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नाबार्ड स्टेट क्रेडिट सेमिनार का आयोजन, किसानों की आय दोगुनी करने पर चर्चा - CM Trivendra Singh Rawat,

राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक ने आगामी वित्तीय वर्ष 2020-21 में उत्तराखंड की कुल ऋण संभाव्यता 24,656 करोड़ रुपये आंकलित की है. इनमें से लगभग 11,802 करोड़ रुपये की कृषि ऋण संभाव्यता है.

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नाबार्ड स्टेट क्रेडिट सेमिनार 2020-21
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Published : Jan 13, 2020, 6:26 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में कृषि को बढ़ावा देने और 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए राज्य सरकार तमाम योजनाएं चला रही हैं. इसी क्रम में नाबार्ड स्टेट क्रेडिट सेमिनार 2020-21 का आयोजन किया गया. इस आयोजन में किसानों को व्यक्तिगत रूप से बिना ब्याज के एक लाख और समूहों को 5 लाख रुपये तक का कृषि लोन देने, जैविक उत्पादों का सर्टिफिकेशन, वैल्यू एडिशन के संबंध में जानकारी दी गई.

नाबार्ड स्टेट क्रेडिट सेमिनार का आयोजन.

राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक ने आगामी वित्तीय वर्ष 2020-21 में उत्तराखंड की कुल ऋण संभाव्यता 24,656 करोड़ रुपये आंकलित की है. इनमें से लगभग 11,802 करोड़ रुपए की कृषि ऋण संभाव्यता है. यही नहीं सेमिनार में क्लस्टर आधारित खेती, वैल्यू एडिशन और जैविक उत्पादों के सर्टिफिकेशन पर भी विशेष ध्यान दिए जाने को लेकर चर्चा की गई.

पढ़ें- उत्तराखंडः लोगों की मुश्किलें बढ़ा सकता है मौसम, ऐसा रहेगा मिजाज

सेमिनार को संबोधित करते हुए सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि पर्वतीय खेतों की सिंचाई के लिए जलाशय विकसित करने होंगे. क्लस्टर आधारित खेती और जैविक उत्पादों के सर्टिफिकेशन की व्यवस्था भी किसानों की आय को बढ़ाने के लिए बहुत जरूरी है. मुख्यमंत्री ने बताया कि उत्तराखंड भौगोलिक विषमताओं वाला प्रदेश है, यही वजह है कि पर्वतीय खेती में लिफ्ट सिंचाई बहुत खर्चीली होती है. इसके लिए ग्रेविटी आधारित पेयजल और सिंचाई के लिए जलाशयों का निर्माण जरूरी है. लिहाजा राज्य सरकार ने इस दिशा में शुरुआत कर दी है. पिथौरागढ़, चम्पावत, अल्मोड़ा, पौड़ी, चमोली, देहरादून जैसे जिलों में जलाशय और झीलें विकसित की जा रही हैं.

देहरादून: उत्तराखंड में कृषि को बढ़ावा देने और 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए राज्य सरकार तमाम योजनाएं चला रही हैं. इसी क्रम में नाबार्ड स्टेट क्रेडिट सेमिनार 2020-21 का आयोजन किया गया. इस आयोजन में किसानों को व्यक्तिगत रूप से बिना ब्याज के एक लाख और समूहों को 5 लाख रुपये तक का कृषि लोन देने, जैविक उत्पादों का सर्टिफिकेशन, वैल्यू एडिशन के संबंध में जानकारी दी गई.

नाबार्ड स्टेट क्रेडिट सेमिनार का आयोजन.

राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक ने आगामी वित्तीय वर्ष 2020-21 में उत्तराखंड की कुल ऋण संभाव्यता 24,656 करोड़ रुपये आंकलित की है. इनमें से लगभग 11,802 करोड़ रुपए की कृषि ऋण संभाव्यता है. यही नहीं सेमिनार में क्लस्टर आधारित खेती, वैल्यू एडिशन और जैविक उत्पादों के सर्टिफिकेशन पर भी विशेष ध्यान दिए जाने को लेकर चर्चा की गई.

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सेमिनार को संबोधित करते हुए सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि पर्वतीय खेतों की सिंचाई के लिए जलाशय विकसित करने होंगे. क्लस्टर आधारित खेती और जैविक उत्पादों के सर्टिफिकेशन की व्यवस्था भी किसानों की आय को बढ़ाने के लिए बहुत जरूरी है. मुख्यमंत्री ने बताया कि उत्तराखंड भौगोलिक विषमताओं वाला प्रदेश है, यही वजह है कि पर्वतीय खेती में लिफ्ट सिंचाई बहुत खर्चीली होती है. इसके लिए ग्रेविटी आधारित पेयजल और सिंचाई के लिए जलाशयों का निर्माण जरूरी है. लिहाजा राज्य सरकार ने इस दिशा में शुरुआत कर दी है. पिथौरागढ़, चम्पावत, अल्मोड़ा, पौड़ी, चमोली, देहरादून जैसे जिलों में जलाशय और झीलें विकसित की जा रही हैं.

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उत्तराखंड में कृषि को बढ़ावा देने और साल 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने को लेकर राज्य सरकार तमाम योजनाएं चला रही है। इसके साथ ही किसानों को व्यक्तिगत रूप से बिना व्याज के 1 लाख और समूह को 5 लाख रुपये तक का कृषि लोन देने, जैविक उत्पादों का सर्टिफिकेशन, वैल्यु एडिशन के सम्बंद में नाबार्ड द्वारा स्टेट क्रेडिट सेमिनार 2020-21 का आयोजन किया गया। 


Body:राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक ने आगामी वित्तीय वर्ष 2020-21 में उत्तराखण्ड की कुल ऋण सम्भाव्यता 24,656 करोड़ रूपए आंकलित की है। इनमें से लगभग 11,802 करोड रूपए की कृषि ऋण सम्भाव्यता है। यही नही बैठक में क्लस्टर आधारित खेती, वैल्यु एडिशन और जैविक उत्पादों के सर्टिफिकेशन पर विशेष ध्यान दिए जाने को लेकर चर्चा किया गया। 


मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने बताया कि पर्वतीय खेती के लिए सिंचाई की सुविधा के लिए जलाशय विकसित करने होंगे। और क्लस्टर आधारित खेती और जैविक उत्पादों के सर्टिफिकेशन की व्यवस्था भी किसानों की आय को बढ़ाने के लिए बहुत जरूरी है। यही नही मुख्यमंत्री ने बताया कि उत्तराखण्ड भौगोलिक विषमताओं वाला प्रदेश है। यही वजह है कि पर्वतीय खेती में लिफ्ट सिंचाई बहुत खर्चीली होती है। इसलिए ग्रेविटी आधारित पेयजल और सिंचाई के लिए पानी की आपूर्ति के लिए जलाशयों का निर्माण जरूरी है। लिहाजा राज्य सरकार ने इस दिशा में शुरूआत की है। और पिथौरागढ़, चम्पावत, अल्मोड़ा, पौड़ी, चमोली, देहरादून जैसे जिलों में जलाशय और झीलें विकसित की जा रही हैं। 




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