दिखाता है. वहीं अब खबर है कि शासन के ये अधिकारी निजी कंपनी से गठजोड़ कर पीपीपी मोड पर दून में सिटी स्कैन को संचालित करवाना चाहते हैं. क्या है पूरा मामला आइये आपको बताते हैं...

सिटी स्कैन मशीन को PPP मोड में देने पर विचार कर रहे अधिकारी.

उत्तराखंड में स्वास्थ्य महकमा आईएएस नितेश झा, पंकज कुमार पांडेय और युगल किशोर पंत के हाथों में है. ये तीनों आईएएस अधिकारी मिलकर भी इस महकमे की मामूली समस्याओं को दूर नहीं कर पा रहे हैं. इसका ताजा उदाहरण दून मेडिकल कॉलेज में देखने को मिला है. यहां पिछले 8 महीनों से सिटी स्कैन मशीन खराब पड़ी है. पर अभी तक इस मामले में कुछ नहीं हो पाया है.

पढ़ें-त्रिवेंद्र सरकार का मास्टर स्ट्रोक, अनिवार्य सेवानिवृत्ति के विरोध को देखते हुए शुरू किया ये काम

हालांकि 5 से 6 करोड़ की लागत वाली इस मशीन का प्रस्ताव शासन को भेजा जा चुका है, लेकिन आईएएस अधिकारी न जाने क्यों इसकी फाइल दबाए बैठे हैं. हैरानी की बात ये है कि इस महकमे की कमान खुद मुख्यमंत्री के हाथों में है. तब भी स्वास्थ्य महकमा मरीजों की मुश्किलों के लिहाज से जरा भी संवेदनशील नहीं है.

पढ़ें-देहरादून शहर में नहीं थम रहा डेंगू का आतंक, 55 नये मरीजों में पुष्टि

दून मेडिकल कॉलेज में हर रोज करीब 30 से 40 मरीज सिटी स्कैन करवाने आते हैं. मशीन खराब होने से डॉक्टर्स बाहर के अस्पतालों या निजी लैबों में मरीजों को सीटी स्कैन के लिए भेज रहे हैं. जिसका खामियाजा भोली भाली जनता को भुगतना पड़ रहा है. वहीं सूत्रों की मानें तो अस्पताल में सिटी स्कैन मशीन लगने में होने वाली देरी के बारे में भी तरह-तरह की बातें सामने आ रही हैं.

पढ़ें-नैनीताल HC के आदेश पर राज्य चुनाव आयोग ने जारी किये दिशा-निर्देश, सरकार को भेजा प्रस्ताव

सूत्रों का कहना है कि शासन में आईएएस अधिकारी सिटी स्कैन को पीपीपी मोड पर देना चाहते हैं. कोई कहता है कि इस महंगी मशीन के नाम पर जमकर कमीशन खोरी हो रही है. वहीं कुछ लोगों का तो यहां तक कहना है कि इस के लिए निजी कंपनी से साठगांठ की कोशिशें की जा रही हैं इसलिए नई मशीन की खरीद को लेकर कोई विचार नहीं किया जा रहा है.

देहरादून: प्रदेश में लगातार स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल होती जा रही हैं. ऐसा तब हो रहा है जब स्वास्थ्य विभाग खुद सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के पास है. हालात ये हैं कि सीएम और स्वास्थ्य विभाग में तैनात किये गये तीन आईएएस अफसरों के होने के बाद भी राजधानी में हालात जस के तस हैं. दून अस्पताल में सिटी स्कैन मशीन आठ महीनों से खराब पड़ी है. जो कि इन अधिकारियों की प्राथमिकता को दिखाता है. वहीं अब खबर है कि शासन के ये अधिकारी निजी कंपनी से गठजोड़ कर पीपीपी मोड पर दून में सिटी स्कैन को संचालित करवाना चाहते हैं. क्या है पूरा मामला आइये आपको बताते हैं...

सिटी स्कैन मशीन को PPP मोड में देने पर विचार कर रहे अधिकारी.

उत्तराखंड में स्वास्थ्य महकमा आईएएस नितेश झा, पंकज कुमार पांडेय और युगल किशोर पंत के हाथों में है. ये तीनों आईएएस अधिकारी मिलकर भी इस महकमे की मामूली समस्याओं को दूर नहीं कर पा रहे हैं. इसका ताजा उदाहरण दून मेडिकल कॉलेज में देखने को मिला है. यहां पिछले 8 महीनों से सिटी स्कैन मशीन खराब पड़ी है. पर अभी तक इस मामले में कुछ नहीं हो पाया है.

