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प्रदेश का झगड़ा दिल्ली दरबार ले गए उमेश 'काऊ', आर-पार के मूड में

चुनाव आने वाले हैं तो उत्तराखंड में जबरदस्त हलचल है. इस बीच कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए विधायक उमेश शर्मा काऊ के साथ हुए कार्यकर्ताओं के बवाल ने तूल पकड़ लिया है. काऊ इस मामले को दिल्ली दरबार तक ले गए. उन्हें बीजेपी के प्रदेश संगठन से सुलह की कोई उम्मीद नहीं है. उधर कांग्रेस उमेश शर्मा को वापसी का लॉलीपॉप दिखा रही है.

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बीजेपी का झगड़ा
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Published : Sep 8, 2021, 2:33 PM IST

Updated : Sep 8, 2021, 8:25 PM IST

देहरादून: 2022 विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक गलियारों में हलचल शुरू हो गयी है. प्रदेश की दोनों मुख्य पार्टियां भाजपा और कांग्रेस के अंदर खाने नेताओं के आपसी विवाद साफ तौर पर देखे जा रहे हैं. वहीं, इन दिनों रायपुर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक उमेश शर्मा का मामला राजनीतिक गलियारों में जोर-शोर से सुनाई दे रहा है.

दिल्ली दरबार पहुंचा विवाद: पिछले दिनों जनसभा में हुए विवाद के बाद उमेश शर्मा दिल्ली दरबार पहुंच गए थे. रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ ने दिल्ली से लौटने के बाद एक बार फिर न सिर्फ अपने दर्द को बयां किया, बल्कि इस ओर भी इशारा कर दिया कि अब उन्हें प्रदेश भाजपा संगठन से कोई उम्मीद नहीं है. आखिर क्या है रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ से जुड़ा विवाद, चुनाव से पहले आखिर एक बार फिर राजनीतिक गलियारों में क्यों शुरू हुई हलचल? पेश है ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट...

काऊ से हुई थी तू-तू मैं-मैं: दरअसल, कुछ दिन पहले मालदेवता में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान रायपुर के विधायक उमेश शर्मा काऊ की भाजपा के ही कार्यकर्ताओं के साथ तू-तू मैं-मैं हो गयी थी. यह मामला प्रदेश संगठन तक ही नहीं रुका. बल्कि यह मामला भाजपा आलाकमान तक पहुंच गया.

बीजेपी का झगड़ा.

कार्यकर्ता कर रहे काऊ पर कार्रवाई की मांग: दरअसल भाजपा कार्यकर्ता रायपुर विधायक पर कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं, तो वहीं मामले की गंभीरता को देखते हुए रायपुर विधायक उमेश शर्मा बीते दिन दिल्ली पहुंच गए. उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय पदाधिकारियों से मुलाकात कर अपने दर्द को बयां किया. इस पर भाजपा आलाकमान ने 15 दिन के भीतर उमेश शर्मा की समस्याओं के समाधान की बात कही है.

दिल्ली से लौटकर बयां किया दर्द: वहीं, दिल्ली से लौटे रायपुर विधायक उमेश शर्मा ने एक बार फिर अपना दर्द बयां किया. उन्होंने कहा कि पिछले 4 सालों से उनके साथ नाइंसाफी हो रही है. इसको लेकर कई मर्तबा प्रदेश संगठन के साथ ही मुख्यमंत्री से भी बातचीत की गई. लेकिन उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हो पाया.

इसके चलते उन्हें भाजपा आलाकमान से अपनी समस्याओं के समाधान के सिलसिले में मुलाकात करनी पड़ी. यही नहीं, उमेश शर्मा ने यहां तक कह दिया कि अगर भाजपा आलाकमान से कोई निष्कर्ष सामने नहीं आता है, तो उनका अपना एक संगठन है, जो सभी मिलकर तय करेंगे कि आगे क्या करना है.

ये भी पढ़िए: कांग्रेसी बागियों के अपमान पर हरक ने खोला मोर्चा, BJP को दी खामियाजा भुगतने की चेतावनी

कांग्रेस से आए विधायकों का है ग्रुप: उमेश शर्मा ने कहा कि जब कांग्रेस का दामन छोड़ भाजपा में शामिल हुए थे तो वह अकेले भाजपा में शामिल नहीं हुए थे, बल्कि एक ग्रुप के साथ वहां भाजपा में शामिल हुए थे. जिसमें से कुछ लोग कैबिनेट मंत्री भी हैं और कुछ विधायक हैं. ऐसे में उस ग्रुप के लोगों में इस बात को लेकर चर्चा की जाएगी कि आगे क्या करना है. उस ग्रुप में जो भी निर्णय लिया जाएगा, उस निर्णय के साथ उमेश शर्मा खड़े रहेंगे. यही नहीं, उमेश शर्मा ने कहा कि जो उनके ग्रुप के लोग हैं उनको भी अपना दर्द बयां कर चुके हैं.

