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नारी निकेतन दुष्कर्म मामला: नौ आरोपी को दोषी करार, 2 सितंबर को होगा सजा का एलान

नारी निकेतन में संवासिनियों से दुष्कर्म व गर्भपात कराने के मामले में अदालत ने नौ आरोपियों को दोषी करार दिया है. आगामी 2 सितंबर 2019 को सभी नौ दोषियों को देहरादून ASJ 6th धर्मसिंह की अदालत द्वारा सजा सुनाई जाएगी.

नारी निकेतन संवासिनी दुष्कर्म मामला
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Published : Aug 30, 2019, 7:54 PM IST

देहरादून: नारी निकेतन में दिव्यांग संवासिनियों से दुष्कर्म और गर्भपात कराने के मामले में शक्रवार को अदालत ने अपना फैसला सुना दिया है. फैसला सुनाते हुए अदालत ने इस मामले में नौ आरोपियों को दोषी करार दिया है. जिनमें 4 पुरुष और 5 महिलाएं शामिल हैं. दोषियों की सजा के मामले में आगामी बहस सोमवार को की जाएगी. साल 2015 में नारी निकेतन में घटित हुये सनसनीखेज घटनाक्रम में पिछले 4 साल से कानूनी कार्रवाई चल रही था, जिस पर अदालत ने अपना फैसला सुनाया है.

क्या था मामला

बता दें कि साल 2015 में देहरादून के केदारपुरम स्थित नारी निकेतन भवन में सरकारी संरक्षण में उपचार के लिए भर्ती हुई एक संवासिनी से तीन कर्मचारियों द्वारा दुष्कर्म और यौन उत्पीड़न का मामला सामने आया था. कुछ दिन बाद यह भी जानकारी सामने आयी कि पीड़ित संवासिनी का जबरन गर्भपात करवा कर भ्रूण को दूधली के जंगलों में दफनाया गया. इस घटना कुछ प्रमाण सामने आने के बाद शासन प्रशासन में हड़कंप मच गया था. जिसके बाद आनन-फानन में एक जांच कमेटी बनाई गई.

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उसके बाद एसपी सिटी और एसडीएम के नेतृत्व में एक और जांच की गई. इसके बाद सरकार ने पूरे मामले की जांच के लिए एसआईटी टीम गठित की. जिसके बाद मामले में महिला और दुष्कर्म करने वाले कर्मचारियों की गिरफ्तारी की गई. जिसके बाद एसआईटी टीम ने पूरे मामले में सबूत जुटाकर कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की. एसआईटी टीम ने संवासिनी और दुष्कर्म करने वाले कर्मचारियों का डीएनए टेस्ट कराया जो पॉजिटिव पाया गया. जिसके बाद 4 साल चली कानूनी प्रक्रिया के बाद आज अदालत ने इस मामले में नौ आरोपियों को दोषी करार दिया है.

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इन कर्मचारियों को इन धाराओं में दोषी करार दिया गया

साल 2015 में नारी निकेतन में एक संवासिनी के साथ दुष्कर्म और भ्रूण हत्याकांड में कोर्ट से दोषी ठहराए गए अभियुक्तों में नारी निकेतन कर्मी चन्द्रकला क्षेत्री, समा निगार,किरण नौटियाल और अनिता मेंदोला को धारा 313,120 (B) और 201 में दोषी करार दिया गया. जबकि मीनाक्षी पोखरियाल, किरण नौटियाल को धार 201 IPC के तहत दोषी पाया गया है. नारी निकेतन में संवासिनी के साथ दुष्कर्म और भ्रूण हत्या में सफाई कर्मचारी गुरुदास, होमगार्ड ललित और अनुसेवक कृष्ण उर्फ कांछा को कोर्ट ने धारा 376 C दुष्कर्म और 511 IPC के तहत दोषी करार दिया हैं.

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मामले में शासकीय अधिवक्ता संजीव सिसौदिया ने जानकारी देते हुए बताया कि ये मामला साल 2015 का है. उन्होंने बताया कि कोर्ट में सभी पर्याप्त सबूत और डीएनए सैंपल मिलान होने के बाद दुष्कर्म के 3 कर्मचारियों को आईपीसी 376 c के तहत दोषी करार दिया गया. उन्होंने बताया कि आगामी 2 सितंबर 2019 को सभी नौ दोषियों को देहरादून ASJ 6th धर्मसिंह की अदालत द्वारा सजा सुनाई जाएगी.

