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अल्मोड़ा जिले में पलायन को लेकर आयोग ने जारी की रिपोर्ट, चौंकाने वाले आंकड़े आए सामने

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Published : Jun 17, 2019, 3:55 PM IST

पलायन आयोग ने दूसरी वार्षिक बैठक आयोजित की. जिसमें आयोग ने अल्मोड़ा जिले की रिपोर्ट जारी की है. पलायन आयोग की रिपोर्ट इस बात की तस्दीक करती है कि कैसे अल्मोड़ा के शहरी क्षेत्रों से दूरस्थ गांवों में लोग मूलभूत सुविधाएं न होने के कारण पलायन कर रहे हैं.

एसएस नेगी उपाध्यक्ष पलायन आयोग.

देहरादून: सोमवार को पलायन आयोग ने दूसरी वार्षिक बैठक आयोजित की. जिसमें आयोग ने अल्मोड़ा जिले की रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट में सामने आया कि अल्मोड़ा जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं के विकसित न होने के चलते बड़ी तादात में पलायन हो रहा है. जिसके चलते उत्तराखंड के बाकी जिलों की तरह ही अल्मोड़ा जिले में भी पलायन के हालात बेहद गंभीर है. पलायन आयोग की रिपोर्ट इस बात की तस्दीक करती है कि कैसे अल्मोड़ा के शहरी क्षेत्रों से दूरस्थ गांवों में लोग मूलभूत सुविधाएं न होने के कारण पलायन कर रहे हैं देखिये ये खास रिपोर्ट....

जानकारी देते उपाध्यक्ष पलायन आयोग एसएस नेगी.

बता दें कि पलायन आयोग का गठन 2017 में हुआ था जिसके बाद से ही पलायन आयोग प्रदेश भर में पलायन की स्थिति को लेकर रिपोर्ट तैयार कर रहा है मुख्यमंत्री ने अगले 1 साल में पिथौरागढ़ और टिहरी जिले की रिपोर्ट तैयार करने का लक्ष्य पलायन आयोग को दिया है साथ ही इन समस्याओं के निदान के लिए रास्ता निकालने के भी निर्देश दिए गए हैं.


उत्तराखंड में शहरी क्षेत्रों तक सीमित विकास ग्रामीण इलाकों में पलायन की सबसे बड़ी वजह बन गया है. फ्लाइंग आयोग की अल्मोड़ा जिले को लेकर जारी की गई रिपोर्ट में बताया गया है कि जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से लोग पलायन कर रहे हैं. और जिसके लिए यहां मूलभूत सुविधाओं की कमी को वजह माना गया है.

पलायन आयोग रिपोर्ट में अल्मोड़ा के सल्ट ब्लॉक में 27% तक पलायन रिकॉर्ड किया गया है. इसी तरह सियालदेव, भिकियासैण और चौखुटिया में 8% से लेकर 20% तक के पलायन को रिकॉर्ड किया गया है. रिपोर्ट में यह भी साफ हुआ है कि ग्रामीण क्षेत्रों में 73% तक की आबादी 5000 रुपयों से कम मासिक आय कमाती है. ग्रामीण क्षेत्रों में ना तो पीने के लिए पर्याप्त पानी की व्यवस्था है, ना ही स्कूल स्वास्थ्य और सड़कों की ही बेहतर व्यवस्था की गई है. आपको बता दें कि पलायन आयोग इससे पहले पौड़ी जिले की भी रिपोर्ट जारी कर चुका है.

उस रिपोर्ट में भी सुदूरवर्ती क्षेत्रों में पलायन की बात सामने आई थी. ऐसे में अब अल्मोड़ा जिले में भी यही स्थिति सामने आने के बाद मुख्यमंत्री ने इन समस्याओं के निदान के लिए पलायन आयोग को समिति बनाकर विभाग वार समस्याओं के निदान के लिए रास्ता निकालने के निर्देश दिए हैं. इसके अलावा पहाड़ी क्षेत्रों में स्वरोजगार के तहत बेहतर काम करने वाले लोगों की भी सूची संकलित करने के निर्देश दिए गए हैं. ताकि इनके जरिए युवाओं को प्रोत्साहित किया जा सके मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए हैं, कि इन युवाओं का एक सम्मेलन भी आयोजित किया जाए ताकि इसका संदेश प्रदेश भर में जा सके।

देहरादून: सोमवार को पलायन आयोग ने दूसरी वार्षिक बैठक आयोजित की. जिसमें आयोग ने अल्मोड़ा जिले की रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट में सामने आया कि अल्मोड़ा जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं के विकसित न होने के चलते बड़ी तादात में पलायन हो रहा है. जिसके चलते उत्तराखंड के बाकी जिलों की तरह ही अल्मोड़ा जिले में भी पलायन के हालात बेहद गंभीर है. पलायन आयोग की रिपोर्ट इस बात की तस्दीक करती है कि कैसे अल्मोड़ा के शहरी क्षेत्रों से दूरस्थ गांवों में लोग मूलभूत सुविधाएं न होने के कारण पलायन कर रहे हैं देखिये ये खास रिपोर्ट....

जानकारी देते उपाध्यक्ष पलायन आयोग एसएस नेगी.

बता दें कि पलायन आयोग का गठन 2017 में हुआ था जिसके बाद से ही पलायन आयोग प्रदेश भर में पलायन की स्थिति को लेकर रिपोर्ट तैयार कर रहा है मुख्यमंत्री ने अगले 1 साल में पिथौरागढ़ और टिहरी जिले की रिपोर्ट तैयार करने का लक्ष्य पलायन आयोग को दिया है साथ ही इन समस्याओं के निदान के लिए रास्ता निकालने के भी निर्देश दिए गए हैं.