प्रदेश बीजेपी संगठन नहीं सुन रहा समस्या: उमेश शर्मा काऊ ने कहा कि अपने दर्द को वह पिछले 4 सालों से भाजपा संगठन के सामने बयां करते रहे. लेकिन जब उन्हें अब लग गया है कि प्रदेश संगठन कोई निर्णय नहीं ले रहा है तो उन्हें भाजपा के राष्ट्रीय आलाकमान की ओर रुख करना पड़ा.

यही नहीं एक निजी होटल में आयोजित स्वास्थ्य संवाद कार्यक्रम के दौरान उमेश शर्मा काऊ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता काजी निजामुद्दीन के साथ गुफ्तगू करते नजर आए. इस सवाल पर उमेश शर्मा काऊ ने कहा कि अगर कोई भी विधायक साथ आकर बैठ जाए इसका मतलब यह नहीं है कि कुछ और बात है.

रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ के नाराज चलने के मामले पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि कोई नाराजगी नहीं है. उमेश शर्मा से उनकी बात हो गई है. अगर कुछ ऐसी बात होगी तो वह मिल बैठकर मामले को सुलझा लेंगे.

काजी निजामुद्दीन से मिले उमेश तो पकी खिचड़ी: वहीं कांग्रेस विधायक काजी निजामुद्दीन ने कहा कि भाजपा विधायक उमेश शर्मा के साथ क्या हुआ है, इसका जवाब तो भाजपा को देना चाहिए. लेकिन अगर भाजपा अपने विधायक के साथ अच्छा बर्ताव नहीं करेगी तो इससे पार्टी की कार्यशैली और नीतियों पर प्रश्नचिन्ह उठता है. साथ ही काजी निजामुद्दीन ने कहा कि उनका उमेश शर्मा से व्यक्तिगत संबंध है. लिहाजा वह स्वास्थ्य संवाद कार्यक्रम में उनके साथ बैठकर सामान्य बातचीत कर रहे थे जिसका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है.

ये भी पढ़िए: रुड़की: 2022 विधानसभा चुनाव में बीजेपी को अंतर्कलह पड़ सकती है भारी

वहीं नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि राजनीति में कभी दरवाजे बंद नहीं होते हैं, बल्कि दरवाजे खुले रहते हैं, जिससे लोग आते-जाते रहते हैं. लेकिन जब नेताओं की वापसी की परिस्थितियां होंगी तो उसमें पार्टी आलाकमान निर्णय लेगा कि क्या करना है.

देहरादून: 2022 विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक गलियारों में हलचल शुरू हो गयी है. प्रदेश की दोनों मुख्य पार्टियां भाजपा और कांग्रेस के अंदर खाने नेताओं के आपसी विवाद साफ तौर पर देखे जा रहे हैं. वहीं, इन दिनों रायपुर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक उमेश शर्मा का मामला राजनीतिक गलियारों में जोर-शोर से सुनाई दे रहा है.

दिल्ली दरबार पहुंचा विवाद: पिछले दिनों जनसभा में हुए विवाद के बाद उमेश शर्मा दिल्ली दरबार पहुंच गए थे. रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ ने दिल्ली से लौटने के बाद एक बार फिर न सिर्फ अपने दर्द को बयां किया, बल्कि इस ओर भी इशारा कर दिया कि अब उन्हें प्रदेश भाजपा संगठन से कोई उम्मीद नहीं है. आखिर क्या है रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ से जुड़ा विवाद, चुनाव से पहले आखिर एक बार फिर राजनीतिक गलियारों में क्यों शुरू हुई हलचल? पेश है ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट...

काऊ से हुई थी तू-तू मैं-मैं: दरअसल, कुछ दिन पहले मालदेवता में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान रायपुर के विधायक उमेश शर्मा काऊ की भाजपा के ही कार्यकर्ताओं के साथ तू-तू मैं-मैं हो गयी थी. यह मामला प्रदेश संगठन तक ही नहीं रुका. बल्कि यह मामला भाजपा आलाकमान तक पहुंच गया.

बीजेपी का झगड़ा.