देहरादून: नारी निकेतन में दिव्यांग संवासिनियों से दुष्कर्म और गर्भपात कराने के मामले में शक्रवार को अदालत ने अपना फैसला सुना दिया है. फैसला सुनाते हुए अदालत ने इस मामले में नौ आरोपियों को दोषी करार दिया है. जिनमें 4 पुरुष और 5 महिलाएं शामिल हैं. दोषियों की सजा के मामले में आगामी बहस सोमवार को की जाएगी. साल 2015 में नारी निकेतन में घटित हुये सनसनीखेज घटनाक्रम में पिछले 4 साल से कानूनी कार्रवाई चल रही था, जिस पर अदालत ने अपना फैसला सुनाया है.

क्या था मामला

बता दें कि साल 2015 में देहरादून के केदारपुरम स्थित नारी निकेतन भवन में सरकारी संरक्षण में उपचार के लिए भर्ती हुई एक संवासिनी से तीन कर्मचारियों द्वारा दुष्कर्म और यौन उत्पीड़न का मामला सामने आया था. कुछ दिन बाद यह भी जानकारी सामने आयी कि पीड़ित संवासिनी का जबरन गर्भपात करवा कर भ्रूण को दूधली के जंगलों में दफनाया गया. इस घटना कुछ प्रमाण सामने आने के बाद शासन प्रशासन में हड़कंप मच गया था. जिसके बाद आनन-फानन में एक जांच कमेटी बनाई गई.

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उसके बाद एसपी सिटी और एसडीएम के नेतृत्व में एक और जांच की गई. इसके बाद सरकार ने पूरे मामले की जांच के लिए एसआईटी टीम गठित की. जिसके बाद मामले में महिला और दुष्कर्म करने वाले कर्मचारियों की गिरफ्तारी की गई. जिसके बाद एसआईटी टीम ने पूरे मामले में सबूत जुटाकर कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की. एसआईटी टीम ने संवासिनी और दुष्कर्म करने वाले कर्मचारियों का डीएनए टेस्ट कराया जो पॉजिटिव पाया गया. जिसके बाद 4 साल चली कानूनी प्रक्रिया के बाद आज अदालत ने इस मामले में नौ आरोपियों को दोषी करार दिया है.

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इन कर्मचारियों को इन धाराओं में दोषी करार दिया गया

साल 2015 में नारी निकेतन में एक संवासिनी के साथ दुष्कर्म और भ्रूण हत्याकांड में कोर्ट से दोषी ठहराए गए अभियुक्तों में नारी निकेतन कर्मी चन्द्रकला क्षेत्री, समा निगार,किरण नौटियाल और अनिता मेंदोला को धारा 313,120 (B) और 201 में दोषी करार दिया गया. जबकि मीनाक्षी पोखरियाल, किरण नौटियाल को धार 201 IPC के तहत दोषी पाया गया है. नारी निकेतन में संवासिनी के साथ दुष्कर्म और भ्रूण हत्या में सफाई कर्मचारी गुरुदास, होमगार्ड ललित और अनुसेवक कृष्ण उर्फ कांछा को कोर्ट ने धारा 376 C दुष्कर्म और 511 IPC के तहत दोषी करार दिया हैं.

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मामले में शासकीय अधिवक्ता संजीव सिसौदिया ने जानकारी देते हुए बताया कि ये मामला साल 2015 का है. उन्होंने बताया कि कोर्ट में सभी पर्याप्त सबूत और डीएनए सैंपल मिलान होने के बाद दुष्कर्म के 3 कर्मचारियों को आईपीसी 376 c के तहत दोषी करार दिया गया. उन्होंने बताया कि आगामी 2 सितंबर 2019 को सभी नौ दोषियों को देहरादून ASJ 6th धर्मसिंह की अदालत द्वारा सजा सुनाई जाएगी.