उत्तराखंड में शहरी क्षेत्रों तक सीमित विकास ग्रामीण इलाकों में पलायन की सबसे बड़ी वजह बन गया है. फ्लाइंग आयोग की अल्मोड़ा जिले को लेकर जारी की गई रिपोर्ट में बताया गया है कि जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से लोग पलायन कर रहे हैं. और जिसके लिए यहां मूलभूत सुविधाओं की कमी को वजह माना गया है.

पलायन आयोग रिपोर्ट में अल्मोड़ा के सल्ट ब्लॉक में 27% तक पलायन रिकॉर्ड किया गया है. इसी तरह सियालदेव, भिकियासैण और चौखुटिया में 8% से लेकर 20% तक के पलायन को रिकॉर्ड किया गया है. रिपोर्ट में यह भी साफ हुआ है कि ग्रामीण क्षेत्रों में 73% तक की आबादी 5000 रुपयों से कम मासिक आय कमाती है. ग्रामीण क्षेत्रों में ना तो पीने के लिए पर्याप्त पानी की व्यवस्था है, ना ही स्कूल स्वास्थ्य और सड़कों की ही बेहतर व्यवस्था की गई है. आपको बता दें कि पलायन आयोग इससे पहले पौड़ी जिले की भी रिपोर्ट जारी कर चुका है.

उस रिपोर्ट में भी सुदूरवर्ती क्षेत्रों में पलायन की बात सामने आई थी. ऐसे में अब अल्मोड़ा जिले में भी यही स्थिति सामने आने के बाद मुख्यमंत्री ने इन समस्याओं के निदान के लिए पलायन आयोग को समिति बनाकर विभाग वार समस्याओं के निदान के लिए रास्ता निकालने के निर्देश दिए हैं. इसके अलावा पहाड़ी क्षेत्रों में स्वरोजगार के तहत बेहतर काम करने वाले लोगों की भी सूची संकलित करने के निर्देश दिए गए हैं. ताकि इनके जरिए युवाओं को प्रोत्साहित किया जा सके मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए हैं, कि इन युवाओं का एक सम्मेलन भी आयोजित किया जाए ताकि इसका संदेश प्रदेश भर में जा सके।

Intro:summary- पलायन आयोग की आज दूसरी वार्षिक बैठक आहूत की गई... जिसमें आयोग ने अल्मोड़ा जिले की रिपोर्ट जारी की.. रिपोर्ट में सामने आया कि अल्मोड़ा जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं के विकसित न होने के चलते यहां से बड़ी तादात में पलायन हो रहा है।

उत्तराखंड के बाकी जिलों की तरह ही अल्मोड़ा जिले में पलायन के हालात बेहद गंभीर है.. पलायन आयोग की रिपोर्ट इस बात की तस्दीक करती है कि कैसे अल्मोड़ा के शहरी क्षेत्रों से दूरस्थ गांवों में लोग मूलभूत सुविधाएं न होने के कारण पलायन कर रहे हैं। देखिये ये खास रिपोर्ट।।।।


Body:उत्तराखंड में शहरी क्षेत्रों तक सीमित विकास ग्रामीण इलाकों में पलायन की सबसे बड़ी वजह बन गया है... फ्लाइंग आयोग की अल्मोड़ा जिले को लेकर जारी की गई रिपोर्ट में बताया गया है कि जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से लोग पलायन कर रहे हैं और इसके लिए यहां पर मूलभूत सुविधाओं की कमी को वजह माना गया है। अल्मोड़ा के सल्ट ब्लॉक में 27% तक पलायन रिकॉर्ड किया गया है... इसी तरह सियालदेव, भिकियासैण और चौखुटिया में भी 8% से लेकर 20% तक के पलायन को रिकॉर्ड किया गया है। रिपोर्ट में यह भी साफ हुआ है कि ग्रामीण क्षेत्रों में 73% तक की आबादी ₹5000 से भी कम मासिक आय कम आप आती है। ग्रामीण क्षेत्रों में ना तो पीने के लिए पर्याप्त पानी की व्यवस्था है ना ही स्कूल स्वास्थ्य और सड़कों की ही बेहतर व्यवस्था की गई है। आपको बता दें कि पलायन आए हो इससे पहले पौड़ी जिले की भी रिपोर्ट जारी कर चुका है जिसमें भी सुदूरवर्ती क्षेत्रों में पलायन की बात सामने आई थी ऐसे में अब अल्मोड़ा जिले में भी यही स्थिति सामने आने के बाद मुख्यमंत्री ने इन समस्याओं के निदान के लिए पलायन आयोग को समिति बनाकर विभाग वार समस्याओं के निदान के लिए रास्ता निकालने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा पहाड़ी क्षेत्रों में स्वरोजगार के तहत बेहतर काम करने वाले लोगों की भी सूची संकलित करने के निर्देश दिए गए हैं ताकि इनके जरिए युवाओं को प्रोत्साहित किया जा सके मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए हैं कि इन युवाओं का एक सम्मेलन भी आयोजित किया जाए ताकि इसका संदेश प्रदेश भर में जा सके।

बाइट एसएस नेगी उपाध्यक्ष पलायन आयोग



Conclusion:पलायन आयोग का गठन 2017 में हुआ था जिसके बाद से ही पलायन आयोग प्रदेश भर में पलायन की स्थिति को लेकर रिपोर्ट तैयार कर रहा है मुख्यमंत्री ने अगले 1 साल में पिथौरागढ़ और टिहरी जिले की रिपोर्ट तैयार करने का लक्ष्य पलायन आयोग को दिया है साथ ही इन समस्याओं के निदान के लिए रास्ता निकालने के भी निर्देश दिए गए हैं।
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