कार्यकर्ता कर रहे काऊ पर कार्रवाई की मांग: दरअसल भाजपा कार्यकर्ता रायपुर विधायक पर कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं, तो वहीं मामले की गंभीरता को देखते हुए रायपुर विधायक उमेश शर्मा बीते दिन दिल्ली पहुंच गए. उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय पदाधिकारियों से मुलाकात कर अपने दर्द को बयां किया. इस पर भाजपा आलाकमान ने 15 दिन के भीतर उमेश शर्मा की समस्याओं के समाधान की बात कही है.

दिल्ली से लौटकर बयां किया दर्द: वहीं, दिल्ली से लौटे रायपुर विधायक उमेश शर्मा ने एक बार फिर अपना दर्द बयां किया. उन्होंने कहा कि पिछले 4 सालों से उनके साथ नाइंसाफी हो रही है. इसको लेकर कई मर्तबा प्रदेश संगठन के साथ ही मुख्यमंत्री से भी बातचीत की गई. लेकिन उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हो पाया.

इसके चलते उन्हें भाजपा आलाकमान से अपनी समस्याओं के समाधान के सिलसिले में मुलाकात करनी पड़ी. यही नहीं, उमेश शर्मा ने यहां तक कह दिया कि अगर भाजपा आलाकमान से कोई निष्कर्ष सामने नहीं आता है, तो उनका अपना एक संगठन है, जो सभी मिलकर तय करेंगे कि आगे क्या करना है.

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कांग्रेस से आए विधायकों का है ग्रुप: उमेश शर्मा ने कहा कि जब कांग्रेस का दामन छोड़ भाजपा में शामिल हुए थे तो वह अकेले भाजपा में शामिल नहीं हुए थे, बल्कि एक ग्रुप के साथ वहां भाजपा में शामिल हुए थे. जिसमें से कुछ लोग कैबिनेट मंत्री भी हैं और कुछ विधायक हैं. ऐसे में उस ग्रुप के लोगों में इस बात को लेकर चर्चा की जाएगी कि आगे क्या करना है. उस ग्रुप में जो भी निर्णय लिया जाएगा, उस निर्णय के साथ उमेश शर्मा खड़े रहेंगे. यही नहीं, उमेश शर्मा ने कहा कि जो उनके ग्रुप के लोग हैं उनको भी अपना दर्द बयां कर चुके हैं.

प्रदेश बीजेपी संगठन नहीं सुन रहा समस्या: उमेश शर्मा काऊ ने कहा कि अपने दर्द को वह पिछले 4 सालों से भाजपा संगठन के सामने बयां करते रहे. लेकिन जब उन्हें अब लग गया है कि प्रदेश संगठन कोई निर्णय नहीं ले रहा है तो उन्हें भाजपा के राष्ट्रीय आलाकमान की ओर रुख करना पड़ा.

यही नहीं एक निजी होटल में आयोजित स्वास्थ्य संवाद कार्यक्रम के दौरान उमेश शर्मा काऊ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता काजी निजामुद्दीन के साथ गुफ्तगू करते नजर आए. इस सवाल पर उमेश शर्मा काऊ ने कहा कि अगर कोई भी विधायक साथ आकर बैठ जाए इसका मतलब यह नहीं है कि कुछ और बात है.

रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ के नाराज चलने के मामले पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि कोई नाराजगी नहीं है. उमेश शर्मा से उनकी बात हो गई है. अगर कुछ ऐसी बात होगी तो वह मिल बैठकर मामले को सुलझा लेंगे.

काजी निजामुद्दीन से मिले उमेश तो पकी खिचड़ी: वहीं कांग्रेस विधायक काजी निजामुद्दीन ने कहा कि भाजपा विधायक उमेश शर्मा के साथ क्या हुआ है, इसका जवाब तो भाजपा को देना चाहिए. लेकिन अगर भाजपा अपने विधायक के साथ अच्छा बर्ताव नहीं करेगी तो इससे पार्टी की कार्यशैली और नीतियों पर प्रश्नचिन्ह उठता है. साथ ही काजी निजामुद्दीन ने कहा कि उनका उमेश शर्मा से व्यक्तिगत संबंध है. लिहाजा वह स्वास्थ्य संवाद कार्यक्रम में उनके साथ बैठकर सामान्य बातचीत कर रहे थे जिसका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है.

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वहीं नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि राजनीति में कभी दरवाजे बंद नहीं होते हैं, बल्कि दरवाजे खुले रहते हैं, जिससे लोग आते-जाते रहते हैं. लेकिन जब नेताओं की वापसी की परिस्थितियां होंगी तो उसमें पार्टी आलाकमान निर्णय लेगा कि क्या करना है.

Last Updated : Sep 8, 2021, 8:25 PM IST
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