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देहरादून नारी निकेतन में दिव्यांग संवासिनियों से दुष्कर्म और गर्भपात कराने के मामले में नौ आरोपियों को अदालत ने दोषी करार दिया है। शासकीय अधिवक्ता संजीव सिसौदिया ने बताया कि आज देहरादून में अपर जिला जज षष्ठम की अदालत में सभी नौ आरोपियों का दोष सिद्ध हुआ।बताया गया कि दोषियों की सजा पर आगामी सोमवार को बहस होगी। बता दें कि साल 2015 में अमर उजला ने देहरादून नारी निकतन में संवासिनियों से दुष्कर्म और गर्भपात कराने के बाद भ्रूण छुपाने का मामला प्रमुखता से उठाया था। नारी निकेतन के अंदर खाने हुए इस अपराध का खुलासा एक गुप्त पत्र द्वारा हुआ था जो अमर उजाला को भेजा गया था। 



समाज कल्याण निदेशक के नाम भेजा गया था ये पत्र



अमर उजाला ने 17 नवंबर, 2015 को गोपनीय पत्र के आधार पर संवासिनी के साथ रेप और गर्भपात का मुद्दा उठाया था। अगले दिन नारी निकेतन के अंदर की काली करतूत को छिपाने के लिए मीडियाकर्मियों पर पत्थरबाजी तक करा दी गई थी। 



अमर उजाला टीम ने हिम्मत नहीं हारी। प्रबोशन अधिकारी मीना बिष्ट ने तो मामले को सिरे से नकार दिया था। महिला कांग्रेस ने भी भ्रमण कर नारी निकेतन में कुछ ना होने की एक तरफा रिपोर्ट जारी कर दी थी। अमर उजाला ने नारी निकेतन में तीन मूक-बधिर संवासिनियों की वीडियो रिकार्डिंग को लेकर मूक-बधिर सांकेतिक भाषा के विशेषज्ञों की राय की रिपोर्ट को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। इसमें नारी निकेतन में अपराध होने के संकेत मिले, तब जाकर कहीं मामले को दबाने में लगे लोग बैकफुट पर आए। 



शोर-शराबा हुआ तो तत्कालीन डीएम ने एडीएम झरना कामठान की अगुवाई वाली जांच टीम गठित की गई। टीम ने तथ्यों के आधार रिपोर्ट दी थी कि नारी निकेतन में कुछ ना कुछ गड़बड़ है। शासन के आदेश पर तत्कालीन पुलिस अधीक्षक नगर अजय सिंह की अगुवाई में एसआईटी गठित हुई तो मूक बधिर पीड़ित संवासिनी तक पहुंचने में 48 घंटे से अधिक का समय नहीं लगा।



पत्र से सामने आया था घिनौना सच



मेडिकल आधार पर संवासिनी के गर्भपात की पुष्टि हुई तो अमर उजाला की मुहिम को पंख लग गए। एसआईटी ने अगले दिन दूधली के जंगल से भ्रूण बरामद किया तो पूरी खबर पर मोहर लग गई। इसके बाद शुरू हुआ कार्रवाई का सिलसिला। नारी निकेतन अधीक्षिका समेत कई लोगों को जेल जाना पड़ा।



नारी निकेतन के चौकीदार ने ही संवासिनी को अपनी हवस का शिकार बनाया था। डीएनए रिपोर्ट से इस पर मोहर भी लग गई थी। एसआईटी की जांच में आया कि दुराचार की घटना पर पर्दा डालने के लिए यह गर्भपात किया गया था। इस खुलासे के बाद शासन की नींद टूटी तो सुधार की प्रकिया शुरू हुई। मानसिक रोगी संवासिनी और मूक-बधिर को अलग-अलग करने के साथ मेडिकल व्यवस्था में सुधार हुआ।



मूक-बधिर की भाषा समझने के लिए अलग से एक्सपर्ट रखे गए। यही नहीं संवासिनी को नियमित योग कराने के साथ उन्हें धूप बत्ती, कैंडल आदि बनाने का प्रशिक्षण दिया गया। मूक-बधिर संवासनियों को वोट तक अधिकार देने के लिए पहचान-पत्र बनाए गए। दो दर्जन के करीब संवासिनी को उनके घर तक पहुंचाने में भी अमर उजाला की सार्थक पहल परवान चढ़ी।


Conclusion:
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