देहरादून: उत्तराखंड में कृषि को बढ़ावा देने और 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए राज्य सरकार तमाम योजनाएं चला रही हैं. इसी क्रम में नाबार्ड स्टेट क्रेडिट सेमिनार 2020-21 का आयोजन किया गया. इस आयोजन में किसानों को व्यक्तिगत रूप से बिना ब्याज के एक लाख और समूहों को 5 लाख रुपये तक का कृषि लोन देने, जैविक उत्पादों का सर्टिफिकेशन, वैल्यू एडिशन के संबंध में जानकारी दी गई.
राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक ने आगामी वित्तीय वर्ष 2020-21 में उत्तराखंड की कुल ऋण संभाव्यता 24,656 करोड़ रुपये आंकलित की है. इनमें से लगभग 11,802 करोड़ रुपए की कृषि ऋण संभाव्यता है. यही नहीं सेमिनार में क्लस्टर आधारित खेती, वैल्यू एडिशन और जैविक उत्पादों के सर्टिफिकेशन पर भी विशेष ध्यान दिए जाने को लेकर चर्चा की गई.
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सेमिनार को संबोधित करते हुए सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि पर्वतीय खेतों की सिंचाई के लिए जलाशय विकसित करने होंगे. क्लस्टर आधारित खेती और जैविक उत्पादों के सर्टिफिकेशन की व्यवस्था भी किसानों की आय को बढ़ाने के लिए बहुत जरूरी है. मुख्यमंत्री ने बताया कि उत्तराखंड भौगोलिक विषमताओं वाला प्रदेश है, यही वजह है कि पर्वतीय खेती में लिफ्ट सिंचाई बहुत खर्चीली होती है. इसके लिए ग्रेविटी आधारित पेयजल और सिंचाई के लिए जलाशयों का निर्माण जरूरी है. लिहाजा राज्य सरकार ने इस दिशा में शुरुआत कर दी है. पिथौरागढ़, चम्पावत, अल्मोड़ा, पौड़ी, चमोली, देहरादून जैसे जिलों में जलाशय और झीलें विकसित की जा रही हैं.