विकासनगर: कालसी स्थित प्राचीन महाकाली मंदिर द्वापर युग का बताया जाता है. कहा जाता है कि जब पांडव अज्ञातास पर आए थे तो उन्होंने महाकाली के इस मंदिर की स्थापना की थी. इस मंदिर में उत्तराखंड समेत अनेक राज्यों के श्रद्धालु आते हैं. महाकाली से श्रद्धालु अपनी मनौती पूरी करने की प्रार्थना करते हैं.
प्राचीन महाकाली मंदिर कालसी चकराता मोटर मार्ग पर फॉरेस्ट कार्यालय के समीप सड़क से नीचे स्थापित है. इस मंदिर के नीचे अमलावाम नदी बहती है. मंदिर से यमुना नदी भी पास दिखाई देती है. मंदिर में काफी पुराना पीपल का वृक्ष है. मंदिर में प्राचीन काली की मूर्ति है. यहां पर मनोकामना पूर्ति करने वाला एक वृक्ष भी है. इस पर लोग चुन्नी में धागा बांधकर अपनी मनोकामना मांगते हैं. मनोकामना पूर्ण होने पर मंदिर में दोबारा श्रद्धालु आते हैं.
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माना जाता है कि द्वापर युग में जब पांडव अज्ञातवास बिता रहे थे, तब उस समय पांडव यमुना नदी के किनारे होते हुए इस स्थान पर पहुंचे थे. उन्होंने मां काली की मूर्ति की स्थापना की थी. पूजा-अर्चना की. इस मंदिर के पास एक गुफा भी थी, जो कई किलोमीटर दूर लाखामंडल में मिलती थी. उस गुफा को वर्षों पूर्व पूरी तरह से बंद कर दिया गया है.
मंदिर के पुजारी भरत भूषण शर्मा बताते हैं कि यह मंदिर काफी प्राचीन है. द्वापर युग में जब पांडव अज्ञातवास बिता रहे थे, तो इस स्थान पर उन्होंने मां काली की स्थापना की थी. बताते हैं कि इस मंदिर के पास एक गुफा थी जो लाखामंडल में मिलती थी. कई वर्ष पूर्व इस गुफा को बंद कर दिया गया.
वहीं उन्होंने बताया कि यहां पर एक मनोकामना सिद्धि वृक्ष भी है. इस वृक्ष पर श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए चुन्नी व धागा बांधते हैं. मनोकामना पूर्ण होने पर उसे खोल देते हैं. कई श्रद्धालुओं ऐसे आते हैं जिनको पुत्र प्राप्ति की कामना होती है. वह मां के दरबार में अपनी मनौती रखते हैं. जब मनोकामना पूर्ण हो जाती है तो मंदिर में श्रद्धालु भंडारे का आयोजन करते हैं.
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प्राचीन महाकाली मंदिर होने के चलते इस मंदिर में उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा आदि राज्यों से भी काफी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं. पुजारी भरत भूषण शर्मा का कहना है कि शारदीय नवरात्रि प्रारंभ हो चुके हैं. महाकाली मंदिर में प्रतिदिन नौ देवियों की पूजा होती है. इसमें देवी माता का श्रृंगार किया जाता है. मां काली की विशेष पूजा अर्चना का महत्व सप्तमी के दिन माना जाता है. महाकाली मंदिर में प्रतिदिन नौ देवियों की पूजा-अर्चना और आरती की जाती है. मंदिर में वर्ष भर माता के दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. नवरात्रों में श्रद्धालु काफी संख्या में महाकाली मंदिर के दर्शनों को उमड़ते हैं.