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हालांकि 5 से 6 करोड़ की लागत वाली इस मशीन का प्रस्ताव शासन को भेजा जा चुका है, लेकिन आईएएस अधिकारी न जाने क्यों इसकी फाइल दबाए बैठे हैं. हैरानी की बात ये है कि इस महकमे की कमान खुद मुख्यमंत्री के हाथों में है. तब भी स्वास्थ्य महकमा मरीजों की मुश्किलों के लिहाज से जरा भी संवेदनशील नहीं है.

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दून मेडिकल कॉलेज में हर रोज करीब 30 से 40 मरीज सिटी स्कैन करवाने आते हैं. मशीन खराब होने से डॉक्टर्स बाहर के अस्पतालों या निजी लैबों में मरीजों को सीटी स्कैन के लिए भेज रहे हैं. जिसका खामियाजा भोली भाली जनता को भुगतना पड़ रहा है. वहीं सूत्रों की मानें तो अस्पताल में सिटी स्कैन मशीन लगने में होने वाली देरी के बारे में भी तरह-तरह की बातें सामने आ रही हैं.

पढ़ें-नैनीताल HC के आदेश पर राज्य चुनाव आयोग ने जारी किये दिशा-निर्देश, सरकार को भेजा प्रस्ताव

सूत्रों का कहना है कि शासन में आईएएस अधिकारी सिटी स्कैन को पीपीपी मोड पर देना चाहते हैं. कोई कहता है कि इस महंगी मशीन के नाम पर जमकर कमीशन खोरी हो रही है. वहीं कुछ लोगों का तो यहां तक कहना है कि इस के लिए निजी कंपनी से साठगांठ की कोशिशें की जा रही हैं इसलिए नई मशीन की खरीद को लेकर कोई विचार नहीं किया जा रहा है.

Intro:स्पेशल रिपोर्ट.....

Summary- मुख्यमंत्री के पास मौजूद स्वास्थ्य महकमा तीन आईएएस से भी नहीं संभल पा रहा है.. हालत यह है कि 8 महीनों से खराब पड़ी सिटी स्कैन मशीन इन अधिकारियों की प्राथमिकता में नही.. खबर है कि शासन के ये अधिकारी निजी कंपनी से गठजोड़ कर यानी पीपीपी मोड पर दून में सिटी स्कैन को संचालित करवाना चाहते हैं..देखिये क्या है पूरा मामला...


Body:उत्तराखंड में स्वास्थ्य महकमा आईएएस नितेश झा, पंकज कुमार पांडेय और युगल किशोर पंत के हाथों में है..लेकिन तीन आईएएस मिलकर भी इस महकमे की मामूली समस्याओं को दूर नही कर पा रहे हैं.. ताज़ा उदाहरण दून मेडिकल कॉलेज की सिटी स्कैन मशीन का है..जिसे खराब हुए 8 महीने हो चुके हैं..यूं तो करीब 5 से 6 करोड़ की लागत वाली इस मशीन का प्रस्ताव शासन को भेजा जा चुका है लेकिन आईएएस अधिकारी न जाने क्यों इसे दबाए बैठे हैं..हैरानी की बात ये है कि इस महकमे की कमान मुख्यमंत्री के हाथों में है..तब भी स्वास्थ्य महकमा मरीजों की मुश्किलों के लिहाज से जरा भी नही बदल पाया है..


बाइट-डॉ एन एस खत्री, डिप्टी मेडिकल सुप्रिडेंट, दून मेडिकल कॉलेज


देहरादून के दून मेडिकल कॉलेज में हर रोज करीब 30 से 40 मरीज हर रोज सिटी स्कैन करवाया करते थे.. अब आकलन है कि डॉक्टर्स अस्पताल से बाहर निजी लैब के लिए 60 से 80 मरीजों को सीटी स्कैन के लिए भेज रहे हैं.. इस मशीन को खरीदें जाने को लेकर तरह तरह की बातें हो रही है.. कोई कहता है कि शासन में बैठे आईएएस सीटी स्कैन को पीपीपी मोड पर देना चाहते हैं... कोई कहता है कि इस महंगी मशीन के नाम पर जमकर कमीशन खोरी हो रही है.. कोई कहता है कि निजी कंपनी से सांठगांठ की कोशिशें की जा रही है इसलिए मरीजों की परेशानी को भूलकर नई मशीन को लेकर कोई विचार नहीं कर रहा। बरहाल दूर अस्पताल में कम पैसों में हो जाने वाली सिटी स्कैन को लेकर मरीज निजी लैब में जाकर दोगुने से ज्यादा पैसा खर्च करने को मजबूर हैं। 




Conclusion:पीटीसी नवीन उनियाल देहरादून
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